Monday, 29 May 2017

आजकल जज का नजरिया बदल रहा है , वे चाहते हैं कि आप बोलें......ताकि वे कुछ कर सकें .........!!!

आईये.... .....!!! भारत बदलें .... Let's Change India ....

आदरणीय देशवासिओं, 

आज नारनौल कोर्ट में मेरी 498-a. और मेंटनेंस केस कि तारीख थी . चार साल में मैंने एक रुपया भी नहीं दिया , चार जज बदल चुके हैं , लेकिन मैं अपनी बात पर अडिग रहा , इसीलिए जज/ कोर्ट मुझे जैल नहीं भेज सके और न भेज सकेंगे.

आज उसका बाप और वो बच्चे को लेकर आई थी और वकील के सिखावे के अनुसार ड्रामा करने लगी . जज ने मेरा लैटर पढ़कर बोला कि काउंसलिंग करवा दूं तो मैंने कहा कि वक्त बर्बाद करने से कुछ नहीं होगा .

मैंने पूछा कि देश में कौन से ऐसा कानून , वकील और जज है जो विशवास दे सकता है .............???
ये मेरे लायक तो बची नहीं , जिसको अच्छी लगे वो ले जाये. कम से कम 20 वकील और दूसरे लोग सिर्फ देख रहे थे और मैं बिना वकील के बोल रहा था. मैंने जज को फ़ाइल खोलकर एक-२ तथ्य समझाए . जज कि भी आखें खुल गई . जज ने पहले तो उसके बाप को बहार निकाल दिया.

फिर में 125 के केस में गया . मैंने अपनी लैटर जज को दे दी , तो उनका वकील और वो फिर ड्रामा करने लगे और बोले कि हाई कोर्ट के जज के सामने पेश होंगे और गाली- गलोच करने लगी और उसके मुह से निकाल गया कि स्कूल में पढ़ाकर गुजर करती हूँ .जब कि कोर्ट में लिखा है कि मैं मजबूर, हूँ, लाचार हूँ . मैं चुप-चाप अपनी बात कही कि कोर्ट, जज और मेरी कीमती वक्त व् ऊर्जा कि बर्बादी का जिम्मेदार कौन ...................??? जज ने उसको डांटा और बाहर निकाल दिया . सच पर अडिग रहे . ये कोर्ट और जज कि जिम्मेदारी है कि वे न्याय दिलाने और निर्दोष को प्रताड़ना से बचाएं .
नोट :--- ये सब मैं बिना वकील के करता हूँ और सीनियर वकील ये सुनने के लिए आते हैं कि -- आज मनोज क्या बोलेगा ..........???

सच में बहुत ताकत होती है , सिर्फ धैर्य से काम ले ............................!!!


https://www.facebook.com/notes/manojj-vishwakarma/%E0%A4%86%E0%A4%9C%E0%A4%95%E0%A4%B2-%E0%A4%9C%E0%A4%9C-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%A8%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%AC%E0%A4%A6%E0%A4%B2-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%B5%E0%A5%87-%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A4%BF-%E0%A4%86%E0%A4%AA-%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BF-%E0%A4%B5%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%9B-%E0%A4%95%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%82-/418288404941463/

No comments:

Post a Comment