Wednesday, 31 May 2017

हिंदुस्तान को बेहतर बनाने के लिए, देश के सभी जिम्मेदार नागरिकों से विनम्र निवेदन ......................

आईये.... .....!!! भारत बदलें .... Let's Change India ....


आदरणीय देशवासियों,
जिस हिसाब से देश के हालात सुधरने की बजाय, बिगड़ रहे हैं. उसका मूल कारण है – व्यवस्था की जड़ में गड़बड़ियाँ . जिनको कभी सुधारने की कोशिश ही नहीं की गई. देश आजाद होने से लेकर आज तक, समस्याओं के समाधान के लिए ईमानदारी से प्रयास करने की बजाय, देश की जनता को केवल बरगलाने, बेवकूफ बनाने और लीपापोती करके, अपना खाने-कमाने का जुगाड़ बनाने और हर मुद्दे के समाधान को वोट बैंक से जोड़कर, लोगों को जाती, धर्म, स्त्री-पुरुष में बांटकर, समाज को कमजोर करने के आलावा, देश के नेताओं ने कुछ नहीं किया.
और कोई कोशिश करता हुआ दिखे, तो ये सब लोग, कुत्ते बिल्ली की तरह उसके पीछे पड जाते हैं. क्योंकि उनको मालूम है कि अगर समस्या के समाधान के लिए काम होने लगेगा, तो फिर देश का सामान्य नागरिक सुखी हो जायेगा, तो फिर उनके पीछे कौन घूमेगा ........??? उनकी तो दुकान ही बंद हो जाएगी .
व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति के लिए चाहे वो संसद ठप्प करने का मामला हो......या फिर विपक्ष में होते हुए जनता को मूल मुद्दे से भटकाने का मामला हो. अन्ना जी, के आन्दोलन से पैदा हुए, केजरीवाल ने भी ड्रामेबाजी करके, लोगों का विशवास खत्म करके, देश के लिए कुछ करने का जज्बा रखने वाले युवाओं का मनोबल और जनता का भरोसा तोड़ने का काम करके, माहौल और प्रयासों को नुक्सान पहुँचाया है. फिर भी कुछ लोग जमाने की परवाह किये बिना, अपने प्रयासों को गति देने में लगे हुए हैं. थोडा बहुत बदलाव भी हुआ है, लेकिन हमें लगता है, इससे बेहतर भी हो सकता था ...???
लोग समय पर न्याय न मिलने, कदम दर कदम पर व्यवस्था की कमियों के कारण, हो रहे शोषण और अत्याचार से दुखी हैं. जुगाड़ और पैसे के दम पर सब कुछ हो रहा है. अभी हाल में कोर्ट से बरी हुए सलमान खान के पिता ने केस में लगभग पच्चीस करोड़ रूपये खर्च होने का दावा करके, एक बड़ा ईशारा किया है कि — इतनी बड़ी रकम आखिर कहाँ पर खर्च हुई होगी..............??? समझदार लोग समझ गए होंगे ...??? अब हमें लग रहा है कि – कुछ नए सिरे से करने की जरुरत है. किसी के पास ज्ञान है............ तो कोई मैदान में आकर लड़ने का मादा रखता है ....??? अगर, सभी बुद्धिजीव निजी हितों को त्यागकर, विचार विमर्श करें तो कुछ अच्छा किया जा सकता है. आखिर ! ये सब चीजें हमेशा ऐसे ही तो रहेंगी नहीं, कोई न कोई तो इन हालातों को बदलने के लिए अगुवा बनेगा. जब सिंगापुर को बदला जा सकता है, तो हिन्दुस्तान को भी बदलकर, दुनियां का अग्रणी देश बनाया जा सकता है. हम इसी विचारधारा को ध्यान में रखते हुए, देश- दुनियां के उन सभी विद्वान / बुद्धिजीव / अपने विषयों के विशेषज्ञ/ जिम्मेदार नागरिक गण को एक मंच पर इक्कठा करने के उद्देश्य से आप सभी देशवासियों के सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित करते हैं....................

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