क्या अपने कभी ये सोचा कि आजकल सरपंच प्रधान किस्म के लोग, इतने गद्दार , खुदगर्ज, निर्लज्ज और नकली क्यों हो गए हैं ........???
अभी कुछ दिनों पहले हरियाणा में पंचायती चुनाव थे । पंच, सरपंच, ब्लाक समिति, जिला पार्षद के चुनाव थे । हमनें देखा कि पंच के चुनाव में लगभग 2 से 5 लाख, सरपंच चुनाव में लगभग 20 से 30 लाख, ब्लाक समिति के चुनाव में भी 15 से 30 लाख, जिला पार्षद के चुनाव में 30 से पचास लाख खर्च कर रहे हैं ।
आप ये जानकर हैरान होंगे कि इतना पैसा कहाँ खर्च हो रहा है ........???
सिर्फ शराब ही नहीं, मीडिया में खबर लगवाना, चुनाव सामग्री, गाड़ी का खर्च, जयकारा लगाने वाले चम्चे, शौकीन लोगों के लिए चिकन आदि पर खर्च होता है । सरपंच के चुनाव में तो मुझे यहाँ तक पता चला कि प्रत्यक्षियों ने शौकीन लोगों की यहाँ तक ख्वाहिश पूरी की, अगर 50 वोट हैं तो औरतों के साथ , सहवास तक करो। इस काम के लिए बाकायदा औरतें , बाहर से बुलवा रखी थी। अगर 20 वोट हैं तो शराब और चिकन, और 10 वोट हैं तो शराब ........
अब जरा सोचिये, कल ऐसा आदमी जीत भी गया तो, क्या वो लोगों की समस्या का समाधान करेगा .......???
और सबसे गद्दार तो वे लोग हैं, जो ये घिनोने काम करके वोट दे रहे हैं ......!!! इसमें वोट लेने वाले की बजाय , देने वाले का ज्यादा कसूर है ।
इसलिये, सरपंच, प्रधान और दूसरे पार्षद ,किस्म के लोग, सबसे पहले अपने खर्च की वसूली करेंगे, .....???
कागजों में सड़क बनेंगी .......???
प्रधान से अपनी वोट के बदले राशी वसूली जायेगी। नगर पार्षद 5 से दस लाख , तो जिला पार्षद भी अपने 50 लाख जिला प्रमुख से लेगा, ब्लॉक समिति वालों से सरपंच लेगा ....... जब धरातल पर हालात ऐसे हैं , तो योजनाओं में पैसा खर्च होगा या फिर ये लोग अपनी जेब भरेंगे ........ ??? .
यही कारण है कि ये लोग दलाली करने का कोई मौका नहीं चूकते .......???
अभी कुछ दिनों पहले हरियाणा में पंचायती चुनाव थे । पंच, सरपंच, ब्लाक समिति, जिला पार्षद के चुनाव थे । हमनें देखा कि पंच के चुनाव में लगभग 2 से 5 लाख, सरपंच चुनाव में लगभग 20 से 30 लाख, ब्लाक समिति के चुनाव में भी 15 से 30 लाख, जिला पार्षद के चुनाव में 30 से पचास लाख खर्च कर रहे हैं ।
आप ये जानकर हैरान होंगे कि इतना पैसा कहाँ खर्च हो रहा है ........???
सिर्फ शराब ही नहीं, मीडिया में खबर लगवाना, चुनाव सामग्री, गाड़ी का खर्च, जयकारा लगाने वाले चम्चे, शौकीन लोगों के लिए चिकन आदि पर खर्च होता है । सरपंच के चुनाव में तो मुझे यहाँ तक पता चला कि प्रत्यक्षियों ने शौकीन लोगों की यहाँ तक ख्वाहिश पूरी की, अगर 50 वोट हैं तो औरतों के साथ , सहवास तक करो। इस काम के लिए बाकायदा औरतें , बाहर से बुलवा रखी थी। अगर 20 वोट हैं तो शराब और चिकन, और 10 वोट हैं तो शराब ........
अब जरा सोचिये, कल ऐसा आदमी जीत भी गया तो, क्या वो लोगों की समस्या का समाधान करेगा .......???
और सबसे गद्दार तो वे लोग हैं, जो ये घिनोने काम करके वोट दे रहे हैं ......!!! इसमें वोट लेने वाले की बजाय , देने वाले का ज्यादा कसूर है ।
इसलिये, सरपंच, प्रधान और दूसरे पार्षद ,किस्म के लोग, सबसे पहले अपने खर्च की वसूली करेंगे, .....???
कागजों में सड़क बनेंगी .......???
प्रधान से अपनी वोट के बदले राशी वसूली जायेगी। नगर पार्षद 5 से दस लाख , तो जिला पार्षद भी अपने 50 लाख जिला प्रमुख से लेगा, ब्लॉक समिति वालों से सरपंच लेगा ....... जब धरातल पर हालात ऐसे हैं , तो योजनाओं में पैसा खर्च होगा या फिर ये लोग अपनी जेब भरेंगे ........ ??? .
यही कारण है कि ये लोग दलाली करने का कोई मौका नहीं चूकते .......???
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