Thursday, 5 May 2016

कम से कम तराजू का कांटा तो , बीच में रह सकता था,.........?????



.तब या एहसास होता कि कमजोर को भी बराबर , वजन देकर उठाया हुआ है ..........
चंडीगढ़ हाई कोर्ट के लोगो, में ही तराजू का कांटा , निस्पक्ष न होकर , भारी पलड़े की तरफ झुका हुआ है, तो कमजोर पक्ष को न्याय कैसे मिलेगा ...........???????
आदरणीय देशवासियों ,
इसे ध्यान से देखें, ये चंडीगढ़ हाई कोर्ट का लोगो है , जिसमे एक तराजू, उसके दो पलड़े, एक हल्का और दूसरा भारी..........!!!
वैसे न्याय को तो निस्पक्ष माना जाता है, लेकिन यहाँ तो तराजू का कांटा....... यानिकि जज, जिसको निस्पक्ष होना चाहिए , वो ही भारी पलड़े, यानि की ताकतवर की तरफ , खिसक गया है । कमजोर तो पहले से ही कमजोर था, यहाँ तो काजी ही , उसकी न्याय दिलवाने में मदद करने की बजाय , ताकतवर की तरफदारी कर रहा है। उसकी तरफ झुकाव का मतलब स्पष्ट है कि जज ताकतवर पक्ष के धनबल, और दूसरे लालच से प्रभावित हो चूका है। जब जज प्रभावित ही हो गया ............ तो फिर, कमजोर यानि कि गरीब , मजबूर पीड़ित
को ऐसे में न्याय कहाँ से मिलेगा .....???
न्याय की देवी ने भी आँखों की पट्टी में से देखना शुरू कर दिया है। तराजू का कांटा भी, आजकल भारी पलड़े की तरफ झुक गया है ।

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