अपने केस में , भारी नुकसान के बावजूद , हम कभी भी समझौते के लिए किसी के पास नहीं गए । जबकि मेरे खुद के केस में 250 से ज्यादा सरपंच प्रधान मेरे पर समझौते का दबाब बनाने के लिए , हमारे घर आये। क्योंकि ..............
उसकी वजह थी , मोटी दलाली की संभावना , क्योंकि मेरा गुड़गांव वाला मकान पत्नी के नाम था, मैं खुद भी अच्छे लेवल पर था, मेरा भाई भी साइंटिस्ट है । कई लोगों में ससुर क भेजे हुएे , दलाल भी थे । क्योंकि मेरे माता पिता तो मेरे साथ रहते ही नहीं थे । इसलिये , उनको समझा कर , हम खुद आगे आये। हमने उन लोगों से केवल दो ही सवाल किये कि ज्यादा अच्छी लग रही है , तो अपनी पत्नी की सौतन बनाकर अपने घर ले जाओ ........ या फिर अपने लड़के की पत्नी बनाकर घर ले जाओ ।
कई कमीने लोगों ने ( जिनकी दाल नहीं गली,) उन्होंने घर वालों पर दबाब बनाने की कोशिश की, तो उन्होंने साफ कह दिया कि रहना बच्चों ने है, अगर ये तैयार हो, तो इससे बात कर लो ......। उनको चाय पीनी मुश्किल हो गई ।
एक और अच्छी बात ये भी हुई कि जो लोग पत्नी और उसके बाप को भाव दे रहे थे । उनके घर की बहुओं ने ही , जब उनके खिलाफ दिक्कतें , करनी शुरू की, तो उन्होंने पत्नी का अपने घर में घुसना बन्द करवा दिया ।
अपने मुकदमें से , सबसे पहले इन दलालों को बाहर करो । माँ बाप को समझा कर, खुद मौर्चा संभालो ।
अपने मुकदमें से , सबसे पहले इन दलालों को बाहर करो । माँ बाप को समझा कर, खुद मौर्चा संभालो ।
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