Wednesday, 25 May 2016

निर्दोष को झूठे केस में फसानें के लिये, नेता, सरपंच, प्रधान, पुलिस और वकील के नाम तो सुने थे ; अब तो जज भी ये धंधा करने लगे .........

जजों के नैतिक स्तर की गिरावट का  नमूना, .......... अब लोगों को झूठे रेप के केस में , फसानें में जज भी शामिल ..........

नेता, सरपंच, प्रधान,  पुलिस और वकील ,  के नाम तो सुने थे, लेकिन अब तो जज भी , इस धंधे में शामिल होने लगे ........!!!

रेप के झूठे केस में सुसाइड की कोशिश : इस शख्स ने 17 माह में सबूत जुटा जज को कराया सस्पेंड
अशोक कुमार | May 16,2016 3:49 PM IST
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धनबाद (झारखंड)। उम्मीद..न्याय की और विश्वास...सच सामने आने का। पर अगर उम्मीद ही नाउम्मीदी में बदल जाए तो...? अगर विश्वास ही हारता दिखे तो...? धनबाद के बलियापुर निवासी राकेश ग्रोवर का संघर्ष इन्हीं दो सवालों का जवाब है। रेप के प्रयास के दर्ज मुकदमे को झूठा बताकर जब रिश्तेदार ने आत्महत्या की कोशिश की तो राकेश ने मामले का सच सामने लाने की ठानी। झारखंड की उपराजधानी दुमका से लेकर दिल्ली तक की दौड़ लगाई। परिवार से दूर रहकर 17 माह तक लगातार सबूतों की तलाश की। कभी थाना गए तो कभी वकील खोजा। तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच सच सामने लाने का संघर्ष जारी रखा। अंतत: उनकी जिद को जीत मिली। मुकदमे के पीछे छुपे जज के चेहरे को किया बेनकाब...

- राकेश ने मुकदमे के पीछे छुपे एक जज के चेहरे को बेनकाब कर दिया। हाईकोर्ट में साक्ष्य रखे। तब हाईकोर्ट ने अपने ही जज के खिलाफ जांच गठित की। आरोप साबित हुआ। जज को सस्पेंड किया गया।

ऐसे जुटाए साक्ष्य : तीन महीने तक कॉल डिटेल खंगाला

- राकेश कहते हैं कि दुमका कोर्ट में पक्ष रखना मुश्किल हो रहा था। दुमका के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्र की कार्रवाई समझ से परे थी। इससे संदेह का दायरा बढ़ा।

- उन्होंने मामले के वादी के पिता, वादी के वकील, संपत्ति विवाद को लेकर शत्रु बने नागेश्वर पांडेय, राजीव पांडेय और मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र का मोबाइल कॉल डिटेल खंगाला। इस काम में तीन माह लगे। चारों का कॉल डिटेल हैरान करने वाला था।

- शिकायतवाद दायर होने से पहले और बाद में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा, नागेश्वर पांडेय और राजीव पांडेय एक-दूसरे के संपर्क में थे।

- रेप के प्रयास का आरोप लगाने वाली महिला के पिता की नागेश्वर पांडेय राजीव पांडेय से बात हो रही थी। कॉल डिटेल सबकुछ स्पष्ट कर रहा था।

कोर्ट में मुश्किलें...पक्ष रखने को नहीं मिल रहा था वकील

- राकेश कहते हैं कि साक्ष्य हाथ में था, पर हाई कोर्ट में इसे रखने के लिए कोई वकील नहीं मिल रहा था। मामला जज और वकील से जुड़ा बताकर हर वकील पीछे हट जाता।

- ऐसी स्थिति में उन्होंने दिल्ली के जाने-माने वकीलों से संपर्क साधा। 15 लाख खर्च कर कपिल सिब्बल को पक्ष रखने के लिए खड़ा किया। पर सफल नहीं हो सके। फिर उन्होंने वकील मन्ना मिश्रा से संपर्क साधा। बहुत मुश्किल से वे उनका केस लड़ने को तैयार हुए।

ऐसे मिली जीत : साक्ष्य से जज निलंबित

- दुमका के तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की अदालत में याचिका दायर की गई। 14 दिसंबर 2015 को याचिका की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के खिलाफ साक्ष्य रखने को कहा गया।

- याचिकाकर्ता ने 18 जनवरी 2016 को कोर्ट के समक्ष साक्ष्य रखे। कोर्ट ने साक्ष्य के आधार पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के खिलाफ जांच की आवश्यकता बताई। साथ ही मामले को डबल बेंच में भेजने का फैसला किया।

- 24 फरवरी 2016 को झारखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति डीएन पटेल और न्यायमूर्ति अमिताभ कुमार गुप्ता की अदालत में मामले की सुनवाई हुई।

- न्यायमूर्ति द्वय ने इन परिस्थितियों को प्रथम दृष्टया सही मानते हुए दुमका के तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के खिलाफ उचित कार्रवाई के लिए मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा। इसके बाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा को सस्पेंड कर दिया गया।

रेप के प्रयास का था आरोप

- मामले की शुरुआत साल 2014 में एक संपत्ति की खरीद को लेकर हुई थी। राकेश ग्रोवर के दिल्ली निवासी कारोबारी रिश्तेदार करण मदन ने दिल्ली के एक वकील से संपत्ति खरीदी थी।

- उस पर कब्जा को लेकर उनका विवाद हुआ। इसी दौरान करन के खिलाफ दुमका कोर्ट में दुष्कर्म के प्रयास का शिकायत वाद दायर हुआ। करण इस आरोप से टूट गए। उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की। रिश्तेदार की यह स्थिति देख राकेश मदद को पहुंचे।

- राकेश प्रारंभिक जांच में ही समझ गए कि यह मामला फर्जी है। लेकिन इसे साबित करना एक चुनौती थी। राकेश उस होटल में गए, जिसे वादी ने घटना स्थल बताया था। उन लोगों से मिले, जो दुष्कर्म के प्रयास के गवाह थे। इस मुकदमे के पीछे छुपा असली चेहरा सामने गया। चेहरा था... दुमका के तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्र का...........

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