Friday, 13 May 2016

अगर हम सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस होते .......

अगर हम सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस होते ..........

हमें बड़ा दुःख हुआ जब हमनें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश को रोते हुए देखा...... पुरानी बातों का तो हमें मालूम नहीं, लेकिन पिछले 7 सालों से हमनें न्यायपालिका के बारे में जो सुना, जो देखा और जो अनुभव किया , उससे हमें अंदर की कई खतरनाक गड़बड़ियों का पता चला । हम अपने स्तर पर प्रयास भी करते रहे हैं । हमारा ये मानना है कि श्री टी एस ठाकुर चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट ने एक अच्छी कोशिश की है, और वो है .....गर्मी की छुट्टियों में भी मुकदमों की सुनवाई करना । बहुत सारे लोग देश की अलग 2 जेलों में बंद हैं, और पुलिस, ने निर्दोष लोगों को , अपने स्वार्थों के चलते फंसाया और रिश्वत लेकर असली दोषी को छोड़ दिया । ऐसे अनेकों लोगों को हम जानते हैं। हम तो बाहर हैं, कुछ कोशिश कर सकते हैं , लेकिन जो जेल में बंद है , वो तो कुछ कर भी नहीं सकता । इसलिए, ये कदम सहरानीय है। इस कदम से , देश के 24 हाई कोर्ट के जजों पर भी फर्क पड़ेगा ।

 अब रही बात जजों की संख्या बढ़ाने की...

....अभी जजों के नियुक्ति की प्रक्रिया में बहुत सारी गड़बड़ियां हैं । पहले ही न्यायपालिका में नाकाबिल, शिफरिशि लोग भरे हुए हैं , जोकि जमकर चूना लगाकर, अवैध वसूली भी कर रहे हैं । इस समय वर्तमान तरीके से जजों की नियुक्ति होगी, तो उसमे ये लोग अपने लोगों को भर्ती करेंगे, जिसके कारण वो नुकसान होगा, जिसकी भरपाई ही नहीं हो सकती ......!!!
हमें पूरा विशवास है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जैसे जिम्मेदार पद पर , बैठने वाले व्यक्ति को रोना, धोना, छोड़कर , कुछ करके दिखाना चाहिए .........

 अगर हम सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस होते तो ये सुधार जरूर करते.........

इसके लिए सबसे पहले लॉ कॉलेजों से सुधार की जरूरत है, ताकि नाकाबिल लोगों को LLB की डिग्री न मिल सके ।
दूसरा , जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना, ताकि काबिल व्यक्ति ही जज बन सकें ।
तीसरा , भृष्ट जजों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही करना , ताकि जज मनमानी करने से पहले 10 बार सोचें ।
चौथा, न्यायपालिका जो जबाबदेही , जिम्मेदारी, लोकतंत्र के दूसरे स्तम्भ से उम्मीद करती है, वो नजरिया खुद पर भी लागु करे ।
पांचवा , जजों को जिस प्रकार होना और रहना चाहिए, वे दूसरों को सीख देने की बजाय सबसे पहले खुद को सुधारें ।
छटा , ये की भृष्ट जजों की हमेशा के लिए कोर्ट से विदाई के लिए, राष्ट्रपति जी और संसद को कार्यवाही करने के लिए मजबूर करें ।
सातवां , हम रोजाना एक घंटा , पीड़ित लोगों से जरूर मिलते ।
आठवां , भेष बदलकर बिना किसी को बताये, देश की अदालतों का , औचक निरीक्षण करते, दोषी लोगों के खिलाफ तुरंत कार्यवाही ।

 बस इतना करने से , ही बहुत कुछ हो जायेगा, कुछ स्वार्थी लोग, विरोध भी करते, धरना प्रदर्शन भी होते, लेकिन देश के 40 करोड़ पीड़ित लोगों की, पीड़ा का समाधान जरूर हो जाता ।

कुछ का ईलाज करने से , गलत काम करने का डर बैठ जायेगा , और हम हिन्दुस्तानी लोग, डर और डंडे के बिना कुछ कर ही नहीं सकते ........!!!

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