हिन्दुस्तान के 95% से ज्यादा जजों की मानसिकता , .........पीड़ित को न्याय देने की है ही नहीं .................!!!
जी , हाँ ........ ये हिन्दुस्तान की न्यायपालिका का कड़वा सच है ।
आइये......!!! आपको कुछ घटनाओं से अवगत करवाते हैं, जिनसे आपको ये बिल्कुल स्पष्ट हो जायेगा कि .....ऐसा कहने के पीछे कुछ ठोस आधार/ कारण हैं । पिछले 7 वर्षों से हमनें काफी लोगों से मुलाकात की, ...... प्रधान, सरपंच, पुलिस, वकीलों, महिला सेल, प्रोटेक्शन ऑफिसर, से लेकर ,........... छोटे जजों से लेकर , हाई कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस तक,..... के कारनामे देखे ।
इस लंबे अनुभव ने बहुत कुछ सिखाया...…......... , देश के अनेकों पीड़ित लोगों से मुलाकात भी हुई............., जेल में बन्द कैदियों से भी कई बार मुलाकात हुई..........., हमें जो कुछ समझ में आया वो, हम आपकी जानकारी के लिए पेश कर रहे हैं : ---
1. जजों के दिमाग में ये बात बैठ चुकी है कि --- एक बार जज नियुक्त हो गए, तो राजा, MLA/ MP की भी क्या औकात है ........??? खुदा भी क्या चीज है .......???
हम तो खुदा से भी बड़े बन गए ........ क्योंकि किसी का कितना भी नुकसान कर लो.............., किसी की इज्जत को नीलाम कर दो..............., जिसे चाहे जेल भेज दो................., जिसे चाहो बरी कर दो.............. , जिम्मेदारी , जबाबदेही है ही नहीं......... !!! कोई सवाल जबाब करे तो, ......... उसके खिलाफ झूठी शिकायत करके, कॉन्टेम्पट का केस लगवा दो, ..... जेल, पुलिस की तो औकात ही क्या है .........???
2. देश की इतिहास में, आजतक किसी जज को , न तो कोई सजा हुई, और न उनके खिलाफ महाभियोग कामयाब हो सका..........??? नेता को तो हर 5 साल में , वोट मांगने, जाना पड़ता है, इनको तो सिर्फ हुक्म चलाना है ।
3. आम आदमी तो इनके खिलाफ करने की सोच भी नहीं सकता........??? भगवान के जैसा दर्जा ........ ऊँची स्टेज पर कुर्सी........., हर व्यक्ति सलाम करता हुआ............. , हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाता हुआ ........, निरंकुश ताकत , इन सबनें जजों को सातवें आसमान पर बिठा दिया ।
जज जानबूझकर , झूठे मुकदमें क्यों चलाते हैं .........???
देश की अदालतों में , कुछ जजों के परिवार और रिश्तेदारों का ही कब्ज़ा है । उनमें से ही जज चुने जाते हैं । कोर्ट में इन जजों के रिश्तेदार वकालत करते हैं । अगर आप को किसी मामले में ( चाहे वो कितना भी फर्जी और झूठा क्यों न हो .............. ??? ), मनचाहा फैसला लेना हो, तो इन वकीलों को अपना मुकदमा दे दो। ऐसे जजों को Uncle जज कहा जाता है। चंडीगढ़ हाई कोर्ट में हर तीसरा जज , अंकल जज है। इस काम की , मोटी फीस वसूली जाती है । जजों के सीधा , स्वार्थ , लालच, लाभ जुड़ा होता है , ऐसे फैसलों में .......... !!!
ये एक सबसे बड़ा कारण है कि --- सरासर झूठा मुकदमा , होने के बावजूद भी , जज उस केस को ख़ारिज करने की बजाय , उसको चलाते हैं और जानबूझकर गलत फैसले लिखते हैं । किसी के खिलाफ वारंट जारी करके, तो किसी को खिलाफ गलत / झूठे आरोप, लगाकर , सरासर , झूठा फैसले लिखे जाते हैं । जेल जाने से बचने के लिए पीड़ित, अपना सब कुछ बेचकरर, कर्ज लेकर , भी ऐसे वकीलों की मोटी फीस , चुकाने को मजबूर होता है । क्योंकि पीड़ित अपील, Revision मे जायेगा , तो कहीं न कहीं , वकील की फीस में , जज का भी हिस्सा जुड़ा होता है ।
कारनामा नंबर 1 .......
मेरे खुद के केस में , हमनें लीगल ऐड से मर्जी का वकील माँगा, क्योंकि दसरे पक्ष का वकील , अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके, उनको खरीद लेता था। वैसे किसी भी मजबूर व्यक्ति को न्याय दिलवाना, न्यायपालिका की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है और उसका सबसे पहला कदम , पीड़ित को वकील दिलवाना है । ऊपर से निचे तक , बड़े 2 ड्रामे जरूर हो रहे हैं । लेकिन , आज तक पैरवी के लिए मर्जी का वकील नहीं मिला ..........
कारनामा नंबर 2 ..........
170 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या करने वाले आतंकवादी कसाब को 15:50 लाख खर्च करके , राजू रामचंद्रनन जैसा महंगा वकील, और जो व्यक्ति नई दवा खोजकर देश के काम आ सकता है, उसको केस की पैरवी के लिये वकील नहीं ........ वैसे इस देश में न्याय पाने का सबको सांवैधानिक अधिकार दिया गया है ।
कारनामा नंबर 3 .........
हाई कोर्ट चंडीगढ़ के, नारनौल के , तत्कालीन प्रशाशनिक जज महिंदर सिंह सुल्लर से , इस बारे में विनती कि तो ईनाम मिला ........ 14 दिनों की जेल और झूठा कॉन्टेम्पट का केस। और मुझे गुप्त सुत्रों से पता चला कि उस जज की जज के रूप में नियुक्ति ही गैर कानूनी थी ।
जो व्यक्ति फर्जीवाड़ों के आधार पर जज बना, और हाई कोर्ट का जज बनकर , रिटायर भी हो गया , क्या ऐसा व्यक्ति जिम्मेदारी से काम करेगा .........???
कारनामा नंबर 4 ..........
जज दूसरों को क्या खाक न्याय देंगे ........??? जब वे अपने विभाग के कर्मचारियों के साथ ही , गुलामी जैसा सामंतवादी मानसिकता का व्यवहार, अत्याचार , क्रूरता करने से बाज नहीं आ रहे ..........???
सरकार द्वारा जजों के , घरों के लिए अलग से , सहायक रखने की सुविधाओं के बावजूद भी, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों , से सुबह 5 बजे से रात के 12 बजे तक काम लेना । जज , ना केवल , इनके साथ मार पिटी , गाली गलौच, हाथा पाई, करते हैं , बल्कि नौकरी से निकालने का डर बनाते हैं । कई लोगों को तो नौकरी से निकाल भी दिया है । कुछ पर झूठे आरोप लगाकर , झूठे मुकदमें भी डलवा दिये । इसी प्रताड़ना के चलते कई कर्मचारियों ने आत्महत्या कर ली ।
ये जज लोग, अपने अहंकार के चलते, इतने गिर गए कि मानवता की सारी हदें पार करते हुए, गरीब और मजबूर लोगों और उनके परिवारों पर ही , अत्याचार की हदें पार करने लग गए ............
ताकतवर का फर्ज होता है , कमजोर की मदद करना........। लेकिन , ये जज उन लोगों के ही नहीं, हो सके, जो सुबह से लेकर शाम बल्कि देर रात तक , कदम 2 पर , इनके परिवार के नखरे , सहते हैं, गालियां सुनते हैं , मारा पिटी सहन करके, इनको राजा की तरह , सुख देते हैं, जबकि खुद के परिवार के लोग, उनकी मदद का इंतजार करते रहते हैं । जजों के अत्याचार और अन्याय के खिलाफ , उनके विभाग के कर्मचारी ही, आवाज़ उठा रहे हैं ।
जब खुद के साथ काम करने वाले, लोगों के साथ जजों का व्यवहार इतना क्रूर है , संवेदनहीन है, तो दुसरों को क्या न्याय देंगे .........???
कारनामा नंबर 5 ......... .
हरियाणा पलवल कोर्ट के अहलमद भोगी राम ने स्टेशनरी और पीने के पानी की माँग कर डाली, तो उनके खिलाफ ही , झूठे आरोप लगा कर, अलग2 इन्क्वारी शुरू करवा दी । और उनको अलग2 तरीकों से , प्रताड़ित करवाया जा रहा है। बच्चे के ऑपरेशन के लिए, छुट्टी, की ऍप्लिकेशन लगाई, तो सेशन जज ने वो आगे नहीं भेजी, लेकिन भोगी राम पर 5000 रूपये का जुर्माना लगा दिया ।
कारनामा नंबर 6 ..........
लुधियाना से हमारे भाई साहब हैं, हरमीत सिंह टिंकू ,............. उन्होंने भी , जजों के अन्याय और अत्याचार के खिलाफ , आवाज़ बुलंद, की तो उनके खिलाफ, झूठी शिकायत करके, इन्क्वारी शुरू करने के साथ2, कॉन्टेम्पट के झूठे मुकदमें शुरू ............ प्रताड़ित करने के लिये, पोस्टिंग कहीं पर, इन्क्वारी कहीं और जगह , मुकदमा कहीं और जगह पर .......
कारनामा नंबर 7 ..........
चंडीगढ़ हाई कोर्ट में भी हमारा वास्ता , 10 से ज्यादा जजों से पड़ा है। किसी और के खिलाफ कोई मामला हो तो बड़े अच्छे प्रवचन सुनने को मिलेंगे । लेकिन जब वही फर्जीवाड़ा जज का हो, तो इनका रवैया टालमटोल करके, पीड़ित को ये एहसास करवाना होता है कि जजों के खिलाफ बोलकर , पंगा लेने की कोशिश न करें , वरना हमारी ताकत तुम्हें कुचलने का काम करेंगी ।
करनामा नंबर 8..........
सुप्रीम कोर्ट ने अभी सुब्रत रॉय की गिरफ़्तारी का आधार , सार्वजनिक नहीं कर रहा ...
सुप्रीम कोर्ट बिना किसी शिकायत या FIR के , किसी व्यक्ति को जेल भेज नहीं सकता .......
हमनें सुप्रीम कोर्ट से इस बात की जानकारी RTI मांगी थी, फिर प्रथम अपील भी लगाई । लेकिन , सुचना को आजतक सार्वजनिक न करने का मतलब क्या है ..........???
जब सुप्रीम कोर्ट ही ऐसे करेगा तो , फिर छोटे कोर्ट से क्या उम्मीद की जाये ......???
कारनामा नंबर 9 .........
एक तरफ सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश TS Thakur , जजों की संख्या बढ़ाने की बात करते है, दूसरी तरफ जजों के भृष्टटाचार पर चुप हो जाते हैं .........???
ठाकुर साहब , अगर आप इतने ही ईमानदार है , और न्यायपालिका में कुछ सुधार करना चाहते हैं , तो भृष्ट जजों की चल अचल संपत्ति को सार्वजनिक करवाने और भृष्ट जजों के खिलाफ कार्यवाही करने से आपको किसने रोका है ........???