Tuesday, 31 May 2016

सतीश मित्तल जैसे लोग , जोकि हाई कोर्ट के सीनियर जज के जिम्मेदार पद पर आसीन होते हुए, बिकने को तैयार बैठे हों, वे लोगों को क्या खाक न्याय देंगे ........???

राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश कुमार मित्तल के बारे में , लगभग 1 साल पहले , हमने सुना था कि पंजाब , हरियाणा , चंडीगढ़ के कोर्टों के लिए कुर्सियां खरीदी गई थी । ये जज साहब उस समिति के चेयरमैन थे। कुर्सी की असली कीमत थी लगभग 4000 रूपये और बिल बनाया गया 15000 का .... और बड़ी संख्या में कुर्सियां खरीदी गई थी ।  करोड़ों रूपये डकार गए थे ये सतीश कुमार मित्तल साहब .......और मुझे पूरा विश्वास है कि  प्रॉफेस्सर वीरेंदर सिंह की , जमानत में एक करोड़ की हिस्सेदारी की बात सच है।   और जनता की आवाज़ झूठ नहीं हो सकती ........???  
 क्योंकि ये मित्तल, और वो गुप्ता , ......और बनिया लॉबी हाई कोर्ट में थोड़ी ताकतवर है, अपने जाती के लोगों को बचाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं ।  ये इस देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे भृष्ट आचरण वाले लोगों को , राजस्थान के हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बना दिया ...........ऐसे लोग क्या न्याय देंगे , जो खुद ही बिकने को तैयार बैठे हों .......

धिक्कार है,............... रोहतक के पूर्व सेशन जज सुशिल कुमार गुप्ता पर ....................और धिक्कार है 5 करोड़ में से, 1 करोड़ का हिस्सा लेने वाले, राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश मित्तल पर भी..............


अभी पूरे देश के लोगों ने जाट आरक्षण के नाम पर जाटों की गुंडागर्दी को देखा,............इनकी कारनामे देखकर सभी बिरादरी के लोगों में जाटों के प्रति नफरत सी हों गई थी.  और उसी काण्ड में शामिल देशद्रोही प्रोफेसर वीरेंदर सिंह को 5 करोड़ की रिश्वत लेकर रोहतक के सेशन जज सुशीलकुमार गुप्ता ने जमानत दे दी ................. धिक्कार है रोहतक के पूर्व सेशन जज सुशिल कुमार गुप्ता पर ....................
अभी मुझे गुप्त सूत्रों से पता चला है कि रोहतक के सेशन जज सुशील गुप्ता , जिसकी रिटायरमेंट होने वाली थी । जाते2 प्रोफेसर वीरेंदर सिंह ( जो की भूपिंदर हूडा का राजनीतिक सलाहकार था, ) जिसके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा था, उसके चलते जेल में बन्द था। इस जज ने 5 करोड़ रूपये लेकर जमानत दे दी और बहाना ये बनाया कि PP ने जमानत का विरोध नहीं किया ........??? अगर PP ने विरोध नहीं किया, तो भी जज का काम क्या बनता था ....... ??? सुशिल गुप्ता की सेशन जज के रूप में क्या जिम्मेदारी बनती थी .......??? इतने खतरनाक अपराध करने वाले , अपराधी को , जमानत दे दो ........???
कितने गिर गए हैं ये जज .......
???
 

और धिक्कार है 5 करोड़ में से 1 करोड़ का हिस्सा लेने वाले,  राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश मित्तल पर भी..............

 

ये लोग करते हैं , जेल में बन्द कैदियों का शोषण .... जिला सेशन जज, CJM, हाई कोर्ट के जज, मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन/सदस्य .........

जेल में बंद लोगों का शोषण करने में, शामिल होते है, .........................   जेल अधीक्षक......, जिला सेशन जज..., चीफ जुडिशल मजिस्ट्रेट....., हाई कोर्ट के इंस्पेक्टिंग जज...., मानव अधिकार आयोग  के चेयरमैन.......

आदरणीय देशवासियों,

आज हमारे मित्र ने जेल में बंद लोगों के शोषण करने के गैंग में शामिल लोगों के बारे में जानकारी साँझा की तो हमने सोचा कि – आपको इस शोषण में शामिल लोगों के बारे में बताया जाये .
हम और आप अन्याय और अत्याचार के शिकार जरूर हैं, लेकिन हम संघर्ष करने के लिए काफी हद तक आजाद हैं.  अगर आप जेल में बंद लोगों की समस्या के बारे में सच जानेंगे,.......... तो आप के ये एहसास होगा कि – आप तो काफी कुछ कर सकते है ............      आपकी मजबूरी तो कुछ भी नहीं है ............... मजबूर तो वे लोग हैं जोकि जेल में बंद हैं...............  जिनको चिट्ठी लिखने के लिए पेपर तक नहीं दिया जाता .......................

मुझे विशवास है कि इस लेख को पढ़कर,   आपकी जानकारी और ज्यादा ज्ञान से परिपूर्ण होगी और आप अपने से ज्यादा, मजबूर लोगों का दर्द समझने की कोशिश करेंगे और  छोटी 2 तकलीफों के लिए शिकायतें नहीं करेंगे .
 
सच जानकर आप कभी भी इन भ्रष्ट और गिरे हुए जजों को,   ईज्जत से देखने  की बजाय,  नफरत से देखने लगेंगे.   नारनौल के भ्रष्ट जजों ने रंजिश के चलते , हमें  कई ब़ार जेल में डाला.       इसलिए, हम जेल के अन्दर के,  हर तरह के घपले, भ्रष्टाचार की सारी जानकारी है .

जेल से  सम्बन्धित शिकायतों तथा दुसरे मामलों का इंचार्ज,  उस जिला कोर्ट का चीफ जुडिशल मजिस्ट्रेट  ( CJM ) होता है . उसके अलावा,    जिला सेशन जज भी जिला कोर्ट का मुखिया होने के नाते जेल में हर महीने जाता है . ताकि  जेल में बंद लोगों की समस्याओं के साथ 2,    जेल की दूसरी खामियां दूर की जा सके . इसके आलावा हर सप्ताह में CJM, जेल में उन लोगों की रिहाई करने के लिए जाते हैं , जोकि छोटे मोटे अपराध में बंद  हैं............, जिनके जमानती नहीं हैं .

अक्सर पुलिस,  चोरी के मामले में किसी भी गरीब मजदूर , प्रदेशी लोगों को,   चोरी के झूठे मुकदमे लगाकर, या फिर जिसके खिलाफ पहले से ही कुछ मुकदमे हैं , उसमे कुछ झूठे मुकदमे जोड़ देती है.  ऐसे लोगों का,     न तो कोई पैरवी करने वाला होता है ..............और न ही कोई,............. जमानत देने वाला . इसलिए, मज़बूरी के चलते, ......... वे जेलों में बंद है.  देश की जेलों में लगभग 80 % निर्दोष लोग बंद है .  वे सिर्फ इसलिए बंद हैं क्योकि उन्होंने पुलिस को रिश्वत / दलाली नहीं दी ............या ..............नहीं दे सके .

आप लोगों को ये लगता होगा कि ये जज तो बहुत ही जिम्मेदार , ईमानदार और न्याय के देवता होते हैं . जेल में बंद कैदियों से मिलते हैं  तो ऐसा ड्रामा करेंगे कि – अगर भगवन भी धरती पर आ जाये तो वो भी चोर और बेईमान और ये जज ईमानदार .................
चाहे वो हाई कोर्ट के जज हों ......................... या मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन /सदस्य हों .....................चाहे जिला सेशन जज हों ................या फिर चाहे वो CJM हों .....................
सब के सब जेल से अवैध वसूली लेते हैं ................

जिसमे इनके रेट इस प्रकार से हैं ................. हाई कोर्ट के जज ..... 1 लाख रूपये प्रति दौरा ,  मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन/सदस्य ..............1 लाख रुपया प्रति दौरा ,  जिला सेशन जज ...............कम से कम .............1 लाख प्रति महिना , CJM .....................50000/- प्रति शिकायत तथा 50,000 /- प्रति महिना अलग से .......

आइये ...........!!! जाने इन जजों को ये रिश्वत /  दलाली क्यों दी जाती है ................???

क्योंकी ये सब वे लोग हैं जोकि जेल प्रशासन के अत्याचार, भ्रष्टाचार , खाने में गड़बड़ी, ईलाज में हॉस्पिटल भेजने से रोकने, पत्र लिखने के लिए पेपर नहीं देना,  नए कैदियों को डराकर अवैध वसूली करना, पुराने कैदियों से प्रताड़ित करवाना आदि शिकायतों पर कार्यवाही करते हैं .  

कैदियों की शिकायतों को दबाने के एवज में ये जज लोग रिश्वत लेते हैं.  हरियाणा मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन विजेंदर कुमार जैन ( जोकि चंडीगढ़ हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस भी है ), तो इतना घटिया ईन्सान है कि – जो जेल में टॉयलेट और पिने के पानी से सम्बंधित सुविधाओं को उपलब्ध करवाने की शिकायत में ही,...............    दलाली खा गये .

मानवाधिकार का इससे बड़ा उलंघन क्या हों सकता है ...................???

 जिस देश में लोग पुन्य कमाने के लिए प्याऊ लगाते हों ..................कोई भी व्यक्ति पिने के पानी के लिए 10 मिनट ईन्तजार कर सकता है , लेकिन शौच जाने के लिए नहीं ...................!!!
जेल में कैदियों की संख्या के हिसाब से टॉयलेट की सुविधा नहीं है, लोगों को एक घंटा ईन्तजार करना पड़ता है .
ये लोग जेल में बंद मजबूर कैदियों का शोषण करवाकर, अवैध वसूली के लालच में, इतने गिर सकते हैं, ......................ये आप,......   सोच भी नहीं सकते ..............

यही कारण है कि – किसी केस में कोई खाता –पीता/ संपन्न  आदमी शामिल हों, ओर वो केस झूठा होते हुए भी, ................ये जज लोग उस मुकदमे को ख़ारिज करने की बजाय................, सिर्फ इसलिए चलाते हैं कि – उसे किसी भी तरह जेल भेजकर ..................या.................. जेल भेजने का डर, दिखाकर मोटी रकम  अवैध वसूली की जा सके ............................!!!  

 इस देश में मुकदमें जजों की इस भ्रष्ट और  अवैध वसूली की मानसिकता के कारण, बढ़ रहे हैं ........................ चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट टी एस ठाकुर का रोना धोना ..................ये सब नाटक है .......

 ये लोग पहले भ्रष्ट जजों को बचाने की आदत छोड़ें,..................उनके खिलाफ भी निष्पक्ष रैवैया रखते हुए, .................कानूनी  कार्यवाही करके दिखाएँ .......................   न्यायपालिका की स्वतंत्रता के हनन के नाम पर, ड्रामा करन बंद करें ..............
   
ये है इन जजों का असली चेहरा .............................,  अगर भगवन इनके कर्मों, कुकृत्यों का हिसाब किताब मांग ले, तो मुझे पूरा विश्वास है कि – इन सब जजों को, सड़ा 2 कर मारे ..................

मुझे 200% विश्वास है कि –जेल में बंद लोगों की मजबूरी, शोषण, जजों , मानवाधिकार आयोग के लोगों के ड्रामे का सच जानकर, आपकी अंतरात्मा कुछ सोचने को मजबूर होगी ................कि अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आइये , हम भी कुछ करें ................या .............कुछ कर  रहे हैं , उनके हाथ मजबूत करें ................
धन्यवाद,............  जय हिन्द .............!!!

Monday, 30 May 2016

नारनौल के आयकर अधिकारी देवेंदर कुमार का फर्जीवाड़ा .... क्या ये काम बिना रिश्वत/ अवैध प्रतिफल के हो सकता है .......???.

क्या ये काम बिना रिश्वत/अवैध प्रतिफल  के हो सकता है .......???

नारनौल के आयकर अधिकारी देवेंदर कुमार , का फर्जीवाड़ा .........
आदरणीय देशवासियों ,

आज हम आपको नारनौल के आयकर अधिकारी देवेंदर कुमार के फर्जीवाड़ों से अवगत करवा रहे हैं ।
दरसल, हमनें अपने ससुर के द्वारा अपनी बेटी की शादी में दिखाये गया खर्च और अर्जित सम्पति की जाँच करके,  उचित कानूनी कार्यवाही के लिए , आयकर विभाग को लिखा था ।

 अब आप फर्जीवाड़े को समझिये .......

पेज नंबर 1 के पत्र क्रमांक 2265 में उसने लिखा कि उन्होंने 2 बार मेरे फ़ोन 0917419231 पर  27/03/2015  को संपर्क किया, और उसी दिन उनके ऑफिस में मिलने को कहा । और ये भी एहसान जाता दिया कि आप को दूसरा मौका दिया जाता है कि उसी दिन  यानि की 27/03/2015 को मिलो ।

ये पत्र 27.03.2015 को लिखा गया , उसी दिन मुझे बुला रहे हैं , और 28.03.2015 को पोस्ट से भेजा (  देखें पेज 5 ) , जोकि मुझे  30.03.15 को मिला, तो मैं  27.03.2015 को उनसे कैसे मिलता ......???
 किसी भी व्यक्ति को किसी मामले में पेश होने के लिए, कुछ वक्त दिया जाता है , न की  उसी दिन फोन करके फरमान सुनाना , कि अभी आ जाओ, क्या पता उस दिन हम कही बाहर हों , किसी और मजबूरी से उसी दिन न पहुँच सकें ........???
अब पेज नंबर  4 वाला पत्र  क्रमांक  2265  वो भी 27.03.2015 को ही लिखा गया ।

इन दोनों पत्रों के नंबर तो एक ही है,  लेकिन उसमें मैटर अलग 2 कैसे हो  सकता है .......???

इसमें भी झूठे दावे किये कि उन्होंने मुझे  13.03.15 और  24.03.15  को फ़ोन पर सुचना दी कि हम उनके ऑफिस में मिलें ।
फिर एक और चालाकी करते हुए,  30.03.15 को मिलने  को लिखा ।

 लेकिन ये पत्र जानबूझकर , साधारण डाक से भेजा, जिस पर डाक विभाग की तारीख जानबूझकर मिटा रखी है ।  (  देखें पेज 3 ) ये पत्र मुझे 31.03.2015 को मिला ।

ये  जानबूझकर किया गया , ताकि हम उनके ऑफिस में पहुँच ही न सकें ।

जब इस शिकायत पर लगभग 3 साल में कुछ नहीं, किया गया, तो अब एक ही दिन में मामला इतनी , जल्दी निपटाने की क्या मजबूरी थी .......???  या किशोरी लाल को बचाने के लिए  रिश्वत लेकर ये फ्रॉड किये .......???

अब इस आयकर अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी बनती है ......???



Sunday, 29 May 2016

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर, वैसे चाहे कितनी भी बड़ी2 बातें करें, लेकिन असली नियत अपने भृष्ट जज लोगों को बचाने की ही रही है .........???

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर, वैसे चाहे कितनी भी बड़ी2 बातें करें, लेकिन असली नियत अपने भृष्ट जज लोगों को बचाने की ही रही है .........???

ये लोग जितनी सख्ती की बात ,  लोकतन्त्र के दूसरे स्तम्भ के खिलाफ  करते हैं............ ,  उतनी  सख्ती न्यायपालिका के भृष्ट जजों के खिलाफ क्यों नहीं करते ........???
यही कारण है कि इन लोगों की बातें एक सुनियोजित नाटक से ज्यादा कुछ नहीं लगती ..........???

Friday, 27 May 2016

हिन्दुस्तान के 95% जजों की मानसिकता , पीड़ित को न्याय देने की है ही नहीं, ..........

हिन्दुस्तान के 95% से ज्यादा जजों की मानसिकता , .........पीड़ित को न्याय देने की है ही नहीं .................!!!        

जी , हाँ ........ ये हिन्दुस्तान की न्यायपालिका का कड़वा सच है ।

आइये......!!!    आपको कुछ घटनाओं से अवगत करवाते हैं,     जिनसे आपको ये बिल्कुल स्पष्ट हो जायेगा कि .....ऐसा कहने के पीछे कुछ ठोस आधार/ कारण हैं ।          पिछले 7 वर्षों से हमनें काफी लोगों से मुलाकात की,     ......   प्रधान, सरपंच, पुलिस, वकीलों,  महिला सेल, प्रोटेक्शन ऑफिसर,  से लेकर ,...........   छोटे जजों से लेकर , हाई कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट  के चीफ जस्टिस तक,..... के कारनामे देखे ।

 इस लंबे अनुभव ने बहुत कुछ सिखाया...…......... , देश के अनेकों पीड़ित लोगों से मुलाकात भी हुई............., जेल में बन्द कैदियों से भी कई बार मुलाकात हुई...........,  हमें जो कुछ समझ में आया वो, हम आपकी जानकारी के लिए पेश कर रहे हैं  :  ---

1.  जजों के दिमाग में ये बात बैठ चुकी है कि --- एक बार जज नियुक्त हो गए, तो       राजा, MLA/ MP की भी क्या औकात है ........???         खुदा भी क्या चीज है .......???
 हम तो खुदा से भी बड़े बन गए ........ क्योंकि किसी का कितना भी नुकसान कर लो.............., किसी की इज्जत को नीलाम कर दो..............., जिसे चाहे जेल भेज दो................., जिसे चाहो बरी कर दो.............. , जिम्मेदारी , जबाबदेही है ही नहीं.........    !!!   कोई सवाल जबाब करे तो, .........  उसके खिलाफ झूठी शिकायत करके,      कॉन्टेम्पट का केस लगवा दो, .....  जेल,  पुलिस की तो औकात ही क्या है .........???

2.  देश की इतिहास में,  आजतक किसी जज को ,  न तो कोई सजा हुई, और  न उनके खिलाफ महाभियोग कामयाब हो सका..........???         नेता को तो  हर  5 साल में ,  वोट मांगने, जाना पड़ता है,      इनको तो सिर्फ हुक्म चलाना है ।

3. आम आदमी तो इनके खिलाफ करने की सोच भी नहीं सकता........???         भगवान के जैसा दर्जा ........ ऊँची स्टेज पर कुर्सी........., हर व्यक्ति सलाम करता हुआ............. , हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाता हुआ ........, निरंकुश ताकत ,  इन सबनें  जजों को सातवें आसमान पर बिठा दिया ।

जज जानबूझकर , झूठे मुकदमें क्यों चलाते हैं .........???

देश की अदालतों में , कुछ जजों के परिवार और रिश्तेदारों का ही कब्ज़ा है । उनमें से ही जज चुने जाते हैं । कोर्ट में इन जजों के रिश्तेदार वकालत करते हैं । अगर आप को किसी मामले में ( चाहे वो कितना भी फर्जी और झूठा क्यों न हो ..............   ???  ), मनचाहा फैसला लेना हो, तो इन वकीलों को अपना मुकदमा दे दो।  ऐसे जजों को Uncle जज कहा जाता है।  चंडीगढ़ हाई कोर्ट में हर तीसरा जज , अंकल जज है।   इस काम की , मोटी फीस वसूली जाती है ।  जजों के सीधा , स्वार्थ , लालच, लाभ जुड़ा होता है , ऐसे फैसलों में ..........  !!!
ये एक सबसे बड़ा कारण है कि --- सरासर झूठा मुकदमा , होने के बावजूद भी , जज उस केस को ख़ारिज करने की बजाय , उसको चलाते हैं   और जानबूझकर  गलत फैसले  लिखते हैं ।  किसी के खिलाफ वारंट जारी करके, तो किसी  को खिलाफ गलत / झूठे आरोप, लगाकर , सरासर , झूठा फैसले  लिखे  जाते हैं । जेल जाने से बचने के लिए पीड़ित,  अपना सब कुछ बेचकरर,  कर्ज लेकर , भी  ऐसे वकीलों की मोटी फीस , चुकाने को मजबूर होता है  ।    क्योंकि पीड़ित अपील,  Revision मे जायेगा , तो कहीं न कहीं ,  वकील की फीस में , जज का  भी   हिस्सा जुड़ा होता है ।

कारनामा नंबर 1 .......

 मेरे खुद के केस में , हमनें लीगल ऐड से मर्जी का वकील माँगा, क्योंकि दसरे पक्ष का वकील , अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके, उनको खरीद लेता था।  वैसे किसी भी मजबूर व्यक्ति को न्याय दिलवाना, न्यायपालिका की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है और उसका सबसे पहला कदम , पीड़ित को वकील दिलवाना है ।   ऊपर से निचे तक , बड़े 2 ड्रामे जरूर हो रहे हैं  ।   लेकिन , आज तक पैरवी के लिए मर्जी का वकील नहीं मिला ..........

 कारनामा नंबर 2 ..........

170 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या करने वाले आतंकवादी कसाब को 15:50 लाख खर्च करके , राजू रामचंद्रनन जैसा महंगा वकील,  और जो व्यक्ति नई दवा खोजकर देश के काम आ सकता है,    उसको केस की पैरवी के लिये वकील नहीं ........  वैसे इस देश में न्याय पाने का सबको सांवैधानिक अधिकार दिया गया है ।

कारनामा नंबर 3 .........

हाई कोर्ट चंडीगढ़ के,  नारनौल के , तत्कालीन प्रशाशनिक जज महिंदर सिंह सुल्लर से ,   इस बारे में विनती कि तो  ईनाम  मिला ........  14  दिनों की  जेल  और  झूठा कॉन्टेम्पट का केस।   और मुझे गुप्त सुत्रों से पता चला कि उस जज की जज के रूप में नियुक्ति ही गैर कानूनी थी ।
जो व्यक्ति फर्जीवाड़ों के आधार पर जज बना, और हाई कोर्ट का जज बनकर , रिटायर भी हो गया ,  क्या ऐसा व्यक्ति जिम्मेदारी से काम करेगा .........???

कारनामा नंबर 4 ..........

जज दूसरों को क्या खाक न्याय देंगे ........???     जब वे अपने विभाग के कर्मचारियों के साथ ही , गुलामी जैसा सामंतवादी मानसिकता का व्यवहार,  अत्याचार , क्रूरता  करने से बाज नहीं आ रहे  ..........???
सरकार द्वारा जजों  के , घरों के लिए अलग से , सहायक रखने की सुविधाओं के बावजूद भी,   चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों , से  सुबह 5 बजे से रात के 12 बजे तक काम लेना ।    जज ,  ना केवल ,  इनके साथ मार पिटी ,   गाली गलौच, हाथा पाई,  करते हैं , बल्कि नौकरी से निकालने का डर बनाते हैं ।   कई लोगों को तो नौकरी से निकाल भी दिया है ।  कुछ पर झूठे आरोप लगाकर , झूठे मुकदमें भी डलवा दिये ।    इसी प्रताड़ना के चलते कई कर्मचारियों ने आत्महत्या कर ली ।

ये जज लोग,   अपने अहंकार के चलते, इतने गिर गए कि  मानवता की सारी हदें पार करते हुए,  गरीब और मजबूर  लोगों  और उनके परिवारों  पर ही ,  अत्याचार  की हदें  पार करने लग गए ............  

ताकतवर का फर्ज होता है , कमजोर की मदद करना........।          लेकिन , ये जज उन लोगों के ही नहीं, हो सके, जो सुबह से लेकर शाम बल्कि देर रात तक , कदम 2 पर , इनके परिवार के नखरे , सहते हैं, गालियां सुनते हैं ,  मारा पिटी सहन करके,  इनको राजा की तरह , सुख देते हैं,  जबकि  खुद के परिवार के लोग, उनकी मदद का इंतजार करते रहते हैं ।     जजों के अत्याचार और अन्याय के खिलाफ , उनके  विभाग के कर्मचारी ही,  आवाज़ उठा रहे हैं ।
  जब खुद के साथ काम करने वाले, लोगों के साथ जजों का व्यवहार  इतना क्रूर है ,   संवेदनहीन  है,    तो दुसरों को क्या न्याय देंगे .........???

कारनामा नंबर 5 ......... .

हरियाणा पलवल कोर्ट के अहलमद  भोगी राम  ने स्टेशनरी और पीने के पानी की माँग कर डाली, तो उनके खिलाफ ही , झूठे आरोप लगा कर, अलग2 इन्क्वारी शुरू करवा दी ।  और उनको अलग2 तरीकों से , प्रताड़ित करवाया जा रहा है।  बच्चे के ऑपरेशन के लिए, छुट्टी, की ऍप्लिकेशन  लगाई, तो सेशन जज ने वो आगे नहीं भेजी, लेकिन भोगी राम पर 5000 रूपये का जुर्माना लगा दिया ।

कारनामा नंबर 6 ..........

लुधियाना से हमारे भाई साहब हैं,  हरमीत सिंह टिंकू ,............. उन्होंने भी , जजों  के  अन्याय और अत्याचार के खिलाफ , आवाज़ बुलंद, की तो उनके खिलाफ, झूठी शिकायत करके, इन्क्वारी शुरू करने के साथ2,  कॉन्टेम्पट के झूठे मुकदमें  शुरू ............ प्रताड़ित करने के लिये,  पोस्टिंग  कहीं  पर,  इन्क्वारी कहीं  और जगह  ,  मुकदमा कहीं और  जगह पर .......

कारनामा नंबर 7 ..........

चंडीगढ़ हाई कोर्ट में भी हमारा वास्ता , 10 से ज्यादा जजों से पड़ा है।  किसी और के खिलाफ कोई मामला हो तो बड़े अच्छे प्रवचन सुनने को मिलेंगे   ।    लेकिन जब वही फर्जीवाड़ा जज का हो,  तो  इनका रवैया टालमटोल करके,  पीड़ित को ये एहसास करवाना होता है कि  जजों के खिलाफ बोलकर , पंगा लेने की कोशिश न करें , वरना हमारी ताकत तुम्हें कुचलने का काम करेंगी  ।
करनामा  नंबर  8..........

सुप्रीम कोर्ट ने अभी सुब्रत रॉय की गिरफ़्तारी का आधार , सार्वजनिक नहीं कर रहा ...
सुप्रीम कोर्ट बिना किसी शिकायत या FIR के , किसी व्यक्ति को जेल भेज नहीं सकता .......
 हमनें सुप्रीम कोर्ट से इस बात की जानकारी RTI मांगी थी,  फिर प्रथम अपील  भी लगाई ।   लेकिन , सुचना  को आजतक  सार्वजनिक न करने का मतलब क्या है ..........???  
जब सुप्रीम कोर्ट ही ऐसे करेगा तो , फिर छोटे कोर्ट से क्या उम्मीद की जाये ......???

कारनामा नंबर  9 .........

एक तरफ सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश TS Thakur ,  जजों की संख्या बढ़ाने की बात करते है, दूसरी तरफ जजों   के  भृष्टटाचार  पर चुप हो जाते हैं .........???  

ठाकुर साहब , अगर आप इतने ही ईमानदार है , और न्यायपालिका में कुछ सुधार करना चाहते हैं , तो भृष्ट जजों की चल अचल संपत्ति को सार्वजनिक करवाने और भृष्ट जजों के खिलाफ कार्यवाही करने से आपको किसने रोका  है ........???

Wednesday, 25 May 2016

ऐतिहासिक फैसला लेने के लिए झारखंड हाई कोर्ट के जजों , को हार्दिक बधाई ...........

ऐतिहासिक फैसला लेने के लिये, ..........  झारखण्ड हाई कोर्ट के जज श्री प्रशांत कुमार, श्री डी एन पटेल और  श्री अमिताभ कुमार गुप्ता को हार्दिक  शुभकामनाएं ..........

और  राकेश ग्रोवर  भाई   की हिम्मत को सलाम ........!!!        आपके इस साहस भरे कदम से , इस देश के  लोगों को , अन्याय और अत्याचार के  खिलाफ , संघर्ष  करने की प्रेरणा मिलती रहेगी ..........

देश के 131 करोड़ लोगों को आप पर गर्व है ।

रेप के झूठे केस में सुसाइड की कोशिश : इस शख्स ने 17 माह में सबूत जुटा जज को कराया सस्पेंड
अशोक कुमार | May 16,2016 3:49 PM IST


धनबाद (झारखंड)। उम्मीद..न्याय की और विश्वास...सच सामने आने का  ।      पर अगर उम्मीद ही नाउम्मीदी में बदल जाए तो...???     अगर विश्वास ही हारता दिखे तो...???     धनबाद के बलियापुर निवासी राकेश ग्रोवर का संघर्ष इन्हीं दो सवालों का जवाब है। रेप के प्रयास के दर्ज मुकदमे को झूठा बताकर जब रिश्तेदार ने आत्महत्या की कोशिश की तो राकेश ने मामले का सच सामने लाने की ठानी। झारखंड की उपराजधानी दुमका से लेकर दिल्ली तक की दौड़ लगाई। परिवार से दूर रहकर 17 माह तक लगातार सबूतों की तलाश की। कभी थाना गए तो कभी वकील खोजा। तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच सच सामने लाने का संघर्ष जारी रखा। अंतत: उनकी जिद को जीत मिली। मुकदमे के पीछे छुपे जज के चेहरे को किया बेनकाब...

- राकेश ने मुकदमे के पीछे छुपे एक जज के चेहरे को बेनकाब कर दिया। हाईकोर्ट में साक्ष्य रखे। तब हाईकोर्ट ने अपने ही जज के खिलाफ जांच गठित की। आरोप साबित हुआ। जज को सस्पेंड किया गया।

ऐसे जुटाए साक्ष्य : तीन महीने तक कॉल डिटेल खंगाला

- राकेश कहते हैं कि दुमका कोर्ट में पक्ष रखना मुश्किल हो रहा था। दुमका के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्र की कार्रवाई समझ से परे थी। इससे संदेह का दायरा बढ़ा।

- उन्होंने मामले के वादी के पिता, वादी के वकील, संपत्ति विवाद को लेकर शत्रु बने नागेश्वर पांडेय, राजीव पांडेय और मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र का मोबाइल कॉल डिटेल खंगाला। इस काम में तीन माह लगे। चारों का कॉल डिटेल हैरान करने वाला था।

- शिकायतवाद दायर होने से पहले और बाद में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा, नागेश्वर पांडेय और राजीव पांडेय एक-दूसरे के संपर्क में थे।

- रेप के प्रयास का आरोप लगाने वाली महिला के पिता की नागेश्वर पांडेय राजीव पांडेय से बात हो रही थी। कॉल डिटेल सबकुछ स्पष्ट कर रहा था।

कोर्ट में मुश्किलें...पक्ष रखने को नहीं मिल रहा था वकील

- राकेश कहते हैं कि साक्ष्य हाथ में था, पर हाई कोर्ट में इसे रखने के लिए कोई वकील नहीं मिल रहा था। मामला जज और वकील से जुड़ा बताकर हर वकील पीछे हट जाता।

- ऐसी स्थिति में उन्होंने दिल्ली के जाने-माने वकीलों से संपर्क साधा। 15 लाख खर्च कर कपिल सिब्बल को पक्ष रखने के लिए खड़ा किया। पर सफल नहीं हो सके। फिर उन्होंने वकील मन्ना मिश्रा से संपर्क साधा। बहुत मुश्किल से वे उनका केस लड़ने को तैयार हुए।

ऐसे मिली जीत : साक्ष्य से जज निलंबित

- दुमका के तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की अदालत में याचिका दायर की गई। 14 दिसंबर 2015 को याचिका की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के खिलाफ साक्ष्य रखने को कहा गया।

- याचिकाकर्ता ने 18 जनवरी 2016 को कोर्ट के समक्ष साक्ष्य रखे। कोर्ट ने साक्ष्य के आधार पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के खिलाफ जांच की आवश्यकता बताई। साथ ही मामले को डबल बेंच में भेजने का फैसला किया।

- 24 फरवरी 2016 को झारखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति डीएन पटेल और न्यायमूर्ति अमिताभ कुमार गुप्ता की अदालत में मामले की सुनवाई हुई।

- न्यायमूर्ति द्वय ने इन परिस्थितियों को प्रथम दृष्टया सही मानते हुए दुमका के तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के खिलाफ उचित कार्रवाई के लिए मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा। इसके बाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा को सस्पेंड कर दिया गया।

रेप के प्रयास का था आरोप

- मामले की शुरुआत साल 2014 में एक संपत्ति की खरीद को लेकर हुई थी। राकेश ग्रोवर के दिल्ली निवासी कारोबारी रिश्तेदार करण मदन ने दिल्ली के एक वकील से संपत्ति खरीदी थी।

- उस पर कब्जा को लेकर उनका विवाद हुआ। इसी दौरान करन के खिलाफ दुमका कोर्ट में दुष्कर्म के प्रयास का शिकायत वाद दायर हुआ। करण इस आरोप से टूट गए। उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की। रिश्तेदार की यह स्थिति देख राकेश मदद को पहुंचे।

- राकेश प्रारंभिक जांच में ही समझ गए कि यह मामला फर्जी है। लेकिन इसे साबित करना एक चुनौती थी। राकेश उस होटल में गए, जिसे वादी ने घटना स्थल बताया था। उन लोगों से मिले, जो दुष्कर्म के प्रयास के गवाह थे। इस मुकदमे के पीछे छुपा असली चेहरा सामने गया।

वो  चेहरा था... दुमका के तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्र का.........

निर्दोष को झूठे केस में फसानें के लिये, नेता, सरपंच, प्रधान, पुलिस और वकील के नाम तो सुने थे ; अब तो जज भी ये धंधा करने लगे .........

जजों के नैतिक स्तर की गिरावट का  नमूना, .......... अब लोगों को झूठे रेप के केस में , फसानें में जज भी शामिल ..........

नेता, सरपंच, प्रधान,  पुलिस और वकील ,  के नाम तो सुने थे, लेकिन अब तो जज भी , इस धंधे में शामिल होने लगे ........!!!

रेप के झूठे केस में सुसाइड की कोशिश : इस शख्स ने 17 माह में सबूत जुटा जज को कराया सस्पेंड
अशोक कुमार | May 16,2016 3:49 PM IST
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धनबाद (झारखंड)। उम्मीद..न्याय की और विश्वास...सच सामने आने का। पर अगर उम्मीद ही नाउम्मीदी में बदल जाए तो...? अगर विश्वास ही हारता दिखे तो...? धनबाद के बलियापुर निवासी राकेश ग्रोवर का संघर्ष इन्हीं दो सवालों का जवाब है। रेप के प्रयास के दर्ज मुकदमे को झूठा बताकर जब रिश्तेदार ने आत्महत्या की कोशिश की तो राकेश ने मामले का सच सामने लाने की ठानी। झारखंड की उपराजधानी दुमका से लेकर दिल्ली तक की दौड़ लगाई। परिवार से दूर रहकर 17 माह तक लगातार सबूतों की तलाश की। कभी थाना गए तो कभी वकील खोजा। तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच सच सामने लाने का संघर्ष जारी रखा। अंतत: उनकी जिद को जीत मिली। मुकदमे के पीछे छुपे जज के चेहरे को किया बेनकाब...

- राकेश ने मुकदमे के पीछे छुपे एक जज के चेहरे को बेनकाब कर दिया। हाईकोर्ट में साक्ष्य रखे। तब हाईकोर्ट ने अपने ही जज के खिलाफ जांच गठित की। आरोप साबित हुआ। जज को सस्पेंड किया गया।

ऐसे जुटाए साक्ष्य : तीन महीने तक कॉल डिटेल खंगाला

- राकेश कहते हैं कि दुमका कोर्ट में पक्ष रखना मुश्किल हो रहा था। दुमका के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्र की कार्रवाई समझ से परे थी। इससे संदेह का दायरा बढ़ा।

- उन्होंने मामले के वादी के पिता, वादी के वकील, संपत्ति विवाद को लेकर शत्रु बने नागेश्वर पांडेय, राजीव पांडेय और मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र का मोबाइल कॉल डिटेल खंगाला। इस काम में तीन माह लगे। चारों का कॉल डिटेल हैरान करने वाला था।

- शिकायतवाद दायर होने से पहले और बाद में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा, नागेश्वर पांडेय और राजीव पांडेय एक-दूसरे के संपर्क में थे।

- रेप के प्रयास का आरोप लगाने वाली महिला के पिता की नागेश्वर पांडेय राजीव पांडेय से बात हो रही थी। कॉल डिटेल सबकुछ स्पष्ट कर रहा था।

कोर्ट में मुश्किलें...पक्ष रखने को नहीं मिल रहा था वकील

- राकेश कहते हैं कि साक्ष्य हाथ में था, पर हाई कोर्ट में इसे रखने के लिए कोई वकील नहीं मिल रहा था। मामला जज और वकील से जुड़ा बताकर हर वकील पीछे हट जाता।

- ऐसी स्थिति में उन्होंने दिल्ली के जाने-माने वकीलों से संपर्क साधा। 15 लाख खर्च कर कपिल सिब्बल को पक्ष रखने के लिए खड़ा किया। पर सफल नहीं हो सके। फिर उन्होंने वकील मन्ना मिश्रा से संपर्क साधा। बहुत मुश्किल से वे उनका केस लड़ने को तैयार हुए।

ऐसे मिली जीत : साक्ष्य से जज निलंबित

- दुमका के तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की अदालत में याचिका दायर की गई। 14 दिसंबर 2015 को याचिका की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के खिलाफ साक्ष्य रखने को कहा गया।

- याचिकाकर्ता ने 18 जनवरी 2016 को कोर्ट के समक्ष साक्ष्य रखे। कोर्ट ने साक्ष्य के आधार पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के खिलाफ जांच की आवश्यकता बताई। साथ ही मामले को डबल बेंच में भेजने का फैसला किया।

- 24 फरवरी 2016 को झारखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति डीएन पटेल और न्यायमूर्ति अमिताभ कुमार गुप्ता की अदालत में मामले की सुनवाई हुई।

- न्यायमूर्ति द्वय ने इन परिस्थितियों को प्रथम दृष्टया सही मानते हुए दुमका के तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के खिलाफ उचित कार्रवाई के लिए मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा। इसके बाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा को सस्पेंड कर दिया गया।

रेप के प्रयास का था आरोप

- मामले की शुरुआत साल 2014 में एक संपत्ति की खरीद को लेकर हुई थी। राकेश ग्रोवर के दिल्ली निवासी कारोबारी रिश्तेदार करण मदन ने दिल्ली के एक वकील से संपत्ति खरीदी थी।

- उस पर कब्जा को लेकर उनका विवाद हुआ। इसी दौरान करन के खिलाफ दुमका कोर्ट में दुष्कर्म के प्रयास का शिकायत वाद दायर हुआ। करण इस आरोप से टूट गए। उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की। रिश्तेदार की यह स्थिति देख राकेश मदद को पहुंचे।

- राकेश प्रारंभिक जांच में ही समझ गए कि यह मामला फर्जी है। लेकिन इसे साबित करना एक चुनौती थी। राकेश उस होटल में गए, जिसे वादी ने घटना स्थल बताया था। उन लोगों से मिले, जो दुष्कर्म के प्रयास के गवाह थे। इस मुकदमे के पीछे छुपा असली चेहरा सामने गया। चेहरा था... दुमका के तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्र का...........

Sunday, 22 May 2016

अपने केस में , भारी नुकसान के बावजूद , हम कभी भी समझौते के लिए किसी के पास नहीं गए । जबकि मेरे खुद के केस में 250 से ज्यादा सरपंच प्रधान मेरे पर समझौते का दबाब बनाने के लिए , हमारे घर आये। क्योंकि ..............

अपने केस में , भारी नुकसान के बावजूद , हम कभी भी समझौते के लिए किसी के पास नहीं गए । जबकि मेरे खुद के केस में 250 से ज्यादा सरपंच प्रधान मेरे पर समझौते का दबाब बनाने के लिए , हमारे घर आये। क्योंकि ..............
उसकी वजह थी , मोटी दलाली की संभावना , क्योंकि मेरा गुड़गांव वाला मकान पत्नी के नाम था, मैं खुद भी अच्छे लेवल पर था, मेरा भाई भी साइंटिस्ट है । कई लोगों में ससुर क भेजे हुएे , दलाल भी थे । क्योंकि मेरे माता पिता तो मेरे साथ रहते ही नहीं थे । इसलिये , उनको समझा कर , हम खुद आगे आये। हमने उन लोगों से केवल दो ही सवाल किये कि ज्यादा अच्छी लग रही है , तो अपनी पत्नी की सौतन बनाकर अपने घर ले जाओ ........ या फिर अपने लड़के की पत्नी बनाकर घर ले जाओ ।
कई कमीने लोगों ने ( जिनकी दाल नहीं गली,) उन्होंने घर वालों पर दबाब बनाने की कोशिश की, तो उन्होंने साफ कह दिया कि रहना बच्चों ने है, अगर ये तैयार हो, तो इससे बात कर लो ......। उनको चाय पीनी मुश्किल हो गई ।
एक और अच्छी बात ये भी हुई कि जो लोग पत्नी और उसके बाप को भाव दे रहे थे । उनके घर की बहुओं ने ही , जब उनके खिलाफ दिक्कतें , करनी शुरू की, तो उन्होंने पत्नी का अपने घर में घुसना बन्द करवा दिया ।
अपने मुकदमें से , सबसे पहले इन दलालों को बाहर करो । माँ बाप को समझा कर, खुद मौर्चा संभालो ।

जब एक बेटी का बाप रिश्ता करने निकलता है , तो................

जब एक बेटी का बाप रिश्ता करने निकलता है , तो................
सारी कैलकुलेशन मतलब ये हिसाब किताब लगा लेता है कि कितनी सम्पति है, क्या बैंक बैलेंस है, उसकी बेटी को क्या मिलेगा ......??? लड़का तो लड़की से काबिल होना ही चाहिए...ज्यादा पढ़ा हो, कमाता भी ज्यादा हो .......??? खुद की बेटी में लाख कमी हो तो भी, लड़के में कोई ऐब नहीं होना चाहिए । लाखों में हीरा चाहिए ।
लड़की क्या जिम्मेदारी निभाएगी ,इसकी कोई Guranttee / Warantee नहीं, ....... ??
ससुराल में माँ बाप की सेवा कभी भी न करनी पड़े , ननद तो हो ही न, शादी का खर्च होगा । खुद की बेटी का घर तो ऐसा चाहिये कि उसको कोई भी काम करना ही न पड़े । जब खुद के घर के लिए बहु चाहिए तो सेवा करे । हमारे लोगों की सोच दोगली हो गई है । ऐसे कितने माता पिता हैं, जो अपनी बेटी को ऐसे संस्कार देते हैं और विदा करते वक्त ये समझाते है कि सास ससुर भी माँ बाप हैं, उनकी सेवा भी , बिना किसी स्वार्थ के करनी है ......???
जब पति परिवार किसी शर्तों को न माने, तो दहेज़ के मुकदमें करने और करवाने के लिए, इस देश में बहुत से सरकारी , सामाजिक और गैर सरकारी दलाल घूमते ही है .......???
याद रखें .... आपके पत्नी परिवार ने आपके साथ अपनी लड़की की शादी यूँ ही नहीं की, आपको हर स्तर पर सबसे बेहतर होने पर ही चुना था।
झूठे केस करने वाले गद्दार लोगों को ये एहसास करवाना जरुरी है, कि उन्होंने आप को खो दिया है और अब उनको आपकी क़ाबलियत से 50% वाला दूल्हा भी उनको नहीं मिलने वाला ........???
ये एहसास होने में थोडा वक्त लगता है, जब घर में कोई त्योहार हो, या शादी या कोई समारोह हो, दूसरी औरतें ही जब, ऐसी औरतों को अपने पास नहीं बिठाती , कदम 2 पर सूई सी चुभोती हैं । तब ऐसी औरतों ही हालात ख़राब हो जाती है। लेकिन हम संयम नहीं रखते........ किसी को अंदर से इतना तोड़ो, कि वो किसी को कह भी न सके........???
सब्र और संयम से चलें और फिर देखें , कितना मजा आता है ........ ??? कि वे बार 2 समझौते के लिए गिड़गिड़ायें , लोगों के पैर पकडें और कोई उनकी सुनने को तैयार न हो .......???

झूठा दहेज़ का मुकदमा डालने वाली, मेरी पूर्व पत्नी की बोखलाहट देखकर , आज मुझे बहुत संतुष्टि मिली ........

साथियों, 

आज मेरे गुजारा भत्ता के मुकदमें में तारीख थी । मैंने गुड़गांव में जो मकान खरीद कर उसके नाम करवाया था, उसके बारे में बाप बेटी कोर्ट को गुमराह कर रहे थे। शुक्र है कि उसका हाउसिंग लोन था, कैश में ख़रीदा होता तो , वो बेचकर भाग जाती । बाप बेटी ने झूठे एफिडेविट भी दे रखे थे। अब साढ़े 6 साल बाद बैंक मेनेजर ने कोर्ट में डाक्यूमेंट्स जमा करवाये तो झूठ पकड़ में आना ही था। आज मैंने सुप्रीम कोर्ट की दो अथॉरिटी के साथ एप्लीकेशन लगाकर, मजिस्ट्रेट को मजबूर कर दिया कि जब कोई पार्टी , व्यक्ति , वकील, कोर्ट को गुमराह करे , झूठी शपथ, या एफिडेविट के साथ , तो उनको किसी भी प्रकार का रिलीफ नहीं दिया जायेगा ( न अंतरिम और न फाइनल )।
अब मजिस्ट्रेट साहब को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को मानना पड़ेगा, अगर वो नहीं मानते, तो फिर जज के खिलाफ भी मुकदमा डाला जा सकता है ।
जब हम बहस कर रहे थे तो, वो भी वकीलों के सिखाये हुए, ड्रामे करने लगी । जब कुछ जोर नही चला, तो रोने का ड्रामा, वो भी नहीं चले, लेकिन 7 सालों की Frustration साफ़ दिख रही थी। बच्चे का नाटक करने लगी, हमनें उसकी भी पोल खोल दी ।
जब कोई जोर रही चला तो, धमकी देने लगी ।
दोस्तों हमारा कहने का मतलब ये है कि थोड़ा तसल्ली से चलें, संयम रखें ।
ये वही पत्नी थी जो ये धमकी देती थी कि --- मेरे बाप ने इतनी पढाई हूँ की आधी तनख्वाह तो ले ही लूँगी । और मकान तो मेरे नाम है ही ,
हालात ऐसे बदले कि उसको न तो मकान मिला, न ही गुजारा भत्ता ......... .40,000/- महीने का खर्चा माँगा था।
गुड़गांव कोर्ट ने 1500 का आदेश दिया , वो भी नहीं मिला । नारनौल कोर्ट ने 750 बंधा , वो भी नहीं मिला ।
जब दुश्मन को फ्री का पैसा मिलेगा ही नहीं, (जिसके लिए उसने , आप के परिवार को झूठे मुकदमें में उलझाया ) , तो वे बुरी तरह बोखलाहट में आएंगे । 

तब आपको बड़ी संतुष्टि मिलेगी कि झूठा केस करके , कोर्ट, कानून , वकील, जज, भी उनको ख़ुशी नहीं दिलवा सकते .....???    अगर आप,   ठान लें तो ........

कानून दुरुपयोग पर जजों को सजा क्यों नहीं ........???


हिन्दुस्तान की शिक्षा व्यवस्था को बदलने के लिए, सुझाव .........




Bhiwani : -- जजों की जबाबदेही कानून लाने के लिए सौंपा ज्ञापन................




जजों की जबाबदेही कानून लाने के लिए सौंपा ज्ञापन
-जब कानून के दुरूपयोग पर सभी को सजा है, तो जजों को क्यों नहीं?
Bhiwani : न्यायपालिका में बढ़ रही तानाशाही के चलते जजो की जबाबदेही कानून लाने के लिए भिवानी के प्रबुद्धजनों ने आज जिलाधीश के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। उनकी उपलब्धता न होने के कारण , उनके निजी सचिव शिव कुमार ने ज्ञापन लिया । उन्होंने जल्द से जल्द, भेजने का भरोसा दिलवाया । उन्होंने जल्द से जल्द प्रधानमंत्री जी को भेजने का भरोसा दिया। जिसमें शहर की कई संस्थाओं जैसे -- जिला बार एसोसिएशन के प्रतिनिधि तथा गणमान्य नागरिक शामिल हुए । उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में देश की न्यायपालिका में तानाशाही का रुख अखतियार किया है। कई न्यायाधीश पिडित लोगों की समस्या का समाधान करने की बजाए जनता को डराने के लिए कन्टेम्पट ऑफ कोर्ट एक्ट तथा गलत तरीके से जेल भेज कर लोगों को डराने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गलत कार्य करने तथा कानून का दुरूपयोग करने पर जब डाक्टर, इंजिनियर, ड्राईवर, पुलिस अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, वकील, सांसद, मंत्री व आम जनता को सजा हो सकती है तो जानबूझ कर कानून का दुरूपयोग करने वाले जजों को सजा क्यों नहीं हो सकती?
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि भारत की न्याय व्यवस्था अंग्रेजों की देन है, जिन्होंने गुलाम रखने के लिए इस प्रकार की न्याय व्यवस्था को बनाया था, किन्तु आज आजादी के इतने वर्षों बाद भी हम उसी व्यवस्था को ढो रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की कमियों के चलते लोगों को न्याय नहीं मिल पाने के कारण कमजोर लोगों का जमकर शोषण हो रहा है। उन्होंने बताया कि इस ज्ञापन के माध्यम से प्रधानमंत्री जी से मांग की गई है कि आज इस बात की आवश्यकता हो गई है कि देश की न्यायपालिका को जिम्मेदार बनाने के लिए, जजों की जवाबदेही कानून लाना बेहद जरूरी हो गया है। इसलिए 130 करोड़ लोगों की समस्या को देखते हुए जल्द से जल्द जजों की जवाबदेही सुनिश्चित करने वाला कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। इस कदम से देश में बहुत बड़ा बदलाव आएगा तथा भारत बेहतर लोकतांत्रिक देश बनेगा।
इस अवसर पर इस देशव्यापी अभियान की शुरुआत करने वाले रेवाड़ी के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज विश्वकर्मा, अधिवक्ता अश्वनी चौधरी, अरुण कुमार, युधिष्टर वत्स, ब्रिज लाल, कृष्ण कुमार, अं कुमार, सी एस दहिया, सुरेश प्रजापति, चन्दर पाक सिंह, सुनील चौहान, सुमित जांगड़ा, एच एस तंवर, हितेश, जय सिंह सोनी, किरोड़ी शर्मा, सतिंदर पंवार, अनिल दिनोडिया, जिला बार एसोसिएशन भिवानी के प्रधान राम सिंह ढंगड़, मुकेश राठौड़, आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

क्या आपने कभी ये सोचा कि --- VII

क्या आपने कभी ये सोचा कि --- सरपंच, प्रधान किस्म के , दलाल और अय्याश किस्म के , दुनियाभर के दुर्गुणों से संपन्न लोग, .............. जो औरतें दहेज़ प्रताड़ना, छेड़ा छाड़ि, घरेलु हिंसा, गुजारा भत्ता, बलात्कार के झूठे मुकदमें दर्ज करवाती है, ............ तथा अपने आपको बहुत ही शरीफ, सती सावित्री , पवित्र, ईमानदार दिखाने की कोशिश करती हैं .,....... हमेशा ऐसी चरित्रहीन औरतों के कहने भर से ही , किसी भी शरीफ और निर्दोष परिवार को झूठे मुकदमों में फंसाने के लिए, कोर्ट, महिला सेल, महिला थाने, में , ऐसे उतारू क्यों हो जाते हैं, जैसे इन्होंने ही .इस देश और समाज को सुधारने का ठेका ले रखा हो........???

क्या आपने कभी ये सोचा कि --- VI

क्या आपने कभी ये सोचा कि --- सरपंच, प्रधान किस्म के , दलाल और अय्याश किस्म के , दुनियाभर के दुर्गुणों से संपन्न लोग, .............. जो औरतें दहेज़ प्रताड़ना, छेड़ा छाड़ि, घरेलु हिंसा, गुजारा भत्ता, बलात्कार के झूठे मुकदमें करके , अवैध वसूली करती हैं,............. तथा अपने आपको बहुत ही शरीफ, सती सावित्री , पवित्र, ईमानदार दिखाने की कोशिश करती हैं .,....... हमेशा ऐसी चरित्रहीन औरतों के कहने भर से ही किसी भी शरीफ और निर्दोष पुरुष को मारने के लिए ऐसे उतारू क्यों हो जाते हैं, जैसे इन्होंने ही .इस देश और समाज को सुधारने का ठेका ले रखा हो........??? 
कृपया , अपने विचार कमेंट बॉक्स में लिखते चले जायें ..........

क्या आपने कभी ये सोचा कि --- V

क्या आपने कभी ये सोचा कि ---
इस देश में माँ बाप, लड़की को किस उद्देश्य से पढ़ाते है ..........???
जो औरतें दहेज़ प्रताड़ना, छेड़ा छाड़ि, घरेलु हिंसा, गुजारा भत्ता, बलात्कार के झूठे मुकदमें करके , अवैध वसूली करती हैं,............. तब पढ़ी लिखी होने के बावजूद भी कोई काम करने में अशक्षम होती हैं । गुजारा भत्ता के मुकदमें में भी कोई पत्नी चाहे वो कितनी भी पढ़ी लिखी हो, कोर्ट में यही दावा करती है, कि उसे कुछ नहीं आता, कोई काम नहीं कर सकती, और उनकी डिग्री होती है B Tech, MBA, M Sc, MA, Bed, वगेरह । जब ये औरतें पढ़ लिखकर भी कोई काम नहीं कर सकती, तो इन मुफ्तखोर औरतों की पढाई पर इतना पैसा बर्बाद क्यों किया जाता है .........???
गहराई से सोचें ,.......
कृपया , अपने विचार कमेंट बॉक्स में लिखते चले जायें .......

क्या अपने कभी ये सोचा कि --- IV

क्या अपने कभी ये सोचा कि आजकल सरपंच प्रधान किस्म के लोग, इतने गद्दार , खुदगर्ज, निर्लज्ज और नकली क्यों हो गए हैं ........???

अभी कुछ दिनों पहले हरियाणा में पंचायती चुनाव थे । पंच, सरपंच, ब्लाक समिति, जिला पार्षद के चुनाव थे । हमनें देखा कि पंच क
े चुनाव में लगभग 2 से 5 लाख, सरपंच चुनाव में लगभग 20 से 30 लाख, ब्लाक समिति के चुनाव में भी 15 से 30 लाख, जिला पार्षद के चुनाव में 30 से पचास लाख खर्च कर रहे हैं ।

आप ये जानकर हैरान होंगे कि इतना पैसा कहाँ खर्च हो रहा है ........???
सिर्फ शराब ही नहीं, मीडिया में खबर लगवाना, चुनाव सामग्री, गाड़ी का खर्च, जयकारा लगाने वाले चम्चे, शौकीन लोगों के लिए चिकन आदि पर खर्च होता है । सरपंच के चुनाव में तो मुझे यहाँ तक पता चला कि प्रत्यक्षियों ने शौकीन लोगों की यहाँ तक ख्वाहिश पूरी की, अगर 50 वोट हैं तो औरतों के साथ , सहवास तक करो। इस काम के लिए बाकायदा औरतें , बाहर से बुलवा रखी थी। अगर 20 वोट हैं तो शराब और चिकन, और 10 वोट हैं तो शराब ........
अब जरा सोचिये, कल ऐसा आदमी जीत भी गया तो, क्या वो लोगों की समस्या का समाधान करेगा .......???
और सबसे गद्दार तो वे लोग हैं, जो ये घिनोने काम करके वोट दे रहे हैं ......!!! इसमें वोट लेने वाले की बजाय , देने वाले का ज्यादा कसूर है ।
इसलिये, सरपंच, प्रधान और दूसरे पार्षद ,किस्म के लोग, सबसे पहले अपने खर्च की वसूली करेंगे, .....???
कागजों में सड़क बनेंगी .......???
प्रधान से अपनी वोट के बदले राशी वसूली जायेगी। नगर पार्षद 5 से दस लाख , तो जिला पार्षद भी अपने 50 लाख जिला प्रमुख से लेगा, ब्लॉक समिति वालों से सरपंच लेगा ....... जब धरातल पर हालात ऐसे हैं , तो योजनाओं में पैसा खर्च होगा या फिर ये लोग अपनी जेब भरेंगे ........ ??? .
यही कारण है कि ये लोग दलाली करने का कोई मौका नहीं चूकते .......???

क्या आपने कभी ये सोचा कि --- III

क्या आपने कभी ये सोचा कि --- जो औरतें दहेज़ प्रताड़ना, छेड़ा छाड़ि, घरेलु हिंसा, गुजारा भत्ता, बलात्कार के झूठे मुकदमें करके , अवैध वसूली करती हैं,............. उनके समर्थन में, निठल्ले, अय्याश , नशेड़ी, और दूसरी बुराइयों से भरपूर संपन्न , सरपंच और प्रधान किस्म के लोग, हमेशा ही क्यों खड़े होते हैं ............???
तथा फ्रॉड औरतों के लिए जी जान से, ..तन, मन और धन, इसके आलावा कुछ और चाहिए हो तो भी.समर्पित करने के लिए क्यों तैयार रहते है .........???
कृपया , अपने विचार कमेंट बॉक्स में लिखते चले जायें ..........

क्या आपने कभी ये सोचा कि -- II

क्या आपने कभी ये सोचा कि --- जो माँ बाप दहेज़ प्रताड़ना, छेड़ा छाड़ि, घरेलु हिंसा, गुजारा भत्ता, बलात्कार के झूठे मुकदमें करके , निर्दोष लोगों का शोषण करके , अवैध वसूली करते हैं,............. वे अपने आपको बहुत ही नेकदिल, शरीफ, सामाजिक, धार्मिक, सज्जन और ईमानदार दिखाने की कोशिश क्यों करते हैं ..........???
कृपया , अपने विचार कमेंट बॉक्स में लिखते चले जायें ..........

क्या आपने कभी ये सोचा कि --- I

क्या आपने कभी ये सोचा कि --- जो औरतें दहेज़ प्रताड़ना, छेड़ा छाड़ि, घरेलु हिंसा, गुजारा भत्ता, बलात्कार के झूठे मुकदमें करके , अवैध वसूली करती हैं,............. वे अपने आपको बहुत ही शरीफ, सती सावित्री , पवित्र, ईमानदार दिखाने की कोशिश क्यों करती हैं ..........??? 
कृपया , अपने विचार कमेंट बॉक्स में लिखते चले जायें ..........

Wednesday, 18 May 2016

शिक्षक का बच्चों के माता पिता के नाम एक पत्र ...........

किसी समझदार शिक्षक ने बहुत ही समझदारी भरा पत्र लिखा है। हमारे देश में माँ बाप, बच्चों की रूचि, और क़ाबलियत को नकारकर , भेड़चाल में चलने के किये बच्चों पर दबाब बनाते रहते हैं। परिणामः स्वरूप बच्चे, मानसिक दबाब, और मानसिक बीमारियों के शिकार हो जाते है, और कई तो आत्महत्या तक कर लेते हैं ।
दरअसल ये हमारी शिक्षा प्रणाली का बहुत बड़ा दोष है, जिसको संगीतकार होना चाहिए,  उसको हम डॉक्टर देखना चाहते है,...........   जिसको डॉक्टर होना चाहिए था , ........  उसको हम कुछ और बना देते है। देश के ऐसे माता पिता, बच्चे  और देशहित के लिए, कृपया, इस पत्र को न केवल पढ़ें ; बल्कि जीवन में व्यवहार में लायें ।

*परीक्षा समाप्ति के समय, परिणाम के पहले एक शिक्षक का विद्यार्थियों के माता-पिता को पत्र.*

एक शिक्षक की कलम से --

प्रिय
      माता-पिता,

परीक्षाऔ का दौर
लगभग समाप्ति की ओर  है।

अब आप अपने बच्चों के
रिजल्ट को लेकर
चिंतित हो रहे होंगे ।

लेकिन कृपया याद रखें,
वे सभी छात्र
जो परीक्षा में शामिल हो रहे हैं,
इनके ही बीच में

*कई कलाकार भी हैं, *
*जिन्हें गणित में पारंगत होना*
*जरूरी नहीं है।*

*इनमें अनेकों उद्यमी भी हैं,*
*जिन्हें इतिहास या *
*अंग्रेजी साहित्य में*
*कुछ कठिनाई *
*महसूस होती होगी,*
*लेकिन ये ही आगे चलकर*
*इतिहास बदल देंगे I*

*इनमें संगीतकार भी हैं*
*जिनके लिये*
*रसायनशास्त्र के अंक *
*कोई मायने नहीं रखते ।*

*इनमें खिलाड़ी भी हैं,*
*जिनकी फिजिकल फिटनेस*
*फिजिक्स के अंकों से ज्यादा*
*महत्वपूर्ण हैं ।*

यदि आपका बच्चा
मैरिट अंक प्राप्त करता है
तो ये बहुत अच्छी बात है।

लेकिन यदि वह
ऐसा नहीं कर पाता तो
उससे कृपया
उसका आत्मविश्वास न छीनें |

*उसें बतायें कि *
*सब कुछ ठीक है *
*और ये सिर्फ परीक्षा ही है ।*

_वह जीवन में_
_इससे कहीं ज्यादा_
_बड़ी चीजों को_
_करने के लिये बना है |_

इस बात से
कोई फर्क नहीं पड़ता कि
उसने कितना स्कोर किया है।

*उसे प्यार दें *
*और उसके बारे में *
*अपना फैसला न सुनायें ।*

*यदि आप उसे*
*खुशमिज़ाज़ बनाते हैं *
*तो वो कुछ भी बने*
*उसका जीवन सफल है,*

यदि वह
खुशमिज़ाज़ नहीं है
तो वो कुछ भी बन जाए,
सफल कतई नहीं है ।

*कृपया ऐसा करके देखें,*
*आप देखेंगे कि आपका बच्चा*
*दुनिया जीतने में सक्षम है।*

_एक परीक्षा या_
_एक 90% की मार्कशीट_
_आपके बच्चे के _
_सपनों का पैमाना नहीं है ।_

✍ एक अध्यापक
😊😊🙏😊😊

*बारहवीं का रिजल्ट घोषित होना है इसलिए इस मेसेज को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि किसी बच्चे ने अच्छे अंक हासिल नहीं किये है तो वह अपने मन में किसी भी तरह के नकारात्मक विचारों को जगह न दें*

देश में दहेज़, घरेलु हिंसा, छेड़ा छाड़ि, गुजारा भत्ता के 80% केस ख़त्म हो जाएँ, .........अगर ......

देश में दहेज़, घरेलु हिंसा, छेड़ा छाड़ि, गुजारा भत्ता के मुकदमें 80% कम हो जायें, ....... अगर .........

 इस देश के मर्द बिना सोचे समझें, ही औरतों की तरफदारी और दूसरे पुरुषों के खिलाफ , अपनी ताकत का प्रदर्शन छोड़ दें ............
इस देश में झूठे दहेज़, बलात्कार, छेड़छाड़ , घरेलु हिंसा, गुजारा भत्ता के मुकदमें 80% तक काम हो जायेंगे ।  ये झूठे मुकदमें क्यों बढ़ रहे है, वो इसलिये, की उस औरत की तरफदारी करने मुफ़्त में ही, हम मर्द, (सच झूठ को जानते हुए भी ) उसको आसमान पर बिठा देते हैं । और ये भी भूल जाते हैं कि कल ये स्थिति हमारे साथ भी हो सकती है ........???
जिसकी कोई औकात नहीं , उसको मुफ़्त में हवाबाजी करने का मौका मिलेगा तो क्यों नहीं उछलेगी .........???
पुलिस, महिला सेल, महिला थाने, तथाकथित महिला समाजसेवी, सरपंच, प्रधान किस्म के दलाल, वकील, जज, सबकी दलाली बंद हो जाती है, जब आप अपने दुश्मनों को सजा करवाने के लिए कोशिश करेंगे ।
यही कारण  है की जब भी कोई पीड़ित अन्याय, अत्याचार और अवैध वसूली की खिलाफ बोलने की कोशिश करता है तो,  ये लोग आप पर , आरोप लगाएंगे कि ये तो झूठा है, आदतन शिकायतबाज है।  जबकि उनके पास ये कहने के लिए कोई आधार या सबूत नहीं होता ..... कि कौन सी  शिकायत झूठी मिली .........???

Saturday, 14 May 2016

अगर हम सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस होते ........

अगर हम सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस होते ..........

हमें बड़ा दुःख हुआ जब हमनें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश को रोते हुए देखा...... पुरानी बातों का तो हमें मालूम नहीं, लेकिन पिछले 7 सालों से हमनें न्यायपालिका के बारे में जो सुना, जो देखा और जो अनुभव किया , उससे हमें अंदर की कई खतरनाक गड़बड़ियों का पता चला । हम अपने स्तर पर प्रयास भी करते रहे हैं । हमारा ये मानना है कि श्री टी एस ठाकुर चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट ने एक अच्छी कोशिश की है, और वो है .....गर्मी की छुट्टियों में भी मुकदमों की सुनवाई करना । बहुत सारे लोग देश की अलग 2 जेलों में बंद हैं, और पुलिस, ने निर्दोष लोगों को , अपने स्वार्थों के चलते फंसाया और रिश्वत लेकर असली दोषी को छोड़ दिया । ऐसे अनेकों लोगों को हम जानते हैं। हम तो बाहर हैं, कुछ कोशिश कर सकते हैं , लेकिन जो जेल में बंद है , वो तो कुछ कर भी नहीं सकता । इसलिए, ये कदम सहरानीय है। इस कदम से , देश के 24 हाई कोर्ट के जजों पर भी फर्क पड़ेगा ।

 अब रही बात जजों की संख्या बढ़ाने की.......अभी जजों के नियुक्ति की प्रक्रिया में बहुत सारी गड़बड़ियां हैं । पहले ही न्यायपालिका में नाकाबिल, शिफरिशि लोग भरे हुए हैं , जोकि जमकर चूना लगाकर, अवैध वसूली भी कर रहे हैं । इस समय वर्तमान तरीके से जजों की नियुक्ति होगी, तो उसमे ये लोग अपने लोगों को भर्ती करेंगे, जिसके कारण वो नुकसान होगा, जिसकी भरपाई ही नहीं हो सकती ......!!!
हमें पूरा विशवास है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जैसे जिम्मेदार पद पर , बैठने वाले व्यक्ति को रोना, धोना, छोड़कर , कुछ करके दिखाना चाहिए .........

 अगर हम सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस होते तो ये सुधार जरूर करते.........

इसके लिए सबसे पहले लॉ कॉलेजों से सुधार की जरूरत है, ताकि नाकाबिल लोगों को LLB की डिग्री न मिल सके ।
दूसरा , जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना, ताकि काबिल व्यक्ति ही जज बन सकें ।
तीसरा , भृष्ट जजों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही करना , ताकि जज मनमानी करने से पहले 10 बार सोचें ।
चौथा, न्यायपालिका जो जबाबदेही , जिम्मेदारी, लोकतंत्र के दूसरे स्तम्भ से उम्मीद करती है, वो नजरिया खुद पर भी लागु करे ।
पांचवा , जजों को जिस प्रकार होना और रहना चाहिए, वे दूसरों को सीख देने की बजाय सबसे पहले खुद को सुधारें ।
छटा , ये की भृष्ट जजों की हमेशा के लिए कोर्ट से विदाई के लिए, राष्ट्रपति जी और संसद को कार्यवाही करने के लिए मजबूर करें ।
सातवां , हम रोजाना एक घंटा , पीड़ित लोगों से जरूर मिलते ।
आठवां , भेष बदलकर बिना किसी को बताये, देश की अदालतों का , औचक निरीक्षण करते, दोषी लोगों के खिलाफ तुरंत कार्यवाही ।

 बस इतना करने से , ही बहुत कुछ हो जायेगा, कुछ स्वार्थी लोग, विरोध भी करते, धरना प्रदर्शन भी होते, लेकिन देश के 40 करोड़ पीड़ित लोगों की, पीड़ा का समाधान जरूर हो जाता ।

कुछ का ईलाज करने से , गलत काम करने का डर बैठ जायेगा , और हम हिन्दुस्तानी लोग, डर और डंडे के बिना कुछ कर ही नहीं सकते ........!!!


Friday, 13 May 2016

अगर हम सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस होते .......

अगर हम सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस होते ..........

हमें बड़ा दुःख हुआ जब हमनें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश को रोते हुए देखा...... पुरानी बातों का तो हमें मालूम नहीं, लेकिन पिछले 7 सालों से हमनें न्यायपालिका के बारे में जो सुना, जो देखा और जो अनुभव किया , उससे हमें अंदर की कई खतरनाक गड़बड़ियों का पता चला । हम अपने स्तर पर प्रयास भी करते रहे हैं । हमारा ये मानना है कि श्री टी एस ठाकुर चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट ने एक अच्छी कोशिश की है, और वो है .....गर्मी की छुट्टियों में भी मुकदमों की सुनवाई करना । बहुत सारे लोग देश की अलग 2 जेलों में बंद हैं, और पुलिस, ने निर्दोष लोगों को , अपने स्वार्थों के चलते फंसाया और रिश्वत लेकर असली दोषी को छोड़ दिया । ऐसे अनेकों लोगों को हम जानते हैं। हम तो बाहर हैं, कुछ कोशिश कर सकते हैं , लेकिन जो जेल में बंद है , वो तो कुछ कर भी नहीं सकता । इसलिए, ये कदम सहरानीय है। इस कदम से , देश के 24 हाई कोर्ट के जजों पर भी फर्क पड़ेगा ।

 अब रही बात जजों की संख्या बढ़ाने की...

....अभी जजों के नियुक्ति की प्रक्रिया में बहुत सारी गड़बड़ियां हैं । पहले ही न्यायपालिका में नाकाबिल, शिफरिशि लोग भरे हुए हैं , जोकि जमकर चूना लगाकर, अवैध वसूली भी कर रहे हैं । इस समय वर्तमान तरीके से जजों की नियुक्ति होगी, तो उसमे ये लोग अपने लोगों को भर्ती करेंगे, जिसके कारण वो नुकसान होगा, जिसकी भरपाई ही नहीं हो सकती ......!!!
हमें पूरा विशवास है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जैसे जिम्मेदार पद पर , बैठने वाले व्यक्ति को रोना, धोना, छोड़कर , कुछ करके दिखाना चाहिए .........

 अगर हम सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस होते तो ये सुधार जरूर करते.........

इसके लिए सबसे पहले लॉ कॉलेजों से सुधार की जरूरत है, ताकि नाकाबिल लोगों को LLB की डिग्री न मिल सके ।
दूसरा , जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना, ताकि काबिल व्यक्ति ही जज बन सकें ।
तीसरा , भृष्ट जजों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही करना , ताकि जज मनमानी करने से पहले 10 बार सोचें ।
चौथा, न्यायपालिका जो जबाबदेही , जिम्मेदारी, लोकतंत्र के दूसरे स्तम्भ से उम्मीद करती है, वो नजरिया खुद पर भी लागु करे ।
पांचवा , जजों को जिस प्रकार होना और रहना चाहिए, वे दूसरों को सीख देने की बजाय सबसे पहले खुद को सुधारें ।
छटा , ये की भृष्ट जजों की हमेशा के लिए कोर्ट से विदाई के लिए, राष्ट्रपति जी और संसद को कार्यवाही करने के लिए मजबूर करें ।
सातवां , हम रोजाना एक घंटा , पीड़ित लोगों से जरूर मिलते ।
आठवां , भेष बदलकर बिना किसी को बताये, देश की अदालतों का , औचक निरीक्षण करते, दोषी लोगों के खिलाफ तुरंत कार्यवाही ।

 बस इतना करने से , ही बहुत कुछ हो जायेगा, कुछ स्वार्थी लोग, विरोध भी करते, धरना प्रदर्शन भी होते, लेकिन देश के 40 करोड़ पीड़ित लोगों की, पीड़ा का समाधान जरूर हो जाता ।

कुछ का ईलाज करने से , गलत काम करने का डर बैठ जायेगा , और हम हिन्दुस्तानी लोग, डर और डंडे के बिना कुछ कर ही नहीं सकते ........!!!

जिन लोगों ने झूठे मुकदमें लगाकर, आप को बर्बाद करने की कोशिश की, ऐसे गद्दार लोगों को अगर आप सबक सिखाना चाहते हैं तो .............

जिन लोगों ने आपको झूठे मुकदमों में फंसाया, ........ आपकी इज्जत की धज्जियां उड़ाई,........ आपको कमजोर किया........., कैरियर बर्बाद किया, ......
अगर आप ऐसे गद्दार लोगों को सबक सिखाना चाहते हैं तो .......आप हमारी कार्यशाला में सादर आमंत्रित हैं ...........

 जिनको झूठे केसों में फंसाया गया , उनका खून खौल उठेगा,..................
 अगर वे उन पलों को, याद कर लें ,...........
जब उनके अपने ही रिश्तेदारों, रंजिश रखने वाले घर परिवार के लोगों ने ही , आपको जेल भेजने की साजिश रची .......... .
आपको कमजोर करने , कैरियर बर्बाद करके, मुकदमें बाजी में उलझाकर , देश और समाज के काम आने वाले काबिल युवाओं को , फंसाकर , कानून की नजर में दोषी बना दिया । ऐसे गद्दार लोगों की करतूत , याद कर लेंगे, तो मुझे 200% यकीन हैं कि जिन्होंने झूठे मुकदमें डालकर , आपको बर्बाद किया या करने की कोशिश की....... आप भी उनको सबक सिखाने के लिए हमारे साथ आएंगे, ताकि ऐसे गद्दार, लोगों को कड़ी सजा दिलवाकर सबक सिखाया जा सके ......और वे किसी और परिवार के लोगों के साथ ऐसा करने को प्रोत्साहित न हों, जो आपके साथ किया गया ।
अगर अपने और झूठे दहेज़, गुजारा भत्ता, घरेलु हिंसा के केस , डालने और डलवाने वाले, लोगों को सबक सिखाना चाहते है , तो आप हमारी कार्यशाला में सादर आमंत्रित हैं ।
ये कार्यशाला लगभग एक महीने बाद, रेवाड़ी या गुड़गांव में आयोजित की जायेगी । जिसके बारे में जल्दी ही सुचना दे दी जायेगी । जो पीड़ित इस कार्यशाला का हिस्सा बनकर अपने मुकदमों में विरोधी पक्ष का इलाज करना चाहते हैं , वे अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं । कई पीड़ित लोगों से मुलाकात हुई, वे समाधान भी चाहते हैं । लेकिन मुकदमेबाजी में उलझकर इतने कमजोर हो गए हैं कि कुछ करने लायक ही नहीं रहे ...........  
  इसलिए, इस कार्यशाला को आयोजित करने के लिए कुछ पीड़ित भाई आगे आये हैं और इस नेक काम को सफल भी करेंगे।
सिमित सीट रखी गई हैं, पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर .........  
रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए .......संपर्क करें 09253323118

झूठे दहेज़ के मुकदमों के शिकार लोगों का शोषण करने वाले, वहाँ भी मौजूद हैं, जहाँ आप शक करने की सोच भी नहीं सकते ..............???

हिन्दुस्तान में झूठे दहेज़ के मुकदमों का शिकार बनाये गए लोगों का शोषण करने वाले, ......... वहाँ भी मौजूद होते हैं, जहाँ हम शक करने की सोच भी नहीं सकते .......

आदरणीय देशवासियों ,
अभी कई दिनों से हम इस समस्या का समाधान खोजने में लगे हुए हैं कि जो लोग , निर्दोष लोगों का शोषण करने के लिए, झूठे मुकदमें करते है और करवाते हैं , ........उनका ईलाज कैसे किया जाये .......?????
देश के अलग2 हिस्सों से पीड़ित भाई लोगों के फ़ोन आते हैं , कुछ मिलने भी आते हैं । सबकी समस्या गंभीर हैं , ऊपर से हमारा अनुभव ख़राब होना, जिसके कारण हमें सही, बात भी गलत ही लगती है ।
अभी कुछ दिनों पहले एक दोस्त का मामला सामने आया । वो पहले मुझसे मिला, कुछ काम बना, लेकिन वो रेवाड़ी की प्रोटेक्शन ऑफिसर की चक्कर में आ गया।
(आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जो औरत रेवाड़ी की Protection Officer थी वो पहले कोई महिला परिषद् नाम की किसी संस्था का हिस्सा थी, ऊपर से वकील भी। इसलिए, बेहद चालाक, ड्रामेबाज और नौटंकीबाज भी थी और उसको उलटे सीधे अवैध वसूली के तौर तरीके मालूम थे। वो जुगाड़ से उन औरतों के फ़ोन, और पता निकलवा लेती थी, जिनके पति रेवाड़ी से थे, उनसे संपर्क करके , उन औरतों को पटा कर , पति परिवार पर समझौता करवाने के नाम पर , पति परिवार को जेल भेजने का डर बनाकर, उनके द्वारा डेल गए केस वापिस करवा देती। जबकि औरत के केस वापिस नहीं करवाती, और समझौता करवाकर, उस औरत को पति के घर भेजकर, और ड्रामे करवाकर फिर मुकदमे करवाने की धमकी देकर , पैसे ऐंठती थी ). उसके सारे मुकदमें, वापिस करवा दिए, जबकि उसकी पत्नी के केस वापिस नहीं करवाये । पति को ये कह कर डरा दिया की तेरी बहन को जेल हो जायेगी, वो डर गया और उसको साथ ले गया। उस औरत ने फिर वही ड्रामे, धमकियां शुरू कर दी , तब वो फिर मेरे पास आया। जब समझौता किया तब मुझसे कोई सलाह नहीं ली। वो तो शुक्र है कि वो दुबारा भाग गई , वर्ना हालात और ख़राब होते .......!!! दोस्त ने पुलिस के मामले में भी कुछ लापरवाही बरती, अब पुलिस ने रंजिश के चलते, उनके परिवार के 4 लोगों को भगोड़ा घोषित कर दिया । लगभग 2 से ज्यादा साल से कोर्ट में भी नहीं गया। अब बुरी तरह फँस गया। कई मुकदमें लग गए वो अलग, ऊपर से जेल भी जाना पड़ेगा ।
इसलिए, हमारी ये सलाह कि जब एक बार मुकदमेबाजी हो ही गई, तो फिर किसी भी रिश्तेदार, पुलिस, महिला सेल, प्रोटेक्शन ऑफिसर, सरपंच , प्रधान, के दबाब में आकर,................ उस औरत के साथ न तो कोई समझौता करें और ना ही उसे अपने घर पर लाएं । क्योंकि कोर्ट में वकील और पुलिस , औरतों को उलटे सीधे, चालाकियां सीखा देते हैं । निकम्मी औरतों को गलत बात जल्दी समझ में आती है। .

समझौता करवाया, अपना स्वार्थ साधा, आपको कुएं में धकेला, और ये लोग तो अपने घर चले गए ।
 मरा हुआ साँप,..... आपके गले में डाल गए, भुगतना आपको ही पड़ेगा........

सरपंच प्रधान टाइप के लोगों की स्वार्थ भरी, दलीलें कि पूरी जिंदगी कैसे कटेगी ........??? बुढ़ापे में रोटी कौन देगा........??? इन सब दलीलें देने के पीछे एक , अदृश्य कारण सेक्स की जरुरत भी दिखाई जाती है ।
मर्द की सबसे बड़ी कमजोरी होती है कि वो कितना भी ताकतवर हो, इन बातों में आकर्षित हो जाता है।
अरे भाई....!!! आप शादी से पहले भी तो रहते थे ........??? और सारे लड़के फ्रॉड नहीं होते, संयम से रहने वाले भी होते हैं ।
वंश चलाने, बच्चों के लिए भावुक न बनें । किसी भावना में न उलझकर, अपने परिवार और बूढ़े माँ बाप के जीवन के अंतिम समय को सुखी रखने , और अपने घर को बिना सलाखों की जेल बनने से बचाएं ।

Wednesday, 11 May 2016

अब सुप्रीम कोर्ट को भी, हमारे टोपी पहनने से , तकलीफ होने लगी .........





कल हम, सहारा को सुब्रत रॉय की गिरफ्तारी से सम्बंधित RTI की अपील के सिलसिले में , सुप्रीम कोर्ट गए थे। हम बस से उतरे , तो सामने गेट नंबर D था। जाने लगा तो सिक्यूरिटी वाले ऐतराज करने लगे कि भाई साहब टोपी उतार कर जाओ । हमने उनको बताया कि हम कोई पहली बार , सुप्रीम कोर्ट नहीं आ रहे हैं । पहले भी कई बार में , इसी तरह टोपी डालकर ही आता रहा हूँ और अंदर अपने काम भी करके आया हूँ । क्योंकि में थोडा लेट हो रहा था , इसलिये, मैंने बहस में ना उलझकर, गेट C से गया और अंदर चला गया, क्योंकि वे हमारे बारे में जानते हैं । आपको याद होगा , मोहिनी कामवानी जी का मामला भी गेट C पर ही हुआ था । अंदर गया पास बनवाया, तो पास बनाने वाले ने , लेटर देने के बावजूद, रजिस्ट्रार से बात की, तब पास बनाया। अब अंदर जाने लगा तो, सिक्यूरिटी वाले, वाही बात दोहराने लगे । हमनें उनको कहा की ये किसी भी व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है और आप अपने बड़े अधिकारी से बात करें । वे कई लोगों के पास गए, उनसे बात की और फिर आखिरकार वे मान गए और हम टोपी पहनकर ही अंदर गए । अगर हम उनकी बात मानकर , टोपी उतार देते तो वे हमेशा के लिए, दिक्कत पैदा करते। जब हम वापिसी में आये तो वे बोले कि भाई साहब ... क्या मामला था ......??? हमने उनको सुब्रत रॉय के केस की गड़बड़ी की बारे में , बताया तो सच जानकर उनका खून बढ़ गया कि ...कोई तो है , जो इन बड़े लोगों की गड़बड़ी पकड़कर , पीछे पड़ा हुआ है। फिर हम गेट डी पर भी गए, उनको बताया कि हम टोपी पहनकर ही अंदर गए और अपना काम करके आये हैं । वे भी सुब्रत रॉय के मामले को जानकर बड़े हैरान हुए । बता रहे थे कि याकूब मेमन के लिए रात को भी कोर्ट खुला था ।

Tuesday, 10 May 2016

अब तो सुप्रीम कोर्ट को भी, हमारे टोपी पहनने से तकलीफ होने लगी............

अब सुप्रीम कोर्ट को भी, हमारे टोपी पहनने से तकलीफ होने लगी .........

कल हम, सहारा को सुब्रत रॉय की गिरफ्तारी से सम्बंधित RTI की अपील के सिलसिले में , सुप्रीम कोर्ट गए थे।  हम बस से उतरे , तो सामने गेट नंबर D था। जाने लगा तो सिक्यूरिटी वाले ऐतराज करने लगे कि भाई साहब टोपी उतार कर जाओ । हमने उनको बताया कि हम कोई पहली बार , सुप्रीम कोर्ट नहीं आ रहे हैं । पहले भी कई बार में , इसी तरह टोपी डालकर ही आता रहा हूँ और अंदर अपने काम भी करके आया हूँ । क्योंकि में थोडा लेट हो रहा था , इसलिये, मैंने बहस में ना उलझकर, गेट C से गया और अंदर चला गया, क्योंकि वे हमारे बारे में जानते हैं ।  आपको याद होगा , मोहिनी कामवानी जी का मामला भी गेट C पर ही हुआ था । अंदर गया पास बनवाया, तो पास बनाने वाले ने , लेटर देने के बावजूद, रजिस्ट्रार से बात की, तब पास बनाया। अब अंदर जाने लगा तो, सिक्यूरिटी वाले, वाही बात दोहराने लगे । हमनें उनको कहा की ये किसी भी व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है और आप अपने बड़े अधिकारी से बात करें । वे कई लोगों के पास गए, उनसे बात की और फिर आखिरकार वे मान गए और  हम  टोपी पहनकर ही अंदर गए ।   अगर हम उनकी बात मानकर , टोपी उतार देते तो  वे हमेशा के लिए,  दिक्कत पैदा करते।  जब हम वापिसी में आये तो वे बोले कि भाई साहब ... क्या मामला था ......??? हमने उनको सुब्रत रॉय के केस की गड़बड़ी की बारे में , बताया तो सच जानकर उनका खून बढ़ गया कि ...कोई तो है , जो इन बड़े लोगों की गड़बड़ी पकड़कर  , पीछे पड़ा हुआ है।  फिर हम गेट डी पर भी गए, उनको बताया कि हम टोपी पहनकर ही अंदर गए और अपना काम करके आये हैं ।  वे भी सुब्रत रॉय के मामले को जानकर बड़े हैरान हुए । बता रहे थे कि याकूब मेमन  के लिए रात को भी  कोर्ट खुला था ।

सहारा के सुब्रत रॉय की गिरफ़्तारी के आधार को सार्वजनिक करने में सुप्रीम कोर्ट को डर क्यों लग रहा है ........???

सुप्रीम कोर्ट, सुब्रत रॉय की गिरफ़्तारी के आधार की जानकारी सार्वजानिक करने से क्यों डर रहा है .......???  अगर इस देश की न्यायपालिका ईमानदार है, तो सुचना सार्वजनिक करे .......नहीं करते तो, इसका मतलब साफ़ है.........

कल सुप्रीम कोर्ट में हमारी मुलाकात रजिस्ट्रार Admin से मुलाकात हुई। हमने उनको बताया कि हमने जो सुचना मांगी थी , वो नहीं दी गई । हमें specific औरव् complete सुचना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय को किस शिकायत या FIR के आधार पर जेल भेजा और सुप्रीम कोर्ट किस कानून के अनुसार उस व्यक्ति को जेल भेज सकता है , जिसके खिलाफ कोई शिकायत या FIR नहीं हो। तो वो बोले कि ये थर्ड पार्टी information है, इसलिए , नहीं मिलेगी। जब हमनें कहा कि ये तो Public Document है, तो एक सुप्रीम कोर्ट रूल का हवाला देने लगे कि आप ये बताएं कि ये सुचना क्यों चाहिए .....??? हमनें कहा कि RTI एक्ट में ये नहीं , पूछ सकते की सुचना क्यों चाहिए ...???  हमनें बताया कि देश का जिम्मेदार नागरिक होने के नाते , हमें ये अधिकार है कि किसी व्यक्ति को जेल क्यों भेज जा रहा है ....??? हालांकि इसकी जरुरत नहीं थी, फिर भी RTI application में , हमनें लिखा है ।
वैसे तो न्यायपालिका , पारदर्शिता, जबाबदेही , की बड़ी 2 बातें करती है , लेकिन जब खुद ही सुचना को , जानबूझकर दबा , रहे हैं , तो इसका मतलब साफ़ है कि --- इस मामले में न केवल गिरफ़्तारी गैर कानूनी है, बल्कि मुझे गुप्त सूत्रों से मिली सुचना पुख्ता हो जाती है कि  -- सुब्रत रॉय के कई प्रोजेक्ट्स में , जजों का पैसा लगा हुआ था । जोकि दो नंबर का ही होगा ।

अगर ऐसा नहीं है तो, सुप्रीम कोर्ट इस जानकारी को सार्वजानिक करने से क्यों डर रहा है .......???

Sunday, 8 May 2016

सुप्रीम कोर्ट का पत्र मिला है, ......कोर्ट में राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी और क्षेत्रीय स्तर पर , क्षेत्रीय भाषाओं के प्रयोग करने के बारे में....




सुप्रीम कोर्ट का पत्र मिला है, ......कोर्ट में राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी और क्षेत्रीय स्तर पर , क्षेत्रीय भाषाओं के प्रयोग करने के बारे में....
ताकि आम नागरिक जो कम पढ़ा लिखा है, वो कोर्ट की कार्यवाही को समझ सके .......
See page no. 4

अब मुझे इस बात पर 200% यकीन हो गया है कि सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की ,सुप्रीम कोर्ट के द्वारा की गई गिरफ्तारी , गैर कानूनी है । सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों .......??? और किस दबाब में किया .........??? इसका जबाब तो बड़े जज ही दे सकते है । हम तो इस हालातों से आपको अवगत करवाना चाहते हैं , कि वक्त रहते कुछ कर लो, या जो करे उसके साथ लग जाओ,........ वरना शिकार आप भी बनेंगे,.........!!! कोई आज, .......तो कोई कल ........!!!
आदरणीय देशवासियों ,
आज हम आपको सबूतों के साथ ये दिखाएंगे कि देश के सबसे बड़े न्याय के मंदिर यानि कि सुप्रीम कोर्ट में किस हद तक गड़बड़ियां हो रही हैं । ये एक खतरनाक संकेत है कि अब हमारे साथ कुछ भी हो सकता है और दूसरा ये कि अब न्यायपालिका भी नेताओं वाले अंदाज में खतरनाक खिलवाड़ कर रही है । अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर जाकर हमारी RTI के डाक्यूमेंट्स को पढ़ें ।
https://m.facebook.com/groups/625926937520158?view=permalink&id=912665962179586