Thursday, 14 April 2016

न्यायपालिका में कई जज बेवकूफ और बेईमान हैं, वहीं देश के बहुत सारे वकील डिग्री तो ले लेते हैं, लेकिन उन्हें कानून की जानकारी ही नहीं होती, इसलिए उन्हें मूर्ख की श्रेणी में रखा जाना चाहिए।


नई दुनिया ब्यूरो, भोपाल। वर्तमान में देश की न्याय व्यवस्था चरमराई हुई है। न सरकार इसे सुधारना चाहती है और न ही जज। कहीं न कहीं सभी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। अधिकतर जज रिटायरमेंट के बाद आर्बिट्रेशन (न्यायिक आयोग, ट्रिब्यूनल आदि में जज) में चले जाते हैं। आर्बिट्रेशन आज एक उद्योग बन चुका है। जिसके जरिए सेवानिवृत जज करोड़ों रुपये कमा रहे हैं। यह बात सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने एक टॉक शो में कही।
वह रविवार को शहीद भवन में ग्लोबल अर्थ सोसाइटी फॉर एन्वायरमेंटल एनर्जी एंड डेवलपमेंट द्वारा आयोजित 'सशक्तिकरण हेतु कानूनी जागरूकता' कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ही चरमराई रहेगी तो भ्रष्ट सरकारों के खिलाफ बोलने वाला भी कोई नहीं होगा। न्यायपालिका में कई जज बेवकूफ और बेईमान हैं। वहीं देश के बहुत सारे वकील डिग्री तो ले लेते हैं, लेकिन उन्हें कानून की जानकारी ही नहीं होती। इसलिए उन्हें मूर्ख की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। यही कारण है कि देश में न्यायपालिका का सिस्टम गड़बड़ाया हुआ है। भूषण से जब यह पूछा गया कि आपके इस बयान का आधार क्या है, तो वे इसका जवाब नहीं दे पाए।

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