Wednesday, 13 April 2016

न्यायपालिका से अब 1% लोगों को भी न्याय नहीं मिलता: प्रशांत भूषण Monday, April 11, 2016

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कानूनी जागरुकता के लिए देश में बड़े आंदोलन की जरूरत है : प्रशांत भूषण
प्रशांत भूषण (फाइल फोटो)
भोपाल: देश के जाने माने वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि देश की न्यायिक व्यवस्था चरमराई हुई है। उन्होंने कहा, इसे सुधारने के लिए देश में कानूनी जागरुकता के साथ-साथ सामाजिक जागरुकता का एक बड़ा आंदोलन चलाना होगा।

प्रशांत भूषण ने रविवार को भोपाल में एक टॉक शो में कहा, 'देश में न्यायपालिका एक बहुत ही अहम संस्थान है। देश की न्यायिक व्यवस्था चरमराई हुई है। इसे सुधारने के लिए देश में एक बड़ा आंदोलन चलाना होगा।'

उन्होंने कहा कि देश में उच्च स्तर पर न्यायपालिका की कोई जवाबदेही नहीं है। सरकार और न्यायपालिका से स्वतंत्र ऐसी कोई संस्था नहीं है, जहां न्यायपालिका की शिकायत की जा सके। इस वजह से न्याय व्यवस्था में भ्रष्टाचार भी खूब पनप रहा है।

उन्होंने कहा कि देश में कानूनी जागरुकता जरूरी है और सरकार के खिलाफ तो आप न्यायालय में जा सकते है। लेकिन अदालत की प्रणाली गड़बड़ाई हुई है और वहां आपकी सुनवाई नहीं होती है। लंबी-लंबी तारीखें मिलती हैं। इसलिए देश में कानूनी जागरुकता के साथ-साथ न्याय व्यवस्था के प्रति सामाजिक जागरुकता लाना भी जरूरी है।

उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में अन्ना हजारे के नेतृत्व में एक बड़ा आंदोलन चलाया गया। उसी प्रकार देश की न्याय व्यवस्था के प्रति सामाजिक जागरुकता के लिए एक बड़ा आंदोलन चलाना होगा।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

भोपाल। देश के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में जैसे बड़ा आंदोलन चला था, वैसे ही न्यायिक सुधारों के लिए भी देश में बड़े आंदोलन की जरूरत है। टॉक शो में पर्यावरणविद सुभाषचंद्र पांडे भी थे। भूषण ने आगे कहा कि न्यायपालिका से संभवत: एक फीसदी लोगों को भी न्याय नहीं मिल रहा। देश में 80 फीसदी लोग तो ज्युडिशियरी को अप्रोच ही नहीं कर पाते। यदि वकील कर भी लिया तो भी तारीख ही मिलती रहती है। 
व्यापमं का केस फ्री में लड़ूंगा
प्रशांत भूषण ने मप्र के व्यापमं घोटाले को बड़ी गड़बड़ी बताते हुए कहा कि इस मामले में व्हिसल ब्लोअर्स ने जितनी पिटीशन (याचिका) लगाई हैं, वो मुझसे मिलें। मैं पहले भी डॉ. आनंद राय के साथ अपीयर हो चुका हूं। वे चाहेंगे तो मैं उनका केस मुफ्त में लडूंगा। भूषण रविवार को भोपाल में थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ न्यायिक व्यवस्था पर भी तीखे कटाक्ष किए।
न्यायिक व्यवस्था ध्वस्त
सीड संस्थान के टॉक-शो और मप्र राज्य स्वराज अभियान सम्मेलन की संगोष्ठी 'वर्तमान चुनौतियां : विकल्प राजनीति' में उन्होंने कहा कि कई तारीखों के बाद आखिर में जब केस तय हो जाता, तब भी इस बात की ज्यादा गुंजाइश होती है कि वो गलत तय हुआ हो। रिटायरमेंट के बाद ज्यादातर जजेज आर्बिटेशन करने लगे हैं। इसी से कमा रहे हैं। आर्बिट्रेशन इंडस्ट्री तब चलती है, जब न्यायिक व्यवस्था ध्वस्त हो। यही वजह है कि पावरफुल लोग चाहे वे सरकार में हो या ज्युडिशियरी में, वे नहीं चाहते कि न्यायिक व्यवस्था ठीक हो। 
- See more at: http://www.bhopalsamachar.com/2016/04/1_11.html#sthash.MeckhNvL.O9YxX1zB.dpuf
भोपाल। देश के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में जैसे बड़ा आंदोलन चला था, वैसे ही न्यायिक सुधारों के लिए भी देश में बड़े आंदोलन की जरूरत है। टॉक शो में पर्यावरणविद सुभाषचंद्र पांडे भी थे। भूषण ने आगे कहा कि न्यायपालिका से संभवत: एक फीसदी लोगों को भी न्याय नहीं मिल रहा। देश में 80 फीसदी लोग तो ज्युडिशियरी को अप्रोच ही नहीं कर पाते। यदि वकील कर भी लिया तो भी तारीख ही मिलती रहती है। 
व्यापमं का केस फ्री में लड़ूंगा
प्रशांत भूषण ने मप्र के व्यापमं घोटाले को बड़ी गड़बड़ी बताते हुए कहा कि इस मामले में व्हिसल ब्लोअर्स ने जितनी पिटीशन (याचिका) लगाई हैं, वो मुझसे मिलें। मैं पहले भी डॉ. आनंद राय के साथ अपीयर हो चुका हूं। वे चाहेंगे तो मैं उनका केस मुफ्त में लडूंगा। भूषण रविवार को भोपाल में थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ न्यायिक व्यवस्था पर भी तीखे कटाक्ष किए।
न्यायिक व्यवस्था ध्वस्त
सीड संस्थान के टॉक-शो और मप्र राज्य स्वराज अभियान सम्मेलन की संगोष्ठी 'वर्तमान चुनौतियां : विकल्प राजनीति' में उन्होंने कहा कि कई तारीखों के बाद आखिर में जब केस तय हो जाता, तब भी इस बात की ज्यादा गुंजाइश होती है कि वो गलत तय हुआ हो। रिटायरमेंट के बाद ज्यादातर जजेज आर्बिटेशन करने लगे हैं। इसी से कमा रहे हैं। आर्बिट्रेशन इंडस्ट्री तब चलती है, जब न्यायिक व्यवस्था ध्वस्त हो। यही वजह है कि पावरफुल लोग चाहे वे सरकार में हो या ज्युडिशियरी में, वे नहीं चाहते कि न्यायिक व्यवस्था ठीक हो। 
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8 comments:

  1. Dt.6.5.2016. Mob:9819472240

    To,
    Hon’ble Chief Justice
    Bombay High Court
    Sub: Wilfully Contempt of Bombay High Court by Justice Smt.Revti Mohite-Dere caused grave injustice on Complainant, hence peacefully protest in her court by me.
    Respected Mylord
    That since last 9 years running into 6 years for more than 500 times all orders u/s 138 of N.I.Act are in my favor and by order dt.12.10.2016 Hon’ble Justice Smt.Anuja Prabhu Desai, Bombay High Court has confirmed the order passed by Hon’ble Session Court at Palghar directing the convicted accused to deposit ordered amount.
    That since last 6 months Accused has been showing willfully disrespect and committed contempt of this Hon’ble Court . That in spite of this legal situation, Justice Smt.Revti Mohite Dere has interfered in the execution of above order & and passed ex-party stay order dt.12.4.2016 to favor the convicted accused Ramniklal Shah who is notorious builder at Dahanu .
    That on 29.4.2016 I requested to her ladyship by filing my reply & requested to vacate ex-party stay order dt.12.4.2016 passed by her in Cr.Application No.394/2016 ,she placed the hearing of this matter on 4.5.2016 at 4 p.m. On that day she has not called this matter at 4 p.m. and again called me on 5 .5.2016 at 4 P.M. On this day also she called this matter at 5 P.M. and without vacating ex-party stay order placed this matter on 6.6.2016. Thus it appeared to me her wilfull conduct to favor the multimillionaire convicted accused Ramniklal Shah & his notorious brother Natwarlal Shah who is mastermind of cheating to me having connection with underworld. Thus u/s 80 P.C. her ladyship may be directed to pay compensation to 55 years old lady who has no source of income as her all investment is grabbed by this builder and cheated to her. Kindly appreciate the facts that during this struggle I lost not only my all wealth but lost health as I lost my all teeth and suffered from T.B.
    I humbly say that I shall protest this grave injustice on my in her court peacefully and if any contempt of her court I shall not be responsible for it.
    I shall be gratefully obliged if Your Lordships kind intervention in this matter to save my life.
    Thanking You.
    Your’s faithfully,


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  2. I, don't sell or compromise my self-consciousness, for favors or to please somebody, Miscreants should not go unpunished. Corrective/Remedial measures vital in a healthy enlightened society.

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  3. SCHOOL OF THOUGHT propounds that there is no ‘LAW’ indeed until it has been genuinely tested and subjected, time and again when deemed necessary to changing times, to the regurgitation of judicial processes and consequently molded into ‘Case laws’. It holds the position while the Legislature may make laws – as constitutionally they are empowered to do so – the onus of breathing life into these laws, lie with the interpretative powers of the judiciary. “Judicial independence, can become judicial isolation, unless judges connect with the public”.

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  4. All enlightened and specialised in different discipline to "Connect news of your profession, for updates and keep abreast to excel, and make INDIA, our nation, more great to the greatest of the world" . “Judicial Independence, could become judicial isolation, unless judges connect with the public” Dr. Chandran Peechulli Krishnan.

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  5. Everyone is equal before the law. But some of us bear a greater responsibility than others for cultivating a healthy judicial ecosystem. W.B. Yeung practices law, **** while constantly fearing the second coming.

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  6. " Excellence is the gradual result of always striving to do better by own their own efforts, with inter-active sessions consistently to better, which can be more professionally dignified, with progressive development. United we stand with solidarity and spirit of nationhood, to make the nation great, as citizen's duties and rights.

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  7. न्याय....? जिला स्तर पर न्याय करना ही जज को अन्याय लगता है चाहे अधिनियम या नियमावली में कोई भी अधिकार /प्रावधान क्यों न दिया गया हो, चाहे उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय द्वारा निणर्य क्यों न पारित किये गये हो, करते वही हैं जो उनकी मरज़ी...।क्योंकि वे भय मुक्त है...

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  8. आप सुधारवादी हैं? न्यायपालिका में सुधार करना चाहते हैं ताकि एक न्याय सांगत हो समाज, राज्य?
    क्रांति से डरते हैं, जो है वह भी ना चला जाये!!! आपके पास वैसे कुछ है नहीं जो चला जायेगा, सिवाय आपके मूढ़ता के, डर के! आप घर मके बंद रहें, कुँए के मेढक जैसे टर्र टर्र करें!
    हम क्रांति के लिए हैं, शोषण पर आधारित सत्ता और समाज बदलने के लिए हैं, बलिदान के लिए तैयार हैं! इन्कलाब जिंदाबाद!

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