Wednesday, 13 April 2016

कई दिनों से हमारा मन बेचैन है कि --- आखिर कोर्ट में झूठे मुक़दमे, दर्ज करवाने वाले और करने वाले लोगों का कैसे ईलाज किया जाये .......???


आज देश के आमजन में ये सोच हो गई है कि किसी भी प्रकार से एक बार झूठा सच्चा मुकदमा डाल दो, फिर कोई दिक्कत नहीं .....!!!
पहले लड़ाई सच और झूठ के बीच होती थी । लेकिन अब तो चरित्रहीन औरतों के माध्यम से , झूठे मुकदमे डलवाकर , झूठे आरोप लगवाकर , निर्दोष लोगों का न केवल , सामाजिक और आर्थिक बल्कि मानसिक शोषण , जमकर किया जा रहा है ।
जैसेकि हम सब पिछले कुछ महीनों से देख रहे है कि अखबारों में ऐसी खबरें रोज छापी जा रही हैं । जिससे औरतों के चरित्र का वो रूप देखने को मिल रहा है , जिसके बारे में हमारे पूर्वज सोच भी नहीं सकते थे। ये सब नतीजा हैं -- औरतों को मिली मुफ़्त की आज़ादी का और इस कानून दुरूपयोग की मुख्य वजह है -- स्कूल और कॉलेजों में सरकारी खर्चे पर पुलिस , प्रोटेक्शन ऑफिसर और तथाकथित महिला सशक्तिकरण से संबंधित NGO , आजकल की लड़कियों को ट्रेनिंग देकर, ये तो बता रहे है कि वे किसी पर केवल झूठे आरोप लगाकर, किस प्रकार, अवैध वसूली कर सकती हैं ......???, अपनी सही/ गलत बातें मानने को मजबूर कर सकती हैं ............??? और ये भी सीखा देती है कि झूठी शिकायत पर तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगड़ेगा .......??? बुजुर्ग , और पुरुष इस समय , बेहद घुटन के माहौल में जी रहे हैं ।
लोगों पर इतनी महंगाई के समय में , परिवार को चलाने के लिए बेहद दबाब है। और ऊपर से इन औरतों के ड्रामे......

वैसे हमारे देश में सदियों से , औरतों के पास एक बहुत बड़ा हथियार था कि -- किसी भी पुरुष को सबके सामने, शर्मिंदा करना, अपनी मांगें मनवाने के लिए ,कदम2 पर पति को नफरत से भरना । आजकल ये हथियार , पारिवारिक जिम्मेदारी का मजाक बना रहा है। बच्चों पर गलत असर पड़ रहा है। पहले कभी पति पत्नी में कोई बात हो भी जाती थी, तो बच्चों या किसी और के सामने आते ही, झट से चुप हो जाते थे। इस परम्परा के चलते, सामाजिक डर के कारण, पति पत्नी के झगडे सीमित रहते थे। लेकिन अब तो आजकल की औरतों ने तो मर्द को केवल पैसा कमाने की मशीन , समझ लिया है । जिम्मेदारी से कोई लेना देना नहीं,........... इसके कारण भविष्य में आपके और हमारे जैसे युवा पैदा ही नहीं होंगे । क्योंकि संस्कार देने वाली माँ ही , नहीं होगी तो फिर संस्कार तो बीते ज़माने की बात , हो जायेंगे ।
उससे भी ज्यादा आजकल की औरतों को ये पता लग गया कि झूठा केस डालकर भी गुजारा भत्ता मिल जायेगा।
रही सही कसर , कोर्ट में वकील पूरी कर देते हैं। और फिर आँख मूंद कर फैसला देने वाले जज.....
जबकि विदेशों में पति पत्नी अगर कॉफ़ी भी पीते है तो वे अपना2 बिल अलग2 चुकाते हैं। अपने भारतीय संस्कृति में कोई अनजान भी मिल जाये, और कुछ खा, पी लें, तो बिल उनमे से एक व्यक्ति ही चुकाता है ।
औरतों के इन ड्रामों के कारण आज पुरुष , चाहे वो पति हो, ससुर हो, न केवल आर्थिक शोषण के कारण अंदर से खोखला हो रहा है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी खतरनाक तरीके से चुना लग रहा है। यही हाल रहा , तो वो दिन दूर नहीं, जब पुरूष कमाकर औरतों पर खर्च करना छोड़ देंगे। और इन आलसी और पुरुषों की फ्री की कमाई पर मजे लूटने वाली औरतें, समाज में सम्मान की प्रतीक के बजाय, एक वेश्या के रूप में ही धूमती मिलेंगी। क्योंकि मेहनत करके खाना तो, इन फ्रॉड औरतों के बस का काम नहीं है। थोड़े ही सालों में हिंदुस्तान की बदलती हुई , इन तस्वीरों को हम देखेंगे ।
इन सब समस्याओं के क्या समाधान हो सकते हैं .....??? आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित है ......!!!

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