Saturday, 30 April 2016

क्या हम एक छोटी सी कोशिश नहीं कर सकते ......???

क्या हम एक छोटी सी कोशिश नहीं कर सकते ..........???

आदरणीय देशवासियों,
अभी दो दिन पहले हम चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर थे । वहाँ पर हमने कुछ बच्चों को देखा , जिनके पैरों में न चप्पल थे, न ही तन पर पूरे कपडे......
पूछने पर पता चला कि वो एक ही परिवार के 8 लोग लखनऊ से काम के लिए आये हैं । और ये बच्चे स्कूल में नहीं जाते ...... भूखे थे, कुछ खाने का सामान मेरे बैग में था, वो दे दिया  और खाना भी खिला दिया ।
लेकिन , इसके बावजूद भी, हमें  इस समस्या का समाधान नजर नहीं आया।
हमारी नजर में इस समस्या के समाधान जो कि हम कर सकते हैं ---
1) हमारे घरों में बच्चों के पुराने , जूते, सैंडिल, कपड़े , होते हैं । जोकि अच्छी हालत में होते हैं, क्योंकि बच्चों का शरीर बढ़ता हुआ होता है , उनके कपडे और जूते आदि बहुत जल्दी छोटे हो जाते हैं । हम अगर उन कपडों , जूते, चप्पल, सैंडिल आदि को अपने शहर गाँव के गरीब बस्ती में जाकर , उन बच्चों को दे सकते हैं , जिनके पास ये जरूरत की सामान नहीं है।  तो इस छोटे से प्रयास से , जरूरतमंद की बहुत बड़ी मदद हो जायेगी ।
2)  दूसरा प्रयास ये कि उनके पहचान पत्र , आधार कार्ड आदि डाक्यूमेंट्स बनवाने में मदद हो जाये तो,  ये बच्चे भी स्कूल में पढ़ सकते हैं ।

Tuesday, 19 April 2016

देश में , वकील, जज, पुलिस, महिला सेल, सभी ने पति परिवार को, हमेशा ही , अवैध वसूली के आसान शिकार के रूप में देखा

हिन्दुस्तान में , वकीलों ने दहेज़ के केसों में ..............., पति परिवार, से खूब फीस भी ,वसूली,............. लेकिन    पत्नी और उनके खिलाफ कार्यवाही की बजाय, पति परिवार को ही , आसान शिकार समझकर , जमकर वसूली की .........

आज हमें एक और सच्चाई से अवगत हुआ कि इस देश में अबतक लाखों दहेज़ प्रताड़ना के केस डाले गए। वकीलों ने पति परिवार से अच्छी फीस भी वसूली । उसके बावजूद , पत्नी परिवार के खिलाफ केस नहीं डालना, ये साबित करता है कि -- महिला सेल, पुलिस से लेकर , वकीलों तक सबने , पति परिवार को , आसान शिकार समझकर, जेल भेजने का डर दिखाकर,  शोषण का शिकार बनाया ।  जबकि लगभग हर दहेज़ के केस में , पत्नी और उसके परिवार के खिलाफ कम से कम 2 मुकदमें ,और कई मामलों में तो 5 या उससे अभी केस भी डाले जा सकते थे ।
 लेकिन, पूरे देश में आजतक , ऐसे कितने मुकदमें दर्ज हुए,  ........... ???  या जजों ने खुद संज्ञान लेकर दर्ज करवाये ............???

समुद्र में जितना गहरा, जाओगे , उतना ही ज्यादा सीखोगे ..........

समुद्र में ,  जितना गहरा जाओगे, उतना ही ज्यादा सीखोगे .................

अभी हम कई दिनों से कानून के दाव पेच , का अध्ययन करने में व्यस्त हैं ।  बहुत कुछ सीखा दिया ।
  शुक्रगुजार हैं ,  उनका  (  मोहिनी कामवानी जी, दिलीप कामवानी भाई साहब,  Adv  नीलेश ओझा भाई साहब और उनकी टीम के लोगों का    ) , जिन्होंने इतनी मेहनत , करके  ऐसे केस तैयार किये .......अभी तक बहुत कम लोग , इनके काम की गहराई को समझ पाये हैं । लेकिन निकट भविष्य में , जरूर एहसास होगा ......!!!

दुनियाभर में नए और बड़े काम, उन्होंने किये हैं , जिनके पास .........

दुनियाभर में नये और बड़े काम उन्होंने किये हैं , जिनके पास ...........

इस दुनिया में अनेक लोग , बहुत अच्छी काबिलियत होते हुए भी , कोई बड़ा काम नहीं कर  सके । क्योंकि उनके दिमाग में , इतना साहस ही नहीं होता कि इतना बड़ा काम सम्भव भी हो सकता है  .......या फिर ......उनके दिमाग में एक अहंकार होता है कि हमारे से ज्यादा , तो किसी को मालूम ही नहीं ......
ऐसा कभी भी नहीं , सोचना चाहिये । ज्ञान कहीं से भी, किसी से भी मिल सकता है ........  कई बार कोहिनूर हीरा आपके सामने होते हुए भी , आपका नहीं हो पाता ........ क्योंकि  हीरे की परख , जोहरी ही जानता है ........???



जिस दिन हिंदुस्तान के लोग, कानूनी साक्षर हो जायेंगे ....., उस दिन .............!!!

जिस दिन हिन्दुस्तान के लोग, कानूनी रूप से साक्षर हो जायेंगे, उस दिन .............

देश के कोर्ट में ,  80% जजों के खिलाफ ही मुकदमें दर्ज होंगे .......
और कम से कम 60% वकीलों के खिलाफ......... मुकदमें  दर्ज होंगे । 40% वो जिनकी डिग्री ही फर्जी है , बाकि दूसरे जो खतरनाक अपराधों में शामिल हैं।
इसका,  सबसे बड़ा फायदा ये होगा, कि केवल काबिल लोग ही, इस पेशे में टिक सकेंगें । इससे पेशे में गुणवत्ता आएगी ........


Saturday, 16 April 2016

हम ईश्वर के शुक्रगुजार हैं कि दहेज़, गुजारा भत्ता, घरेलू हिंसा के झूठे मुकदमों में , .....सब कुछ बर्बाद होने के बावजूद , हम देश और समाज के पीड़ित लोगों के लिए कुछ कर सके ........

हम ईश्वर के शुक्रगुजार हैं कि दहेज़, गुजारा भत्ता, घरेलू हिंसा के झूठे मुकदमों में , .....सब कुछ बर्बाद होने के बावजूद , हम देश और समाज के पीड़ित लोगों के लिए कुछ कर सके ........
हिन्दुस्तान में आजतक , पति और उसके परिवार वालों को , महिला सेल, पुलिस अधिकारी, प्रोटेक्शन ऑफिसर, वकील, जज , सभी ने एक पैसा ऎंठने के आसान शिकार के रूप में ही देखा ..........और हमनें अब इस समस्या के समाधान ढूंढ लिए हैं ।
7 साल पहले जब मेरी पत्नी ने ड्रामा करके , गुड़गांव में पत्नी के नाम ख़रीदा हुआ मकान हड़फने, की नियत से, लालची ससुर ( जोकि अपने आप की दहेज़ के केसों का डॉन समझता था ) ने मेरे और परिवार के खिलाफ मुक़दमे डलवाये, । हम शोषण के आगे नहीं झुके, कैरियर बर्बाद हुआ, नौकरी गई । लेकिन अच्छी सोच को मैंने मरने नहीं दिया और मैंने कसम खाई थी कि --- एक दिन , मैं कुछ ऐसा करूँगा , जिसके कारण ये स्वार्थी लोग , निर्दोष लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज करवाने से पहले डरेंगे । साधारण काम में , हमारी रूचि , कभी भी नहीं रही । हमेशा बड़े काम और असाधारण काम, जिनकों , कई करोड़ों लोगों में से कोई विरला ही , करने की सोच सकता है। चाहे....वो नई दवाई Invent करना हो............., या दुनियाभर के बढ़िया Mouth Organ सिखने हों ,......… या जजों की गड़बड़ी पकड़ना हो ........., या झूठे दहेज़ के मुकदमों को दर्ज करवाने वाले बाप बेटी को सजा करवाने की बात हो ........
अभी हमें , बहुत कुछ करना हैं । हम अभी एक मुकाम पर पहुंचे हैं , जहाँ कभी भी, कोई भी , मेरे माता पिता को ये शिकायत ,नहीं कर सकेगा, कि तुमने अपने बच्चे पर, पढाई के पैसे खर्च किये, मेहनत की , वो बेकार थी । अब हमें पुरा विश्वास है, कि मेरे माता पिता ने अपनी मेहनत की कमाई , ( यानिकि हम ) जो कि देश और समाज को सौंपी थी, वो सार्थक थी । किसी का बच्चा , अपना व्यक्तिगत नुकसान , झेलकर भी, अगर देश , समाज के लिए, कुछ कर जाये........ऐसा भी , कितने लोगों को नसीब होता है .......???
सोच अच्छी हो, तो अच्छे ही काम होंगे, ........!!!
अगर बहुत अच्छी होगी, तो बहुत बड़े काम होंगे......!!!
अगर अवचेतन मन जागृत है, तो दुनिया में अजूबे कहे और माने जाने वाले , काम होंगे ........
देश 19 लाख से ज्यादा वकील, कानून में प्रावधान होते हुए भी, पति परिवार की प्रताड़ना , शोषण , को रोकने के लिए, पत्नी और उसके परिवार वालों के खिलाफ , हिंदुस्तान में कुछ उंगलियों पर गिनने लायक ही मुकदमे, डाले गए हैं। कारण सिर्फ एक है कि -- शरीफ लोगों को जेल भेजने का डर बनाकर, आसानी से मिलने वाली अवैध वसूली का लालच .......,जोकि स्वार्थी लोगों के लालच के चलते , महिला सशक्तिकरण के आड़ में , एक संगठित इंडस्ट्री का रूप ले चुकी है ।
इसीलिए, हमनें अब कुछ तरीके निकाले हैं, जिनके बारे में वकीलों ने , जानबूझकर कुछ भी नहीं किया ।
इस लड़ाई में , बहुत सारे अच्छी सोच वाले, वकील , दोस्त, मेरे रिसर्च के दौरान , inspire करने वाले, मेरे अध्यापक गण , मुसीबत में मेरे साथ देने वाले, मुझसे छोटे, बड़े , कोई भाई सामान , तो कुछ पिता सामान , कोई बहन सामान , तो कोई माता के सामान , सभी का अहम् योगदान रहा है । मुझे विश्वास है कि भविष्य में भी आप सभी का प्यार और आशीर्वाद मिलता रहेगा .......
आपका अपना
Manojj Kr. Vishwakarma ......
Social Activist, RTI Activist and Scientist......

आजतक , पति और उसके परिवार वालों को , महिला सेल, पुलिस अधिकारी, प्रोटेक्शन ऑफिसर, वकील, जज , सभी ने एक पैसा ऎंठने के आसान शिकार के रूप में ही देखा.......

मुझे ये देखकर बड़ा दुःख होता है कि --- हिन्दुस्तान में आजतक , पति और उसके परिवार वालों को , महिला सेल, पुलिस अधिकारी, प्रोटेक्शन ऑफिसर, वकील, जज , सभी ने एक पैसा ऎंठने के आसान शिकार के रूप में ही देखा ..........और हमनें अब इस समस्या के समाधान ढूंढ लिए हैं ........
यही वजह है कि देश 19 लाख से ज्यादा वकील, कानून में प्रावधान होते हुए भी, पति परिवार की प्रताड़ना , शोषण , को रोकने के लिए, पत्नी और उसके परिवार वालों के खिलाफ , हिंदुस्तान में कुछ उंगलियों पर गिनने लायक ही मुकदमे, डाले गए हैं। कारण सिर्फ एक है कि -- शरीफ लोगों को जेल भेजने का डर बनाकर, आसानी से मिलने वाली अवैध वसूली का लालच .......,जोकि स्वार्थी लोगों के लालच के चलते , महिला सशक्तिकरण के आड़ में , एक संगठित इंडस्ट्री का रूप ले चुकी है ।
इसीलिए, हमनें अब कुछ तरीके निकाले हैं, जिनके बारे में वकीलों ने , जानबूझकर कुछ भी नहीं किया ।
जी हाँ ....आप पर अगर आपकी पत्नी और उसके परिवार वालों ने अपनी , मांगें मनवाने और दबदबा बनाकर , अपनी शर्तें मनवाकर, अवैध वसूली की नियत से , दहेज़ प्रताड़ना, गुजारा भत्ता, घरेलु हिंसा के केस डाले हैं तो , .........उनकी अक्ल , ठिकाने लगाने के लिए आप भी , पत्नी और उसके परिवार के लोगों के खिलाफ , ऐसे केस डाल सकते हैं , जिनमें कुछ केस में 5 साल , कुछ में 7 साल की सजा और 95% से ज्यादा मुकदमों में , दोनों अपराध साबित होंगे और उनकी अक्ल , ठिकाने लग जायेगी ।
अगर आपका जबाब हां है , तो अपना नाम जिला और मोबाइल नंबर कमेंट बॉक्स में लिखते चले जाएं ... और इस लड़ाई को लड़ने के लिए , हमारे मुहीम से जुड़ें .......

Friday, 15 April 2016

आइये ...... !!!!! भ्रष्टाचारियों से कुछ सीखें .........

देश के ईमानदार लोगों से अपील........


अगर आपको एकता देखनी  हो,..   तो  बेईमान , चोर, डकैत , गुंडेबदमाश और        भ्र्ष्टाचारियों से सीखें........

भरष्ट  लोगो में अनूठी एकता पाई जाती है . ये लोग जाती, धर्म, वंश और लिंग भेद भुलाकर,   किस प्रकार घपले करने के लिए, देश कि छाती पर मूंग दलने के लिए,.
कंधे से कन्धा मिलाकर,     हर प्रकार से समर्पित रहते हैं....... ???


ऐसे उदहारण आपको देश के कोने -- कोने में मिल जायेंगे ....




आप को  देश के हर मोहल्ले, गावं ,शहर में,    बड़ी आसानी से,   देखने को  मिल जायेंगे........

आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित हैं. .........



Appeal.................
May 16, 2014 at 2:20am
आदरणीय देशवासिओ,
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ज्यादा जानकारी के लिए पढ़ें -----https://www.facebook.com/notes/manojj-vishwakarma/ये-ग्रुप्स-आप-लोगो-कि-सेवा-करते-रहेंगे-हमारी-कोशिश-इनको-और-बेहतर-बनाना-है-/540484442721858
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न्यायपालिका के भ्रष्ट जजों की कामयाबी का राज ,.............. ये नेताओं से भी ज्यादा संगठित ......!!!

न्यायपालिका के भ्रष्ट जजों की कामयाबी का राज ,.............. ये नेताओं से भी ज्यादा संगठित ......!!!

September 6, 2015 at 12:13am
 हिंदुस्तान की न्यायपालिका का एक कडवा सच :


इस समय सब जानते हैं कि --  देश की न्यायपालिका किस  हद तक गिर चुकी है.............???   और भ्रष्ट जज   अवैध वसूली में बेख़ौफ़ होकर व्यस्त हैं. रिटायरमेंट के बाद जुगाड़ लगाकर,  किसी बोर्ड/ आयोग  के चेयरमैन आदि के मलाईदार पद पर काबिज होकर,  जमकर ड्रामेबाजी और नौटंकी कर रहे हैं .
वैसे तो  इस देश के लोगो को मालूम ही नहीं कि--  इन   प्रभावशाली लोगो की शिकायत भी हो सकती है. और यदि कोई पीड़ित  हिम्मत करके,   अगर  इनकी शिकायत कर भी दे,  तो ये भ्रष्ट जज   इतने संगठित हैं कि – किसी जज के खिलाफ,  कभी भी कुछ नहीं  करते .........!!!  

 हाँ.......  दिखावे के लिए,  किसी छोटे कमजोर, बिना शिफारिश वाले किसी व्यक्ति  के ख़िलाफ़,  जरूर कोई कार्यवाही कर देते हैं
 और दिखावा ऐसा करेंगे कि—ये तो भगवान से भी ज्यादा ईमानदार हैं . .................और मौका मिलते   ही,  पैसे लेकर मनमाने फैसले दे देंगे .
और इसी एकता के दम पर न्यायपालिका, ............... दुसरे लोगो को   कुचलने में कामयाब हो रही है  

Appeal.................
May 16, 2014 at 2:20am
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जब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ही गड़बड़ी करें तो हम कहाँ जायें .......???

आदरणीय देशवासियों,
सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायधीश श्री आर ऍम लोढ़ा और वर्तमान मुख्य न्यायधीश श्री एच अल दत्तु के कारनामे देखने के लिए इस लिंक पर जायें ----https://www.facebook.com/notes/mano...

ये दोनों जज व्यक्तिगत रूप से इस फर्जीवाड़े के लिए जिम्मेदार हैं , इसलिए हम भी न्यायिक अत्याचार के पीड़ित लोगों की इस मुहीम में शामिल होंगे ....... `न्यायिक आतंकवाद' के मुख्य अभियुक्त उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री. एच.एल.दत्तु को गिरफ्तार करने के लिये पीड़ित नूर सबा जी के साथ देश के कई पीड़ित https://www.facebook.com/groups/499...
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Prime Minister Office, is more responsible than Chief justice of India ................

Prime Minister Office,   is more responsible than Chief justice of India ...because Supreme Court, denied to disclose the Complaint received against Judges.........

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक आरटीआइ आवेदन के जवाब में जजों के खिलाफ आई शिकायतें सार्वजनिक कर दी हैं। शिकायतों के इस पुलिंदे में पूर्व न्यायाधीशों के साथ कुछ मौजूदा न्यायाधीश भी शामिल हैं।
आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल ने अपने आवेदन में न्यायाधीशों के खिलाफ मिली शिकायतों पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी थी।
आरटीआइ के जवाब में पीएमओ ने शिकायतें तो सार्वजनिक कर दीं, लेकिन की गई कार्रवाई का कोई ब्योरा उपलब्ध नहीं कराया है। हालांकि, जवाब में जजों के नाम सहित उन मामलों का जिक्र भी किया गया है, जिनको लेकर शिकायतें की गई हैं।
आरटीआइ कार्यकर्ता ने एक पूर्व जज का हवाला देते हुए पूछा था कि क्या प्रधानमंत्री या पीएमओ जजों के खिलाफ आने वाली खबरों पर कोई संज्ञान लेते हैं। 

Thursday, 14 April 2016

न्यायपालिका में कई जज बेवकूफ और बेईमान हैं, वहीं देश के बहुत सारे वकील डिग्री तो ले लेते हैं, लेकिन उन्हें कानून की जानकारी ही नहीं होती, इसलिए उन्हें मूर्ख की श्रेणी में रखा जाना चाहिए।


नई दुनिया ब्यूरो, भोपाल। वर्तमान में देश की न्याय व्यवस्था चरमराई हुई है। न सरकार इसे सुधारना चाहती है और न ही जज। कहीं न कहीं सभी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। अधिकतर जज रिटायरमेंट के बाद आर्बिट्रेशन (न्यायिक आयोग, ट्रिब्यूनल आदि में जज) में चले जाते हैं। आर्बिट्रेशन आज एक उद्योग बन चुका है। जिसके जरिए सेवानिवृत जज करोड़ों रुपये कमा रहे हैं। यह बात सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने एक टॉक शो में कही।
वह रविवार को शहीद भवन में ग्लोबल अर्थ सोसाइटी फॉर एन्वायरमेंटल एनर्जी एंड डेवलपमेंट द्वारा आयोजित 'सशक्तिकरण हेतु कानूनी जागरूकता' कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ही चरमराई रहेगी तो भ्रष्ट सरकारों के खिलाफ बोलने वाला भी कोई नहीं होगा। न्यायपालिका में कई जज बेवकूफ और बेईमान हैं। वहीं देश के बहुत सारे वकील डिग्री तो ले लेते हैं, लेकिन उन्हें कानून की जानकारी ही नहीं होती। इसलिए उन्हें मूर्ख की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। यही कारण है कि देश में न्यायपालिका का सिस्टम गड़बड़ाया हुआ है। भूषण से जब यह पूछा गया कि आपके इस बयान का आधार क्या है, तो वे इसका जवाब नहीं दे पाए।

आइये.....!! जाने कि इस देश में दहेज़, गुजारा भत्ता, घरेलु हिंसा के झूठे केस के शिकार, लोग , कानून दुरुपयोग करने वाले और करवाने वाले लोगों के खिलाफ , कुछ क्यों नहीं कर पा रहे ......???

विनम्र निवेदन :--- कृपया केवल वही लोग इस लेख को पढ़ें, ......... जिनका मानसिक स्तर , सच को सच....... देख, सुन और समझने के लायक हों ...... .......!!!
हमारा काम , किसी वर्ग विशेष को खुश करना , नहीं होकर ........., समस्या की जड़ को पकड़कर , उसका समाधान , खोजना है । ताकि निर्दोष लोगों की प्रताड़ना रोकी जा सके
आइये.....!! जाने कि इस देश में दहेज़, गुजारा भत्ता, घरेलु हिंसा के झूठे केस के शिकार, लोग , कानून दुरुपयोग करने वाले और करवाने वाले लोगों के खिलाफ , कुछ क्यों नहीं कर पा रहे ......???
साधन संपन्न होते हुए भी, इन कानून दुरुपयोग पर लगाम क्यों नहीं लग पा रही, झूठे केस करने वालों को , सजा क्यों नहीं हो रही .......????? Part ---l
हमने काफी सोच विचार और अनुभव के बाद ये पाया कि इन कानून दुरुपयोग की मुख्य वजह निम्नलिखित हैं ---
1) हमारे लोगों के दिमाग में फ्री के पैसे जा लालच होना
2) सामाजिक स्तर पर , नैतिकता की कमी और अवैध वसूली को बढ़ावा देने वाले , सरपंच, समाजिक प्रधान, तथाकथित छुटभैये नेता , महिला सेल, तथाकथित महिला सशक्तिकरण की ठेकेदार , समाज सेवी औरतें, प्रोटेक्शन अधिकारी, और पुलिस के अधिकारियों का, अवैध तरीके से मिलने वाले , रुपयों का लालच है ।
3) शुरुआत होती है स्कूल , कॉलेज से,.........
जहाँ पर प्रोटेक्शन अधिकारी ,सरकारी फण्ड के खर्च पर , लड़कियों को ये सिखा रही हैं कि -- झूठे मुक़दमे कैसे दर्ज हो सकते हैं और उनको इस बात पर सजा भी नहीं होगी ........???
4) इसके आलावा आपके गली मोहल्ले में होने वाले मुकदमें , जिसमें निर्दोष लोगों को फंसाया और लड़की वालों को कोई सजा नहीं , हुई,......... इसके कारण , लड़की वालों का दिमाग कुछ ज्यादा ही ख़राब हो रहा है । ये समाज की इतनी बड़ी बुराई है कि हमें अच्छी बातें तो , समझ नहीं आती, लेकिन गलत बात को , हम बहुत जल्दी ही ग्रहण कर लेते हैं ।
5) सामाजिक स्तर पर , हमारी सोच का औरत के प्रति जरूरत से ज्यादा, पक्षकार या तरफदारी का होना ......... और हर बात पर पुरुष में ही, दोष दिखना ......... जैसे किसी परिवार के खिलाफ दहेज़ आदि के केस हो जाएं तो , हम सब कुछ और सच जानते हुए भी यही कहेंगे कि हाँ , कुछ तो किया होगा, ........??? कोई बेटी का बाप केस ऐसे ही थोड़े न करता है ......??? अगर किसी को ये सलाह दो कि कोई आपके खिलाफ ऐसे मुकदमे दर्ज करवा सकता है .....??? तो ये लोग , आपको पागल कहेंगे...... और ये मानने को तैयार ही नहीं , होंगे कि उनकी बहु , भी उनके साथ ऐसा कर सकती है .........???
इसके पीछे बहुत गहरी सोच यह है कि --- अय्याश लोगों को , ऐसी औरतों की तरफदारी से शारीरिक शोषण के लिए एक आसान शिकार , मिल जायेगी ....... दूसरा ये कि हम सदियों से , औरत को सेक्स के नजरिये से देखने के आदि हैं , उसमें हमें बुराई दीखते हुए भी , नहीं दिखती.......!!! वहीँ इसके विपरीत हमें , उस पीड़ित परिवार या उस पति में , सारे दोष दिखेंगे और हम मुफ़्त में , उस पति परिवार पर , प्रधानी का मौका नहीं गवाना चाहते .......
इसके आलावा ये तो इन भगवान शिव जी ने औरतों को वरदान दिया था कि जब तुम आँसू निकलोगी, जब मुस्कान बिखरोगी या फिर झगड़ा करोगी, तो इन परिस्थितियों में पुरुष की बुद्धि काम नहीं करेगी । आप कभी भी , इन बातों को गौर से आजमाना........, आपको ये कड़वा सच का एहसास करवा देंगी ।
6) पुरुष को बचपन से यही सिखाया गया है कि उसने औरत की रक्षा करनी है , चाहे इसके लिए, उसका सब कुछ बर्बाद हो जाये । औरत को घर की इज्जत माना जाता है। और पुरुष इस घर की इज्जत को बचाने के चक्कर में , औरत की जायज और नाजायज मांगों झुक जाता है । इतिहास गवाह कि ज्यादातर राजा महाराजाओं की लड़ाई का मूल कारण , कोई न कोई औरत ही थी ..........
7) इसके आलावा एक और बहुत बड़ा कारण , ये भी है कि पुरुष कितना भी ताकतवर या रुतबे वाला , धन दौलत वाला क्यों न हो ...........??? वो सेक्स यानिकि औरतों की अदाओं के आगे झुक जाता है । हमारे अंदर संयम की कमी है । लाखों में से एक आध को छोड़ दिया जाये तो , बाकि सब के सब औरत के साथ सेक्स के लिए, कुछ भी करने को तैयार रहते है .....??? और इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए, हिंदुस्तानी पुरुष कुछ भी करने को तैयार हो जाता है .......??? आजकल औरतों के जरुरत से ज्यादा, ड्रामे की, ये एक मुख्य वजह है ।
8) माँ बाप इसे सीधे2 न कहकर , घर बसाने या वंश चलाने की बात कह देते हैं । मतलब हमारी सोच ये है कि कोई लड़का अगर पढ़ लिखकर , काम धंधे पर कामयाब है , तो एक सुन्दर सी औरत उसकी जिंदगी में न हो , तो जिंदगी अधूरी है । और इसी चक्कर में , माँ बाप को लड़के की शादी की चिंता , लगी रहती है। और इसके लिए अपनी जिंदगी की सारी कमाई, आभूषण, जेवरात, धन दौलत , सब कुछ लुटाने को तैयार रहते है । ये हमारे , हिन्दुस्तानी संस्कार हैं , जोकि सदियों से हमारे दिल दिमाग में बसे और रचे हुए है ।
9) पहले हमारे बुजुर्ग बेटी को ये कहकर विदा करते थे कि बेटी आज से ससुराल ही तेरा घर है और तू अब इस घर की मेहमान है । तो उस लड़की को जब ये समझ में आ गया कि ये ससुराल ही मेरा घर है, ये ही मेरा परिवार है । तो थोड़े समय बाद लगाव भी अपने आप हो जाता है , और ये सब रीती रिवाज़ बुजुर्गों ने , सोच समझकर ही बनाये थे । आप अपने माता पिता को ही देख लें, उनके समय में कोई बहुत बड़ी, सुख सुविधा , धन दौलत भी नहीं थी , आजकल की तरह शादी से पहले देखते भी नहीं थे , अनबन भी , खूब होती थी । लकिन उनके दिमाग में ये जहर के इंजेक्शन , नहीं लगाये जाते थे कि ससुराल से अवैध वसूली करनी है ।
लकिन , आज के दिन हर लड़की को ये सिखाया जाता है कि एक बार डिग्री ले के, शादी कर ले । फिर तो कोई दिक्कत ही नहीं, गाड़ी भर के बेटी के ससुराल जाकर, उनके माता पिता और परिवार को बेइज्जत करेंगे । फ्री के मस्टंडे टाइप के, सामाजिक प्रधान और सरपंच को अपनी , प्रधानी करने, और उस लड़की के परिवार पर एहसान , करने का मौका मिल गया । और उस बेटी के बाप को ये लगा कि ये दुनिया तेरे और तेरी बेटी के हाथ में आ गई ..........!!! लकिन उनको ये नहीं मालूम कि ये लोग तो मजे लेकर अपने2 घर चले जायेंगे, अब भुगतना तो तुम्हें ही है । ये रिश्तों में दरार डालने और अवैध वसूली की बहुत बड़ी इंडस्ट्री है ........
10) पति हो या पिता हो वो तो सदियों से कमाता आया है। परिवार के लिए अपना सब कुछ समर्पित करता आया है । लेकिन औरतों ने जब से थोडा पैसा क्या कमाना शुरू क्या कर दिया कि बात 2 पर , नखरे शुरू हो गए ...??? और कार्यस्थल पर भी , पुरुषों की सोच , औरत की तरफदारी की रही , तो उस औरत जिसको अपनी अदाओं का इस्तेमाल करना आता है , उनको पद , पदोन्नति या सैलरी जल्दी ही , क़ाबलियत से ज्यादा और जल्दी मिल जाती है और जो शरीफ और ईमानदार औरतें होती हैं , वो इस दौड़ में बहुत पिछड़ जाती है । अगर पुरुष भी ऐसे ही करने लग गए तो ...........???
11) अब इन लोगों ने , यानिकि महिला सेल, पुलिस , सरपंच , सामाजिक प्रधान , तथाकथित महिला सशक्तिकरण की ठेकेदार समाजसेवी औरतें , और निम्न स्तर के जमीर, वाले वकील भाई , इन लोगों ने इन बातों का फायदा कैसे उठाना है ये समझा और अवैध वसूली के लिए सबने अपने कदम से कदम मिलाकर , जी जान से , मेहनत करते हुए, गठजोड़ किया और बन गई,........थोडा सा नाटक करके और करवाकर , बढ़िया कमाई और एक बड़ी कमाई करने की इंडस्ट्री ...........
जिसमें हमारे जैसे शरीफ और खाते पीते, लोगों को उलझा कर , पूरे परिवार के लोगों को जेल भेजने का डर बनाकर, उनका शोषण ( शारीरिक, मानसिक , आर्थिक) , ठीक उसी प्रकार से किया जाता है , जिस प्रकार गन्ने का जूस निकालने की मशीन में, गन्ने का रस निकालकर, छिलके छोड़ दिए जाते हैं और जूस , ये कसाई लोग, पी जाते है ।
शेष जानकारी , अगले लेख में ........
आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित हैं .........
आइये ....... !! जाने , दहेज़ कानून, गुजारा भत्ता , घरेलु हिंसा कानून दुरुपयोग , रोकने में विफल रहने के कारण ....... Part ---ll
अभी तक तो हमने सामाजिक कारण गिनवाये थे , अब हम कानूनी और सरकारी फण्ड से पोषित , कारणो से अवगत करवा रहे हैं ।
12) इन मुकदमों में सबसे पहले भूमिका आती है, महिला सेल की , जिसमें ज्यादातर औरतें खुद इस तरह की होती हैं , जिनका इतिहास कलंकित होता है । दिखावे में सुलह और घर बसाने के ड्रामे, लेकिन पर्दे के पीछे से वकील के सिखाये हुए , नाटक.........। इस समय लड़की और उसके बाप का दिमाग , सातवें आसमान पर होता है । क्योंकि उनको लगता है कि देख़ो , कितना बढ़िया काम है, पुलिस, सरपंच, सामाजिक प्रधान, रिश्तेदार , महिला सेल, SP, DSP, प्रोटेक्शन अधिकारी , सब के सब तुम्हारी तरफ हैं, और लड़के वालों की तो एक नहीं चलने दी ........ शहर लड़की के खुद का, आरोप लड़के वालों और कि --प्रभावशाली लोग हैं, मुकदमे को प्रभावित कर रहे हैं । विधायक / सांसद / नेता भी अपने वोट बैंक के चक्कर में, पुलिस पर लड़की पक्ष में ही कार्यवाही करने की शिफारिश कर देते है ।
कुल मिलाकर , इन सब का उद्देश्य होता है --- किसी भी प्रकार से मुकदमे दर्ज करवाना........ फिर ये ड्रामा किया जायेगा कि : -- कुछ तो किया होगा, केस ऐसे ही दर्ज थोड़े न हो गया .......???
..महिला आयोग इन झूठे आकड़ों पर ड्रामे करते रहते हैं कि ---- देखिए ....महिलाओं पर कितनें अत्याचार हो रहे है ........???
13) मुकदमा दर्ज एक या दो दिन की जेल, जमानत पर रिहाई .......और अब समझौते के नाटक शुरू....... जब लड़के या उसके परिवार के लोगों को पुलिस, गिरफ्तार करती है, उस समय तो लड़की और उसके घर वालों का दिमाग, हवा में होता है । जेल जाने के बाद , नफरत भर दी, अब तो घर बसेगा ही नहीं, । दरअसल इस खेल में अवैध वसूली के लालच में, उपरोक्त सभी लोगों की भूमिका का एक ही उद्देश्य होता है कि किसी तरह लड़के को जेल हो जाये, फिर लड़की के घर वाले तुम्हारे चक्कर काटेंगे । समझौता होगा, तो दलाली बनेगी .....
14) अब वकीलों की कमाई शुरू , कोर्ट के नाटक , जिसमे लड़की फिर इतराती है, यहाँ तक कि लड़की और उसके परिवार के लोग , मारा पिटी करने से भी नहीं चूकते ......लड़की के माँ बाप इतराते हुए कहेंगे कि देख गुजारा भत्ता तो मै ले ही लूंगी ।
15) पति परिवार पर 4 मुकदमे लग गए, उनकी तारीख भुगतने के लिए , अपने काम धंधे छोड़कर , दूसरे शहर में तारीख भुगतने जाना.......ऊपर से कोर्ट कचेरी के खर्चे बढ़ गए ।
16) अब वकीलों की भूमिका और बढ़ गई , और जजों के ड्रामे भी ...... क्योंकि जज और वकील की भी मानसिकता भी, औरत की ही , तरफदारी करने की है । वकीलों को तो पहले से ही, मालूम होता है कि मुकदमे दर्ज होने के बाद, तो लड़की हो या लड़का , उनको केस लड़ने के लिए , आना तो हमारे पास ही है । और हर बार किसी न किसी बहाने , (कि ये जबाब देना, वो जबाब देना, ) से पार्टी से पैसे वसूली , करते रहेंगे ।
17) कानून , व्यवस्था का हर अंग ( पुलिस, महिला सेल, महिला आयोग, कोर्ट, जज , वकील ), सामाजिक स्तर पर , औरत को जब इतने भाव मिलेंगे तो फिर उसका क्या कसूर .......??? कहीं पर जब भी कोई बात , औरत के खिलाफ जाये, या कोई व्यक्ति न्याय के लिए , निष्पक्ष कार्यवाही करने की कोशिश करे तो, उसकी झूठी शिकायत , करवा दो कि ये तो लड़के वालों से मिले हुए हैं ।
18) कभी जमानत , तो कभी anticepatory बैल के नाम पर, तो कभी घर वालों के नाम कटवाने के नाम पर , तो कभी हाई कोर्ट, सेशन कोर्ट में अपील के नाम पर, लड़के के परिवार का , जमकर शोषण और वकीलों की कमाई ...... क्योंकि हम शरीफ लोग हैं जिनकी कोई अपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है । इसलिए, जेल का डर , दिखा कर मोटा पैसा वसूली कर जाते हैं । और पहले 1 साल में ही , लड़के वालों को जमकर चूस लिया जाता है , ताकि वे कमजोर हो जाएं और लड़ाई लड़ने के काबिल ही नहीं बचें ।
19) मैंने तो यहाँ तक देखा है कि --- गुजारा भत्ता के केस में, वकीलों द्वारा कोर्ट में सही तथ्य नहीं, रखने के कारण, कई पतियों के खिलाफ , Conditional Warrant जारी हो गए और उनको बेक़सूर होते हुए भी , जेल भेजकर प्रताड़ित करवाया गया। कोर्ट में लड़के पक्ष वकील का, लड़की पक्ष से मिलकर, मुकदमें ख़राब करना, या उनमें कोर्ट में सही तथ्यों को नकार देना । इन सब सांठ गांठ के कारण ,निर्दोष लोगों का जम कर , शोषण हो रहा है।
20) झूठे मुकदमों के कारण , कई लोगों की नौकरी गई, कैरियर बर्बाद हुआ, बुजुर्ग तो सामाजिक शर्म के मारे, इस दुनिया से अलविदा ही हो गए । अत्यधिक दबाब के चलते तथा किसी भी तरफ से कोई सहारा न मिलने, और कदम2 पर प्रताड़ना के चलते, युवा भी आत्महत्या करने को मजबूर हैं । पिछले कुछ महीनों में, जो औरतों से सम्बंधित मामले , मीडिया में हम देख रहे हैं । वे तो माँ की ममता को शर्मसार करते हुए और औरत के उस रूप से अवगत करवा रहे हैं , जिसकी कल्पना , हमारे बुजुर्गों ने भी नहीं , की थी ।
21) इस लंबी और थका देने वाली, लड़ाई में ज्यादातर लोग तो पैसे देकर, लड़की वालों के हौसले बुलंद कर देते हैं । कोई अपवाद ही, इस जंग में लड़ने की हिम्मत कर पाता है , और ऐसे ही लोग इतिहास रचते हैं ।
वर्तमान में कानून दुरुपयोग जरूरत से ज्यादा हो गया है, क्योंकि यहाँ पर आसानी से , अच्छी कमाई हो जाती है .......सरकार को भी सब कुछ मालूम होते हुए भी, जानबूझकर कुछ नहीं करना ....... और वोट बैंक को खुश करने की नियत से महिला सशक्तिकरण के ड्रामे के कारण, न केवल परिवार टूट रहे हैं, बल्कि बच्चों की परवरिश पर भी गलत असर हो रहा है ।
लेकिन, डरना और शोषण के लिए, रास्ते खोलना, घुट2 कर जीना, कोई समाधान नहीं है । कुत्ते बिल्ली भी, इतने ख़राब हालातों पर , विद्रोह कर देते हैं ,और हम ईन्सान होते हुए भी, इतने कायर, डरपोक, दब्बू, और नकली हो गए हैं कि हमारा जमीर तो जैसे-- है ही नहीं, पाकिस्तान वाले छीनकर ले गए हों ।
बहुत हो चूका .........इसलिये, अब उठो, अन्याय और अत्याचार के खिलाफ, संगठित होकर , लड़े...... आप हमारे साथ आएं, हम आपको इन मुकदमों से लड़ने के तरीके समझायेंगे ,..........अगर आप की अंतरात्मा इस नेक काम के लिए गवाही दे , अगर आप अपने माता पिता जो की अभी इस दुनिया में हैं और वे भी जो इस प्रताड़ना के चलते , दुनिया से चल बसे .......उनकी भावनाओं की थोड़ी से भी कद्र है, अपनी भावी पीढ़ियों की थोड़ी भी चिंता है , तो इस मुहिम में साथ दे ......अभी तक आपने कई संस्थाओं के , मुफ़्त की मदद के नाम पर ड्रामे देखे, लेकिन मुकदमों का समाधान मिला क्या ......??? उन्होंने कितने बाप बेटी को सजा करवाई ........???
भवदीय
देश का एक जिम्मेदार नागरिक.....
नोट : -- इस लेख के माध्यम से हमने आपके सामने , कड़वे सच रखने की कोशिश की है । खूब प्रयास के बावजूद भी हो सकता है , कोई कमी रह गई हो, कोई मुद्दा छुट गया हो, ।
आपके विचार में ऐसा कोई सुझाव या कोई प्रतिक्रिया हों , तो आप सादर आमंत्रित हैं ........

हम कई बार ये सोचकर परेशान हो जाते हैं कि --आखिर झूठे दहेज़, घरेलु हिंसा, गुजारा भत्ता के मुकदमों के पीड़ित...............


हम कई बार ये सोचकर परेशान हो जाते हैं कि --आखिर झूठे दहेज़, घरेलु हिंसा, गुजारा भत्ता के मुकदमों के पीड़ित पति परिवार, जोकि कई लाखों की गिनती से , करोड़ की संख्या को छु रहे है, साधन संपन्न भी हैं । लेकिन फिर भी , अंदर से इतने डरपोक, कमजोर, और नकली हो गए हैं कि --- वे इन कानून के दुरुपयोग, करने और करवाने वाले , कमीने, नकली, भृष्ट, दलाल, अय्याश लोगों का , स्थाई समाधान निकलने के लिए कुछ सार्थक कर सकें ...........???
आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित हैं ....

डॉ. आंबेडकर जी, इस देश को कैसा संविधान दे गये .....???


डॉ. आंबेडकर जी, इस देश को कैसा संविधान दे गये .....???
जिसकी जिम्मेदारी कानून बनाने की है वे खुद ही अनपढ़ / नाकाबिल और अपराधी हैं.......???
जिनकी जिम्मेदारी संविधान के प्रावधानों की रक्षा करने की है , यानि की न्यायपालिका , वे ही इस देश में संविधान का , सबसे ज्यादा, मजाक बना रहे हैं ......???
न्याय बिक रहा है , जज ही न्याय को अन्याय में बदलने में व्यस्त है। निर्दोष को बनाया जाता है, अपराधी और अपराधी हो जाता है बरी........
पीड़ित लोग मानसिक रूप से इतने गुलाम हो चुके हैं , कि अन्याय और अत्याचार के खिलाफ, कुछ करने को तैयार ही नहीं.........??? सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश ही , संविधान का मजाक उड़ाते हैं , और शपथ लेते है ---संविधान की रक्षा करने की .........
तथाकथित आज़ादी के 69 साल बाद भी , इस देश में छुआछूत जारी है , सरकारी कॉलेज में दलित छात्रों को अलग कक्षा में बिठाया जाता है, गावँ में हरिजन चौपाल , पिछड़ा चौपाल, और सामान्य यानि की दबंग लोगों के लिए चौपाल ही अलग2 हैं । जब हम इकठ्ठा बैठेंगे ही नहीं, तो भाईचारा, सामाजिक सौहार्द, समानता की भावना कहाँ से आएगी .......??? जमीनी स्तर पर भेदभाव कैसे ख़त्म होगा ..........
कृपया , करके हमें कुछ समझाओ कि आपने इतनी प्रताड़ना सहते हुए भी, अन्याय के खिलाफ , संघर्ष कैसे जारी रखा ...........??? ताकि इस देश के नकली , डरपोक, और दब्बू पीड़ित , जोकि कानून दुरुपयोग के शिकार हैं , उनको जगाया जा सके ..........???
भवदीय
देश का एक जिम्मेदार नागरिक, .......

Wednesday, 13 April 2016

न्यायपालिका से अब 1% लोगों को भी न्याय नहीं मिलता: प्रशांत भूषण Monday, April 11, 2016

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कानूनी जागरुकता के लिए देश में बड़े आंदोलन की जरूरत है : प्रशांत भूषण
प्रशांत भूषण (फाइल फोटो)
भोपाल: देश के जाने माने वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि देश की न्यायिक व्यवस्था चरमराई हुई है। उन्होंने कहा, इसे सुधारने के लिए देश में कानूनी जागरुकता के साथ-साथ सामाजिक जागरुकता का एक बड़ा आंदोलन चलाना होगा।

प्रशांत भूषण ने रविवार को भोपाल में एक टॉक शो में कहा, 'देश में न्यायपालिका एक बहुत ही अहम संस्थान है। देश की न्यायिक व्यवस्था चरमराई हुई है। इसे सुधारने के लिए देश में एक बड़ा आंदोलन चलाना होगा।'

उन्होंने कहा कि देश में उच्च स्तर पर न्यायपालिका की कोई जवाबदेही नहीं है। सरकार और न्यायपालिका से स्वतंत्र ऐसी कोई संस्था नहीं है, जहां न्यायपालिका की शिकायत की जा सके। इस वजह से न्याय व्यवस्था में भ्रष्टाचार भी खूब पनप रहा है।

उन्होंने कहा कि देश में कानूनी जागरुकता जरूरी है और सरकार के खिलाफ तो आप न्यायालय में जा सकते है। लेकिन अदालत की प्रणाली गड़बड़ाई हुई है और वहां आपकी सुनवाई नहीं होती है। लंबी-लंबी तारीखें मिलती हैं। इसलिए देश में कानूनी जागरुकता के साथ-साथ न्याय व्यवस्था के प्रति सामाजिक जागरुकता लाना भी जरूरी है।

उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में अन्ना हजारे के नेतृत्व में एक बड़ा आंदोलन चलाया गया। उसी प्रकार देश की न्याय व्यवस्था के प्रति सामाजिक जागरुकता के लिए एक बड़ा आंदोलन चलाना होगा।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

भोपाल। देश के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में जैसे बड़ा आंदोलन चला था, वैसे ही न्यायिक सुधारों के लिए भी देश में बड़े आंदोलन की जरूरत है। टॉक शो में पर्यावरणविद सुभाषचंद्र पांडे भी थे। भूषण ने आगे कहा कि न्यायपालिका से संभवत: एक फीसदी लोगों को भी न्याय नहीं मिल रहा। देश में 80 फीसदी लोग तो ज्युडिशियरी को अप्रोच ही नहीं कर पाते। यदि वकील कर भी लिया तो भी तारीख ही मिलती रहती है। 
व्यापमं का केस फ्री में लड़ूंगा
प्रशांत भूषण ने मप्र के व्यापमं घोटाले को बड़ी गड़बड़ी बताते हुए कहा कि इस मामले में व्हिसल ब्लोअर्स ने जितनी पिटीशन (याचिका) लगाई हैं, वो मुझसे मिलें। मैं पहले भी डॉ. आनंद राय के साथ अपीयर हो चुका हूं। वे चाहेंगे तो मैं उनका केस मुफ्त में लडूंगा। भूषण रविवार को भोपाल में थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ न्यायिक व्यवस्था पर भी तीखे कटाक्ष किए।
न्यायिक व्यवस्था ध्वस्त
सीड संस्थान के टॉक-शो और मप्र राज्य स्वराज अभियान सम्मेलन की संगोष्ठी 'वर्तमान चुनौतियां : विकल्प राजनीति' में उन्होंने कहा कि कई तारीखों के बाद आखिर में जब केस तय हो जाता, तब भी इस बात की ज्यादा गुंजाइश होती है कि वो गलत तय हुआ हो। रिटायरमेंट के बाद ज्यादातर जजेज आर्बिटेशन करने लगे हैं। इसी से कमा रहे हैं। आर्बिट्रेशन इंडस्ट्री तब चलती है, जब न्यायिक व्यवस्था ध्वस्त हो। यही वजह है कि पावरफुल लोग चाहे वे सरकार में हो या ज्युडिशियरी में, वे नहीं चाहते कि न्यायिक व्यवस्था ठीक हो। 
- See more at: http://www.bhopalsamachar.com/2016/04/1_11.html#sthash.MeckhNvL.O9YxX1zB.dpuf
भोपाल। देश के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में जैसे बड़ा आंदोलन चला था, वैसे ही न्यायिक सुधारों के लिए भी देश में बड़े आंदोलन की जरूरत है। टॉक शो में पर्यावरणविद सुभाषचंद्र पांडे भी थे। भूषण ने आगे कहा कि न्यायपालिका से संभवत: एक फीसदी लोगों को भी न्याय नहीं मिल रहा। देश में 80 फीसदी लोग तो ज्युडिशियरी को अप्रोच ही नहीं कर पाते। यदि वकील कर भी लिया तो भी तारीख ही मिलती रहती है। 
व्यापमं का केस फ्री में लड़ूंगा
प्रशांत भूषण ने मप्र के व्यापमं घोटाले को बड़ी गड़बड़ी बताते हुए कहा कि इस मामले में व्हिसल ब्लोअर्स ने जितनी पिटीशन (याचिका) लगाई हैं, वो मुझसे मिलें। मैं पहले भी डॉ. आनंद राय के साथ अपीयर हो चुका हूं। वे चाहेंगे तो मैं उनका केस मुफ्त में लडूंगा। भूषण रविवार को भोपाल में थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ न्यायिक व्यवस्था पर भी तीखे कटाक्ष किए।
न्यायिक व्यवस्था ध्वस्त
सीड संस्थान के टॉक-शो और मप्र राज्य स्वराज अभियान सम्मेलन की संगोष्ठी 'वर्तमान चुनौतियां : विकल्प राजनीति' में उन्होंने कहा कि कई तारीखों के बाद आखिर में जब केस तय हो जाता, तब भी इस बात की ज्यादा गुंजाइश होती है कि वो गलत तय हुआ हो। रिटायरमेंट के बाद ज्यादातर जजेज आर्बिटेशन करने लगे हैं। इसी से कमा रहे हैं। आर्बिट्रेशन इंडस्ट्री तब चलती है, जब न्यायिक व्यवस्था ध्वस्त हो। यही वजह है कि पावरफुल लोग चाहे वे सरकार में हो या ज्युडिशियरी में, वे नहीं चाहते कि न्यायिक व्यवस्था ठीक हो। 
- See more at: http://www.bhopalsamachar.com/2016/04/1_11.html#sthash.MeckhNvL.O9YxX1zB.dpuf

जिस देश में ऐसा भ्रष्ट और चोर किस्म का आरोपी व्यक्ति मुख्य न्यायधीश के पद पर बैठ जाता हो उस देश के निचली अदालतों मे आप न्याय की आशा कर सकते हैं क्या?

जिस देश में ऐसा भ्रष्ट और चोर किस्म का आरोपी व्यक्ति मुख्य न्यायधीश के पद पर बैठ जाता हो उस देश के निचली अदालतों मे आप न्याय की आशा कर सकते हैं क्या?

Judicial System Has collasped.............

http://www.ndtv.com/india-news/judicial-system-has-collapsed-alleges-prashant-bhushan-1378464
Judicial System Has Collapsed, Alleges Prashant Bhushan
NDTV - All India | Press Trust of India | Updated: April 10, 2016 22:22 IST
BHOPAL: Claiming that the Indian judicial system has "collapsed", noted lawyer and activist Prashant Bhushan today said a big social movement is needed to improve the functioning of the judicial apparatus.
"Judiciary is an important institution... but the judicial system has collapsed. A big movement is needed to improve it," he said at a talk show Bhopal.
"There is no institution free of government and judiciary (control) where a complaint against the judiciary can be lodged. Due to this, corruption is thriving," he alleged.
"You can take the government to court but the system there has collapsed. You are not heard and cases drag. So, along with legal awareness, social awareness is also needed to improve the system," said the 59-year-old lawyer-activist, the founder of the outfit, 'Swaraj Abhiyan'.
Mr Bhushan said it is unfortunate that people in the judiciary and the government do not want change and "seem happy" with the status quo.
He claimed the government wants a "collapsed" judicial system so that there is no safeguarding of the fundamental rights of the people.
"If the judicial system is strong and successful, the government will be bound to respect the basic rights," he said.
Targeting RSS, Mr Bhushan said it was "saffronising" the education system and "poisoning" the minds of students against minorities.
"We should oppose this tooth and nail," he said. Ninety-nine per cent of the villages in India do not have MBBS doctors, he also said as he called for a new cadre of physicians to be raised to cater to healthcare needs in the rural areas.
Mr Bhushan also alleged that the AAP government in Delhi was using public money on its advertisements.

जो कानून नहीं, जानते, उन्हें भी मिल जाती है लॉ ( LLB)की डिग्री ........

Read the link for details--http://m.jagran.com/news/national-arbitration-become-a-industry-for-retired-judges-prshant-bhusan-13850442.html

Copy of Memorandum sent to Prime minister through DC , Ludhiana . For Judicial Accountability Bill .

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चंडीगढ़ हाई कोर्ट के जज श्री फ़तेह दीप सिंह को,......... ऐतिहासिक कदम उठाने के लिए,........ . हार्दिक धन्यवाद .........!!!

रेवाड़ी हरियाणा के CJM के खिलाफ हाई कोर्ट चंडीगढ़ के जज ने अदालत की अवहेलना तथा विभागीय कार्यवाही के दिए निर्देश .........
इन जज साहब के कोर्ट में , हम भी एक बार अपने केस के सिलसिले में गए थे। ये बात को सुनते और समझते भी हैं । इससे जज की संवेदनशीलता का पता लगता है ।
वैसे ये एक अच्छी शुरुआत है। वर्ना चंडीगढ़ हाई कोर्ट दो राज्यों का हाई कोर्ट, मतलब दुगने जज, लकिन लैंडमार्क फ़ैसले , बिलकुल नहीं .......!!!
ऐसे कदम उठाने से , निचली कोर्ट के जज कानून दुरूपयोग करने से पहले , चार बार सोचेंगें और लोगों का न्यायपालिका पर विश्वास , बना रहेगा ।

Judge Suicide, 5 Judges arested.for Torture ......................

अमरावती

अमरावती पुलिस ने पांच जजों पर अपने ही साथी एक जज को खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है। केस अमरावती जिले के चंदूर पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया गया है। पिछले 6 मार्च को सिविल जज सीनियर डिविजन अनूप जवालकर ने ट्रेन के नीचे आकर अपनी जान दे दी थी।

मरने से पहले जज अनूप ने सूइसाइड नोट भी लिखा। इसमें कई वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों सहित जिले के एक सीनियर जज को इसके लिए दोषी ठहराया था। पुलिस स्टेशन इंचार्ज गिरीश बोबाडे ने बताया कि सूइसाइड नोट में यवतमाल के जिला जज डीआर श्रीसाव, लीगल सर्विस अथॉरिटी के सदस्य एसएम अगरकर, यवतमाल के सीनियर सिविल जज डीएन खड़से, यवतमाल चीफ जूडिशल मैजिस्ट्रेट आरपी देशपांडे और सीनियर सिविल जज एचएल मानवर का नाम है।

पुलिस को यह सूइसाइड नोट अनूप जवालकर के दरवहा स्थित सरकारी आवास से मिला है। पहले भी आशंका जताई जा रही थी कि अनूप जवालकर की खुदकुशी के पीछे की वजह मानसिक प्रताड़ना और आंतरिक राजनीति हो सकती है।

हमारे यहाँ तो रोज अप्रैल फूल मनाया जाता है........











...
आइये ......!!! जाने कैसे.........???
हम आपको , आपके जिंदगी से जुड़े , कुछ मुद्दों की तरफ आपका ध्यान ले जाना चाहते हैं । मुझे विश्वास है कि ये वो कड़वे सच हैं , जो आपको सोचने को मजबूर करेंगे ।
आज का दिन अप्रैल फूल के नाम से दुनियाभर में मशहूर है । हमारे देश में तो लोगों की मजबूरी, का फ़ायदा उठाकर , रोज़ाना ही उनका अप्रैल फूल बनाया जाता है । जैसे कि : ---
1) नेता का वोटर को, झूठे सपने दिखाकर,
2) कोर्ट , जज और वकील द्वारा , पीड़ित को न्याय का झूठा सपना दिखाकर,
3) गरीब मजदूर को, बच्चों की उच्च शिक्षा का सपना दिखाकर
4) अमीर और गरीब के बीच की खाई के कारण, होने वाले भेदभाव ख़त्म करने , का सपना दिखकर,
5) संविधान के अनुसार सबको बराबरी, सबको न्याय दिलवाने के , झूठे सपने दिखाकर ,
6) हिन्दुस्तान अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद हुआ, इस बात के झूठे सपने दिखाकर,
7) जेल में बन्द कैदी, गरीब और मजबूर पीड़ित को, लीगल ऐड से सरकारी वकील की सहायता का झूठा सपना दिखाकर,
8) निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या करने वाले आतंकवादी और देशद्रोह करने वाले को , देशभक्त बनाते हुए, देशभक्ति का झूठा आवरण रचकर,
9) गरीब को, सरकारी हॉस्पिटल में अच्छी स्वास्थ्य सेवा का झूठा सपना दिखाकर,
10) हिन्दुस्तान को जापान, बनाने का सपना दिखाकर ,
11) बेरोजगार को रोजगार , मिलने का झूठा सपना दिखाकर .
12) झूठे केस की प्रताड़ना के शिकार, पीड़ित को अन्याय से मुक्ति , दिलवाने का झूठा सपना दिखाकर ,
13) महिला कानून दुरूपयोग के कारण, प्रताड़ित बुजुर्गों, युवा और दूसरे सदस्यों के नुकसान की भरपाई , का सपना दिखाकर,
14) देश के भविष्य यानि की परवरिश को , (झूठे महिला कानून दुरूपयोग के कारण ), तहस नैष करके , उनके भविष्य को बर्बाद कर्के , भी भारतीय संस्कृति की रक्षा करने का सपना दिखाकर,
15) लालची, स्वार्थी, कामचोर, और चरित्रहीन औरतों से झूठे केस करवाकर, उनको नकली सशक्तिकरण के माध्यम से , समाज से अलग- थलग करते हुऐ , और कुँए में फंसाकर, ताकतवर बनाने का सपना दिखाकर

अगर आप इन बातों से सहमत हों , तो इस सच को ज्यादा से ज्यादा , जानकर लोगों तक पहुँचाने का कष्ट करें ।