विनम्र निवेदन :--- कृपया केवल वही लोग इस लेख को पढ़ें, ......... जिनका मानसिक स्तर , सच को सच....... देख, सुन और समझने के लायक हों ...... .......!!!
आइये.....!! जाने कि इस देश में दहेज़, गुजारा भत्ता, घरेलु हिंसा के झूठे केस के शिकार, लोग , कानून दुरुपयोग करने वाले और करवाने वाले लोगों के खिलाफ , कुछ क्यों नहीं कर पा रहे ......???
साधन संपन्न होते हुए भी, इन कानून दुरुपयोग पर लगाम क्यों नहीं लग पा रही, झूठे केस करने वालों को , सजा क्यों नहीं हो रही .......????? Part ---l
हमने काफी सोच विचार और अनुभव के बाद ये पाया कि इन कानून दुरुपयोग की मुख्य वजह निम्नलिखित हैं ---
1) हमारे लोगों के दिमाग में फ्री के पैसे जा लालच होना
2) सामाजिक स्तर पर , नैतिकता की कमी और अवैध वसूली को बढ़ावा देने वाले , सरपंच, समाजिक प्रधान, तथाकथित छुटभैये नेता , महिला सेल, तथाकथित महिला सशक्तिकरण की ठेकेदार , समाज सेवी औरतें, प्रोटेक्शन अधिकारी, और पुलिस के अधिकारियों का, अवैध तरीके से मिलने वाले , रुपयों का लालच है ।
3) शुरुआत होती है स्कूल , कॉलेज से,.........
जहाँ पर प्रोटेक्शन अधिकारी ,सरकारी फण्ड के खर्च पर , लड़कियों को ये सिखा रही हैं कि -- झूठे मुक़दमे कैसे दर्ज हो सकते हैं और उनको इस बात पर सजा भी नहीं होगी ........???
4) इसके आलावा आपके गली मोहल्ले में होने वाले मुकदमें , जिसमें निर्दोष लोगों को फंसाया और लड़की वालों को कोई सजा नहीं , हुई,......... इसके कारण , लड़की वालों का दिमाग कुछ ज्यादा ही ख़राब हो रहा है । ये समाज की इतनी बड़ी बुराई है कि हमें अच्छी बातें तो , समझ नहीं आती, लेकिन गलत बात को , हम बहुत जल्दी ही ग्रहण कर लेते हैं ।
5) सामाजिक स्तर पर , हमारी सोच का औरत के प्रति जरूरत से ज्यादा, पक्षकार या तरफदारी का होना ......... और हर बात पर पुरुष में ही, दोष दिखना ......... जैसे किसी परिवार के खिलाफ दहेज़ आदि के केस हो जाएं तो , हम सब कुछ और सच जानते हुए भी यही कहेंगे कि हाँ , कुछ तो किया होगा, ........??? कोई बेटी का बाप केस ऐसे ही थोड़े न करता है ......??? अगर किसी को ये सलाह दो कि कोई आपके खिलाफ ऐसे मुकदमे दर्ज करवा सकता है .....??? तो ये लोग , आपको पागल कहेंगे...... और ये मानने को तैयार ही नहीं , होंगे कि उनकी बहु , भी उनके साथ ऐसा कर सकती है .........???
इसके पीछे बहुत गहरी सोच यह है कि --- अय्याश लोगों को , ऐसी औरतों की तरफदारी से शारीरिक शोषण के लिए एक आसान शिकार , मिल जायेगी ....... दूसरा ये कि हम सदियों से , औरत को सेक्स के नजरिये से देखने के आदि हैं , उसमें हमें बुराई दीखते हुए भी , नहीं दिखती.......!!! वहीँ इसके विपरीत हमें , उस पीड़ित परिवार या उस पति में , सारे दोष दिखेंगे और हम मुफ़्त में , उस पति परिवार पर , प्रधानी का मौका नहीं गवाना चाहते .......
इसके आलावा ये तो इन भगवान शिव जी ने औरतों को वरदान दिया था कि जब तुम आँसू निकलोगी, जब मुस्कान बिखरोगी या फिर झगड़ा करोगी, तो इन परिस्थितियों में पुरुष की बुद्धि काम नहीं करेगी । आप कभी भी , इन बातों को गौर से आजमाना........, आपको ये कड़वा सच का एहसास करवा देंगी ।
6) पुरुष को बचपन से यही सिखाया गया है कि उसने औरत की रक्षा करनी है , चाहे इसके लिए, उसका सब कुछ बर्बाद हो जाये । औरत को घर की इज्जत माना जाता है। और पुरुष इस घर की इज्जत को बचाने के चक्कर में , औरत की जायज और नाजायज मांगों झुक जाता है । इतिहास गवाह कि ज्यादातर राजा महाराजाओं की लड़ाई का मूल कारण , कोई न कोई औरत ही थी ..........
7) इसके आलावा एक और बहुत बड़ा कारण , ये भी है कि पुरुष कितना भी ताकतवर या रुतबे वाला , धन दौलत वाला क्यों न हो ...........??? वो सेक्स यानिकि औरतों की अदाओं के आगे झुक जाता है । हमारे अंदर संयम की कमी है । लाखों में से एक आध को छोड़ दिया जाये तो , बाकि सब के सब औरत के साथ सेक्स के लिए, कुछ भी करने को तैयार रहते है .....??? और इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए, हिंदुस्तानी पुरुष कुछ भी करने को तैयार हो जाता है .......??? आजकल औरतों के जरुरत से ज्यादा, ड्रामे की, ये एक मुख्य वजह है ।
8) माँ बाप इसे सीधे2 न कहकर , घर बसाने या वंश चलाने की बात कह देते हैं । मतलब हमारी सोच ये है कि कोई लड़का अगर पढ़ लिखकर , काम धंधे पर कामयाब है , तो एक सुन्दर सी औरत उसकी जिंदगी में न हो , तो जिंदगी अधूरी है । और इसी चक्कर में , माँ बाप को लड़के की शादी की चिंता , लगी रहती है। और इसके लिए अपनी जिंदगी की सारी कमाई, आभूषण, जेवरात, धन दौलत , सब कुछ लुटाने को तैयार रहते है । ये हमारे , हिन्दुस्तानी संस्कार हैं , जोकि सदियों से हमारे दिल दिमाग में बसे और रचे हुए है ।
9) पहले हमारे बुजुर्ग बेटी को ये कहकर विदा करते थे कि बेटी आज से ससुराल ही तेरा घर है और तू अब इस घर की मेहमान है । तो उस लड़की को जब ये समझ में आ गया कि ये ससुराल ही मेरा घर है, ये ही मेरा परिवार है । तो थोड़े समय बाद लगाव भी अपने आप हो जाता है , और ये सब रीती रिवाज़ बुजुर्गों ने , सोच समझकर ही बनाये थे । आप अपने माता पिता को ही देख लें, उनके समय में कोई बहुत बड़ी, सुख सुविधा , धन दौलत भी नहीं थी , आजकल की तरह शादी से पहले देखते भी नहीं थे , अनबन भी , खूब होती थी । लकिन उनके दिमाग में ये जहर के इंजेक्शन , नहीं लगाये जाते थे कि ससुराल से अवैध वसूली करनी है ।
लकिन , आज के दिन हर लड़की को ये सिखाया जाता है कि एक बार डिग्री ले के, शादी कर ले । फिर तो कोई दिक्कत ही नहीं, गाड़ी भर के बेटी के ससुराल जाकर, उनके माता पिता और परिवार को बेइज्जत करेंगे । फ्री के मस्टंडे टाइप के, सामाजिक प्रधान और सरपंच को अपनी , प्रधानी करने, और उस लड़की के परिवार पर एहसान , करने का मौका मिल गया । और उस बेटी के बाप को ये लगा कि ये दुनिया तेरे और तेरी बेटी के हाथ में आ गई ..........!!! लकिन उनको ये नहीं मालूम कि ये लोग तो मजे लेकर अपने2 घर चले जायेंगे, अब भुगतना तो तुम्हें ही है । ये रिश्तों में दरार डालने और अवैध वसूली की बहुत बड़ी इंडस्ट्री है ........
10) पति हो या पिता हो वो तो सदियों से कमाता आया है। परिवार के लिए अपना सब कुछ समर्पित करता आया है । लेकिन औरतों ने जब से थोडा पैसा क्या कमाना शुरू क्या कर दिया कि बात 2 पर , नखरे शुरू हो गए ...??? और कार्यस्थल पर भी , पुरुषों की सोच , औरत की तरफदारी की रही , तो उस औरत जिसको अपनी अदाओं का इस्तेमाल करना आता है , उनको पद , पदोन्नति या सैलरी जल्दी ही , क़ाबलियत से ज्यादा और जल्दी मिल जाती है और जो शरीफ और ईमानदार औरतें होती हैं , वो इस दौड़ में बहुत पिछड़ जाती है । अगर पुरुष भी ऐसे ही करने लग गए तो ...........???
11) अब इन लोगों ने , यानिकि महिला सेल, पुलिस , सरपंच , सामाजिक प्रधान , तथाकथित महिला सशक्तिकरण की ठेकेदार समाजसेवी औरतें , और निम्न स्तर के जमीर, वाले वकील भाई , इन लोगों ने इन बातों का फायदा कैसे उठाना है ये समझा और अवैध वसूली के लिए सबने अपने कदम से कदम मिलाकर , जी जान से , मेहनत करते हुए, गठजोड़ किया और बन गई,........थोडा सा नाटक करके और करवाकर , बढ़िया कमाई और एक बड़ी कमाई करने की इंडस्ट्री ...........
जिसमें हमारे जैसे शरीफ और खाते पीते, लोगों को उलझा कर , पूरे परिवार के लोगों को जेल भेजने का डर बनाकर, उनका शोषण ( शारीरिक, मानसिक , आर्थिक) , ठीक उसी प्रकार से किया जाता है , जिस प्रकार गन्ने का जूस निकालने की मशीन में, गन्ने का रस निकालकर, छिलके छोड़ दिए जाते हैं और जूस , ये कसाई लोग, पी जाते है ।
शेष जानकारी , अगले लेख में ........
आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित हैं .........
आइये ....... !! जाने , दहेज़ कानून, गुजारा भत्ता , घरेलु हिंसा कानून दुरुपयोग , रोकने में विफल रहने के कारण ....... Part ---ll
अभी तक तो हमने सामाजिक कारण गिनवाये थे , अब हम कानूनी और सरकारी फण्ड से पोषित , कारणो से अवगत करवा रहे हैं ।
12) इन मुकदमों में सबसे पहले भूमिका आती है, महिला सेल की , जिसमें ज्यादातर औरतें खुद इस तरह की होती हैं , जिनका इतिहास कलंकित होता है । दिखावे में सुलह और घर बसाने के ड्रामे, लेकिन पर्दे के पीछे से वकील के सिखाये हुए , नाटक.........। इस समय लड़की और उसके बाप का दिमाग , सातवें आसमान पर होता है । क्योंकि उनको लगता है कि देख़ो , कितना बढ़िया काम है, पुलिस, सरपंच, सामाजिक प्रधान, रिश्तेदार , महिला सेल, SP, DSP, प्रोटेक्शन अधिकारी , सब के सब तुम्हारी तरफ हैं, और लड़के वालों की तो एक नहीं चलने दी ........ शहर लड़की के खुद का, आरोप लड़के वालों और कि --प्रभावशाली लोग हैं, मुकदमे को प्रभावित कर रहे हैं । विधायक / सांसद / नेता भी अपने वोट बैंक के चक्कर में, पुलिस पर लड़की पक्ष में ही कार्यवाही करने की शिफारिश कर देते है ।
कुल मिलाकर , इन सब का उद्देश्य होता है --- किसी भी प्रकार से मुकदमे दर्ज करवाना........ फिर ये ड्रामा किया जायेगा कि : -- कुछ तो किया होगा, केस ऐसे ही दर्ज थोड़े न हो गया .......???
..महिला आयोग इन झूठे आकड़ों पर ड्रामे करते रहते हैं कि ---- देखिए ....महिलाओं पर कितनें अत्याचार हो रहे है ........???
13) मुकदमा दर्ज एक या दो दिन की जेल, जमानत पर रिहाई .......और अब समझौते के नाटक शुरू....... जब लड़के या उसके परिवार के लोगों को पुलिस, गिरफ्तार करती है, उस समय तो लड़की और उसके घर वालों का दिमाग, हवा में होता है । जेल जाने के बाद , नफरत भर दी, अब तो घर बसेगा ही नहीं, । दरअसल इस खेल में अवैध वसूली के लालच में, उपरोक्त सभी लोगों की भूमिका का एक ही उद्देश्य होता है कि किसी तरह लड़के को जेल हो जाये, फिर लड़की के घर वाले तुम्हारे चक्कर काटेंगे । समझौता होगा, तो दलाली बनेगी .....
14) अब वकीलों की कमाई शुरू , कोर्ट के नाटक , जिसमे लड़की फिर इतराती है, यहाँ तक कि लड़की और उसके परिवार के लोग , मारा पिटी करने से भी नहीं चूकते ......लड़की के माँ बाप इतराते हुए कहेंगे कि देख गुजारा भत्ता तो मै ले ही लूंगी ।
15) पति परिवार पर 4 मुकदमे लग गए, उनकी तारीख भुगतने के लिए , अपने काम धंधे छोड़कर , दूसरे शहर में तारीख भुगतने जाना.......ऊपर से कोर्ट कचेरी के खर्चे बढ़ गए ।
16) अब वकीलों की भूमिका और बढ़ गई , और जजों के ड्रामे भी ...... क्योंकि जज और वकील की भी मानसिकता भी, औरत की ही , तरफदारी करने की है । वकीलों को तो पहले से ही, मालूम होता है कि मुकदमे दर्ज होने के बाद, तो लड़की हो या लड़का , उनको केस लड़ने के लिए , आना तो हमारे पास ही है । और हर बार किसी न किसी बहाने , (कि ये जबाब देना, वो जबाब देना, ) से पार्टी से पैसे वसूली , करते रहेंगे ।
17) कानून , व्यवस्था का हर अंग ( पुलिस, महिला सेल, महिला आयोग, कोर्ट, जज , वकील ), सामाजिक स्तर पर , औरत को जब इतने भाव मिलेंगे तो फिर उसका क्या कसूर .......??? कहीं पर जब भी कोई बात , औरत के खिलाफ जाये, या कोई व्यक्ति न्याय के लिए , निष्पक्ष कार्यवाही करने की कोशिश करे तो, उसकी झूठी शिकायत , करवा दो कि ये तो लड़के वालों से मिले हुए हैं ।
18) कभी जमानत , तो कभी anticepatory बैल के नाम पर, तो कभी घर वालों के नाम कटवाने के नाम पर , तो कभी हाई कोर्ट, सेशन कोर्ट में अपील के नाम पर, लड़के के परिवार का , जमकर शोषण और वकीलों की कमाई ...... क्योंकि हम शरीफ लोग हैं जिनकी कोई अपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है । इसलिए, जेल का डर , दिखा कर मोटा पैसा वसूली कर जाते हैं । और पहले 1 साल में ही , लड़के वालों को जमकर चूस लिया जाता है , ताकि वे कमजोर हो जाएं और लड़ाई लड़ने के काबिल ही नहीं बचें ।
19) मैंने तो यहाँ तक देखा है कि --- गुजारा भत्ता के केस में, वकीलों द्वारा कोर्ट में सही तथ्य नहीं, रखने के कारण, कई पतियों के खिलाफ , Conditional Warrant जारी हो गए और उनको बेक़सूर होते हुए भी , जेल भेजकर प्रताड़ित करवाया गया। कोर्ट में लड़के पक्ष वकील का, लड़की पक्ष से मिलकर, मुकदमें ख़राब करना, या उनमें कोर्ट में सही तथ्यों को नकार देना । इन सब सांठ गांठ के कारण ,निर्दोष लोगों का जम कर , शोषण हो रहा है।
20) झूठे मुकदमों के कारण , कई लोगों की नौकरी गई, कैरियर बर्बाद हुआ, बुजुर्ग तो सामाजिक शर्म के मारे, इस दुनिया से अलविदा ही हो गए । अत्यधिक दबाब के चलते तथा किसी भी तरफ से कोई सहारा न मिलने, और कदम2 पर प्रताड़ना के चलते, युवा भी आत्महत्या करने को मजबूर हैं । पिछले कुछ महीनों में, जो औरतों से सम्बंधित मामले , मीडिया में हम देख रहे हैं । वे तो माँ की ममता को शर्मसार करते हुए और औरत के उस रूप से अवगत करवा रहे हैं , जिसकी कल्पना , हमारे बुजुर्गों ने भी नहीं , की थी ।
21) इस लंबी और थका देने वाली, लड़ाई में ज्यादातर लोग तो पैसे देकर, लड़की वालों के हौसले बुलंद कर देते हैं । कोई अपवाद ही, इस जंग में लड़ने की हिम्मत कर पाता है , और ऐसे ही लोग इतिहास रचते हैं ।
वर्तमान में कानून दुरुपयोग जरूरत से ज्यादा हो गया है, क्योंकि यहाँ पर आसानी से , अच्छी कमाई हो जाती है .......सरकार को भी सब कुछ मालूम होते हुए भी, जानबूझकर कुछ नहीं करना ....... और वोट बैंक को खुश करने की नियत से महिला सशक्तिकरण के ड्रामे के कारण, न केवल परिवार टूट रहे हैं, बल्कि बच्चों की परवरिश पर भी गलत असर हो रहा है ।
लेकिन, डरना और शोषण के लिए, रास्ते खोलना, घुट2 कर जीना, कोई समाधान नहीं है । कुत्ते बिल्ली भी, इतने ख़राब हालातों पर , विद्रोह कर देते हैं ,और हम ईन्सान होते हुए भी, इतने कायर, डरपोक, दब्बू, और नकली हो गए हैं कि हमारा जमीर तो जैसे-- है ही नहीं, पाकिस्तान वाले छीनकर ले गए हों ।
बहुत हो चूका .........इसलिये, अब उठो, अन्याय और अत्याचार के खिलाफ, संगठित होकर , लड़े...... आप हमारे साथ आएं, हम आपको इन मुकदमों से लड़ने के तरीके समझायेंगे ,..........अगर आप की अंतरात्मा इस नेक काम के लिए गवाही दे , अगर आप अपने माता पिता जो की अभी इस दुनिया में हैं और वे भी जो इस प्रताड़ना के चलते , दुनिया से चल बसे .......उनकी भावनाओं की थोड़ी से भी कद्र है, अपनी भावी पीढ़ियों की थोड़ी भी चिंता है , तो इस मुहिम में साथ दे ......अभी तक आपने कई संस्थाओं के , मुफ़्त की मदद के नाम पर ड्रामे देखे, लेकिन मुकदमों का समाधान मिला क्या ......??? उन्होंने कितने बाप बेटी को सजा करवाई ........???
भवदीय
देश का एक जिम्मेदार नागरिक.....
नोट : -- इस लेख के माध्यम से हमने आपके सामने , कड़वे सच रखने की कोशिश की है । खूब प्रयास के बावजूद भी हो सकता है , कोई कमी रह गई हो, कोई मुद्दा छुट गया हो, ।
आपके विचार में ऐसा कोई सुझाव या कोई प्रतिक्रिया हों , तो आप सादर आमंत्रित हैं ........