आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
ऐसे बदलते हैं नियम और कानून ..........???
जब मेरे केस की शुरूआत हुई थी तो उस समय सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज से मेरी मुलाकात हुई थी। हमसे बात करने के बाद , मुझसे ये कहा था कि --- आप जैसे लोगों की वजह से ही कानून बदलते है ........??? पिछले 7 सालों में एक नहीं कई ऐसे कारनामे हुए ।
क्या आपने कभी ऐसा देखा या सुना है कि आप कोर्ट रूम में जज से बात कर रहे हों और वो जज आपके गैर जमानती वारंट जारी कर दे ..............??? शायद नहीं , लेकिन नारनौल का सेशन जज अरुण कुमार सिंघल बौखलाहट में इतना गिर गया कि -- नई जूनियर जज JMIC अपर्णा भारद्वाज से ऐसा कारनामा करवा दिया। ये लोग चालाकी में ये भूल गए कि ये सारी घटना का सच CCTV कैमरा में रिकॉर्ड हो गया । दरअसल जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल का प्लान ये था कि किसी भी तरह मुझे जेल में डलवाकर मेरा मर्डर करवाकर काम ख़त्म कर दिया जाये । 15.09.2016 की घटना है । उस मजिस्ट्रेट ने उस दिन के दो आर्डर लिखे जिन पर समय 11:30 AM 11:40 AM लिखा गया है । लेकिन चालाकी करते हुए , खूब चालाक भी कोई न कोई निशान छोड़ जाते हैं । ये आर्डर 13 दिनों तक कोर्ट की वेबसाइट पर डाले ही नहीं गए ।
यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि जब ये 2 आर्डर 11: 30 और 11:40 बजे लिख दिए गए थे तो वेबसाइट पर उसी दिन क्यों नहीं डाले गए ......
??? क्योंकि ये आर्डर उस दिन लिखे ही नहीं गए । इस बारे में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की दिशानिर्देश हैं कि जजों के आर्डर उसी दिन National Judicial Data Grid पर उसी दिन डालने हैं । अब चालाकी करते हुए ये लोग केवल एक ही आर्डर डाले । अब कुछ दिनों बाद किसी कारण से मुझे उस आर्डर की जरुरत थी तो हमने वेबसाइट को खोल कर देखा तो पाया कि -- 15.09.2016 का जो एक आर्डर डाला था वो भी हटा दिया । हमनें 07.12.2016 को हाई कोर्ट चंडीगढ़ और नारनौल कोर्ट से RTI से वेबसाइट पर डाले गए आदेशों को हटाने के नियम, कानून के बारे में जानकारी मांगी । नारनौल कोर्ट का तो आपको मालूम है ही, कि जब सेशन जज ही इस हद तक गिर चूका है, तो क्या उम्मीद की जाये ......??? लेकिन हाई कोर्ट में इस बारे में मीटिंग हुई और इस बारे में सर्कुलर जरी किया कि --- वेबसाइट पर डाले गए आर्डर को बदलने या हटाने के लिए लिखित में अनुमति लेनी होगी । ये नोटिस 16:12:2016 का है और हरियाणा , पंजाब, और चंडीगढ़ के सभी कोर्टों में भेज दिया गया है और 01: 01: 2017 से प्रभावी हो गया है । ये जानकारी किसी और जज के फर्जीवाड़े रोकने के लिए, और किसी पीड़ित के काम आ सकती है .........
ऐसे बदलते हैं नियम और कानून ..........???
जब मेरे केस की शुरूआत हुई थी तो उस समय सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज से मेरी मुलाकात हुई थी। हमसे बात करने के बाद , मुझसे ये कहा था कि --- आप जैसे लोगों की वजह से ही कानून बदलते है ........??? पिछले 7 सालों में एक नहीं कई ऐसे कारनामे हुए ।
क्या आपने कभी ऐसा देखा या सुना है कि आप कोर्ट रूम में जज से बात कर रहे हों और वो जज आपके गैर जमानती वारंट जारी कर दे ..............??? शायद नहीं , लेकिन नारनौल का सेशन जज अरुण कुमार सिंघल बौखलाहट में इतना गिर गया कि -- नई जूनियर जज JMIC अपर्णा भारद्वाज से ऐसा कारनामा करवा दिया। ये लोग चालाकी में ये भूल गए कि ये सारी घटना का सच CCTV कैमरा में रिकॉर्ड हो गया । दरअसल जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल का प्लान ये था कि किसी भी तरह मुझे जेल में डलवाकर मेरा मर्डर करवाकर काम ख़त्म कर दिया जाये । 15.09.2016 की घटना है । उस मजिस्ट्रेट ने उस दिन के दो आर्डर लिखे जिन पर समय 11:30 AM 11:40 AM लिखा गया है । लेकिन चालाकी करते हुए , खूब चालाक भी कोई न कोई निशान छोड़ जाते हैं । ये आर्डर 13 दिनों तक कोर्ट की वेबसाइट पर डाले ही नहीं गए ।
यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि जब ये 2 आर्डर 11: 30 और 11:40 बजे लिख दिए गए थे तो वेबसाइट पर उसी दिन क्यों नहीं डाले गए ......
??? क्योंकि ये आर्डर उस दिन लिखे ही नहीं गए । इस बारे में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की दिशानिर्देश हैं कि जजों के आर्डर उसी दिन National Judicial Data Grid पर उसी दिन डालने हैं । अब चालाकी करते हुए ये लोग केवल एक ही आर्डर डाले । अब कुछ दिनों बाद किसी कारण से मुझे उस आर्डर की जरुरत थी तो हमने वेबसाइट को खोल कर देखा तो पाया कि -- 15.09.2016 का जो एक आर्डर डाला था वो भी हटा दिया । हमनें 07.12.2016 को हाई कोर्ट चंडीगढ़ और नारनौल कोर्ट से RTI से वेबसाइट पर डाले गए आदेशों को हटाने के नियम, कानून के बारे में जानकारी मांगी । नारनौल कोर्ट का तो आपको मालूम है ही, कि जब सेशन जज ही इस हद तक गिर चूका है, तो क्या उम्मीद की जाये ......??? लेकिन हाई कोर्ट में इस बारे में मीटिंग हुई और इस बारे में सर्कुलर जरी किया कि --- वेबसाइट पर डाले गए आर्डर को बदलने या हटाने के लिए लिखित में अनुमति लेनी होगी । ये नोटिस 16:12:2016 का है और हरियाणा , पंजाब, और चंडीगढ़ के सभी कोर्टों में भेज दिया गया है और 01: 01: 2017 से प्रभावी हो गया है । ये जानकारी किसी और जज के फर्जीवाड़े रोकने के लिए, और किसी पीड़ित के काम आ सकती है .........
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