Thursday, 4 February 2016

पुलिस के लोगों को, सकारात्मक और जिम्मेदार बनाने के लिए, सुझाव ..............

कोई भी व्यक्ति कितना भी भृष्ट क्यों न हो ................,??? आखिर, वो एक इंसान भी होता है. यही बात, पुलिस पर भी लागु होती है . जब दूसरे कर्मचारी, चाहे वो अध्यापक हो, नेता, मंत्री हो, अधिकारी हो, सब अपने परिवार और बच्चों के साथ समय बिताते हैं, त्यौहार, पारिवारिक समारोह, या किसी पारिवारिक मजबूरी जैसे -- किसी सदस्य की बीमारी की अवस्था में घर उपस्थित होकर देखभाल करना, बच्चों की पढाई लिखाई आदि .
ये सब ऐसे मौके हैं -- जिनसे इंसान में अपने घर परिवार से, लगाव पैदा होता है . पुलिस के लोगों के साथ समस्या ये है कि -- पुलिस विभाग के बड़े अधिकारी, जज , नेता, मंत्री , विधायक और सांसद, सबके सामने सलाम ठोकते रहो ........!!! खुद खाना कहते रहेंगे, लेकिन कोई इज्जत नहीं .......... सब खाना कहते रहेंगे, इनको कोई, चाय के लिए भी नहीं पूछता ........??? आम जनता में भी, पुलिस के प्रति नफरत ............!!!
असली मजे तो बड़े अधिकारी , नेता मंत्री लूटते हैं . फिर फ़्रस्टेरशन में ये लोग, दारू पिएंगे, और जो सामने आया उस पर रॉब झाडेंगे . ............!!! क्योकि उसके मन की भड़ास निकलने का, कोई तो रास्ता खुला होना चाहिए. ताकि उनका दिमाग शांत रहे . जब घर परिवार, बच्चों से लगाव होगा, तो उनमे किसी और को परेशान करने, प्रताड़ित करने से पहले, चार बार सोचेंगे .............
क्योकि पुलिस वालो को तो ईमानदारी का पाठ पढ़ाने वाले अधिकारी और मंत्री का खुद का चरित्र तो फर्जीवाड़े से भरा होता है. इसलिए, ऐसे प्रवचन, नकली, बनावटी और बेअसर होते हैं और नकारात्मकता को बढ़ावा देने का काम करते हैं.
मेरा ये मानना है कि -- पुलिस के कर्मचारियों को पूरे परिवार के साथ, साल में दो बार, कम से कम तीन दिन के लिए, किसी भर्मण पर जरूर ले जाया जाये .
इसके होने वाले फायदे :--- जब परिवार और बच्चों के साथ होंगे, तो न तो वे शराब का सेवन कर सकेंगे और न ही गली गलोच कर सकेंगे . परिवार के साथ समय बिताने से, उनमे परिवार के सदस्यों के साथ लगाव पैदा होगा, और ये लगाव ही, उनको एक अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करेगा .

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