Friday, 26 February 2016

हरियाणा पुलिस ने जाट समर्थक होने का अपना धर्म निभाया ..............


हम मोहिनी कामवानी जी और उनके बेटे दिलीप कामवानी जी के साथ ............सुप्रीम कोर्ट के बाहर .........

कल हम मोहिनी कामवानी जी और उनके बेटे दिलीप कामवानी जी के साथ थे । उन्होंने कल वास्तव में सुप्रीम कोर्ट का गेट बन्द करवाकर, बड़ी हिम्मत वाला काम किया है । उनके बेटे ने भी कल सुप्रीम कोर्ट के बाहर , कोर्ट की खूब पोल खोली, किसी की हिम्मत नहीं ,हुई पंगा लेने की ..........

 Mohini Kamwani added 2 new photos.
I am I sitting on the Floor @ SC Gate C ...
Manoj Vishwakarma has JOINED me !
I have told them if we are Not Allowed to go inside SC
... Then I will BLOCK Gate C
& NO ENTRY for Any Car or Anyone !!!


 लोग सच्चे , अन्याय के शिकार और पीड़ित होते हुए भी, विरोध करने से इसलिए डरते है कि --- कोर्ट / जज कॉन्टेम्पट का केस दर्ज न करवा दे .....!!! इस बारे में हम आपको मोहिनी कामवानी और उनके बेटे दिलीप कामवानी की सुप्रीम कोर्ट की घटना से सिखने की सलाह देते हैं । उस दिन गुलशन पाहुजा भाई साहब भी आये थे । जब उन पर केस दर्ज नहीं हो सका , तो आप और हम भी तो वही कर सकते हैं ।

जाटों की हिंसक और राष्ट्र विरोधी सोच उजागर करता विचारणीय लेख ....


आज हमनें नए नारे वाली टोपियाँ तैयार की ........



आज हमनें नए नारे वाली टोपियाँ तैयार की ........



इस नफरत का असर बहुत दूर तक होगा .....???

जाट भाई कुछ भी कहते रहें , लेकिन इस गुंडागर्दी, तोड़फोड़, लूटपाट, और आगजनी ने समाज में न केवल नफरत का जहर घोल दिया , बल्कि हरियाणा को 50 साल पीछे कर दिया । आखिर कोई कंपनी हरियाणा में क्यों आना चाहेगी .....???
---गुड़गांव का हौंडा कांड भी जाटों की गुंडागर्दी की देन था,
रोहतक, सोनीपत के लोगों को , कम्पनी में नौकरी में लेने को साफ़ मना किया हुआ था। अब हरियाणा के लोगों को भी यही भुगतना पड़ेगा .......!!!
जाटों की तोड़फोड़ और फ्री का माल हड़फने की आदत के कारण ही रोहतक , बहादुरगढ़ , सोनीपत में इंडस्ट्रियल एरिया कामयाब नहीं हो सके ,और अब तो होंगें भी नहीं .....!!!
इसके कारण दूसरे मेहनती , कमाकर खाने वाले लोगों को तकलीफ जरूर भुगतनी पड़ेगी ......

इस नफरत का असर बहुत दूर तक होगा .....???

अगर गुंडागर्दी, तोड़फोड़, आगजनी, सरकारी संपत्ति का नुकसान जाटों ने नहीं किया, तो क्या पाकिस्तान के लोगों ने किया ..........???

अगर गुंडागर्दी, तोड़फोड़, आगजनी, सरकारी संपत्ति का नुकसान जाटों ने नहीं किया, तो क्या पाकिस्तान के लोगों ने किया ..........???
अभी हम आपको जाट आरक्षण के पीछे की चालाकियों से अवगत करवाते है । कुछ दिनों से आप देख रहे है कि भूपिंदर सिंह हुड्डा का और प्रोफेसर वीरेंदर सिंह का ऑडियो टेप सामने आया । लूटपाट के वीडियो, आगजनी , गुंडागर्दी, की निंदा शुरू हुई तो, जाटों ने एक और चालाकी करनी शुरू कर दी । अखबारो में बड़े 2 भाईचारे, और शांति बनाये रखने के विज्ञापन....!!!
हमें इन चालाकियों को समझना होगा । पहले बेशर्म , निर्दयी बनकर लूट, गुंडागर्दी, लोगों की दुकानों को लूटा, फिर आग लगाई। अब सोशल मीडिया पर कह रहे हैं कि जिस विधवा का ढाबा जलाया, वो तो फ़ोटो फर्जी है, जाटों ने लूटपाट नहीं की , तो फिर क्या पाकिस्तान के लोग आये थे लूटने, आगजनी फ़ैलाने, गुंडागर्दी करने ....!!!
जाटों को बदनाम करने के लिए ये किया जा रहा है । हमने तो लूटपाट, आगजनी की ही नहीं....!!!

मेरा एक सवाल अगर ये घटिया , देशद्रोह, और समाज को कमजोर करने, के काम जाटों ने नहीं किये, तो ऐसी घटनाएं केवल जाटों के उपद्रव के समय ही क्यों हुई ......??? हरियाणा में कभी भी ऐसी गुंडागर्दी और लूटखसोट नहीं हुई...??? क्योंकि हरियाणा में तोड़फोड़, गुंडागर्दी , लूटपाट जैसे घिनोने और घटिया काम केवल जाटों ने किये ,........???
किसी और बिरादरी के लोगों ने कभी भी , तोड़फोड़ , आगजनी , लूटपाट जैसे काम नहीं किये । ऐसा केवल तब तब हुआ है , जब जाटों ने उपद्रव, तोड़फोड़, आगजनी की । राजनितिक संरक्षण के चलते , पिछली बार भी 23 दिनों तक गुंडागर्दी चली और ताकत के नशे में ही , जाट नेता और मंत्री गैरजिम्मेदार ब्यान दे रहे है और जाटों के खिलाफ कार्यवाही न करके , उनका समर्थन कर रहे है । और अब सोशल मीडिया पर एक रणनीति के तहत जनता को गुमराह करने के लिए, शोशे बाजी .....!!!
इस देश के गैर जाट लोग, शांतिप्रिय जरूर हैं , लेकिन बेवकूफ नहीं ........ !!!!! अगर इस देश के गैर जाट इक्कठे हो जाएं, तो इनको एक भी MP या MLA न बनने दे ।

Read the link --- https://www.facebook.com/photo.php?fbid=687814381322196&set=pcb.1475248565873889&type=3&relevant_count=3

हरियाणा में जाटों की गुंडागर्दी आज से नहीं,.... पुराने वक्त से चली आ रही है.................

हरियाणा में जाटों की गुंडागर्दी आज से नहीं,.... पुराने वक्त से चली आ रही है । इनके पास जमीने थी, सम्पन्न थे, राजनितिक पहुँच भी थी। इन्होंने इसी का फायदा उठाकर , खाऊ पियु पोस्टों पर , प्रशाशनिक पोस्ट, पुलिस महकमे में अपने लोग भर्ती किये, ..........फिर उनके माध्यम से , दूसरे लोगों को कमजोर करने के लिए, उन पर मुक़दमे दर्ज करवाकर , उनको कमजोर करते हुए, उनका शोषण किया। और खुद, मनमानी करते रहे। जितने भी मुख्यमंत्री बने, उन्होंने जमकर जाटों को लाभ के पद दिए और उनको ताकतवर बनाया। अब ज्यादा ताकतवर हो गये, तो भी इनको आरक्षण चाहिए। 21% जनसंख्या, 80% सरकारी नौकरियों पर काबिज, सरकारी ठेके 90% इनके पास, हैं । और अब आरक्षण चाहिए ...??? और क्या हमारी जान लोगे ......???

जाट आरक्षण से जुड़े , तथ्यों से जुडी कुछ विशेष जानकारी.........................

अभी जाट आरक्षण के नाम पर जो लूटपाट, गुंडागर्दी, आगजनी, और हुड़दंग बाजी हुई, मानवता, को शर्मसार कर देने वाले कारनामे सामने आये । हम आपके सामने जाट आरक्षण से जुड़े , तथ्यों से जुडी कुछ विशेष जानकारी उपलब्ध करवा रहे है । जिसे जानकर, आपकी आँखे खुली रह जाएँगी । मेरा किसी जाती विशेष से , कोई झगड़ा नहीं, लेकिन समाज में फैलते नफरत, शोषण और अन्याय के जहर को देखते हुए , हम आपको सच से अवगत करवा रहे हैं , जो आपको कोई बताएगा ही नहीं .....
----हरियाणा में पुलिस में 75% से ज्यादा जाट हैँ , गैर जाट पर झट से मुकदमा, लेकिन जाट पर कभी नहीं । उसको बचाने के लिए , हर प्रयास ।
---किसी पर झूठा केस करने से उसका कितना नुकसान होता है ...??? ये आप समझें । जाटों ने अपनी ताकत के फायदा उठाते हुए, गैर जाट लोगों पर झूठे केस करके , उनको कमजोर किया ।
---आरक्षण वाले ऐसे ही खुश होते रहे, हरियाणा में खाऊ पियु पोस्टों ( HCS, HPS )पर जाटों को नौकरी में भर्ती करने के लिए 2 या 3 पोस्ट निकालकर केवल जाट भर्ती किये। 4 vacancy पर ही आरक्षण लागू होता है । ये सच कितने लोगों को मालूम है ....???
---एक बार 601 पोस्ट की भर्ती निकली, 300 जनरल की पोस्ट में 296 जाट लिए गए। मेरे पास हरियाणा में भर्ती के ऐसे अनेको डेटा हैं जिनमें जाटों को जमकर लाभ पहुंचाया गया।
--- अब जाट अपनी गुंडागर्दी को छुपाने के लिए, ये आरोप लगा रहे है कि ये काम जाट नहीं कर सकते .....???
--- हरियाणा में गावों में जाटों की गुंडागर्दी ( क्योकि इनको पुलिस, लोकायुक्त, नेताओं से विशेष संरक्षण मिलता है ), जिसमे ये लोग गरीब और कमजोर तबके के लोगों के साथ अत्याचार, शोषण करने में कोई शर्म महसूस नहीं करते ...!!!
--- पुलिस हो, चाहे फ़ौज हो, एक जाट, दूसरे जाट के खिलाफ कार्यवाही नहीं करेगा।
--- हरियाणा में किस विभाग में कितने लोग किस जाती के लगे ...??? इसकी ईमानदारी से जांच करवा लो , सब कुछ सामने आ जायेगा,।
--- गुंडागर्दी इस हद तक है , एक बार की बात है , विजिलेन्स में किसी ने शिकायत कर दी , DSP vigilance भी जाट थी,। उसने , पकड़ने आई तो उसकी जाती भी जाट थी, उसको छोड़ दिया, दूसरा पकड़ा वो भी जाट था, उसको भी छोड़ दिया। तीसरा पकड़ा वो जाट नहीं था, उसके खिलाफ केस दर्ज करके, उसको जेल भेज दिया। वो कहता रह गया, किसी ने न सुनी । ऐसे मामले हरियाणा के हर थाने में रोज होते हैं ।
--- हरियाणा में कितने % सरकारी कर्मचारी के पास फर्जी डिग्री है, वे भी सबसे ज्यादा जाट है ,....??? राजनितिक सिफारिश के चलते , इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती ।
--- लोकायुक्त प्रीतम पाल ने आज तक कितने जाट लोगों के खिलाफ कार्यवाही की ....??? नहीं की तो क्यों नहीं ....???
सच कड़वा होता है , कुछ लोगों को बहुत तकलीफ होगी, ये हम जानते हैं । मेरे पास नौकरियों में भर्ती के जातिवार डेटा हैं । इन डेटा के आधार पर ही National Commission For Backward Class ने जाटों को आरक्षण देने को मना किया था और उसी के आधार और सुप्रीम कोर्ट ने जाट आरक्षण रद्द किया था। कोई देखना चाहे, तो देख सकता है .

देश के गैर जाट लोगों के लिए ,......सोचने और मंथन करके ,........कुछ करने का वक्त .

..
जाटों के लिए, जाट पहले, देश और कानून बाद में .....
जाट आरक्षण, जरुरत नहीं , ये लालच है । जाटों की गुंडागर्दी, लूट खसोट और पुलिस और फ़ौज के गैर जिम्मेदार अधिकारियों ने साबित किया कि ----
1) उनके लिये, जाट पहले है, देश और उसका कानून बाद में
2) दूसरा ये कि एक जाट, अपनी जाती के दूसरे व्यक्ति को बचाने के लिए, किसी भी हद को पार कर सकता है
3) तीसरा ये कि जाटों के लिए,, अपने स्वार्थ के सामने मानवता कोई , मायने नहीं रखती
4) लूटने , गुंडागर्दी करने की खानदानी आदत कायम है
5) पुलिस , और फ़ौज शायद इसीलिए चुप है, किसी और जाती के लोगों को कुचलना हो, शोषण करना हो, तो ये लोग सबसे आगे मिलेंगे।

Friday, 12 February 2016

ये लोग कर रहे , हमारे देश को अंदर से खोखला......., दुश्मन से भी ज्यादा खतरनाक .....!!!!! Part--II

आज हम आपको कुछ गहरे मुद्दों पर , जानकारी दे रहे है , जोकि हमारे देश , समाज को अंदर से खोखला करके , दुश्मन से भी ज्यादा खतरनाक तरीके से , नुकसान और बर्बादी की तरफ ले जा रहे है । कुछ जहर तेजी से फैला रहे है , तो कुछ धीमा जहर, हमे परोस रहे है। देश के जिम्मेदार नागरिक होने नाते , हम आप को इन लोगों और ऐसी ताकतों से अवगत करवा रहे है । इनके आलावा, आप के विचार में कोई और ऐसी बात हो, जिसे हम भूल वश नहीं लिख सके तो, सुधार के लिए, आप के सुझाव और प्रतिक्रियाएं .........सादर आमंत्रित हैं । हमे विश्वास है कि हम सच को सामने लाकर, न केवल आपको नयी जानकारी देंगे, बल्कि आप को प्रेरित भी कर सकेंगे, जिससे अच्छे लोग समाज और देश को बचाने के लिए आगे आ सकें, ताकि इन ताकतवर लोगों को, देश और समाज का और , नुकसान करने से रोक जा सके ।

अब हम आपको कुछ और लोगों, ताकतों और चीजों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जो इस देश को अन्दर से खोखला कर रहे हैं , 
 
24) मुफ्तखोरी के लालच में, अवैध वसूली के उद्देश्य से कोर्ट में डाले जाने वाले दहेज़ प्रताड़ना, घरेलु हिंसा, गुजरा भत्ता, छेडा छाडी, बलात्कार के झूठे केस,
25) महिला आयोग जोकि आजतक इतना शोरशराबा और महिला सशक्तिकरण के नाम पर ड्रामा कर रहा है. भारी भरकम फण्ड भी खर्च दिखा रहा है. लेकिन शारीरिक और मानसिक विकलांग औरतों के लिए आजतक कुछ भी नहीं किया............??? और औरतें ये सोचती हैं कि महिला आयोग उनके भलाई के लिए काम कर रहा है .
26) इसी तर्ज पर महिला थाने, महिला सेल, प्रोटेक्शन ऑफिसर, भी जम कर अवैध वसूली करने की नियत से, लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज करवाकर, निर्दोष लोगों को जेल भेजने का डर बनाकर, जमकर शोषण कर रहे हैं.
27) भ्रष्ठ जजों द्वारा, अपने खिलाफ आवाज को कुचलने के लिए, कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट एक्ट का दुरूपयोग करके, निर्दोष लोगों को डराना और जेल भेजने का डर दिखाकर मनमाने फैसले करना.
28) देश की अदालतों में अमीर और संपन्न लोगों को, तुरंत जमानत, कोई सजा नहीं, फैसले बदलकर सजा से मुक्त और हर तरफ से सहयोग................, लेकिन दिखावे के लिए गरीब का कानून के पालन के नाम पर, जम कर शोषण, जमानत नहीं देना और प्रताड़ित करना.
29) जजों की जबाबदेही नहीँ होना,
30) कानून दुरूपयोग पर जजों को कोई सजा नहीं होना और तानाशाही करने के लिए Judges प्रोटेक्शन एक्ट की सुविधा
31) न्यायपालिका के द्वारा ही, कानून का सबसे ज्यादा दुरूपयोग
32) न्यायपालिका के द्वारा भ्रष्ठ जजों को सजा से बचाना, और उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं करना,
33) न्यायपालिका के द्वारा जजों के खिलाफ मिली शिकायतों, को सार्वजानिक करने से रोकना,
34) न्यायपालिका द्वारा भगवान् से भी ईमानदार होने का दिखावा करना, लेकिन पर्दे के पीछे अवैध वसूली लेकर, मनमाने, गैर कानूनी फैसले देना,
35) कानून दुरूपयोग पर सजा नहीं होना और अवैध वसूली के उद्देश्य से न्याय के नाम पर दिखावा करना. इस कारण पुलिस और दुसरे लोगों में यह विशवास हो चूका है कि न्याय को आसानी से ख़रीदा जा सकता है
36) कानून दुरूपयोग के कारण, सरकार द्वारा, भारतीय परिवारों के टूटने के कारणों की जानबूझकर अनदेखी करना,
37) सरकारों के द्वारा देश में देशद्रोह, साम्प्रदायिकता के नाम पर जहर फ़ैलाने वाले, जाती विशेष के लोगों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करना .
देश और समाज को कमजोर और खोखला कर रहे हैं । अपने स्वार्थ, मुफ़्त का पैसा, अवैध वसूली के चलते, देश का वो नुक्सान कर रहे है, जिसकी भरपाई ही नहीं हो सकती...???

Thursday, 11 February 2016

ये लोग कर रहे , हमारे देश को अंदर से खोखला......., दुश्मन से भी ज्यादा खतरनाक .....!!!!!

 आज हम आपको कुछ गहरे मुद्दों पर , जानकारी दे रहे है , जोकि हमारे देश , समाज को अंदर से खोखला करके , दुश्मन से भी ज्यादा खतरनाक तरीके से , नुकसान और बर्बादी की तरफ ले जा रहे है । कुछ जहर तेजी से फैला रहे है , तो कुछ धीमा जहर, हमे परोस रहे है। देश के जिम्मेदार नागरिक होने नाते , हम आप को इन लोगों और ऐसी ताकतों से अवगत करवा रहे है । इनके आलावा, आप के विचार में कोई और ऐसी बात हो, जिसे हम भूल वश नहीं लिख सके तो, सुधार के लिए, आप के सुझाव और प्रतिक्रियाएं .........सादर आमंत्रित हैं । हमे विश्वास है कि हम सच को सामने लाकर, न केवल आपको नयी जानकारी देंगे, बल्कि आप को प्रेरित भी कर सकेंगे, जिससे अच्छे लोग समाज और देश को बचाने के लिए आगे आ सकें, ताकि इन ताकतवर लोगों को, देश और समाज का और , नुकसान करने से रोक जा सके ।
1. न्यायपालिका के भृष्ट जज, और उनका गैरजिम्मेदार रवैया,
2. चरित्रहीन औरतें, वैश्यावृति और चरित्रहीनता को कानूनी तौर पर बढ़ावा
3. महिला सशक्तिकरण के नाम पर ड्रामा करने वाली तथाकथित समाजसेवी औरतें,
4. दलाल और अय्यासी किस्म के इनके अंधभक्त (जिनमे सरपंच और प्रधान किस्म के लोग),
5. महिला थाने ,
6. जानबूझकर समाज को कमजोर करने, परिवारों को तोड़ने के उद्देशय से बनाये गए एक तरफ कानून और उनके दुरूपयोग पर सजा का प्रावधान नहीं करना ,
7. शोषण और अन्याय को बढ़ावा देने वाली, गुलाम परस्त शिक्षा व्यस्था
8. धनबल और बाहुबल पर आने वाले लोगों को , पैसे, शराब , और अय्याशी ...... के बल पर वोट देने वाले , इस देश के गुलाम और गद्दार लोग ,
9. सही और गलत की बजाय, जाती और धर्म के नाम पर ही , योग्यता की अनदेखी करने की संकीर्ण सोच,
10. सच , की अनदेखी, अन्याय का विरोध नहीं करने और सब कुछ सहन करने की सोच ,
11. खुद कुछ करने की बजाय, दूसरों से ही त्याग और समर्पण की उम्मीद , लेकिन फल सबसे पहले चाहिये,
12. सुबह से लेकर शाम तक मीडिया के माध्यम से परोसी जा रही , बेलगाम अश्लीलता और हवस
13. देश के असली और गंभीर मुद्दों को नकारकर , जनता को भर्मित करने की नियत से , गुमराह करने वाले मीडिया चैनल और अखबार,
14. विदेशी फंडिंग के सहारे चलने वाले, तथाकथित समाजसेवी और उनके संगठन व् NGO,
15. अंग्रेजो द्वारा हमें गुलाम रखने के लिए, थोपी गई, अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता ,
16. हिंदुस्तान की न्यायपालिका का जनता के प्रति जबाबदेह नहीं होना,
17. देश के मीडिया पर विदेशी ताकतों का नियंत्रण और मालिकाना हक़ ,
18. वोट डालने की हर नागरिक की बाध्यता नहीं होना,
19. जनता की समस्या के समाधान की बजाय, उनको भिखारी और मुफ्तखोर बनाकर गुलाम रखने की , स्वार्थी नेताओं और उनकी सरकारों की सोच ,
20. सरकारों और राजनितिक दलों और उनके नेताओं के फैसले का आधार , देशहित और जनहित की बजाय वोटबैंक आधारित राजनीती.....
21. कानून दुरूपयोग को रोकने के लिए, कोई ठोस व्यवस्था नहीं होना,
22. समय पर न्याय नहीं मिलना ,
23. सामाजिक स्तर पर नैतिक रूप से भारी गिरावट, अवैध वसूली, अन्याय, अत्याचार , शोषण को हर स्तर पर बढ़ावा ,
देश और समाज को कमजोर और खोखला कर रहे हैं । अपने स्वार्थ, मुफ़्त का पैसा, अवैध वसूली के चलते, देश का वो नुक्सान कर रहे है, जिसकी भरपाई ही नहीं हो सकती...???

Saturday, 6 February 2016

आखिर समाज और देश के लोग वकीलों का सम्मान क्यों करें ..............???

 
 आखिर समाज और देश के लोग वकीलों का सम्मान क्यों करें ..............???  
 
हम समाज की एक कड़वी सच्चाई आप के सामने पेश कर रहे हैं  , कृपया, इसे व्यक्तिगत स्तर पर न ले, हमारा उद्देश्य सच को सामने लाना है, न कि किसी व्यक्ति विशेष की बुराई करना हमे विश्वास है कि-- ये कड़वा सच कुछ लोगो को झझकोरने  का काम करेगा, और देश के लोगो के भले के लिए कुछ लोगो को प्रेरित करेगा    
वकीलों को सम्मान क्यों नहीं मिल रहा ..........???

पूरी दुनियां में किसी भी समाज और देश के नागरिक, किसी भी पेशे के लोगो को सम्मान.............., उस पेशे के लोगो के द्वारा समाज और देशहित में किये गए, लोगो के जीवन में अच्छे बदलाव, उनकी समस्याओं के समाधान के लिए किये गए प्रयास/ योगदान के कारण निर्धारित करते हैं. अपना घर परिवार चलाने के लिए, सब फीस भी लेते हैं, उसके बावजूद भी कुछ लोग समाज और देश की बेहतरी के लिए, काम करते रहते है, तो समाज उनको सम्मान भी देता है. जिस हिसाब से वकालत पेशे में गुणवत्ता की जबरदस्त कमी आई है. जिसको कोई दूसरा काम नहीं दिखा, किसी भी Law कॉलेज में एडमिशन लिया, घर बैठे हाज़िरी लगती रही, नकल करके पेपर भी दिए , डिग्री मिली, और बन गए वकील साहब.........!!!

इस से देश में लगभग 40 % वकीलों की डिग्री फर्जी है. जब डिग्री इस प्रकार बटेंगी, तो फिर क्वालिटी , कहाँ से आएगी ..........???

आप डॉक्टर्स को देखिये .......... आपको लगेगा कि किसी समझदार आदमी से बात कर रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योकि -- पहला तो मेडिकल कि पढाई में भारी कम्पटीशन, फिर एडमिशन में कम्पटीशन, और उनको पढाई के दौरान सिखाई जाने वाली बातें, और ट्रेनिंग. तब जाकर एक डॉक्टर बनता है और लोगो का इलाज करता है.


मैंने अनुभव के आधार पर पाया कि --  वकालत पेशे में इतनी गिरावट, क्यों आई ........???

इस पेशे के लोगो ने समाज की समस्या के समाधान देने की बजाय, लोगो को उलझाकर, डराकर, छलकपट, चालाकी, धोखाधड़ी, अपनाते हुए अपना जीवन यापन किया और लोगो से काम के नाम की फीस वसूल की.

कुछ उदहारण :--

1) -- इस देश में लाखो दहेज़ प्रताड़ना के मुकदमे, हर साल अदालतों में दर्ज हो रहे हैं. कानून के अनुसार दहेज़ देना भी अपराध है. इस देश में ऐसे कितने वकील हैं -- जिन्होंने दहेज़ देने पर पत्नी पक्ष पर मुकदमा दर्ज करवाया. ............???

2) -- इसी प्रकार किसी मजबूर व्यक्ति पर गुजर भत्ता का झूठा केस डाला गया, वो इन हालातो में थे कि गुजर भता दे ही नहीं सकते थे ............!!! ऐसे मुकदमे कितने होंगे.............??? जिनमे वकील ऐसे व्यक्ति को गुजर भत्ता न देने की सूरत में, जेल जाने से बचा सके ............??? (क्योकि अपने लालच में जबाब और केस के तथ्य और सच्चाई कोर्ट के सामने जानबूझकर रखी ही नहीं ..............!!! ताकि जेल भेजने का डर बनाकर, अपना जुगाड़ बना सकें .............???)
ऐसे वकील पूरे देश में कितने हैं..............???

किसी भी क्षेत्र में, कोई नई चीज खोजना, अविष्कार करना बहुत बड़ी बात होती है. जिसने लाइट का आविष्कार किया, कंप्यूटर बनाया, इंटरनेट बनाया, ..........कोई नई दवाई की खोज की , वे लोग अपने काम से, मानवता की सेवा (इस दुनियां से जाने के बाद भी), कर रहे हैं.

वकालत के पेशे में कोई नई खोज करने वाले वकील तो, इस हिंदुस्तान में पैदा ही नहीं हुए,.................???    सारे कानून, अंग्रेजो ने बनाये.     आज़ादी से लेकर आजतक जो एक -- दो, संशोधन हुए, जैसे कि -- दहेज़ प्रताड़ना ( 498 -अ ), दहेज़ हत्या ( 304 -बी ) , उनका ही, सबसे ज्यादा दुरूपयोग हो रहा है. केवल कुछ वकील और अवैध वसूली करने वाले, दलाल किस्म के लोगो के फायदे , समाज को तोड़ने, निर्दोष लोगो को जेल भेजने, बुजुर्गो को आत्महत्या के लिए मजबूर करने, युवा पीढ़ी को मरने, बेरोजगार करने, के आलावा, इस देश को, इन कानूनो ने क्या दिया ..............??? 
 
और ऐसे अनेको उदहारण, इस देश और समाज से हम पेश कर सकते हैं, जो ये साबित करते हैं कि -- आखिर समाज, वकालत पेशे के लोग..... यानिकि वकीलों का सम्मान, क्यों करे ..........???

आखिर क्यों हुई न्यायपालिका, विधायिका पर भारी..........???



आखिर क्यों हुई न्यायपालिका, विधायिका पर भारी..........???
क्योकि इन नेताओं ने जमकर मजे लुटे, फर्जीवाड़े किये, जब हदें पार होने लगी, तो फिर न्यायपालिका ने उम्मीद दिखाई और विधायिका की कमजोरी का फायदा उठाते हुए, विधायिका पर हावी हो गई ...............
Amar Ujala 04.02.2016

अब न्यायपालिका अपने रुतबे को कायम रखने के लिए ही, अपनी कमजोरियां छुपा रही है। यनि की जजों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करके , न्यायपालिका और और ताकतवर बनाना, ताकि ये लोग अपनी तानाशाही, और मनमानी बरकरार रख सकें । और जब जनता के प्रति जबाबदेही, या पारदर्शिता की बात आते, या फिर अपनी चल अचल संपत्ति की जानकारी सार्वजानिक करने की बात आये या फिर जजों के खिलाफ मिली शिकायतों और उन पर की गई कार्यवाही की जानकारी सार्वजनिक करने की बात आये, तो फिर न्यायपालिका की स्वतंत्रता से खिलवाड़ का बहाना बसना दो। लोकतान्त्रिक व्यवस्था में कोई भी अंग बिना किसी जबाबदेही और पारदर्शिता , जिम्मेदारी के मनमानी करने के लिए , तानाशाही करने के लिए कैसे छोड़ा जा सकता है ....???

How Judiciary can be allowed to work without accountability, transparency, and to work as dictatorship in a Democratic set up in Country like India ....???


 How Judiciary can be allowed to work without accountability, transparency, and to work as dictatorship in a Democratic set up in Country like India ....??? When they get salary and all other benefits from money collected from hard earned tax payer's money/ from resources of Nation. When other pillars of democracy are accountable, to the Citizens of Nation, then why not Judiciary......???



भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में न्यायपालिका को , बिना किसी जबाबदेही, पारदर्शिता, और जनता के प्रति जिम्मेदारी के तानाशाही करने के लिए कैसे खुली छूट दी जा सकती है......??? जब इनको मिलने वाले वेतन और दूसरी सुविधायें जनता के खून पसीने की टैक्स की कमाई/ देश के संसाधनों से प्राप्त धन से मिलती है , तो इनको जनता के प्रति जिम्मेदारी से छूट क्यों...??? जब लोकतंत्र के दूसरे स्तम्भ को छूट नहीं, है तो फिर न्यायपालिका को तानाशाही करने, मनमानी करने, जबाबदेही और बिना पारदर्शिता के मजे लूटने की छूट क्यों....??? अब जनता जागरूक हो चुकी है, बहुत हो चूका , हमे अब इस गुलामी से मुक्ति चाहिए।

न्यायपालिका को , बिना किसी जबाबदेही, पारदर्शिता, और जनता के प्रति जिम्मेदारी के तानाशाही करने के लिए कैसे खुली छूट दी जा सकती है......???

भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में न्यायपालिका को , बिना किसी जबाबदेही, पारदर्शिता, और जनता के प्रति जिम्मेदारी के तानाशाही करने के लिए कैसे खुली छूट दी जा सकती है......??? जब इनको मिलने वाले वेतन और दूसरी सुविधायें जनता के खून पसीने की टैक्स की कमाई/ देश के संसाधनों से प्राप्त धन से मिलती है , तो इनको जनता के प्रति जिम्मेदारी से छूट क्यों...??? जब लोकतंत्र के दूसरे स्तम्भ को छूट नहीं, है तो फिर न्यायपालिका को तानाशाही करने, मनमानी करने, जबाबदेही और बिना पारदर्शिता के मजे लूटने की छूट क्यों....??? अब जनता जागरूक हो चुकी है, बहुत हो चूका , हमे अब इस गुलामी से मुक्ति चाहिए।

How Judiciary can be allowed to work without accountability, transparency, and to work as dictatorship in a Democratic set up in Country like India ....??? When they get salary and all other benefits from money collected from hard earned tax payer's money/ from resources of Nation. When other pillars of democracy are accountable, to the Citizens of Nation, then why not Judiciary......???

Thursday, 4 February 2016

पुलिस के लोगों को, सकारात्मक और जिम्मेदार बनाने के लिए, सुझाव ..............

कोई भी व्यक्ति कितना भी भृष्ट क्यों न हो ................,??? आखिर, वो एक इंसान भी होता है. यही बात, पुलिस पर भी लागु होती है . जब दूसरे कर्मचारी, चाहे वो अध्यापक हो, नेता, मंत्री हो, अधिकारी हो, सब अपने परिवार और बच्चों के साथ समय बिताते हैं, त्यौहार, पारिवारिक समारोह, या किसी पारिवारिक मजबूरी जैसे -- किसी सदस्य की बीमारी की अवस्था में घर उपस्थित होकर देखभाल करना, बच्चों की पढाई लिखाई आदि .
ये सब ऐसे मौके हैं -- जिनसे इंसान में अपने घर परिवार से, लगाव पैदा होता है . पुलिस के लोगों के साथ समस्या ये है कि -- पुलिस विभाग के बड़े अधिकारी, जज , नेता, मंत्री , विधायक और सांसद, सबके सामने सलाम ठोकते रहो ........!!! खुद खाना कहते रहेंगे, लेकिन कोई इज्जत नहीं .......... सब खाना कहते रहेंगे, इनको कोई, चाय के लिए भी नहीं पूछता ........??? आम जनता में भी, पुलिस के प्रति नफरत ............!!!
असली मजे तो बड़े अधिकारी , नेता मंत्री लूटते हैं . फिर फ़्रस्टेरशन में ये लोग, दारू पिएंगे, और जो सामने आया उस पर रॉब झाडेंगे . ............!!! क्योकि उसके मन की भड़ास निकलने का, कोई तो रास्ता खुला होना चाहिए. ताकि उनका दिमाग शांत रहे . जब घर परिवार, बच्चों से लगाव होगा, तो उनमे किसी और को परेशान करने, प्रताड़ित करने से पहले, चार बार सोचेंगे .............
क्योकि पुलिस वालो को तो ईमानदारी का पाठ पढ़ाने वाले अधिकारी और मंत्री का खुद का चरित्र तो फर्जीवाड़े से भरा होता है. इसलिए, ऐसे प्रवचन, नकली, बनावटी और बेअसर होते हैं और नकारात्मकता को बढ़ावा देने का काम करते हैं.
मेरा ये मानना है कि -- पुलिस के कर्मचारियों को पूरे परिवार के साथ, साल में दो बार, कम से कम तीन दिन के लिए, किसी भर्मण पर जरूर ले जाया जाये .
इसके होने वाले फायदे :--- जब परिवार और बच्चों के साथ होंगे, तो न तो वे शराब का सेवन कर सकेंगे और न ही गली गलोच कर सकेंगे . परिवार के साथ समय बिताने से, उनमे परिवार के सदस्यों के साथ लगाव पैदा होगा, और ये लगाव ही, उनको एक अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करेगा .

Wednesday, 3 February 2016

न्याय यात्रा लुधियाना


देश की जनता को भृष्ट जजों के अत्याचार से मुक्ति दिलवाने के लिए,........ प्रधानमंत्री जी को लिखा पत्र ...




लीगल ऐड को Corporate Social Responsibility में शामिल करवाने के लिए,.......... प्रधानमंत्री जी को लिखा पत्र ...



देश की अदालतों में अंग्रेज़ी भाषा की गुलामी से मुक्ति दिलवाने के लिए प्रधानमंत्री जी को लिखा पत्र ..



हिंदुस्तान की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव के लिए प्रधानमंत्री जी को लिखा पत्र................



Tuesday, 2 February 2016

अदालतों में हिन्दी में कार्य के लिए सौंपा ज्ञापन.............Narnaul News coverage




नारनौल: अदालतों में राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी तथा क्षेत्रिय स्तर पर स्थानीय भाषाओं के प्रयोग करने का कानून बनाने के लिए अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ की अगुवाई में वकीलों व प्रबुद्धजनों ने आज जिलाधीश के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। जिलाधीश नारनौल से ज्ञापन को तत्काल प्रधानमंत्री कार्यालय में भेजने का भरोसा दिलाया।
अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ ने बताया कि विश्व के सभी देशों की न्यायिक व्यवस्था उनके नागरिकों की भाषा में कार्य करती है, लेकिन भारत की अदालतों में आजादी के 68 वर्ष के बाद भी अंग्रेजों की थोंपी गईभाषा को ही अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज जरूरत हो गई है कि हिन्दुस्तान की अदालतों में राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी तथा क्षेत्रिय स्तर पर स्थानीय भाषाओं को प्रयोग करना चाहिए, ताकी आम नागरिक जजों के द्वारा लिखे गए फैसलों को पढ़ सके। उन्हें पता हो कि वे किस दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद भी कुछ स्वार्थी लोगों ने अदालतों की भाषा को अंग्रेजी ही बनाए रखा।
श्री वशिष्ठ ने बताया कि अदालतों में हिन्दी व क्षेत्रिय भाषाओं को बढ़ावा मिलता है तो देश के हर नागरिक को सुविधा होगी तथा प्रधानमंत्री को देश की जनता इस बड़े बदलाव के लिए याद करेगी। ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों के अनुसार
इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता मनोज विश्वकर्मा रेवाड़ी, यशबीर ढिल्लो एडवोकेट, प्रेम भारद्वाज, महेश दीक्षित, अनिल शर्मा एडवोकेट, भूपेश शर्मा, अजय खुडाना एडवोकेट, आशुतौश शुक्ला एडवोकेट, नरेन्द्र गणियार एडवोकेट, सीताराम बौहरा एडवोकेट आदि अनेकों प्रबुद्धजनों ने ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए तथा ज्ञापन के समय उपस्थित थे।

अदालतों में हिन्दी में कार्य के लिए सौंपा ज्ञापन.................Narnaul News Coverage


नारनौल:  
अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ ने बताया कि विश्व के सभी देशों की न्यायिक व्यवस्था उनके नागरिकों की भाषा में कार्य करती है, लेकिन भारत की अदालतों में आजादी के 68 वर्ष के बाद भी अंग्रेजों की थोंपी गईभाषा को ही अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज जरूरत हो गई है कि हिन्दुस्तान की अदालतों में राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी तथा क्षेत्रिय स्तर पर स्थानीय भाषाओं को प्रयोग करना चाहिए, ताकी आम नागरिक जजों के द्वारा लिखे गए फैसलों को पढ़ सके। उन्हें पता हो कि वे किस दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद भी कुछ स्वार्थी लोगों ने अदालतों की भाषा को अंग्रेजी ही बनाए रखा।
श्री वशिष्ठ ने बताया कि अदालतों में हिन्दी व क्षेत्रिय भाषाओं को बढ़ावा मिलता है तो देश के हर नागरिक को सुविधा होगी तथा प्रधानमंत्री को देश की जनता इस बड़े बदलाव के लिए याद करेगी। ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों के अनुसार
इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता मनोज विश्वकर्मा रेवाड़ी, यशबीर ढिल्लो एडवोकेट, प्रेम भारद्वाज, महेश दीक्षित, अनिल शर्मा एडवोकेट, भूपेश शर्मा, अजय खुडाना एडवोकेट, आशुतौश शुक्ला एडवोकेट, नरेन्द्र गणियार एडवोकेट, सीताराम बौहरा एडवोकेट आदि अनेकों प्रबुद्धजनों ने ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए तथा ज्ञापन के समय उपस्थित थे।



अदालतों में राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी तथा क्षेत्रिय स्तर पर स्थानीय भाषाओं के प्रयोग करने का कानून बनाने के लिए अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ की अगुवाई में वकीलों व प्रबुद्धजनों ने आज जिलाधीश के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। जिलाधीश नारनौल से ज्ञापन को तत्काल प्रधानमंत्री कार्यालय में भेजने का भरोसा दिलाया।

दुनिया भर में इतिहास उठाकर देख लो, ज्यादातर लोग केवल बच्चे पैदा करना और पेट भरना,ही कर रहे है, लेकिन दुनिया में कुछ लोगों का जीवन और सोच

इस दुनिया भर में इतिहास उठाकर देख लो, ज्यादातर लोग केवल बच्चे पैदा करना और पेट भरना, केवल ये दो काम ही कर रहे है,.... लेकिन दुनिया में कुछ लोगों का जीवन और सोच,,, दिशा और दशा बदलने के लिए समर्पित होता है। ये चाहे किसी भी क्षेत्र में हों, देश, समाज, परिवार, मोहल्ले, गली, शहर और गांव के लोगों के जीवन में बदलाव का कारण बनते है । अगर आप भी ऐसे शक्श हैं, और आप को लगता है कि ---आप भी कुछ ऐसा कर रहे हैं या करने की क़ाबलियत रखते हैं, तो आप सादर आमंत्रित हैं.

 Let's Change India. ... Visit us at --- http://activistglobal.blogspot/ com

अब हमने नारनौल से, एक और देशव्यापी अभियान की शुरुआत कर दी है ................................

अब हमने नारनौल से, एक और देशव्यापी अभियान की शुरुआत कर दी है ................................

 अदालतों में राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी तथा क्षेत्रिय स्तर पर स्थानीय भाषाओं के प्रयोग करने का कानून बनाने के लिए, .......... प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन.............

 देश के हर जिले से ये ज्ञापन भेजे जाने हैं. अगर आप भी इस मुद्दे से सहमत हों , तो ज्ञापन की कॉपी लेने के लिए हमें SMS के माध्यम से अपना नाम, जिला और ईमेल 09253323118 पर भेजें................

अदालतों में हिन्दी में कार्य के लिए सौंपा ज्ञापन............

नारनौल: अदालतों में राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी तथा क्षेत्रिय स्तर पर स्थानीय भाषाओं के प्रयोग करने का कानून बनाने के लिए अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ की अगुवाई में वकीलों व प्रबुद्धजनों ने आज जिलाधीश के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। जिलाधीश नारनौल से ज्ञापन को तत्काल प्रधानमंत्री कार्यालय में भेजने का भरोसा दिलाया।
अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ ने बताया कि विश्व के सभी देशों की न्यायिक व्यवस्था उनके नागरिकों की भाषा में कार्य करती है, लेकिन भारत की अदालतों में आजादी के 68 वर्ष के बाद भी अंग्रेजों की थोंपी गईभाषा को ही अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज जरूरत हो गई है कि हिन्दुस्तान की अदालतों में राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी तथा क्षेत्रिय स्तर पर स्थानीय भाषाओं को प्रयोग करना चाहिए, ताकी आम नागरिक जजों के द्वारा लिखे गए फैसलों को पढ़ सके। उन्हें पता हो कि वे किस दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद भी कुछ स्वार्थी लोगों ने अदालतों की भाषा को अंग्रेजी ही बनाए रखा।
श्री वशिष्ठ ने बताया कि अदालतों में हिन्दी व क्षेत्रिय भाषाओं को बढ़ावा मिलता है तो देश के हर नागरिक को सुविधा होगी तथा प्रधानमंत्री को देश की जनता इस बड़े बदलाव के लिए याद करेगी। ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों के अनुसार
इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता मनोज विश्वकर्मा रेवाड़ी, यशबीर ढिल्लो एडवोकेट, प्रेम भारद्वाज, महेश दीक्षित, अनिल शर्मा एडवोकेट, भूपेश शर्मा, अजय खुडाना एडवोकेट, आशुतौश शुक्ला एडवोकेट, नरेन्द्र गणियार एडवोकेट, सीताराम बौहरा एडवोकेट आदि अनेकों प्रबुद्धजनों ने ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए तथा ज्ञापन के समय उपस्थित थे।