आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
कल का असली रावण , आज के तथाकथित पूज्यनीय भगवान
से कई गुना अच्छा था ........
कल दशहरे का पर्व पूरे देश में धूम धाम से मनाया गया । लगभग हर शहर, क़स्बा, गांव में बुराई के प्रतीक रावण, मेघनाथ, और कुम्भकर्ण के पुतले जलाये गए ।
आजकल के राम, तो इतने कमजोर हो चुके हैं कि -- वे तो रावण की बुराई के खिलाफ कुछ करने या विरोध करने की कोशिश ही नहीं करते ..... न तो उनमें संयम है ..... न ही बुराई का विरोध करने का दम..... बस निराश मन से , सब कुछ सहते रहते हैं .......
इनसे तो अच्छा वो कल का रावण था, ......उसमे संयम भी था......ईमानदारी भी थी ...... चरित्र भी ऊँचे स्तर का था ......समझदार भी था...... भगवान राम के हाथों जीवन से मुक्ति पाने के लिए लड़ाई की....... मौक्ष पाने के लिए अपने राजपाठ तक को दांव पर लगा दिया ........
इसके विपरीत, आज हर घर में राम तो है, लेकिन वो मरे हुए जमीर का है ।
न तो वो बुराई को ख़त्म करने के लिए कोई कोशिश करता है, और ना ही अन्याय को ख़त्म करने की कोशिश करता है , बल्कि अपनी निष्क्रियता से अच्छाई की बुराई पर विजय की सम्भावना भी लगभग ख़त्म कर चूका है ..... ऐसे कलयुगी नकली राम से तो, उस युग का असली रावण ही अच्छा था.......
उस समय के रावण में जितनी अच्छाई थी, उतनी तो आज के राम में भी नहीं रही ....... हमारे चारों तरफ, कदम 2 पर राम का रूप धारण करके , रावण घूम रहे हैं । चाहे हम अपने घर में देख लें, ......पास पड़ोस में देख लें ......या .....कोर्ट में देख लें,...... तहसील में देख लें .…....या जानकारी / रिश्तेदारी में देख लें …......,पुलिस थानों में देख लें…......., किसी सरकारी विभाग में देख लें ....... किसी धार्मिक आयोजन में देख लें , ..... बड़े 2 जागरण और रामलीला के आयोजकों को देख लें,........ बड़ी2 धार्मिक संस्थाओं के मुखियाओं को देख लें ........., समाज और देश के हर हिस्से में देख लें । सभी तरफ दिखावा तो राम का हो रहा है, लेकिन असलियत में वे रावण से भी कई गुना ज्यादा बुरे हैं ।
कल का असली रावण , आज के तथाकथित पूज्यनीय भगवान
से कई गुना अच्छा था ........
कल दशहरे का पर्व पूरे देश में धूम धाम से मनाया गया । लगभग हर शहर, क़स्बा, गांव में बुराई के प्रतीक रावण, मेघनाथ, और कुम्भकर्ण के पुतले जलाये गए ।
आजकल के राम, तो इतने कमजोर हो चुके हैं कि -- वे तो रावण की बुराई के खिलाफ कुछ करने या विरोध करने की कोशिश ही नहीं करते ..... न तो उनमें संयम है ..... न ही बुराई का विरोध करने का दम..... बस निराश मन से , सब कुछ सहते रहते हैं .......
इनसे तो अच्छा वो कल का रावण था, ......उसमे संयम भी था......ईमानदारी भी थी ...... चरित्र भी ऊँचे स्तर का था ......समझदार भी था...... भगवान राम के हाथों जीवन से मुक्ति पाने के लिए लड़ाई की....... मौक्ष पाने के लिए अपने राजपाठ तक को दांव पर लगा दिया ........
इसके विपरीत, आज हर घर में राम तो है, लेकिन वो मरे हुए जमीर का है ।
न तो वो बुराई को ख़त्म करने के लिए कोई कोशिश करता है, और ना ही अन्याय को ख़त्म करने की कोशिश करता है , बल्कि अपनी निष्क्रियता से अच्छाई की बुराई पर विजय की सम्भावना भी लगभग ख़त्म कर चूका है ..... ऐसे कलयुगी नकली राम से तो, उस युग का असली रावण ही अच्छा था.......
उस समय के रावण में जितनी अच्छाई थी, उतनी तो आज के राम में भी नहीं रही ....... हमारे चारों तरफ, कदम 2 पर राम का रूप धारण करके , रावण घूम रहे हैं । चाहे हम अपने घर में देख लें, ......पास पड़ोस में देख लें ......या .....कोर्ट में देख लें,...... तहसील में देख लें .…....या जानकारी / रिश्तेदारी में देख लें …......,पुलिस थानों में देख लें…......., किसी सरकारी विभाग में देख लें ....... किसी धार्मिक आयोजन में देख लें , ..... बड़े 2 जागरण और रामलीला के आयोजकों को देख लें,........ बड़ी2 धार्मिक संस्थाओं के मुखियाओं को देख लें ........., समाज और देश के हर हिस्से में देख लें । सभी तरफ दिखावा तो राम का हो रहा है, लेकिन असलियत में वे रावण से भी कई गुना ज्यादा बुरे हैं ।
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