आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश तीरथ सिंह ठाकुर पिछले कुछ महीनों से जजों की कमी , काम के दबाब का हवाला देते हुए, नए जजों की भर्ती के लिए , केंद्र सरकार पर , दबाब बनाने की रणनीति के चलते, सार्वजनिक रूप से सरकार, पर जजों की नियुक्ति में देरी के लिए, इल्जाम लगाकर, अपने आप को दूध का धुला साबित करने की कोशिश में लगे हैं ।
जबकि हकीकत यह है कि CJI ठाकुर साहब , अपने जजों के फर्जीवाड़े, अंकल जजों की नियुक्ति, न्यायपालिका के भरष्टाचार पर चुप्पी साधे हुए हैं । जो लोग कोर्ट में जाते हैं , उनको अच्छी तरह से मालूम है कि --- कई जज तो पूरे दिन में 2 घंटे भी काम नहीं करते ........एक प्राइमरी स्कूल के छोटे बच्चे से भी ज्यादा छुट्टियां इनको ही क्यों चाहिए ........???? क्या दूसरे कर्मचारी ईन्सान नहीं .....???
दरअसल ठाकुर साहब , न्यायपालिका में नए जजों की भर्ती के बहाने, अपने लोगों को भर्ती करना चाहते हैं । न्यायपालिका जितने प्रवचन दूसरे लोगों को सुधार के लिए देती है, उसका 50% भी अगर खुद पर अमल, कर लेगी, तो बहुत बड़ा सुधार हो जायेगा ।
देश की अदालतों में धड़ाधड़ फर्जीवाड़े हो रहे हैं, भृष्ट जज, अवैध वसूली के लिए , निर्दोष लोगों को गैर जमानती वारंट करके, बिना कसूर ही जेल भेज रही है, ऐसे जजों को क्यों बचाया जा रहा है .....??? भृष्ट जजों के खिलाफ कार्यवाही पर, न्यायपालिका और ईमानदार CJI ठाकुर साहब चुप क्यों ........???
न्यायपालिका ने जजों को मिली स्वतंत्रता, संरक्षण , का दुरुपयोग करते हुए, अन्याय और अत्याचार के खिलाफ विरोध को कुचलने के लिए , कॉन्टेम्पट ऑफ़ कोर्ट एक्ट का गलत इस्तेमाल करते हुए, निर्दोष लोगों पर झूठे मुक़दमे दर्ज करवाकर प्रताड़ित कर रही है।
जब अधिकार , निरंकुश ताकत और शक्तियों का दुरूपयोग होने लगे , तो उस पर लगाम लगाना जरुरी हो जाता है ।
आज के दिन , जजों की 98% ऊर्जा केवल फर्जीवाड़े, तानाशाही करने, सच को झूठ में बदलने में लगी हुई है, निर्दोष लोगों का जमकर शोषण किया जा रहा है। देश के निर्दोष लोगों को प्रताड़ित करके , मरने को मजबूर किया जा रहा है । फर्जी और गैर कानूनी तरीके अपनाकर, पुलिस पर दबाब बनाकर, निर्दोष लोगों को किसी भी तरीके से जेल में भेजकर , उनसे हो रही, जमकर अवैध वसूली .........??? दिखावा न्याय का ,....... और हकीकत में हो रही अवैध वसूली ..........!!!
एक चपरासी, सफाईवाला भी, इन भृष्ट जजों से ज्यादा जिम्मेदार.......!!!
आखिर न्यायपालिका और सरकार में क्यों हो रहा है टकराव .......???
क्या न्यायपालिका को अपने गिरेबां में नहीं झांकना चाहिए.......??? अंकल जजों पर भी अंकुश लगाए सुप्रीम कोर्ट........!!!
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28 अक्टूबर को जजों की नियुक्ति को लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को फटकार लगाई है। मुख्य न्यायाधीश टी.एस.ठाकुर ने कहा कि सिफारिश के बावजूद सरकार 9 महीने से फाइल को दबाए बैठी है। सरकार के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से जस्टिस ठाकुर ने कहा कि आप इसे नाक का सवाल न बनाएं। आप (सरकार) संस्थाओं को दो पाटों के बीच नहीं पीस सकते। हम बेहद धैर्य के साथ काम कर रहे हैं। हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते, जहां न्यायपालिका तबाह हो जाए और अदालतों में ताले लगे जाएं। यह माना कि हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति नहीं होने देश के सभी राज्यों में मुकदमों का अंबार लग गया है। सुप्रीम कोर्ट की यह राय वाजिब है कि जजों की नियुक्ति जल्द होनी चाहिए। सब जानते हैं कि सरकार ने जजों की नियुक्ति का जो फार्मूला सुझाया था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। अब जजों की नियुक्ति के फार्मूले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ओर सरकार के बीच विवाद की स्थिति है। लेकिन जिन लोगों का अदालतों से पाला पड़ा है, वे अच्छी तरह जानते हैं कि अदालतों में क्या-क्या होता है। ऐसा नहीं कि सुप्रीम कोर्ट में बैठे भगवानों को हाई कोर्ट के भगवानों की करतूतें पता न हों। कई अवसरों पर बड़े भगवानों ने छोटे भगवानों की कार्यशैली पर नाराजगी जताई है। बड़े भगवानों को हाईकोर्ट के अंकल जजों के बारे में भी पता है। अंकल जज उन्हें माना जाता है जिनके पुत्र पुत्रियां या अन्य निकट के रिश्तेदार हाईकोर्ट में वकालात करते हैं। ईमानदारी इतनी की कोई जज अपने बेटे-बेटी को अपनी अदालत में पैरवी नहीं करने देता। जब से जजों की नियुक्ति अन्य प्रांतों में होने लगी है तब से तो अंकल जजों की ईमानदारी और बढ़ गई है। उदाहरण के लिए गुजरात का कोई जज राजस्थान में और राजस्थान का गुजरात हाईकोर्ट में नियुक्त हो तो राजस्थान के वकील बेटे, बेटी को गुजरात में और गुजरात वाले को राजस्थान में अंकल जज मिल जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट को इस बात का भी पता लगाना चाहिए कि अंकल जजों से जुड़े युवा वकीलों की स्थिति कैसी है। साधारण परिवार का युवा वकील वर्षों तक अपनी पहचान के लिए मोहताज रहता है, जबकि अंकल जजों की वजह से बेटे-बेटियां रातोंरात मालामाल हो जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी पता लगाए कि जजों के बेटे-बेटियां कितनी राज्य सरकारों के पैनल में शामिल है। खुद सुप्रीम कोर्ट में होईकोर्ट के जजों के बेटे-बेटियां विभिन्न राज्य सरकारों की ओर से पैरवी कर रहे हैं। ऐसा नहीं कि ऐसे बेटे-बेटियों में काबिलियत की कोई कमी हो, लेकिन इनसे भी ज्यादा काबिलियत वाले वकील मुंशीगिरी का काम कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट यह कह सकता है कि जब नेता का बेटा नेता बन सकता है तो जज का बेटा वकील क्यों नहीं बन सकता? सुप्रीम कोर्ट का यह तर्क 100 प्रतिशत सही है, लेकिन नेता और उसके बेटे की आलोचना सार्वजनिक तौर पर हो सकती है तथा ऐसे भ्रष्ट नेताओं को कोर्ट में भी घसीटा जा सकता है, लेकिन न्यायालय की अवमानना के डर की वजह से बेटे-बेटियों की कोई आलोचना नहीं हो सकती और न ही किसी कोर्ट में घसीटा जा सकता है।
(एस.पी. मित्तल) (28-10-2016)
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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश तीरथ सिंह ठाकुर पिछले कुछ महीनों से जजों की कमी , काम के दबाब का हवाला देते हुए, नए जजों की भर्ती के लिए , केंद्र सरकार पर , दबाब बनाने की रणनीति के चलते, सार्वजनिक रूप से सरकार, पर जजों की नियुक्ति में देरी के लिए, इल्जाम लगाकर, अपने आप को दूध का धुला साबित करने की कोशिश में लगे हैं ।
जबकि हकीकत यह है कि CJI ठाकुर साहब , अपने जजों के फर्जीवाड़े, अंकल जजों की नियुक्ति, न्यायपालिका के भरष्टाचार पर चुप्पी साधे हुए हैं । जो लोग कोर्ट में जाते हैं , उनको अच्छी तरह से मालूम है कि --- कई जज तो पूरे दिन में 2 घंटे भी काम नहीं करते ........एक प्राइमरी स्कूल के छोटे बच्चे से भी ज्यादा छुट्टियां इनको ही क्यों चाहिए ........???? क्या दूसरे कर्मचारी ईन्सान नहीं .....???
दरअसल ठाकुर साहब , न्यायपालिका में नए जजों की भर्ती के बहाने, अपने लोगों को भर्ती करना चाहते हैं । न्यायपालिका जितने प्रवचन दूसरे लोगों को सुधार के लिए देती है, उसका 50% भी अगर खुद पर अमल, कर लेगी, तो बहुत बड़ा सुधार हो जायेगा ।
देश की अदालतों में धड़ाधड़ फर्जीवाड़े हो रहे हैं, भृष्ट जज, अवैध वसूली के लिए , निर्दोष लोगों को गैर जमानती वारंट करके, बिना कसूर ही जेल भेज रही है, ऐसे जजों को क्यों बचाया जा रहा है .....??? भृष्ट जजों के खिलाफ कार्यवाही पर, न्यायपालिका और ईमानदार CJI ठाकुर साहब चुप क्यों ........???
न्यायपालिका ने जजों को मिली स्वतंत्रता, संरक्षण , का दुरुपयोग करते हुए, अन्याय और अत्याचार के खिलाफ विरोध को कुचलने के लिए , कॉन्टेम्पट ऑफ़ कोर्ट एक्ट का गलत इस्तेमाल करते हुए, निर्दोष लोगों पर झूठे मुक़दमे दर्ज करवाकर प्रताड़ित कर रही है।
जब अधिकार , निरंकुश ताकत और शक्तियों का दुरूपयोग होने लगे , तो उस पर लगाम लगाना जरुरी हो जाता है ।
आज के दिन , जजों की 98% ऊर्जा केवल फर्जीवाड़े, तानाशाही करने, सच को झूठ में बदलने में लगी हुई है, निर्दोष लोगों का जमकर शोषण किया जा रहा है। देश के निर्दोष लोगों को प्रताड़ित करके , मरने को मजबूर किया जा रहा है । फर्जी और गैर कानूनी तरीके अपनाकर, पुलिस पर दबाब बनाकर, निर्दोष लोगों को किसी भी तरीके से जेल में भेजकर , उनसे हो रही, जमकर अवैध वसूली .........??? दिखावा न्याय का ,....... और हकीकत में हो रही अवैध वसूली ..........!!!
एक चपरासी, सफाईवाला भी, इन भृष्ट जजों से ज्यादा जिम्मेदार.......!!!
आखिर न्यायपालिका और सरकार में क्यों हो रहा है टकराव .......???
क्या न्यायपालिका को अपने गिरेबां में नहीं झांकना चाहिए.......??? अंकल जजों पर भी अंकुश लगाए सुप्रीम कोर्ट........!!!
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28 अक्टूबर को जजों की नियुक्ति को लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को फटकार लगाई है। मुख्य न्यायाधीश टी.एस.ठाकुर ने कहा कि सिफारिश के बावजूद सरकार 9 महीने से फाइल को दबाए बैठी है। सरकार के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से जस्टिस ठाकुर ने कहा कि आप इसे नाक का सवाल न बनाएं। आप (सरकार) संस्थाओं को दो पाटों के बीच नहीं पीस सकते। हम बेहद धैर्य के साथ काम कर रहे हैं। हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते, जहां न्यायपालिका तबाह हो जाए और अदालतों में ताले लगे जाएं। यह माना कि हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति नहीं होने देश के सभी राज्यों में मुकदमों का अंबार लग गया है। सुप्रीम कोर्ट की यह राय वाजिब है कि जजों की नियुक्ति जल्द होनी चाहिए। सब जानते हैं कि सरकार ने जजों की नियुक्ति का जो फार्मूला सुझाया था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। अब जजों की नियुक्ति के फार्मूले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ओर सरकार के बीच विवाद की स्थिति है। लेकिन जिन लोगों का अदालतों से पाला पड़ा है, वे अच्छी तरह जानते हैं कि अदालतों में क्या-क्या होता है। ऐसा नहीं कि सुप्रीम कोर्ट में बैठे भगवानों को हाई कोर्ट के भगवानों की करतूतें पता न हों। कई अवसरों पर बड़े भगवानों ने छोटे भगवानों की कार्यशैली पर नाराजगी जताई है। बड़े भगवानों को हाईकोर्ट के अंकल जजों के बारे में भी पता है। अंकल जज उन्हें माना जाता है जिनके पुत्र पुत्रियां या अन्य निकट के रिश्तेदार हाईकोर्ट में वकालात करते हैं। ईमानदारी इतनी की कोई जज अपने बेटे-बेटी को अपनी अदालत में पैरवी नहीं करने देता। जब से जजों की नियुक्ति अन्य प्रांतों में होने लगी है तब से तो अंकल जजों की ईमानदारी और बढ़ गई है। उदाहरण के लिए गुजरात का कोई जज राजस्थान में और राजस्थान का गुजरात हाईकोर्ट में नियुक्त हो तो राजस्थान के वकील बेटे, बेटी को गुजरात में और गुजरात वाले को राजस्थान में अंकल जज मिल जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट को इस बात का भी पता लगाना चाहिए कि अंकल जजों से जुड़े युवा वकीलों की स्थिति कैसी है। साधारण परिवार का युवा वकील वर्षों तक अपनी पहचान के लिए मोहताज रहता है, जबकि अंकल जजों की वजह से बेटे-बेटियां रातोंरात मालामाल हो जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी पता लगाए कि जजों के बेटे-बेटियां कितनी राज्य सरकारों के पैनल में शामिल है। खुद सुप्रीम कोर्ट में होईकोर्ट के जजों के बेटे-बेटियां विभिन्न राज्य सरकारों की ओर से पैरवी कर रहे हैं। ऐसा नहीं कि ऐसे बेटे-बेटियों में काबिलियत की कोई कमी हो, लेकिन इनसे भी ज्यादा काबिलियत वाले वकील मुंशीगिरी का काम कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट यह कह सकता है कि जब नेता का बेटा नेता बन सकता है तो जज का बेटा वकील क्यों नहीं बन सकता? सुप्रीम कोर्ट का यह तर्क 100 प्रतिशत सही है, लेकिन नेता और उसके बेटे की आलोचना सार्वजनिक तौर पर हो सकती है तथा ऐसे भ्रष्ट नेताओं को कोर्ट में भी घसीटा जा सकता है, लेकिन न्यायालय की अवमानना के डर की वजह से बेटे-बेटियों की कोई आलोचना नहीं हो सकती और न ही किसी कोर्ट में घसीटा जा सकता है।
(एस.पी. मित्तल) (28-10-2016)
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