आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
भृष्ट जज, जब लीगल ऐड का, जरूरतमंद का पैसा ही हजम करने से नहीं चूक रहे,...... तो हमें और आपको क्या बख्शेंगे ........???
कोर्ट में लीगल ऐड के नाम से काफी सारा पैसा आता है। इसका उद्देश्य मजबूर, गरीब, आर्थिक कमजोर लोगों को सरकारी खर्चे से , मुकदमे की पैरवी के लिए , वकील दिलवाना, गावँ , शहर जाकर लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित करना और पीड़ित को आर्थिक मदद दिलवाना ( जैसे कि --- बलात्कार पीड़ित, जाती सूचक अपमान , प्रताड़ना के पीड़ित आदि) , होता है । लेकिन ये बेशर्म भृष्ट जज इस पैसे के खर्च में भी घपले / फर्जीवाड़े करने से नहीं , चूक रहे । अपने चहेते वकीलों को इसमें लगाकर, उनको एक्टिविटी के खर्च के नाम पर हर महीने चेक दिये जाते हैं । किसी को आर्थिक मदद मिलती है तो उसका लगभग 30% हिस्सा तो ये जज ही पास करने के नाम पर हजम कर जाते हैं और कोई नहीं देता, तो उसका क्लेम किसी न किसी बहाने से अटका दिया जाता है । लीगल ऐड का पैसा , मजबूर लोगों की मदद के लिए होता है, ....... जिस प्रकार मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा , गिरिजाघर , धर्मशाला आदि का दान / चंदे के पैसे में घपला,/फर्जीवाड़ा करना बहुत बड़ा पाप माना जाता है, उसी प्रकार लीगल ऐड का पैसा भी उतना ही पवित्र है । लीगल ऐड के पैसे का घपला/ फर्जीवाड़ा भी उतना ही बड़ा पाप है। अभी हाई कोर्ट चंडीगढ़ के एक जज सतीश मित्तल ने ऐसा ही फर्जीवाड़ा , लीगल ऐड के लिए कुर्सियों की खरीद में किया था। किसी ने उसकी शिकायत भी कर दी । ये तो भला हो राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी साहब की समझदारी का , जिन्होंने इस जज को राजस्थान हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस ज्यादा दिन रहने से रोक दिया , वर्ना तो ये राजस्थान को भी लूट कर खा जाता ......!!!
भृष्ट जज, जब लीगल ऐड का, जरूरतमंद का पैसा ही हजम करने से नहीं चूक रहे,...... तो हमें और आपको क्या बख्शेंगे ........???
कोर्ट में लीगल ऐड के नाम से काफी सारा पैसा आता है। इसका उद्देश्य मजबूर, गरीब, आर्थिक कमजोर लोगों को सरकारी खर्चे से , मुकदमे की पैरवी के लिए , वकील दिलवाना, गावँ , शहर जाकर लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित करना और पीड़ित को आर्थिक मदद दिलवाना ( जैसे कि --- बलात्कार पीड़ित, जाती सूचक अपमान , प्रताड़ना के पीड़ित आदि) , होता है । लेकिन ये बेशर्म भृष्ट जज इस पैसे के खर्च में भी घपले / फर्जीवाड़े करने से नहीं , चूक रहे । अपने चहेते वकीलों को इसमें लगाकर, उनको एक्टिविटी के खर्च के नाम पर हर महीने चेक दिये जाते हैं । किसी को आर्थिक मदद मिलती है तो उसका लगभग 30% हिस्सा तो ये जज ही पास करने के नाम पर हजम कर जाते हैं और कोई नहीं देता, तो उसका क्लेम किसी न किसी बहाने से अटका दिया जाता है । लीगल ऐड का पैसा , मजबूर लोगों की मदद के लिए होता है, ....... जिस प्रकार मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा , गिरिजाघर , धर्मशाला आदि का दान / चंदे के पैसे में घपला,/फर्जीवाड़ा करना बहुत बड़ा पाप माना जाता है, उसी प्रकार लीगल ऐड का पैसा भी उतना ही पवित्र है । लीगल ऐड के पैसे का घपला/ फर्जीवाड़ा भी उतना ही बड़ा पाप है। अभी हाई कोर्ट चंडीगढ़ के एक जज सतीश मित्तल ने ऐसा ही फर्जीवाड़ा , लीगल ऐड के लिए कुर्सियों की खरीद में किया था। किसी ने उसकी शिकायत भी कर दी । ये तो भला हो राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी साहब की समझदारी का , जिन्होंने इस जज को राजस्थान हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस ज्यादा दिन रहने से रोक दिया , वर्ना तो ये राजस्थान को भी लूट कर खा जाता ......!!!
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