हाई कोर्ट चंडीगढ़ ने हमारे खिलाफ क्रिमिनल कॉन्टेम्पट के जो मुकदमें ख़ारिज किये थे , आज उस आर्डर की कॉपी वेबसाइट से निकाली है।
हमें ये हैरानी हो रही है कि --- हमनें हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के दोनों जजों महेश ग्रोवर और डॉक्टर शेखर धवन को, 170 पेज के दो सेट दोनों जज साहब को दिए थे । उन डाक्यूमेंट्स के आधार पर ही, उन्होंने मेरे खिलाफ मुकदमें ख़ारिज किये, लेकिन आर्डर में उसका कही भी कोई जिक्र ही नहीं किया गया ।
न हमनें माफीनामा लिखा, न ही हमनें जेल जाने से मना किया । जब उनको ये लगा कि -- ये न तो ड़र रहा है, और गड़बड़ी तो पकड़ ही ली है , अब कानून के तरीके से काम करेंगे तो, हाई कोर्ट को, इन जजों के खिलाफ , कार्यवाही करनी ही पड़ेगी ( जिन जजों के खिलाफ 15 शिकायत के, 170 पेज के दस्तावेज, हमनें हाई कोर्ट के दोनों जज साहब को दिए ) ।
अपने हाई कोर्ट के जज को, कार्यवाही से बचाने के लिए और मीडिया में अपनी असलियत सामने आने के डर से, कहीं हम देश की लोगों की नजरों में छा न जाएं, इसके चलते, हमारे खिलाफ कुछ अपने , आधारहीन आरोप / विचार मुफ़्त में ही लिख दिए ।
हमारे लिखित सबूतों में दम था । इसीलिए, ये मुकदमें ख़त्म किये, वैसे चाहे कुछ भी लिखते रहें । सच सब जानते हैं । हमें ख़ुशी होगी अगर , आरोप लगाने वाले जज साहब , बिना पॉवर और पोजीशन के हमारे द्वारा किये गए , काम से हमारे साथ मुकबला करते .........!!!
Copy of Order dated 06/09/2016 uploaded on 14/09/2016 evening
हमें ये हैरानी हो रही है कि --- हमनें हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के दोनों जजों महेश ग्रोवर और डॉक्टर शेखर धवन को, 170 पेज के दो सेट दोनों जज साहब को दिए थे । उन डाक्यूमेंट्स के आधार पर ही, उन्होंने मेरे खिलाफ मुकदमें ख़ारिज किये, लेकिन आर्डर में उसका कही भी कोई जिक्र ही नहीं किया गया ।
न हमनें माफीनामा लिखा, न ही हमनें जेल जाने से मना किया । जब उनको ये लगा कि -- ये न तो ड़र रहा है, और गड़बड़ी तो पकड़ ही ली है , अब कानून के तरीके से काम करेंगे तो, हाई कोर्ट को, इन जजों के खिलाफ , कार्यवाही करनी ही पड़ेगी ( जिन जजों के खिलाफ 15 शिकायत के, 170 पेज के दस्तावेज, हमनें हाई कोर्ट के दोनों जज साहब को दिए ) ।
अपने हाई कोर्ट के जज को, कार्यवाही से बचाने के लिए और मीडिया में अपनी असलियत सामने आने के डर से, कहीं हम देश की लोगों की नजरों में छा न जाएं, इसके चलते, हमारे खिलाफ कुछ अपने , आधारहीन आरोप / विचार मुफ़्त में ही लिख दिए ।
हमारे लिखित सबूतों में दम था । इसीलिए, ये मुकदमें ख़त्म किये, वैसे चाहे कुछ भी लिखते रहें । सच सब जानते हैं । हमें ख़ुशी होगी अगर , आरोप लगाने वाले जज साहब , बिना पॉवर और पोजीशन के हमारे द्वारा किये गए , काम से हमारे साथ मुकबला करते .........!!!
Copy of Order dated 06/09/2016 uploaded on 14/09/2016 evening
Order ddated 06.09.2016 was uuploaded on High Court wwebsite on 14.09.2016 evening. Why so late .......??? Mmanipulations......
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