6 जजों द्वारा डाले गए 3 मुकदमें, ऐसे ही नहीं जीते गए..................
हमारे पर माफीनामा लिखकर मुकदमा ख़त्म करने का दबाब भी बनाया गया । कई बार हमारे पर हाई कोर्ट के जजों ने , जेल भेजने का दबाब और डर बनाने की कोशिश किया , लेकिन हम दूसरों की तरह डरने की बजाय, अपनी बात पर अडिग रहे । उनको ये तो समझ आ गया था कि --- मनोज ने जजों की गड़बड़ी तो पकड़ ली है , फिर भी मामले को घुमाने और डराने की पूरी कोशिश की गई ।
सच में बहुत ताकत होती है, हाई कोर्ट के जज महेश ग्रोवर और डॉक्टर शेखर धवन के साथ लगभग 45 मिनट तक बात हुई, उन्होंने ये स्वीकार भी किया कि --- ज्यादती हुई है, हमारी , सहनशीलता, काबिलियत , लिखाई, ज्ञान और Achievement से वे बेहद प्रभावित भी हुए । वैसे तो ये जज साहब बड़े सख्त स्वभाव के हैं, लेकिन हमें उनसे बात करते वक्त , संवेदनशीलता दिखाई दी और दोस्त की तरह बात करने लग गए । हाई कोर्ट में केस की सुनवाई के दौरान जब हमनें जज साहब को ये बताया कि ---हमनें 2 नई मेडिसिन खोजी हैं, और हमारा किस तरह का इतिहास रहा है, ....??? और इस दुनियां में, इतनी काबिलियत वाले बच्चे , कितने माँ बाप को नसीब होते हैं .......??? जो की कोई नई चीज खोज सकें, असली दिमाग तो उसका था, ...... जिसने कंप्यूटर, एयर कंडीशनर , पंखा, बिजली की खोज की , तो जज साहब प्रभावित और खुश भी हुए और खुद ही कहने लगे कि --- यहाँ तो दो में से एक के ही हक़ में फैसला हो सकता है, जो हार जाता है , उसके लिए हम बुरे और नाराज नहीं हो , तो वकील अपने आप को बचाने के लिए , जजों पर आरोप लगाकर, लोगों को हमारे खिलाफ भड़का देते हैं ।
हमारे पर माफीनामा लिखकर मुकदमा ख़त्म करने का दबाब भी बनाया गया । कई बार हमारे पर हाई कोर्ट के जजों ने , जेल भेजने का दबाब और डर बनाने की कोशिश किया , लेकिन हम दूसरों की तरह डरने की बजाय, अपनी बात पर अडिग रहे । उनको ये तो समझ आ गया था कि --- मनोज ने जजों की गड़बड़ी तो पकड़ ली है , फिर भी मामले को घुमाने और डराने की पूरी कोशिश की गई ।
सच में बहुत ताकत होती है, हाई कोर्ट के जज महेश ग्रोवर और डॉक्टर शेखर धवन के साथ लगभग 45 मिनट तक बात हुई, उन्होंने ये स्वीकार भी किया कि --- ज्यादती हुई है, हमारी , सहनशीलता, काबिलियत , लिखाई, ज्ञान और Achievement से वे बेहद प्रभावित भी हुए । वैसे तो ये जज साहब बड़े सख्त स्वभाव के हैं, लेकिन हमें उनसे बात करते वक्त , संवेदनशीलता दिखाई दी और दोस्त की तरह बात करने लग गए । हाई कोर्ट में केस की सुनवाई के दौरान जब हमनें जज साहब को ये बताया कि ---हमनें 2 नई मेडिसिन खोजी हैं, और हमारा किस तरह का इतिहास रहा है, ....??? और इस दुनियां में, इतनी काबिलियत वाले बच्चे , कितने माँ बाप को नसीब होते हैं .......??? जो की कोई नई चीज खोज सकें, असली दिमाग तो उसका था, ...... जिसने कंप्यूटर, एयर कंडीशनर , पंखा, बिजली की खोज की , तो जज साहब प्रभावित और खुश भी हुए और खुद ही कहने लगे कि --- यहाँ तो दो में से एक के ही हक़ में फैसला हो सकता है, जो हार जाता है , उसके लिए हम बुरे और नाराज नहीं हो , तो वकील अपने आप को बचाने के लिए , जजों पर आरोप लगाकर, लोगों को हमारे खिलाफ भड़का देते हैं ।
न्यायपालिका या जजों के भरष्टाचार के खिलाफ वही, लड़ने की हिम्मत करे जोकि जेल जाने से नहीं डरे, वरना अपने घर पर ही रहे ।
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