Saturday, 16 July 2016

दहेज़ के केसों के पीड़ित ही,........... खुद के सबसे बड़े दुश्मन .................

पिछले 7 वर्षों में हमारी मुलाकात हर तरह के पीड़ित लोगों से हुई, देश के अलग 2 स्टेट्स, जिलों और NRI भी हमारे सम्पर्क में हैं. इस अनुभव का निचोड़ ये है कि --- इस मुकदमों के पीड़ित लोग ही खुद के सबसे बड़े दुश्मन हैं, खुद कुछ करना नहीं , कोई करे तो उसके रस्ते में अड़ंगे लगाना और ड्रामेबाजी करना ही कुछ लोगों का पेशा बन चूका है. फ्री की सलाह के नाम पर, दुकान बहुत बढ़िया चलती है . 
हाँ कुछ करने वालो को नकारात्मकता से जरुर भर देंगे, ताकि वो भी कुछ न कर सके ............
कुछ अपवाद को छोड़ दिया जाये तो कुछ लोग अपनी नेतागिरी चमकाने के चक्कर में , सेटिंग से टीवी पर चेहरा आ जाने के कारण,....................
अपने आप को इतना बड़ा नेता समझने का भ्रम पाल बैठे हैं कि – वे अपने आप को केजरीवाल की तरह मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं. .
हेल्पलाइन नम्बर से कितने लोगों के मुकदमे सुलझे ............???
कितने मुकदमों में पत्नी पक्ष को सजा करवाई .................???
इसलिए, हमारा ही नहीं और लोगों का भी इन नकली पीड़ित लोगों से विशवास उठ चूका है.
. सिर्फ भाषण बाजी से कुछ भी नहीं बदलने वाला ,................ कदम 2 पर हर ताकत,..... आप के खिलाफ काम कर रही है . चाहे वो सामाजिक स्तर पर हों....................
, कानूनी स्तर पर हों,..................... पुलिस स्तर पर हों..................... या फिर................... कोर्ट के स्तर पर हों, ..................
जब तक इन दुश्मनों को समझकर, सजा नहीं करवाई जाएगी, गुजारा भत्ते देना बंद नहीं करोगे, ............ तब तक दुशमन ,............आपकी ऐसे ही ऐसी तैसी करते रहेंगे
इनसे कई गुना ज्यादा जिम्मेदार तो,............... RTI एक्टिविस्ट, कोर्ट के पीड़ित कर्मचारी हैं.
भगवान् भी उन लोगों की ही मदद करता है, .... जो खुद कुछ करना चाहते हैं...

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