अब हिन्दुस्तान में, आज़ादी के नाम पर,.. न्यायपालिका की तानाशाही को,.....काबू करना जरुरी............. आइये..........!!! जाने क्यों .................???
जब Judges Protection Act कानून बनाया गया था तब
ये प्रावधान था कि इन जजों को इस कानून बन जाने का मतलब ये नहीं है कि --- जज कोई भी मनमानी करने के लिए आजाद हों गये हैं. जब
भी जजों के खिलाफ कोई शिकायत आएगी तो उस पर कार्यवाही जरूर की जाएगी.
लेकिन, आज तक जजों के खिलाफ आई शिकायतों पर, हाई
कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कितनी शिकायतों पर कार्यवाही की .............??? नहीं
की तो क्यों नहीं की ..........???
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने, कितने जजों के खिलाफ उनके फर्जीवाड़े और सुप्रीम
कोर्ट के आदेशो की अवहेलना के लिए कितने जजों के खिलाफ Contempt of Courts Act के तहत कार्यवाही की ........???
जबकि फर्जीवाड़े को बचाने और अन्याय के खिलाफ
आवाज़ बुलंद करने वाले पीड़ित लोगों की आवाज़ कुचलने के लिए उन पर झूठे मुकदमे दर्ज
करके प्रताड़ित करके कमजोर किया जा रहा है ............???
क्या न्यायपालिका का यही काम रह गया है
...................???
सुप्रीम कोर्ट तो ये तक बताने को तैयार नहीं कि – जजों के खिलाफ कितनी
शिकायतें उसके पास आई और उन पर क्या कार्यवाही की गई ...............???
जब भी स्वतंत्रता दी जाती
है तो उसके साथ जिम्मेदार्पियाँ भी जुडी हुई होती है. न्यायपालिका की स्वतंत्रता की तो बड़ी 2 बातें
की जाती हैं, लेकिन उसकी आड़ में, न्यायपालिका को भ्रष्ट जजों को बचाने की छूट नहीं
है . देश के निर्दोष लोग, इसकी कीमत क्यों चुकाएं....................???
अब देश में हालत ऐसे हों गये हैं कि – न्यायपालिका को जिम्मेदार बनाने के लिए,
उनके पर कतरना जरूरी हों गया है ..............???
आज़ादी के नाम पर,............ न्यायपालिका की तानाशाही को,....... काबू करना जरुरी हों गया है.
इसलिए, अब वक्त की मांग है कि – जजों की
शिकायतों पर कार्यवाही के लिए , एक अलग आयोग बनाया जाये, और उसमे केवल और केवल
जिम्मेदार और साफ़ छवि वाले लोगों को ही बिठाया जाये .
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