Saturday, 16 July 2016

बिना ज्ञान के वकील बनना सबसे आसान : मुख्य न्यायधीश



हिंदुस्तान के मुख्य न्यायधीश ने एक कडवा सच बयान किया है ................

.कुछ वकील भाइयों को बुरा लगेगा,....... लेकिन ये सच है ,...................


देश के मुख्य न्यायधीश टीएस ठाकुर ने आज एक सेमिनार में कहा कि देश में बिना ज्ञान के यानी एलएलबी की पढाई किये बगैर वकील बनना सबसे आसान है।


नई दिल्ली : देश के मुख्य न्यायधीश टीएस ठाकुर ने आज एक सेमिनार में कहा कि देश में बिना ज्ञान के यानी एलएलबी की पढाई किये बगैर वकील बनना सबसे आसान है। सीजेआई ने कहा कि सभी वकीलों को ट्रेंड होना चाहिए।

रांची में वकीलों की कानूनी शिक्षा को लेकर हुए एक राष्ट्रीय सेमिनार में चीफ जस्टिस ठाकुर ने यह बातें कही। इस सेमिनार में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एआर दवे, जस्टिस एके सिकरी, जस्टिस आर भानुमति और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा भी शामिल हुए।
भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ठाकुर ने देश भर में वकीलों और जजों के शिक्षा के लिए ज्यूडिशियल अकादमी बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा है कि अच्छा वकील बनने के लिए कानून का अच्छा जानकार भी होना चाहिए। वकालत के पेशे में आई गिरावट पर टिप्पणी करते हुए चीफ जस्टिस ने मजाकिया लहजे में कहा कि कुछ लोग अपनी मैरिज वैल्यू बढ़ाने के लिए इस पेशे में आते हैं।

हिंदुस्तान के इतिहास का गुजारा भत्ता का पहला मुकदमा,...जिसमे जज ही उलझ गये,......................

ये  हिंदुस्तान के इतिहास का गुजारा भत्ता का  पहला ऐसा मुकदमा है, जिसमे जज ही गड़बड़ी करके जिसमे जज ही उलझ गये,.............       

 उम्मीद करते हैं, ये मुकदमा  सच्चे लोगों की बहुत बड़ी मदद करेगा,...................

जो इन मुकदमों के पीड़ित हैं वे इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि – जज बिना सोचे समझे, बिना किसी सबूत के, केवल झूठे आरोपों के आधार पर ही गुजारा भत्ता के आदेश लिख देते हैं. और पति परिवार शोषण करवाता रहता है. वकील अपने लालच में सही जानकारी कोर्ट में रखते ही नहीं. नतीजा निर्दोष लोगों के खिलाफ कंडीशनल वारंट , और फिर जेल ......................  अब हमने इस समस्या का ईलाज निकाल  लिया है.  


अभी हम एक ऐसे मुकदमे को डालने की तैयारी  कर रहे हैं, जिससे गुजारा भत्ता के केसों में, गलत तरीके से कंडीशनल वारंट लगाकर,..............     निर्दोष लोगों को जेल भेजने वाले हिंदुस्तान के जज 10 बार सोचेंगे .................. बशर्ते आप बताये गये तरीके से चलेंगे तो ....................

दहेज़ के केसों के पीड़ित ही,........... खुद के सबसे बड़े दुश्मन .................

पिछले 7 वर्षों में हमारी मुलाकात हर तरह के पीड़ित लोगों से हुई, देश के अलग 2 स्टेट्स, जिलों और NRI भी हमारे सम्पर्क में हैं. इस अनुभव का निचोड़ ये है कि --- इस मुकदमों के पीड़ित लोग ही खुद के सबसे बड़े दुश्मन हैं, खुद कुछ करना नहीं , कोई करे तो उसके रस्ते में अड़ंगे लगाना और ड्रामेबाजी करना ही कुछ लोगों का पेशा बन चूका है. फ्री की सलाह के नाम पर, दुकान बहुत बढ़िया चलती है . 
हाँ कुछ करने वालो को नकारात्मकता से जरुर भर देंगे, ताकि वो भी कुछ न कर सके ............
कुछ अपवाद को छोड़ दिया जाये तो कुछ लोग अपनी नेतागिरी चमकाने के चक्कर में , सेटिंग से टीवी पर चेहरा आ जाने के कारण,....................
अपने आप को इतना बड़ा नेता समझने का भ्रम पाल बैठे हैं कि – वे अपने आप को केजरीवाल की तरह मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं. .
हेल्पलाइन नम्बर से कितने लोगों के मुकदमे सुलझे ............???
कितने मुकदमों में पत्नी पक्ष को सजा करवाई .................???
इसलिए, हमारा ही नहीं और लोगों का भी इन नकली पीड़ित लोगों से विशवास उठ चूका है.
. सिर्फ भाषण बाजी से कुछ भी नहीं बदलने वाला ,................ कदम 2 पर हर ताकत,..... आप के खिलाफ काम कर रही है . चाहे वो सामाजिक स्तर पर हों....................
, कानूनी स्तर पर हों,..................... पुलिस स्तर पर हों..................... या फिर................... कोर्ट के स्तर पर हों, ..................
जब तक इन दुश्मनों को समझकर, सजा नहीं करवाई जाएगी, गुजारा भत्ते देना बंद नहीं करोगे, ............ तब तक दुशमन ,............आपकी ऐसे ही ऐसी तैसी करते रहेंगे
इनसे कई गुना ज्यादा जिम्मेदार तो,............... RTI एक्टिविस्ट, कोर्ट के पीड़ित कर्मचारी हैं.
भगवान् भी उन लोगों की ही मदद करता है, .... जो खुद कुछ करना चाहते हैं...

निस्वार्थ भाव से की गई सेवा,..............

निस्वार्थ भाव से की गई सेवा,.............. कभी भी व्यर्थ नहीं जाती ................!!!
अभी कुछ महीने पहले हम चंडीगढ़ हाई कोर्ट में थे. ऐसे ही एक वकील सहाब से मुलाकात हों गई, उनको Diabetis शुगर की बीमारी थी. हमने उनको कुछ नुस्खा दिए, उनको बहुत फायदा हुआ, वे बड़े खुश हुए. और बोले कि – सेवा बताओ . हमने कहा कि --- सर हम तो कुछ लेते नहीं . बड़े ही प्रभावित हुए, और हमसे कहा कि – हमारे लायक कोई काम हों, तो जरूर याद करना . उन वकील साहब को भगवान् ने फ़रिश्ता बनाकर हमारे पास भेजा था. उनकी मदद से एक बड़ा और मुश्किल, मुकदमा तो डल गया है. जल्दी ही दुसरे मुकदमें भी डल जायेंगे .

गुरूद्वारे और सिख भाइयों का,.. हमारे जीवन पर विशेष प्रभाव ..............

 गुरूद्वारे और सिख भाइयों का,.... हमारे जीवन पर विशेष प्रभाव ..............
ये अनुभव हमनें सिखों से और गुरूद्वारे से सीखे हैं. जब 2001 में हमारी नौकरी अमृतसर में लगी तो, वहां का एक दोस्त हमें गोल्डन टेम्पल गुरूद्वारे ले गया. उससे पहले हमनें गुरूद्वारे के बारे में इतनी नजदीकी से नहीं जाना था, क्योंकी कभी किसी सरदार जी से दोस्ती का ऐसा मौका ही नहीं मिला .
हमने वहां पर देखा कि -- एक सरदार जी रात के 12 बजे टॉयलेट की सफाई कर रहे थे. लंगर में अमीर गरीब बिना किसी भेदभव के एक ही लाइन में खाना खा रहे थे. ये सब बातें हमनें मंदिरों में कभी भी नहीं देखि थी.
तभी से आजतक हम 10, 000 से ज्यादा लोगों को गुरूद्वारे की सेवा भावना को सिखने के लिए भेज चुके हैं. क्योंकी हमारा ये मानना है कि – अच्छी बात कहीं से , किसी से भी सिखने को मिले, बिना संकोच के सीख लो ..............

आपके सामने ज्यादा परेशानियाँ आयें तो..........................

जब आपके सामने ज्यादा परेशानियाँ आयें तो ये समझ लेना कि --- उपर वाला आपको किसी बड़े मुकाम के लिए तैयार कर रहा है

सरकारी खर्च पर लड़कियों को , झूठे मुकदमे करने की ट्रेनिंग.....................

सरकारी खर्च पर आजकल की लड़कियों को , झूठे मुकदमे करने की ट्रेनिंग स्कूल / कॉलेज में दी जा रही है, उसी का परिणाम है. झूठे मुकदमों की भरमार ...........
.उपर से पुरुषों की मुफ्त में ऐसी औरतों की तरफदारी करने की और किसी दुसरे पुरुष पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करने की नकली सोच ............

आजकल के युवाओं में संयम की भारी कमी है. उनको सेक्स , नशा, आइयाशी ही सब कुछ लगता है. इसी के चलते वे ........................

आजकल के युवाओं में संयम की भारी कमी है. उनको सेक्स , नशा, आइयाशी ही सब कुछ लगता है. इसी के चलते वे लड़कियों की चालाकी के,.... आसानी से शिकार बन जाते हैं.

अगर वो शुरू से ही गुजारा भत्ता नहीं देता ,................तो बड़ी आसानी से बच सकता था ..................

अगर वो शुरू से ही गुजारा भत्ता नहीं देता ,................तो बड़ी आसानी से बच सकता था ....................
मेरे एक परिचित वकील हैं, पत्नी ने दहेज़ का केस डाल दिया. आमदनी न होने के बावजूद ,..............वो भाई साहब , तलाक के लालच में 3000 /- महीने का गुजारा भत्ता भी देते रहे. पिता जी को लकवा हों गया, तलाक भी नहीं मिला. पैसे गये सो अलग,
अब Maintanence देना बंद कर दिया, लेकिन कोर्ट में ढंग से लिखित में जबाब नहीं दिया./ जजों का दिमाग तो सातवें आसमान पर रहता ही है , उसने कंडीशनल वारंट जारी कर दिया . अभी वो वकील साहब लगभग 23 दिनों की जेल यात्रा करके लौटे हैं.

आप चाहे कितनी भी मुश्किल में हों...तो भी अच्छी सोच को न छोड़ें ..

हमारा अनुभव ...........
आप चाहे कितनी भी मुश्किल में हों....................???
, चाहे आपके पास पैसा न हों..................., तो भी अच्छी सोच को न छोड़ें .................और कोशिश जरूर करते रहे................
आप के लिए भगवन ने कोई न कोई रास्ता जरूर खोल कर रखा होगा.............. ,......... विशवास रखे और सब्र रखते हुए अपनी कोशिश जारी रखें............
इस दुनियां में अच्छे लोग जिन्दा हैं.........................

हमारे पास कुछ भी नहीं है, नारनौल के जज ये सोचकर फर्जीवाड़े कर रहे हैं कि----- मनोज के पास पैसे तो हैं ही नहीं, हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट की लड़ाई कैसे लडेगा .............???
हमें केवल एक ही नहीं, बल्कि कई अच्छे वकील मिल गये हैं जो कि – हमें अपना संघर्ष जारी रखने में,......... हर संभव मदद कर रहे हैं. वक्त आने पर, हम भी अपना फर्ज निभाएंगे .

Thursday, 14 July 2016

अब, आज़ादी के नाम पर,.. न्यायपालिका की तानाशाही को,.....काबू करना जरुरी............. आइये..........!!! जाने क्यों .................???

अब हिन्दुस्तान में,   आज़ादी के नाम पर,..  न्यायपालिका की तानाशाही को,.....काबू करना जरुरी.............     आइये..........!!!   जाने क्यों .................???

जब Judges Protection Act कानून बनाया गया था तब ये प्रावधान था  कि इन जजों को इस कानून  बन जाने  का मतलब ये नहीं है कि ---  जज कोई भी मनमानी करने के लिए आजाद हों गये हैं. जब भी जजों के खिलाफ कोई शिकायत आएगी तो उस पर कार्यवाही जरूर की जाएगी. 

लेकिन,  आज तक जजों के खिलाफ आई शिकायतों पर,  हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कितनी शिकायतों पर कार्यवाही की .............???    नहीं की तो क्यों नहीं की ..........???  

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने,  कितने जजों के खिलाफ उनके फर्जीवाड़े और सुप्रीम कोर्ट के आदेशो की अवहेलना के लिए कितने जजों के खिलाफ  Contempt of Courts Act  के तहत कार्यवाही की ........??? 

जबकि फर्जीवाड़े को बचाने और अन्याय के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने वाले पीड़ित लोगों की आवाज़ कुचलने के लिए उन पर झूठे मुकदमे दर्ज करके प्रताड़ित करके कमजोर किया जा रहा है ............???

क्या न्यायपालिका का यही काम रह गया है ...................??? 

सुप्रीम कोर्ट तो ये तक बताने को तैयार नहीं कि – जजों के खिलाफ कितनी शिकायतें उसके पास आई और उन पर क्या कार्यवाही की गई ...............???


जब भी स्वतंत्रता दी जाती है तो उसके साथ जिम्मेदार्पियाँ भी जुडी हुई होती है.  न्यायपालिका की स्वतंत्रता की तो बड़ी 2 बातें की जाती हैं, लेकिन उसकी आड़ में, न्यायपालिका को भ्रष्ट जजों को बचाने की छूट नहीं है . देश के निर्दोष लोग, इसकी कीमत क्यों चुकाएं....................???  

अब देश में हालत ऐसे हों गये हैं कि – न्यायपालिका को जिम्मेदार बनाने के लिए, उनके पर कतरना जरूरी हों गया है ..............??? 

आज़ादी के नाम पर,............  न्यायपालिका की  तानाशाही को,.......  काबू करना जरुरी हों गया है.
   
इसलिए,   अब वक्त की मांग है कि – जजों की शिकायतों पर कार्यवाही के लिए , एक अलग आयोग बनाया जाये, और उसमे केवल और केवल जिम्मेदार और साफ़ छवि वाले लोगों को ही बिठाया जाये .  

Wednesday, 13 July 2016

हमारा संविधान तो बहुत अच्छा, लेकिन कानून ख़राब, इसीलिए....... हिंदुस्तान के लोग न्याय से वंचित.....................


हमारा संविधान तो बहुत अच्छा, लेकिन कानून ख़राब, इसीलिए........ हिंदुस्तान के लोग न्याय से वंचित....................



देश में व्यवस्था परिवर्तन और सकारात्मक सुधार लाने के इच्छुक कार्यकर्ता बहुधा संविधान को केंद्र में रखकर बहस करने लगते है, कार्यकर्ताओ को संविधान की जगह कानूनों में परिवर्तन की मांग करनी चाहिए।
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ज्यादातर बुद्धिजीवी और नेता आदि भारत के नागरिकों को भ्रमित करने के लिए संविधान संशोधन का हवाला देते है, ताकि समाधान करने की जगह मामले को उलझाया जा सके। चूंकि संविधान संशोधन एक जटिल प्रक्रिया है अत: नेता संविधान की आड़ ले लेते है और बुद्धिजीवी जनता को आतंकित करने के लिये इस पैंतरे का प्रयोग करते है।




क़ानून और संविधान.......................

संविधान देश को चलाने के लिए आधारभूत निर्देशों का पुलिंदा है। और इन निर्देशों को लागू करने के लिए जिन अतिरिक्त नियमों-विनियमों की जरुरत होती है उन्हें क़ानून कहते है। इस प्रकार संविधान का पालन करवाने के लिए हमें कानूनों की आवश्यकता होती है। क़ानून जितने बेहतर होंगे संविधान का पालन भी उतना ही अच्छे तरीके से होगा। यदि आप किसी बेहतर संविधान की धज्जियाँ उड़ाना चाहते है तो संविधान के निर्देशों की पालना के लिए घटिया कानूनों का निर्माण करें। इससे संविधान के निर्देशों की पालना नहीं हो पाएगी और संविधान असफल हो जाएगा। 

कुछ उदाहरणों से इसे समझते है 

१) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48 में कहा गया है कि --'राज्य कृषि और पशुपालन को आधुनिक और वैज्ञानिक प्रणालियों पर संगठित करने का प्रयास करेगा, तथा विशेषतया गायों और बछड़ो तथा अन्य दुधारू और वाहक ढोरों की नस्ल के परिरक्षण और सुधार के लिए और उनके वध का प्रतिषेध करने के लिए कदम उठाएगा'
भारत के संविधान में जब यह स्पष्ट लिखा गया है तो फिर भारत के किसान आत्महत्या क्यों कर रहे है और गायें क्यों काटी जा रही है ? क्योंकि संविधान के इन निर्देशों को पालित करने के लिए जिन स्पष्ट दिशा निर्देशों युक्त क़ानूनो की आवश्यकता है उन्हें लागू नहीं किया गया है। और ऐसे क़ानून के अभाव में संविधान में दर्ज इस निर्देश का सिर्फ सांकेतिक महत्व रह गया है। 

२) संविधान के अनुच्छेद 21-क में कहा गया है कि --- 'राज्य विधि बनाकर यह निर्धारित करेगा जिससे 6 वर्ष से 14 वर्ष तक की आयु के सभी बालको को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा दी जा सके'।
लेकिन इस निर्देश को व्यवहार में लाने के लिए सरकारों ने वांछित क़ानून लागू नहीं किये। अत: हम देख सकते है कि पूरे देश में सरकारी स्कूलों का स्तर बदतर से बदतरीन होता जा रहा है और ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों को महंगे निजी विद्यालयों में पढ़ाने के लिए बाध्य है। 

तो संविधान में लिखे होने के बावजूद देश में संविधान के इन निर्देशों की पालना क्यों नहीं हो पा रही है ? क्योंकि इन्हें लागू करने के लिए आवश्यक क़ानून लागू नहीं किये गए। स्पष्ट है कि संविधान में कोई बदलाव करने से भी तब तक देश में कोई व्यवहारिक परिवर्तन नहीं आएगा जब तक हम उनके अनुपालन के लिए आवश्यक क़ानूनो को लागू नहीं करें। 

कुल मिलाकर यदि किसी देश का संविधान अच्छा है किन्तु उस देश के क़ानून बुरे है, तो बुरे क़ानून बुरे देश की ही रचना करेंगे। मिसाल के लिए ब्रिटेन के पास कोई लिखित संविधान नहीं है किन्तु अच्छे क़ानूनो ने ब्रिटेन की राज व्यवस्था को बेहतर बनाया। इसीलिए,    हमारा आग्रह है कि यदि वे देश की व्यवस्था में कोई सकारात्मक बदलाव लाना चाहते है तो उन्हें संविधान में परिवर्तन पर ध्यान देने की जगह कानूनों को बेहतर बनाने पर ध्यान देना चाहिए। 



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Sunday, 3 July 2016

आज हमने वकीलों की साजिश के शिकार, पीड़ित लोगों की मदद के लिए,.. एक नया ब्लॉग बनाया.........................

आज हमने भ्रष्ट, गैर जिम्मेदार, फर्जीवाड़ा करने वाले, नकली डिग्री वाले वकीलों की साजिश के  शिकार, पीड़ित  लोगों की मदद के लिए एक नया  ब्लॉग बनाया ................................


हिंदुस्तान के भ्रष्ट वकील......................


आदरणीय देशवासियों,

इस ग्रुप का उद्देश्य पीड़ित लोगों को भ्रष्ट, गैर जिम्मेदार, फर्जीवाड़ा करने वाले, नकली डिग्री वाले वकीलों की साजिश का शिकार बनने से बचाना है.  अगर आप के साथ किसी भी वकील ने धोखा किया हों, फीस लेकर भी केस में दूसरी पार्टी से मिलकर, मुकदमे की पैरवी न की हों, या कोई और फर्जीवाड़ा किया हों, और आप ये चाहते हैं कि – जो आपके साथ हुआ, किसी और पीड़ित के साथ वो वकील ऐसा फर्जीवाड़ा नहीं कर सके तो ............... जनहित में उस वकील का नाम, पता, जिला का विवरण जरुर साँझा करें. ताकि आपकी तरह कोई और पीड़ित , उसी वकील के फर्जीवाड़े का शिकार न हों,.....................   


आज मेरे पास एक सज्जन आये.  अपने मुकदमों की पैरवी के लिए,....  उन्होंने किसी महिला वकील को 50,000 /- रूपये फीस भी दे दी . लेकिन उस वकील ने ही उसकी ऐसी  तैसी कर दी. न मुकदमे की पैरवी कर रही  और न ही पैसे वापिस रही .................  और ऐसे मामले देश के हर कौने,............ हर हिस्से........... और जिले में हों रहे हैं.

एक तरफ समझदार और जिम्मेदार वकील भी इस देश में हैं, जो पीड़ित लोगों के लिए मुफ्त में भी पैरवी करते हैं,................ दूसरी तरफ उपर लिखे वकील भी मिलते हैं.
दरअसल 40 % वकीलों की तो डिग्री ही फर्जी है.  उसके आलावा वकालत की डिग्री बिना कॉलेज में जाये, बिना किसी मेहनत, जिम्मेदारी के मिल जाना .
कोर्ट में फर्जीवाड़े, जहाँ पर किसी को भी डराकर, झूठे केस करने या जेल भेजने का डर दिखाकर, बड़ी ही आसानी से अवैध वसूली की जा सकती है.
वैसे तो बार कौंसिल, का काम है कि – वो ऐसे वकीलों के खिलाफ कार्यवाही करे. लेकिन, हिंदुस्तान के इतिहास में आजतक,   बार कौंसिल के लोगों ने,......... देशहित में अपनी जिम्मेदारी निभाने की बजाय, फर्जीवाड़ा करने वाले वकीलों को पनपने में हर संभव मदद की है.  

हमें एक समाधान सुझा है कि – एक ऐसा ग्रुप बना दिया जाये, जिसमे जो भी पीड़ित लोग हैं, जिनके साथ किसी भी वकील ने इस तरह का फर्जीवाड़ा किया हों, उसका नाम, जिला, विवरण इस ग्रुप में डाल दे, ताकि भविष्य में कोई और पीड़ित उस वकील,  से केस की पैरवी न करवाए. और उसके  चुगल में ना फंसे. इस प्रकार हम ऐसे वकीलों को कमजोर करके उनको इस पेशे में रहना मुश्किल करके, देश के निर्दोष लोगों की प्रताड़ना कम कर सकते हैं.     
इस कदम का सबसे बड़ा फायदा :--- जो अच्छे वकील हैं, जिनका रिकॉर्ड अच्छा रहा है, वे उन फर्जी और गैर जिम्मेदार वकीलों की भीड़ से अलग हों जायेंगे . पीड़ित शोषण से बचेंगे .

                                                हिंदुस्तान के भ्रष्ट वकील     

Blog Addess :-- https://corruptlawyersofindia.blogspot.in/ 

कल कोर्ट में पत्नी की बैखलाहट से,................ हमें सच की ताकत का असर दिखा .....................अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने की प्रेरणा मिली .............................


कल गुजारा भत्ता के केस में नारनौल कोर्ट में मेरी तारीख थी . पत्नी को अपनी शिक्षा के सारे सर्टिफिकेट लेकर आने थे . हमने कोर्ट को बताया कि – हमारे पास इसके  सर्टिफिकेट्स की फोटोकॉपी हैं, ओरिजिनल तो इसके पास हैं, सम्मान से उसको बुलवाया.  पहले तो उनके वकील ने जज  को कहा कि – वो तो इस मामले में कोर्ट में कुछ नहीं कहना चाहती . जब मैंने जोर दिया तो मजिस्ट्रेट ने कहा कि – वो कोर्ट में आकर अपने बयान  दे कि --  वो इस मामले में कुछ नहीं कहना चाहती .  अब झूठ तो स्पष्ट रूप से पकड़ में आ ही गया कि -- वो अपने सर्टिफिकेट कोर्ट के सामने क्यों नहीं पेश कर रही ...........??? 
वो आई और वकीलों के सिखाये  हुए ड्रामे करने लगी . 

झूठा मुकदमा करवाया जब तो बाप बेटी बहुत खुश हुए थे  कि – देखो..........!!  हमने शादी में न तो गोद भराई , न ही कोई Vehicle, न कोई मैरिज पैलेस, का खर्चा किया, खूब बेइज्जती करी, मुफ्त में ससुराल के एक लाख खर्च  से पढाई करी, मुफ्त में गुडगाँव  में मकान मिल गया और  फिर भी इस देश में कितना बेवकूफ सिस्टम है कि --  फर्जीवाड़ा करके दहेज़ का झूठा मुकदमा करवाया जा सकता है ....................???

दूसरा ये कि – उसने 40,000 /-  रूपये गुजारा भत्ता माँगा था. सपना तो ये था  कि-- मेरे बाप ने इतनी पढाई हूँ कि – मैं आधी  तनख्वाह तो ले ही लुंगी.  गुडगाँव कोर्ट ने आदेश किया 1500 /- प्रति महिना, नारनौल कोर्ट ने करा 750 /- प्रति महिना . सात साल हों गये, आजतक मिला नहीं एक रुपया भी, न मकान मिला..............   जोकि उसके नाम था. बैंक ने नीलामी करके बेच दिया . अगर ये मकान कैश में ख़रीदा होता, तो वो बेच कर भाग जाती और  हम खत्म थे
बौखलाहट में कोर्ट में जज के सामने आधा घंटे तक वकीलों के सिखाये अनुसार खूब ड्रामे किये.
झूठ तो सामने आ ही चूका था .  उस समय कुछ वकील भी थे.  हमने भी सब्र रखते हुए,  मजिस्ट्रेट को  समझाया  कि ---  ये ड्रामे क्यों कर रही है ..........??? क्योंकी इसकी भाभी ने इनके नाक में दम कर रखा हैं और Frusteration, में ये ड्रामे हों रहे हैं.  जब कोर्ट में फर्जीवाड़े  हों रहे हों तो,  कोर्ट और जज का काम  तमाशा देखना नहीं है,  उनका काम फर्जीवाड़े  करने वाले, पक्ष के खिलाफ कार्यवाही करना है  और अगर जज जानबूझकर कुछ न करे  या उनको बचाए तो, उनके खिलाफ मुकदमे भी बनते  हैं.  और  ये भी बता दिया कि – इस केस में बाप और बेटी दोनों को सजा भी होगी, जो जज बचायेंगे, या फर्जीवाड़ा करेंगे उनको भी सजा होगी .  
फिर हमने जज को ये भी समझाया कि – बच्चे का नाम अब तक गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज हों सकता था . इन वकीलों और नारनौल के भ्रष्ट जजों ने इस बच्चे  का कितना बड़ा नुकसान कर दिया है, जिसकी भरपाई ही नहीं हों सकती .  जज बोले ये कैसे .......???   फिर हमने डिटेल में समझाया.    अब जज भी मेरी तरफ देखे ......

फिर हमने ये बताया कि – जज साहब एक  ब़ार ये सोचकर देखना जब आपकी जॉब चली जाये, आपका खुद की मेहनत की कमाई से ख़रीदा हुआ मकान झूठे दहेज़ के मुकदमे के कारण बिक जाये, शादी में आप ने न गोद भराई, न कोई वाहन, न कोई मैरिज पैलेस का खर्च करवाया और फिर झूठा केस, उपर से जजों के फर्जीवाड़े ............  अगर ये आप के साथ हों,  तो कैसा लगेगा ..............???  इन लोगों को सजा करवानी जरुरी हैं,  नहीं तो ये किसी और शरीफ आदमी पर बलात्कार या दहेज़ का झूठा केस करेगी........  . 

फिर जज बोले कि—आपने अब तक क्या किया ..........???  हमने कहा कि हमारे संस्कार अच्छे थे इसलिए आतंकवादी नहीं बना और किसी दुसरे के साथ ऐसा न हों इसलिए, हम ये लड़ाई लड़ रहे हैं, पुलिस तो फर्जीवाड़ा करती ही है, लेकिन जब जज ही फर्जीवाड़ा करें तो मामला  और गंभीर हों जाता है.  इसलिए, कुछ भ्रष्ट जजों का भी ईलाज करना जरुरी है . ये भी बताया कि – नारनौल कोर्ट के वर्तमान जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंगल को भी सजा होगी . जो इसके दबाब में आकर गलत काम करेगा वो भी उलझेगा .  जज को अन्दर तक सोचने को मजबूर कर  दिया और मुझे 200 % विश्वास  है  कि – आज रात को उस जज को नींद में भी मेरी बातें याद आ रही होंगी ................


सच के लिए संघर्ष करें, अवैध वसूली न दें,  जजों को भी सोचने को मजबूर करें .............  उनको एहसास करवाएं ...............   वक्त लगेगा,  जीत सच की ही होती है ...............
  एहसास करवाएं ...............   वक्त लगेगा,  जीत सच की ही होती है ...............   

Friday, 1 July 2016

पति परिवार की प्रताड़ना कम करने के लिए दहेज़ प्रताड़ना, घरेलु हिंसा, गुजारा भत्ता, तलाक आदि के वैवाहिक मुकदमों की सुनवाई एक ही दिन और एक ही जज के पास करवाने के प्रावधान शुरू करने हेतु ... प्रधानमंत्री नरेंदर भाई मोदी जी को खुला पत्र

पति परिवार की प्रताड़ना कम करने के लिए दहेज़ प्रताड़ना, घरेलु हिंसा, गुजारा भत्ता, तलाक आदि के वैवाहिक मुकदमों की सुनवाई एक ही दिन और एक ही जज के पास करवाने के प्रावधान शुरू करने हेतु ...
प्रधानमंत्री नरेंदर भाई मोदी जी को खुला पत्र....................