Wednesday, 30 December 2015

प्रधानमंत्री के नाम खुला पत्र,... हिन्दुस्तान की जनता को, अदालतों में भ्रष्ट जजों के अत्याचार से मुक्ति दिलवाने हेतु.....


(..................खुला पत्र................. )

सेवा में,

 

                         श्री नरेंदर भाई मोदी जी,

                         प्रधानमंत्री भारत सरकार,

                         नई दिल्ली.

 

विषय :--  हिन्दुस्तान की जनता को,  अदालतों में भ्रष्ट जजों के अत्याचार  से मुक्ति दिलवाने हेतु..... 

 

आदरणीय मोदी जी,

पिछले कुछ वर्षों में न्यायपालिका ने अपनी तानाशाही को बरकरार रखने के लिए,  जो बेशर्मी दिखाई है.  ( जैसे कि – सुप्रीम कोर्ट ने,  सहारा के प्रमुख सुबरतो राय को,  बिना किसी शिकायत और FIR के जेल में डालकर, कानून और प्रक्रिया का मजाक बना दिया और अब जमानत भी नहीं दे रही .......!!!  ) उससे ये साबित हो चूका है कि ---  ये लोग अपने रुतबे को कायम रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.........??? 

  
 ये लोग अपने आप को इस तरह से पेश करना चाहते हैं कि कोई भी इनसे सवाल जबाब न करे और देश की भोली भाली जनता,  इनको भगवान की तरह इनकी पूजती रहे. 
  ये लोग जो मन में आये वो करते रहे   और जिम्मेदारी निभाने की बात इनसे कभी भी न की जाये. 
देश की अदालतों में,  पीड़ित लोगों की समस्या के समाधान करने की कोशिश की बजाय, जनता को डराने के लिए कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट एक्ट का सहारा लेकर और जेल भेजने का सहारा लेकर लोगों को डराया जाता है.

 

Indian Judiciary is not willing to follow the same Standards of Transparency and Accountability, What it expects from other Public Authorities & Public Servants…….???  And in any Democracy Accountability & Transparency play most important  Role.

 

जब देश में कानून  दुरूपयोग / लापरवाही पर डॉक्टर को सजा है,............. इंजिनियर को सजा है,............. ड्राईवर को सजा है,................... पुलिस को सजा है,.................. वकील को सजा है,...............  प्रशासनिक अधिकारी को सजा है,.................. सांसद/ विधायक/ मंत्री को सजा है, .........................तो फर्जीवाड़ा करने, जानबूझकर कानून दुरूपयोग करने पर,  जजों को सजा क्यों नहीं ........................???        

ये सारी खामियां हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था की देन  हैं,  जिसको अंग्रेजों ने हमें गुलाम रखने के लिए बनाया था.   उस समय के तथाकथित देश निर्माताओं ने अपने स्वार्थों की पूर्ति और हमें हमेशा के लिए गुलाम रखने की नियत से, चालाकी करते हुए, आज़ादी के बाद भी इस व्यवस्था को देश की जरुरत के हिसाब से बदलने की बजाय, उसी गली सड़ी न्यायिक व्यवस्था को ही जारी  रखा.   जोकि न्याय देने के लिए, बनाई ही नहीं गई,  तो जनता को न्याय कैसे मिलेगा ...............???   

इस समय देश में, नयायपालिका की खामियों के चलते,  लोगों को न्याय न मिल पाने के कारण, युवा से लेकर, बुजुर्ग, बच्चे, महिला, जो भी किसी भी कारण से कमजोर है. उसका जमकर शोषण हो रहा है. जिसके कारण न केवल सामाजिक सौहार्द, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी खतरा है.  इस प्रताड़ना और शोषण के कारण, लोग आत्महत्या करने को मजबूर हैं. 

जो समाज या देश किसी समस्या की जमीनी हकीकत को नकारकर चलता है, वो कभी भी ताकतवर नहीं बन सकता, ................. उसे हराना सबसे आसान है क्योकि वो अन्दर से खोखला है ....................... 

ये व्यवस्था द्वारा पोषित शोषण,  पीड़ित  का ठीक उसी प्रकार शोषण करता है, जिस प्रकार गन्ने के रस निकलने की मशीन में गन्ने का रस निकालकर, छिलका बना कर  छोड़ दिया जाता है.  और ये हालात, किसी भी देश के लिए खतरनाक हैं.  जब उसके लोग आतंकित, शोषित, बनकर  निराशा के जीवन में जी रहे हों.

        

कोई आदमी परेशान होकर पुलिस के पास जाता है, वो गड़बड़ करती है, झूठे मुकदमे दर्ज करती है. पुलिस से परेशान  होंकर, जब पीड़ित जज के पास जाता है कि – शायद उसे न्याय मिल जायेगा.....!!!  लेकिन जब जज ही फर्जीवाड़ा करने लग जाये, तो न्यायपालिका में क्या बच  गया............??? और दिखावा ऐसा करेंगे जैसे कि--  भगवान् भी चोर, और ये ईमानदार ...........!!!    अब,  ऐसे में पीड़ित लोग कहाँ जायें. ...........???

 

इसके साथ –साथ  ये हालात शिक्षा व्यवस्था की कमियों की  देन हैं.   जिसने हमें मानसिक गुलाम और डरपोक बनाया है और ज्ञान से वंचित रखकर, शोषण का शिकार बनाया है. शिक्षा व्यवस्था की कमियां दूर करने  के साथ-- साथ,  अब  देश में न्यायपालिका के फर्जीवाड़े और निर्दोष  लोगों की प्रताड़ना रोकने और  हिंदुस्तान के जजों को जिम्मेदार बनाने के लिए, जजों की जबाबदेही कानून लाना बेहद जरूरी, हो गया है.

 

पिछले  60 वर्षों में,  कांग्रेस के लोगों ने,  इस देश को बर्बाद करने में,  कोई कसर नहीं छोड़ी.  आप में देश की जनता को  तकलीफों के समझकर,  उनकी  समस्या के समाधान के लिए,  कुछ  करने का जज्बा है.  इसलिए देश के लोगों को आप से बड़ी उम्मीदें हैं.   इस कदम से देश के हर नागरिक ( चाहे हो स्त्री हो, पुरुष हो, बच्चा हो, किसी भी आयु, जाती, धर्म का हो, क्षेत्र का हो ) को सुविधा होगी और आने वाली पीढियां,  आपको इन बड़े बदलाव के लिए याद रखेंगी.  

 

देश के 130 करोड़ लोगों की समस्या को देखते हुए, देश के जिम्मेदार और जागरूक नागरिक होने के नाते आप से  प्रार्थना है कि --  इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए,  जल्द से जल्द, जजों की जबाबदेही सुनिश्चित करने वाला कानून, बनाने की प्रक्रिया शुरू करके, इसे लागु किया जाये.  तभी न्यायपालिका जिम्मेदारी से काम करेगी.................!!!


    इस कदम से देश में एक बहुत बड़ा बदलाव आएगा....!!!   तभी  एक साधारण आदमी को न्याय मिल सकेगा और न्यायपालिका  के अत्याचार और शोषण से बच सकेगा और अपना देश  रहने लायक,  अच्छा हिन्दुस्तान बन सकेगा ....................जय हिन्द.....!!!

                                                       भवदीय

स्थान -- 

दिनांक --                                     Manojj Kr. Vishwakarma... न्याय--- पुरुष
Social Activist, RTI Activist & Scientist
A Responsible Citizen of Nation.......
M-- 09253323118

 

4 comments:

  1. आदरणीय देशवासियों,
    इस मांग को लागु करवाने के लिए देश के सभी जिलो, हिस्सों से ये पत्र ज्ञापन के रूप में और व्यक्तिगत स्तर पर भी भेजने हैं. हमारे पास इस पत्र की कॉपी उपलब्ध है. जो भी इस नेक काम में सहयोग करके पुन्य के भागी बनना चाहते हैं. वे हमसे सम्पर्क करके पत्र की कॉपी मंगवा सकते है और अपने और दस लोगों के हस्ताक्षर करवाकर अपने जिले के उपयुक्त/ SDM/ आदि के माध्यम से भिजवाकर, अपने जिला के लोकल मीडिया में दें . और उसकी कॉपी सुचना के लिए यहाँ पर पोस्ट करें.

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  2. Respected Indian Citizens,
    We have prepared these letters of Memorandum, to be sent from each District, region of India. We request you to get copy from us, get it signed by you and minimum 10 other people & submit to your Deupty Commissioner/ SDM of your District. Give it to Local Media and publish your copy here for information

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  3. हिन्दुस्तान की जनता को, अदालतों में भ्रष्ट जजों के अत्याचार से मुक्ति दिलवाने हेतु.....


    http://activistglobal.blogspot.in/2015/12/blog-post_98.html

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  4. क्या आपने इस विषय पर कोई अध्ययन किया है. इस विषय पर अलग अलग देशों की न्यायपालिका का तुलनात्मक अध्ययन जरूरी है. इसके बाद ही हम तय कर सकते हैं कि आदर्श व्यवस्था या best practices क्या हो.

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