Saturday, 26 December 2015

हिंदुस्तान के कोर्ट में हिंदी और स्थानीय भाषाओँ में काम हों, ताकि आम जनता न्याय की भाषा और जजों के फैसले पढ़ सके...........


आदरणीय देशवासियों,
 
कोर्ट में कार्यभाषा राष्ट्रिय स्तर पर हिंदी और क्षेत्रीय  स्तर पर स्थानीय भाषा का प्रयोग करना चाहिए, ताकि एक आम नागरिक जजों के द्वारा लिखे गए फैसले पढ़ सके.   आज अदालतों में लोग, अंग्रेजी भाषा की जानकारी न होने के कारण, शोषण के शिकार होते हैं और गुलामों की तरह वकीलों के चक्कर लगते रहते हैं. अदालतों में हमारी राष्ट्रिय भाषा और स्थानीय भाषा का प्रयोग करने से, देश की आम जनता को एक बड़ी सुविधा मिलेगी  और इससे पारदर्शिता बढ़ेगी.   इस कदम से देश में एक बहुत बड़ा बदलाव आएगा....!!!   न्यायपालिका के कामकाज के बारे में,  एक साधारण आदमी भी बेहतर समझ सकेगा और जजों वकीलों के अत्याचार और शोषण से बच सकेगा....................

2 comments:

  1. अदालतों में, हमें अंग्रेजी भाषा का गुलाम बनाने का जिम्मेदार कौन...............???

    विश्व के सभी देशों में न्यायिक व्यवस्था, उनके लोगों की भाषा में काम करती है. हिंदुस्तान ही दुनियां का अकेला ऐसा देश है जहाँ पर, न्यायिक व्यवस्था देश के लोगों की अपनी भाषा में काम नहीं करती. जिसके कारण आम जनता अपनी समस्या, अपनी भाषा में नहीं रख सकते

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  2. Who is responsible to make us slave of English Language, in Indian Courts………….???

    In most countries of World, their own languages are used in Judicial system. India is the only Country, where Judicial System does not work in people’s language. Therefore, one canot put forward his plea in his own language.

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