(..............खुला पत्र.............)
सेवा में,
श्री नरेंदर भाई मोदी जी,
प्रधानमंत्री भारत सरकार,
नई दिल्ली.
विषय :-- हिन्दुस्तान
की जनता को, अदालतों में अंग्रेजी भाषा की
गुलामी से मुक्ति दिलवाने हेतु.....
आदरणीय मोदी जी,
विश्व के सभी देशों में न्यायिक व्यवस्था,
उनके लोगों की भाषा में काम करती है. हिंदुस्तान ही दुनियां का अकेला ऐसा देश है,
जहाँ की न्यायिक व्यवस्था/ कोर्ट / अदालतें, देश के लोगों की अपनी भाषा में काम
नहीं करती. जिसके कारण आम जनता, अपनी समस्या अपनी भाषा में नहीं रख पाने के
कारण या तो न्याय से वंचित रह जाती है या फिर शोषण करवाने को मजबूर है.
कोर्ट में कार्यभाषा राष्ट्रिय स्तर
पर हिंदी और क्षेत्रीय स्तर पर स्थानीय
भाषा का प्रयोग करना चाहिए, ताकि एक आम नागरिक जजों के द्वारा
लिखे गए फैसले पढ़ सके और अंग्रेजी भाषा की गुलामी और शोषण से मुक्ति पा सकें.
ये कैसी आज़ादी है ..............???
वैसे कहने को तो हम
आज से 68 साल पहले आजाद हो गए थे और ये काम उसी समय पर हो जाना चाहिए था. लेकिन कुछ स्वार्थी लोगों ने, देश की जनता को अंग्रेजी भाषा का गुलाम रखने के
लिए, जानबूझकर न्यायपालिका की कार्यभाषा को अंग्रेजी ही जारी रखा.
आज भी देश की अदालतों में अधिकतर लोग ( केवल कुछ % पढ़े लिखे
तबके को छोड़कर ), अंग्रेजी
भाषा की जानकारी न होने के कारण, शोषण के
शिकार होते हैं. जज और वकील जहाँ पर कह
दें, वहां पर ये जाने और समझे बिना ही ( कि वे किस दस्तावेज पर क्यों हस्ताक्षर कर
रहे हैं.........??? क्या उनके फायदे नुकसान हो सकते
हैं............??? ), दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर देने को मजबूर किये जाते हैं और फिर हेरा फेरी का सिलसिला चलता रहता
है. जजों ने फैसले में क्या लिखा ....???
ये बात एक आम इंसान तो पढ़ ही नहीं सकता ...........!!! और गुलामों की तरह वकीलों के चक्कर लगते रहते
हैं.
पिछले 60 वर्षों
में, कांग्रेस के लोगों ने, इस देश को बर्बाद करने में, कोई कसर नहीं छोड़ी. आप में देश की जनता को तकलीफों के समझकर, उनकी
समस्या के समाधान के लिए, काम करने
का जज्बा है. इसलिए देश के लोगों को आप से
बड़ी उम्मीदें हैं. इस कदम से देश के हर
नागरिक ( चाहे हो स्त्री हो, पुरुष हो, बच्चा हो, किसी भी आयु, जाती, धर्म का हो,
क्षेत्र का हो ) को सुविधा होगी और आने वाली पीढियां, आपको इन बड़े बदलाव के लिए याद रखेंगी.
देश के 130 करोड़ लोगों की समस्या को देखते हुए, देश के
जिम्मेदार और जागरूक नागरिक होने के नाते आप से
प्रार्थना है कि -- हिंदुस्तान के कोर्ट/ अदालतों में, अंग्रेजों द्वारा हमें गुलाम बनाने के
उद्देश्य से लागु की गई अंग्रेजी भाषा की बजाय, अब हिंदी और स्थानीय भाषाओँ में काम हों.
ताकि आम जनता
न्याय की भाषा और जजों के फैसले पढ़ सके........... अदालतों
में हमारी राष्ट्रिय भाषा और स्थानीय भाषा का प्रयोग करने से, देश की आम जनता को एक बड़ी सुविधा
मिलेगी और इससे पारदर्शिता बढ़ेगी. इस कदम से देश में एक बहुत बड़ा बदलाव
आएगा....!!! न्यायपालिका के कामकाज के बारे
में, एक साधारण आदमी भी बेहतर समझ सकेगा और न्यायपालिका
के अत्याचार और शोषण से बच
सकेगा....................जय हिन्द.....!!!
भवदीय
स्थान -- Rewari
दिनांक -- 30/December/15 Manojj Kr. Vishwakarma... न्याय--- पुरुष
Social Activist, RTI Activist & Scientist
A Responsible Citizen of Nation.......
M-- 09253323118.
Social Activist, RTI Activist & Scientist
A Responsible Citizen of Nation.......
M-- 09253323118.
आदरणीय देशवासियों,
ReplyDeleteइस मांग को लागु करवाने के लिए देश के सभी जिलो, हिस्सों से ये पत्र ज्ञापन के रूप में और व्यक्तिगत स्तर पर भी भेजने हैं. हमारे पास इस पत्र की कॉपी उपलब्ध है. जो भी इस नेक काम में सहयोग करके पुन्य के भागी बनना चाहते हैं. वे हमसे सम्पर्क करके पत्र की कॉपी मंगवा सकते है और अपने और दस लोगों के हस्ताक्षर करवाकर अपने जिले के उपयुक्त/ SDM/ आदि के माध्यम से भिजवाकर, अपने जिला के लोकल मीडिया में दें . और उसकी कॉपी सुचना के लिए यहाँ पर पोस्ट करें.
Respected Indian Citizens,
ReplyDeleteWe have prepared these letters of Memorandum, to be sent from each District, region of India. We request you to get copy from us, get it signed by you and minimum 10 other people & submit to your Deupty Commissioner/ SDM of your District. Give it to Local Media and publish your copy here for information.
हिन्दुस्तान की जनता को, अदालतों में अंग्रेजी भाषा की गुलामी से मुक्ति दिलवाने हेतु.....
ReplyDeletehttp://activistglobal.blogspot.in/2015/12/blog-post_30.html