Monday, 6 February 2017

आईये जाने ....!!! किन परिस्थितियों में, जज जमानती या गैर जमानती वारंट जारी कर सकता है .......???

आइये .....!!! भारत बदलें .... Let's Change India ....


आपके खिलाफ कोर्ट में कोई मुकदमा चल रहा है तो कभी ना कभी इस समस्या से वास्ता पड़ा  ही होगा । लेकिन आजकल अदालतों में न  केवल वकील की लापरवाही , बल्कि जजों द्वारा जानबूझकर प्रताड़ित करने, जेल भेजकर शोषण करने की नियत से भी देश की अदालतों में रोजाना , लाखों लोग वारंट के दुरुपयोग के शिकार होते हैं, बिना कसूर के जेल भेजा  जाता है , जबकि रसूख वाले या सम्पन्न लोगों को पैसे के दम पर , जमानत दे दी जाती है।

असलियत ये है कि --- देश के कोर्ट अब न्याय के मंदिर नहीं रहे ...... ये अब अपनी ताकत का इस्तेमाल करके , अवैध वसूली के माध्यम बन चुके हैं और इस काम में वारंट की बहुत बड़ी भूमिका होती है । पुलिस तो झूठे मुक़दमे दर्ज करके जेल भेजने के लिए मशहूर है ही, लेकिन जज कोर्ट में उससे कई गुना खतरनाक अपराध कर रहे हैं ।

 हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज भी , अपने जजों के फर्जीवाड़ों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करते ...... कारण सभी समझ ही गये होंगे ....!!!

निर्दोष लोगों को शोषण और प्रताड़ना से बचाने के लिए हम आपको आज वारंट के बारे में जानकारी दे रहे हैं । आपका ये ज्ञान कहीं न कहीं , किसी न किसी पीड़ित को बचाने में मददगार साबित होगी ।

वारंट जारी करने का उद्देश्य :--- सम्मन , जमानती या गैर जमानती वारंट का उद्देश्य केवल किसी व्यक्ति की कोर्ट में उपस्थिति को सुनिश्चित करना होता है ।
लेकिन आजकल वारंट जारी करके,  अवैध वसूली करना,  एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री बन चुकी है ।  इसी लालच, के चलते कई बार तो आपके कोर्ट में उपस्थित होते हुए भी जज, जानबूझकर वारंट जारी करके, बिना किसी कसूर के ही जैल भेज देते हैं । जबकि जज अपने गलत वारंट के आर्डर को कैंसल या  Recall भी कर सकता है ।

 ऐसे हालातों में कोर्ट के बरामदे में लगे CCTV कैमरा की फुटेज को Preserve करवाकर आप सच को साबित कर सकते हैं ।  ये वीडियो रिकॉर्डिंग 30 दिनों तक स्टोर रहती है । और इसका कोई शुल्क भी नहीं लगता ।

और विशेष बात ये भी है कि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ किसी भी प्रकार का वारंट जारी करने से पहले, जज को ये भी सुनिश्चित करना होता है कि  वो केस किस उद्देश्य से दर्ज करवाया गया था ......???   और इसके आलावा सारी परिस्थितियों के बारे में सोच समझकर ही वारंट जारी करने चाहिये ।

इसमें नियम अनुसार सबसे पहले सम्मन से बुलाना चाहिए, जब सम्मन कामयाब  नहीं हो तो जमानती वारंट, जारी करना चाहिये ।  जब वो भी कामयाब नहीं हो , तब ही गैर जमानती वारंट जारी करने चाहिए ।

किसी के खिलाफ वारंट जारी करते वक्त जज को आँख मूंदकर नहीं, बल्कि सोच समझकर , जरूरत पड़ने पर ही जारी करने चाहिए , क्योंकि गलत वारंट जारी होने से व्यक्ति की आज़ादी का हनन होता है, जोकि संविधान द्वारा दिया गया मौलिक अधिकार है ।

किसी प्रकार की मदद के लिए संपर्क कर सकते है ।

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