आईये.... .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
जिन्होंने हमें स्कूल, यूनिवर्सिटी में पढ़ाया, वर्तमान में गुरु जम्भेश्वर विश्विधालय हिसार में फार्मेसी की पढाई के दौरान , मुझे नई दवाई बनाने के कार्य में , अपनी जिम्मेदारी से आगे जाकर, हमें सफ़ेद बाल को अंदर से ही काला करने की दवाई बनाने में मुझे न केवल प्रेरित किया बल्कि हर सम्भव सहयोग और मार्गदर्शन भी किया । और हमारे अध्यापक तो ऐसे थे कि -- जब हमारे पास कभी पैसे खत्म हो जाते और कभी जरूरत पड़ जाती तो , हम अपने सर जी से पैसे उधार भी ले लेते थे । 1995 में हम हिसार पढ़ने गए थे, थोड़े दिनों बाद कंप्यूटर आया था । उस ज़माने में कंप्यूटर नये 2 आये थे । हम उस ज़माने में अपनी यूनिवर्सिटी में शिक्षक, गैर शिक्षक, छात्र गण सभी के चहेते थे । हम पढ़ते तो फार्मेसी में थे , लेकिन दूसरे सभी विभागों के सभी लोग हमें प्यार देते थे । वो सिर्फ इसलिए था कि -- हम नई दवाई बनाने जैसा बड़ा और प्रेरणा वाला काम कर रहे थे । क्योंकि हमारी शिक्षा और ज्ञान की ताकत ने ही हमें इस काबिल बनाया कि -- बिना किसी पद, पार्टी, धन , भीड़ के ही, इतने बड़े , प्रभावशाली और ताकतवर लोगों से मुकबला करके, उनको सोचने और सत्य और न्याय के रास्ते पर चलने, फर्जीवाड़ा नहीं करने, किसी पीड़ित शोषण, और प्रताड़ना से मुक्ति दिलवाने के लिए , काम करने पर मजबूर कर रहे हैं ।
हमें शिक्षा ने ही इस काबिल बनाया कि --
--हम बिना वकील के खुद पैरवी करके हाई कोर्ट के जज, 2 जिला सेशन जज समेत 7 जजों के द्वारा मेरे खिलाफ डलवाये गए ,कॉन्टेम्पट के केस हाई कोर्ट चंडीगढ़ से जीतकर आये ।
-- हाई कोर्ट के जजों समेत छोटे जजों को, अधिकारी गण, मंत्री को 2 मिनट बात करके ये ऐहसास जरूर हो जाता है कि वे किस से बात कर रहे हैं ......???
-- अच्छी शिक्षा और संस्कार ने ही हमें इस लायक बनाया कि हमनें अपनी लड़ाई , बिना पैसे होते हुए भी , जजों के फर्जीवाडे से लड़ते हुए , कामयाबी की तरफ मोड़ी ।
-- और भी बहुत से अनगिनत काम हुए, जिनके चलते पीड़ित लोगों जो फायदा हुआ, ताकतवर लोगों के अत्याचार के खिलाफ लड़ने की हिम्मत ताकतवर हुई ।
ये हमारा अनुभव है कि -- आप के पास यदि कुछ भी नहीं है और केवल सही सोच, ज्ञान है तो आप दुनिया का बड़े से बड़ा काम सफलतापूर्वक कर सकते हैं और ये सब आएगा शिक्षा से , और शिक्षा कौन देगा ...... शिक्षक .......... शिक्षक को राष्ट्र निर्माता ऐसे ही नहीं कहा गया .....!!! इसीलिये, हमें सभी शिक्षक गण का सम्मान करना चाहिये । और शिक्षा को भी चाहिए कि -- वे अपने आप को सम्मान के लायक , बना कर रखें .........