आईये.... .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
जनहित में निवेदन ........
अभी जस्टिस करनन के बारे में देश के लोग भूले नहीं थे कि -- एक और जज को मजबूर होकर न्याय के लिए हाई कोर्ट के बाहर धरने पर बैठना पड़ा .......
क्या आपने कभी ये कोशिश करी कि -- आखिर इस देश की न्यायपालिका पर इतनी उँगलियाँ क्यों उठ रही हैं... .......???
दरअसल अब न्यायपालिका के फर्जीवाडे हदें पार कर रहे हैं । इन तानाशाही जजों को लगा कि जस्टिस करनन को जेल भेजकर मामला शांत हो जायेगा , दूसरे जज डर जायेंगे । लेकिन , करनन साहब की आवाज कुचलने से विद्रोह और बढ़ गया । ये जज साहब भी अन्याय के खिलाफ अपनी मांग को लेकर हाई कोर्ट के बाहर धरने पर बैठ गए हैं , इनकी हिम्मत और सोच को हमारा सलाम ........!!!
लीक से हटकर कोई भी काम करना मजाक नहीं है , ये वही ईन्सान कर सकता है, जोकि मजबूत सोच और इरादे वाला हो । उनके सभी साथी जज डर के मारे साथ छोड़ गए होंगे, सबने इनको यही कहा होगा कि -- क्यों बड़े लोगों से पंगे ले रहे हो .....??? ये इनकी सोच और संस्कार ही हैं कि ईन्होंने अन्याय सहने की बजाय , उसके खिलाफ बुलंद की जोकि भृष्ट और तानाशाह न्यायपालिका को पसंद नहीं आई । क्योंकि इन्होंने जनता के सामने इन जजों की पोल खोल दी ।
इन जजों की तानाशाही सोच के चलते लाखों कोर्ट कर्मचारी गुलामी से भी ख़राब जिंदगी जी रहे हैं , भोगी राम को देख लो, हरमीत टिंकू को देख लो , और इन जैसे लाखों भाई न्यायपालिका की तानाशाही सोच के शिकार बने। कई चपरासी तो जजों की प्रताड़ना के चलते आत्महत्या भी कर गए । कहने को न्याय के मंदिर में नौकरी कर रहे हैं , और जिंदगी गुलामी से भी बुरी । उन गरीबों की आवाज़ को कुचल दिया ।
अबकी बारी जज साहब खुद हैं , इन जैसे विरले ही होते हैं , हमें इनकी हिम्मत का हर सम्भव सहयोग और समर्थन करना है , ताकि न्यायपालिका के और फर्जीवाडे दुनिया के सामने आ सकें ।
जनहित में निवेदन ........
अभी जस्टिस करनन के बारे में देश के लोग भूले नहीं थे कि -- एक और जज को मजबूर होकर न्याय के लिए हाई कोर्ट के बाहर धरने पर बैठना पड़ा .......
क्या आपने कभी ये कोशिश करी कि -- आखिर इस देश की न्यायपालिका पर इतनी उँगलियाँ क्यों उठ रही हैं... .......???
दरअसल अब न्यायपालिका के फर्जीवाडे हदें पार कर रहे हैं । इन तानाशाही जजों को लगा कि जस्टिस करनन को जेल भेजकर मामला शांत हो जायेगा , दूसरे जज डर जायेंगे । लेकिन , करनन साहब की आवाज कुचलने से विद्रोह और बढ़ गया । ये जज साहब भी अन्याय के खिलाफ अपनी मांग को लेकर हाई कोर्ट के बाहर धरने पर बैठ गए हैं , इनकी हिम्मत और सोच को हमारा सलाम ........!!!
लीक से हटकर कोई भी काम करना मजाक नहीं है , ये वही ईन्सान कर सकता है, जोकि मजबूत सोच और इरादे वाला हो । उनके सभी साथी जज डर के मारे साथ छोड़ गए होंगे, सबने इनको यही कहा होगा कि -- क्यों बड़े लोगों से पंगे ले रहे हो .....??? ये इनकी सोच और संस्कार ही हैं कि ईन्होंने अन्याय सहने की बजाय , उसके खिलाफ बुलंद की जोकि भृष्ट और तानाशाह न्यायपालिका को पसंद नहीं आई । क्योंकि इन्होंने जनता के सामने इन जजों की पोल खोल दी ।
इन जजों की तानाशाही सोच के चलते लाखों कोर्ट कर्मचारी गुलामी से भी ख़राब जिंदगी जी रहे हैं , भोगी राम को देख लो, हरमीत टिंकू को देख लो , और इन जैसे लाखों भाई न्यायपालिका की तानाशाही सोच के शिकार बने। कई चपरासी तो जजों की प्रताड़ना के चलते आत्महत्या भी कर गए । कहने को न्याय के मंदिर में नौकरी कर रहे हैं , और जिंदगी गुलामी से भी बुरी । उन गरीबों की आवाज़ को कुचल दिया ।
अबकी बारी जज साहब खुद हैं , इन जैसे विरले ही होते हैं , हमें इनकी हिम्मत का हर सम्भव सहयोग और समर्थन करना है , ताकि न्यायपालिका के और फर्जीवाडे दुनिया के सामने आ सकें ।
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