Sunday, 13 August 2017

हीरो नहीं बल्कि #मुजरिम है #डॉक्टर #कफील_अहमद ....................

आईये.... .....!!! भारत बदलें .... Let's Change India ....

मेडिकल कॉलेज से जुड़े कई लोगों ने भी उन मीडिया रिपोर्ट्स पर हैरानी जताई है, जिनमें कफील को एक फरिश्ते की तरह दिखाया जा रहा है. जबकि असलियत बिलकुल अलग है लेकिन लगता है कि देश की मीडिया को एक ख़ास धर्म के लोगों के प्रति कुछ ख़ास हमदर्दी है, अमरनाथ आतंकी हमले के वक़्त भी एक ख़ास सम्प्रदाय के व्यक्ति को हीरो बनाने की कोशिश की गयी थी.
बताया जा रहा है कि डॉ कफील बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इन्सेफेलाइटिस डिपार्टमेंट के चीफ नोडल ऑफिसर हैं, लेकिन वो मेडिकल कॉलेज से ज्यादा अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए मशहूर हैं. आरोप हैं कि ये महाशय अपने पद का दुरुपयोग करके अस्पताल से ऑक्सीजन सिलेंडर चुराकर अपने निजी क्लीनिक पर इस्तेमाल किया करते हैं.
मिल रही जानकारी के अनुसार कफील और प्रिंसिपल राजीव मिश्रा एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं और दोनों के बीच खासी साठगांठ है. दोनों ही इस दुखद हादसे के लिए जिम्मेदार हैं लेकिन बच्चों की जान जाने के बाद कफील मातम मना रहे कुछ मां-बाप के पास पहुंच गए और रोनी सी शक्ल बनाकर फोटो खिंचवा ली. इसके बाद अपने करीबी पत्रकारों की मदद से फर्जी खबरें छपवा दीं और रातों-रात मसीहा बन गए.
एक मुजरिम को मीडिया ने बनाया देश का हीरो !
जांच में सामने आया है कि डॉ. कफील मेडिकल कॉलेज की खरीद कमेटी का मेंबर है और उसे भी अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई के हालात के बारे में पता था. दो दिन पहले जब सीएम योगी आदित्यनाथ मेडिकल कॉलेज के दौरे पर आए थे, उस वक़्त कफील भी योगी के अगल-बगल ही मौजूद था लेकिन उसने भी सीएम योगी को ऑक्सीजन की बकाया रकम के बारे में कोई जानकारी नहीं दी. दरअसल कमीशन में सबका हिस्सा बराबर होता है, इसलिए सबके मुँह सिले रहे.
मेडिकल कॉलेज के कई कर्मचारियों और डॉक्टरों ने इस बात की पुष्टि की है कि डॉक्टर कफील अस्पताल द्वारा की जाने वाली हर खरीद में कमीशन खाता है और उसका एक तय हिस्सा प्रिंसिपल राजीव मिश्रा तक भी पहुंचाता था. ऑक्सीजन कंपनी पुष्पा सेल्स के साथ चल रहे बकाया रकम के विवाद में राजीव मिश्रा के साथ कफील का भी हाथ था. अस्पताल के कई लोगों ने जानकारी दी कि अस्पताल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व् सरकाई पैसों की सामूहिक लूट पिछले कई सालों से चल रही है और डॉक्टर राजीव मिश्रा, उनकी पत्नी पूर्णिमा शुक्ला और डॉ. कफील अहमद, तीनो इस हादसे के असली दोषी हैं.
कफील की भूमिका की जांच जरूरी
मेडिकल कॉलेज के कई कर्मचारियों ने जानकारी दी कि शुक्रवार को जब बच्चों की मौत की खबर पर हंगामा मचा, उस वक़्त कफील अपने प्राइवेट अस्पताल में थे. अपने प्राइवेट अस्पताल से उन्होंने तुरंत कुछ सिलेंडरों को अस्पताल भिजवा दिया, लेकिन ऐसा इसलिए नहीं किया क्योंकि वो कोई धर्मात्मा टाइप व्यक्ति हैं बल्कि इसलिए किया क्योंकि ये सिलेंडर वो खुद मेडिकल कॉलेज से चोरी करके अपने अस्पताल ले गए थे. कहीं मामला खुल गया और वो फंस गए, इसलिए सिलेंडर लेकर मेडिकल कॉलेज भागे थे.
हालांकि बाद में कफील ने मीडिया के सामने खुद को संत दिखाते हुए कहा कि इन सिलेंडरों का इंतजाम उन्होंने अपनी जेब से किया है, जोकि एक सफ़ेद झूठ है. एक डॉक्टर जो खुद परचेज कमेटी का मेंबर हो वो ऐसा करने के बजाय सरकारी तरीके से पहले ही सिलेंडर खरीद सकता था.
पीएम मोदी से नफरत की थी जाहिर !
एक और ख़ास बात ये है कि ये डॉक्टर कफील पीएम मोदी से नफरत करता है, ये बात यूपी चुनाव के वक़्त तब सामने आ चुकी है, जब इसने पीएम मोदी को हत्यारा कहते हुए जनता से अखिलेश यादव की पार्टी को वोट देने की अपील की थी. केवल इतना ही नहीं, मीडिया के ये हीरो डॉक्टर साहब के बारे में जानकारी मिली है कि ये एक नर्स के साथ बलात्कार के आरोप में जेल तक जा चुके हैं. इस आर्टिकल के अंत में आप इसका सबूत देख सकते हैं. दरअसल सिस्टम में अखिलेश, माया, कांग्रेस और कम्युनिस्ट घुसे हुए हैं और सालों से लूट कर रहे हैं. अब तकलीफ हो रही है तो सरकार को बदनाम करके गिराने के षड्यंत्रों में लग गए हैं.
जैसे ही हादसे की खबर बाहर आयी और मीडिया पहुंची तो बार-बार कफील ही बाहर आकर मीडिया से बात करने लगे, जबकि वो इसके लिए अधिकृत ही नहीं हैं. अस्पताल के अन्य डॉक्टर बच्चों की देखभाल में व्यस्त थे लेकिन अकेले कफील मीडिया को मैनेज करने में व्यस्त थे. आखिरकार उन्होंने अपने बारे में झूठी खबरें प्लांट करके खुद को पूरे वाकये का हीरो बनवा ही लिया.
देश के मीडिया को भी मसाला मिल गया, एक डॉक्टर ने मदद की और वो भी एक ख़ास धर्म का निकला, ऐसी खबर तो खूब बिकेगी. बस फिर क्या था, सभी प्रेस्टीटूट्स ने बिना कोई जांच-पड़ताल किये कफील को हीरो बना डाला और पूरे मामले को ऐसे दिखाया जैसे सीएम योगी ही हादसे के पीछे जिम्मेदार हों.
जबकि सच तो ये है कि सीएम योगी हादसे से दो दिन पहले ही मेडिकल कॉलेज के दौरे पर गए थे और किसी तरह की कमी या दिक्कत का जायजा भी ले रहे थे. लेकिन कमीशन खोर प्रिंसिपल व् डॉक्टर कफील ने सीएम को कुछ बताया ही नहीं. खैर अब जांच होगी और मीडिया का हीरो भी जेल जरूर जाएगा क्योंकि सीएम योगी पहले ही निर्देश दे चुके थे कि सरकारी डॉक्टर अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस बंद कर दें.

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