आईये.... .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
एफआईआर की कॉपी पर उस पुलिस स्टेशन की मुहर और थाना प्रमुख के हस्ताक्षर होने चाहिए। एफआईआर की कॉपी आपको देने के बाद पुलिस अधिकारी अपने रजिस्टर में लिखेगा कि सूचना की कॉपी शिकायतकर्ता को दे दी गई है। आपकी शिकायत पर हुई प्रगति की सूचना संबंधित पुलिस आपको डाक से भेजेगी। आपको और पुलिस को सही घटना स्थल की जानकारी नहीं है, तो भी चिंता की बात नहीं। पुलिस तुरंत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर देगी। हालांकि जांच के दौरान घटना स्थल का थानाक्षेत्र पता लग जाता है तो संबंधित थाने में केस को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। एफआईआर दर्ज करवाने का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। अगर आपसे कोई भी एफआईआर दर्ज करवाने के नाम पर रिश्वत, नकद की मांग करे, तो उसकी शिकायत करें।
याद रखिये FIR लिखने का 9k फार्मूला
हम सभी को कभी न कभी FIR लिखाना ही पड़ जाता है चाहे खुद के लिये या किसी जानने वाले के लिये। अक्सर लोगो की शिकायत होती है कि उनकी FIR थाने में नहीं लिखी गई, या फिर मजिस्ट्रेट के यहाँ FIR के लिये किया गया आवेदन निरस्त हो गया। इसके तो कई कारण होते है किंतु एक कारण ये भी होता है की आपके लिखने तरीका गलत हो। FIR को कम से कम शब्दों में स्पष्ट और पूरे मामले को लिखना चाहिये क्योंकि न्यायालय में आपका केस इसी आधार पर चलता है । आसान भाषा में FIR को लिखने का तरीका बता रहा हूँ क्योंकि कई बार पढ़े लिखे लोग भी FIR लिखने में गलती कर देते है।
सबसे पहले आप एक सादा पेपर ले और उसपर 1 से 9 तक नंबर लिख ले, फिर उन सब के सामने K लिख ले, बस हो गया आपका FIR ।
9K का मतलब होता है आप नीचे पढ़ेंगे तो स्वतः स्पष्ट हो जायेगा।
(1) कब (तारीख और समय)- FIR में आप घटना के समय और तारीख की जानकारी लिखे ।
(2) कहा (जगह)- घटना कहाँ पे हुई इसकी जानकारी दे।
(3) किसने - अपराध किस ब्यक्ति ने किया ( ज्ञात या अज्ञात) एक या अनेक ब्यक्ति उसका नाम पता आदि लिखे ।
(4) किसको - किस के साथ अपराध किया गया एक पीड़ित है या अनेक उनसब का नाम व पता।
(5) किसलिये - यह एक मुख्य विषय होता है इसी से यह पता चलता है की कोई कार्य अपराध है या पुरस्कार देने के लायक कार्य है, इसको निम्न प्रकार समझ सकते हैं-
(अ) क एक ब्यक्ति ख पर गोली चला देता है और ख की मृत्यु हो जाती है, क यहाँ पर दोषी होगा।
(ब) क एक ब्यक्ति ख पर अपनी पिस्तौल तान देता है और ख अपने बचाव में क पर गोली चला देता है जिससे क की मृत्यु हो जाती है। ख हत्या का दोषी नहीं है क्योंकि अपनी आत्मरक्षा करते हुए अगर आप किसी की जान भी ले लेते है तो आप दोषी नहीं होंगे ।
(स) क अपनी कार से ख तो टक्कर मार देता है और ख की मृत्यु हो जाती है, क हत्या का दोषी नहीं है बल्कि उसपर दुर्घटना का केस चलेगा और उसके हिसाब से दण्ड मिलेगा।
(द) क एक पुलिस कर्मी है और वह आतंकवादी संगठन के मुठभेड़ में एक या कई आतंकवादीयो को मार देता है। क हत्या का दोषी नहीं होगा बल्कि उसे पुरस्कार दिया जायेगा।
इससे यह स्पष्ट होता है की कोई भी कार्य तब तक अपराध नहीं है जब तक की दुराशय से न किया गया हो।
(6) किसके सामने ( गवाह)- अगर घटना के समय कोई मौजूद हो तो उनकी जानकारी अवश्य देनी चाहिये।
(7) किससे ( हथियार) - अपराध करने के लिए किन हथियार का प्रयोग किया गया ( पिस्तौल , डंडे, रॉड, चैन , हॉकी, ईट। अगर कोई धोखाधड़ी का मामला है तो आप ( स्टाम्प पेपर, लेटरहेड, इंटरनेट , मोबाइल, आदि,) जानकारी जरूर प्रदान करे।
(8) किस प्रकार - क्या प्रकरण अपनाया गया अपराध् करने के लिये उसको लिखे।
(9) क्या किया ( अपराध)- इनसभी को मिलकर क्या किया गया जो की अपराध होता है उसको लिखे।
इस प्रकार आप सब आसानी से FIR को लिख सकते है ।
अन्य जानकारी
FIR आप जहाँ घटना हुई है उसके आलावा भी भारत के किसी भी थाने में जाकर आप FIR लिखा सकते है।
FIR न लिखे जाने के कई कारण होते है, मुख्यतः क्राइम रेट अधिक न हो इस कारण नहीं लिखी जाती है ( जो की गैर कानूनी कारण है) । दूसरा कारण अपराध की सत्यता पर शक होता है जिस कारण पुलिस FIR लिखने से पहले जाँच करना चाहते है।
FIR लिखवाना आपका अधिकार है (CRPC 154), अगर थाने में आप की FIR नहीं लिखी जाती है तो आप उनके ऊपर के किसी भी अधिकारी (CO, SP, SSP,) से आप FIR लिखने के लिये बोल सकते है, और वे 1 या 2 दिन जाँच के लिये लेकर संबंधित थाने में FIR लिख दी जायेगी।
किसी भी जानकारी के लिये आप हमारे पत्रिका परिवार से जुड सकते हें निम्न पते के अनुसार :-
दहलता आईना क्राईम मैग्जीन
219-ई , चित्र गुप्त कालौनी
आगरा रोड , एटा (यू पी)
आप हमें फोन भी कर सकते हें :-
7037773777
9456413451
8423283848
9450906690
8283828117
आप हमें मेल कर सकते हें ;-
editorsumantyadav@gmail.com
dahalta.aaina@gmail.com
समय सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक , किसी भी दिन ।
*जुडे वही जो हों सही*
एफआईआर की कॉपी पर उस पुलिस स्टेशन की मुहर और थाना प्रमुख के हस्ताक्षर होने चाहिए। एफआईआर की कॉपी आपको देने के बाद पुलिस अधिकारी अपने रजिस्टर में लिखेगा कि सूचना की कॉपी शिकायतकर्ता को दे दी गई है। आपकी शिकायत पर हुई प्रगति की सूचना संबंधित पुलिस आपको डाक से भेजेगी। आपको और पुलिस को सही घटना स्थल की जानकारी नहीं है, तो भी चिंता की बात नहीं। पुलिस तुरंत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर देगी। हालांकि जांच के दौरान घटना स्थल का थानाक्षेत्र पता लग जाता है तो संबंधित थाने में केस को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। एफआईआर दर्ज करवाने का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। अगर आपसे कोई भी एफआईआर दर्ज करवाने के नाम पर रिश्वत, नकद की मांग करे, तो उसकी शिकायत करें।
याद रखिये FIR लिखने का 9k फार्मूला
हम सभी को कभी न कभी FIR लिखाना ही पड़ जाता है चाहे खुद के लिये या किसी जानने वाले के लिये। अक्सर लोगो की शिकायत होती है कि उनकी FIR थाने में नहीं लिखी गई, या फिर मजिस्ट्रेट के यहाँ FIR के लिये किया गया आवेदन निरस्त हो गया। इसके तो कई कारण होते है किंतु एक कारण ये भी होता है की आपके लिखने तरीका गलत हो। FIR को कम से कम शब्दों में स्पष्ट और पूरे मामले को लिखना चाहिये क्योंकि न्यायालय में आपका केस इसी आधार पर चलता है । आसान भाषा में FIR को लिखने का तरीका बता रहा हूँ क्योंकि कई बार पढ़े लिखे लोग भी FIR लिखने में गलती कर देते है।
सबसे पहले आप एक सादा पेपर ले और उसपर 1 से 9 तक नंबर लिख ले, फिर उन सब के सामने K लिख ले, बस हो गया आपका FIR ।
9K का मतलब होता है आप नीचे पढ़ेंगे तो स्वतः स्पष्ट हो जायेगा।
(1) कब (तारीख और समय)- FIR में आप घटना के समय और तारीख की जानकारी लिखे ।
(2) कहा (जगह)- घटना कहाँ पे हुई इसकी जानकारी दे।
(3) किसने - अपराध किस ब्यक्ति ने किया ( ज्ञात या अज्ञात) एक या अनेक ब्यक्ति उसका नाम पता आदि लिखे ।
(4) किसको - किस के साथ अपराध किया गया एक पीड़ित है या अनेक उनसब का नाम व पता।
(5) किसलिये - यह एक मुख्य विषय होता है इसी से यह पता चलता है की कोई कार्य अपराध है या पुरस्कार देने के लायक कार्य है, इसको निम्न प्रकार समझ सकते हैं-
(अ) क एक ब्यक्ति ख पर गोली चला देता है और ख की मृत्यु हो जाती है, क यहाँ पर दोषी होगा।
(ब) क एक ब्यक्ति ख पर अपनी पिस्तौल तान देता है और ख अपने बचाव में क पर गोली चला देता है जिससे क की मृत्यु हो जाती है। ख हत्या का दोषी नहीं है क्योंकि अपनी आत्मरक्षा करते हुए अगर आप किसी की जान भी ले लेते है तो आप दोषी नहीं होंगे ।
(स) क अपनी कार से ख तो टक्कर मार देता है और ख की मृत्यु हो जाती है, क हत्या का दोषी नहीं है बल्कि उसपर दुर्घटना का केस चलेगा और उसके हिसाब से दण्ड मिलेगा।
(द) क एक पुलिस कर्मी है और वह आतंकवादी संगठन के मुठभेड़ में एक या कई आतंकवादीयो को मार देता है। क हत्या का दोषी नहीं होगा बल्कि उसे पुरस्कार दिया जायेगा।
इससे यह स्पष्ट होता है की कोई भी कार्य तब तक अपराध नहीं है जब तक की दुराशय से न किया गया हो।
(6) किसके सामने ( गवाह)- अगर घटना के समय कोई मौजूद हो तो उनकी जानकारी अवश्य देनी चाहिये।
(7) किससे ( हथियार) - अपराध करने के लिए किन हथियार का प्रयोग किया गया ( पिस्तौल , डंडे, रॉड, चैन , हॉकी, ईट। अगर कोई धोखाधड़ी का मामला है तो आप ( स्टाम्प पेपर, लेटरहेड, इंटरनेट , मोबाइल, आदि,) जानकारी जरूर प्रदान करे।
(8) किस प्रकार - क्या प्रकरण अपनाया गया अपराध् करने के लिये उसको लिखे।
(9) क्या किया ( अपराध)- इनसभी को मिलकर क्या किया गया जो की अपराध होता है उसको लिखे।
इस प्रकार आप सब आसानी से FIR को लिख सकते है ।
अन्य जानकारी
FIR आप जहाँ घटना हुई है उसके आलावा भी भारत के किसी भी थाने में जाकर आप FIR लिखा सकते है।
FIR न लिखे जाने के कई कारण होते है, मुख्यतः क्राइम रेट अधिक न हो इस कारण नहीं लिखी जाती है ( जो की गैर कानूनी कारण है) । दूसरा कारण अपराध की सत्यता पर शक होता है जिस कारण पुलिस FIR लिखने से पहले जाँच करना चाहते है।
FIR लिखवाना आपका अधिकार है (CRPC 154), अगर थाने में आप की FIR नहीं लिखी जाती है तो आप उनके ऊपर के किसी भी अधिकारी (CO, SP, SSP,) से आप FIR लिखने के लिये बोल सकते है, और वे 1 या 2 दिन जाँच के लिये लेकर संबंधित थाने में FIR लिख दी जायेगी।
किसी भी जानकारी के लिये आप हमारे पत्रिका परिवार से जुड सकते हें निम्न पते के अनुसार :-
दहलता आईना क्राईम मैग्जीन
219-ई , चित्र गुप्त कालौनी
आगरा रोड , एटा (यू पी)
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7037773777
9456413451
8423283848
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समय सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक , किसी भी दिन ।
*जुडे वही जो हों सही*
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