आईये.... .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
इन्हें आक्रोश में बोलते हुए बहुत कम सुना हूँ...यूँ कहें कि शांत चित्त होकर , चेहरे पर मुस्कान लिए , बड़े ही धीरज के साथ जब विरोधियों की बखिया उधेड़ते हैं तब बीजेपी समर्थक तो खूब तालियाँ बजाते हैं...परंतु इनकी बातें विरोधी खेमों खासकर काँग्रेसी समर्थकों के दिलों को छलनी कर जाती हैं , उनके मुखमंडल की आभा को मलीन कर देती हैं।
मुद्दे छोटे हों या बड़े...बेबाक एवं तर्कसंगत दलील देने वाले एवं "#वन_मैन_आर्मी" कहलाने वाले स्वामी की बीजेपी में क्या हैसियत है...ये बात तो पार्टी के अंदर के लोग भी नहीं जानते हैं... पर पार्टी के लिए एक सकारात्मक माहौल जरूर बनाते हैं।।।
पर एक बात जरूर जान लें , सोनिया एवं राहुल की हैसियत और इमेज को काफी हद तक मटियामेट करने में इनका बड़ा हाथ है।
हिन्दुत्व एवं राम मंदिर के मुद्दों पर बेबाक राय रखने वाले स्वामी की डायरी में कई धुरंधर काँग्रेसी नेताओं के काले कारनामें दर्ज हैं, ऐसा इनका कहना है।।
स्वामी की बात यदि मानी जाए तो इनके पास ऐसे सबूत एवं तथ्य हैं कि सोनिया , राहुल , चिदंबरम सरीखे नेताओं पर " #देशद्रोह " का आरोप साबित कर इन्हें जेल की सलाखों में डाला जा सकता है।
देशद्रोह का आरोप ?
...........जी हाँ बिल्कुल!!
और यदि आप भी इसके पीछे की सच्चाई सुनेंगे तो आपका दिमाग भी चक्कर खा जाएगा!
बात 2009 की है ,
देश की सुरक्षा एजेंसियों को पता लगा कि भारत- नेपाल के सीमावर्ती जिलों में भारी मात्रा में नकली नोटों को चलाया जा रहा है , यही नहीं इन्हीं नोटों के जरिए बैंकों में जमा-निकासी का काम भी निर्बाध रूप से चल रहा है।
फिर क्या था..?
..मार दिया गया छापा उन जिलों के 70 बैंकों पर!
सीबीआई के अधिकारी उस वक्त हैरत में पड़ गए जब उन बैंकों के मैनेजर्स ने साफ शब्दों में कहा कि ये रुपए तो उन्हें रिजर्व बैंक से मिले हैं।
उसके बाद सीबीआई ने जब रिजर्व बैंक के तहखानों में छापेमारी की तो असली की तरह दिखने वाले नकली नोटों का बड़ा जखीरा मिला...उनकी तो आँखें फटी रह गई थी!!
दरअसल ये नकली नोट ठीक वैसे ही थे जैसे नोट पाकिस्तानी आईएसआई एजेंसी तस्करी केे जरिए भारत में पहुँचाती थी।
भारतीय नोटों के ऊपर जो सुरक्षा मानक थे उससे बिल्कुल मिलते-जुलते नोटों को रिजर्व बैंक भी पकड़ नहीं पाया यह आश्चर्य की बात थी!!
अब प्रश्न यह उठता है कि इतनी बड़ी मात्रा में नकली नोट भारतीय रिजर्व बैंक के तहखानों में कब से आ रहे थे ?
कौन थे छापने वाले ??
इसके तह में जाने की जरूरत थी ...जाँच की तत्काल आवश्यकता थी।
तो 2010 में एक संसदीय समीति बनी जो सरकारी उपक्रमों संबंधी जाँच करती है जिसे COPU ( committee on public undertaking) कहते हैं।
अब इस कमेटी में कौन कौन थे ?
क्या जाँच हुई ?
किसे रिपोर्ट दी गई ?
नतीजा क्या निकला ?
कार्रवाई क्या हुई..?
किस पर गाज गिरी...??
...ये सारी बातें सोनिया-मनमोहन की सरकार एवं उनके मंत्रियों के अनेको काले कारनामों की अँधेर गलियों में कहीं खो सी गईं!!
या फिर यह भी संभव है कि जो बातें बताई जाने लायक समझी गई होगी सिर्फ वही बताई गई जिसके आधार पर कार्रवाई की गई थी।।
वैसे भी मनमोहन सिंह zero loss
(कोयला घोटाला याद करें) की रट लगाने वाले और नोटबंदी को राष्ट्रीय आपदा कहने वाले अर्थशास्त्री एवं प्रधानमंत्री हों...,
या
नोट बंदी को देश का सबसे बड़ा घोटाला बताने वाले वित्त मंत्री चिदंबरम हों...,,
या
ईस्ट इंडिया कंपनी की तर्ज पर भारत पर शासन करने वाली सोनिया गाँधी हों...,,
इनसे और ज्यादा की क्या उम्मीद की जा सकती थी???
अब चलते हैं जरा फ्लैश बैक में....
1996 - 97 में देवगौड़ा की सरकार में चिदंबरम वित्त मंत्री बने थे...,
इन्होंने प्रधानमंत्री देवगौड़ा के बिना जानकारी में लाए इंग्लैंड की एक बड़ी और नामचीन मुद्रण कंपनी को भारतीय करेंसी छापने का ठेका दे दिया...,,
वह कंपनी पाकिस्तान सहित विश्व के अनेक देशों की मुद्रा छापा करती थी।।
अब जैसा कि सभी जानते हैं पाकिस्तान की हुकूमत सेना और आईएसआई के हाथों में होती है...,
तो...येन केन प्रकारेण उस विदेशी मुद्रण कंपनी से या उसके कर्मचारियों से साठ-गाँठ करके भारतीय करेंसी में उपयोग होने वाले पेपर , इंक , सुरक्षा धागा , डिजाइन या अन्य चीजें आईएसआई को आसानी से हासिल हो गई थी।
अब पाकिस्तान में धड़ल्ले से भारतीय नोट छपते रहे और तस्करी के जरिए भारत में पहुँचते रहे!!
भारतीय तंत्र इसे पकड़ने में नाकाम रहा और एक दशक के अंदर असली की तरह दिखने वाले नकली नोटों से भारतीय बाजार पट गए!!
भारतीय अर्थशास्त्रीयों को अर्थशास्त्र का अर्थ समझाने में पाकिस्तान सफल हो गया था।।
कहते हैं कि "अति सर्वत्र वर्जयेत !"
.....तो 2009 में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इस खेल का भंडाफोड़ कर दिया!!
इस मामले की जाँच करने के लिए बनाई गई समिति COPU की रिपोर्ट के आधार पर उस विदेशी मुद्रण कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया।।
ध्यान रहे कि चिदंबरम साहब यूपीए के दोनों टर्म में भी देश के वित्त मंत्री और सोनिया गाँधी के करीबी रहे थे।
अपने बेटे को बहुत कम उम्र में ही दलाली के बिजनेस में स्थापित करवाकर हजारों करोड़ का मालिक बनवाने वाले पी चिदंबरम आजकल हिन्दी एवं अंग्रेजी के अखबारों में मोदी के तीन सालों की कमियाँ गिनाते नहीं थक रहे हैं।।
हालाँकि सुब्रमण्यम स्वामी ने इस नकली नोट के खेल में चिदंबरम और माँ-बेटे की भूमिका का जिक्र पहले भी किया था पर बात कुछ बनी नहीं थी।।
अब मोदी सरकार स्वामी की बातों पर गौर करते हुए चिदंबरम की पंद्रह सालों की कुंडली खँगालने का काम शुरू करवा दिया है।।
अब तो आने वाला समय ही बताएगा कि नकली नोटों के इस गोरखधंधे में केवल चिदंबरम शामिल था या माँ-बेटा भी...??
क्योंकि पार्टी की देशभक्ति और पाकिस्तान प्रेम जग जाहिर है ।
नोटबंदी का फैसला मोदी ने यूँ ही नहीं लिया था।
अब तो जरूरत है देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वाली काँग्रेसी कड़ी को तलाश करके इन traitors को देशद्रोह के ज़ुर्म में सलाखों के अंदर किया जाए ।।
संजय दुबे
इन्हें आक्रोश में बोलते हुए बहुत कम सुना हूँ...यूँ कहें कि शांत चित्त होकर , चेहरे पर मुस्कान लिए , बड़े ही धीरज के साथ जब विरोधियों की बखिया उधेड़ते हैं तब बीजेपी समर्थक तो खूब तालियाँ बजाते हैं...परंतु इनकी बातें विरोधी खेमों खासकर काँग्रेसी समर्थकों के दिलों को छलनी कर जाती हैं , उनके मुखमंडल की आभा को मलीन कर देती हैं।
मुद्दे छोटे हों या बड़े...बेबाक एवं तर्कसंगत दलील देने वाले एवं "#वन_मैन_आर्मी" कहलाने वाले स्वामी की बीजेपी में क्या हैसियत है...ये बात तो पार्टी के अंदर के लोग भी नहीं जानते हैं... पर पार्टी के लिए एक सकारात्मक माहौल जरूर बनाते हैं।।।
पर एक बात जरूर जान लें , सोनिया एवं राहुल की हैसियत और इमेज को काफी हद तक मटियामेट करने में इनका बड़ा हाथ है।
हिन्दुत्व एवं राम मंदिर के मुद्दों पर बेबाक राय रखने वाले स्वामी की डायरी में कई धुरंधर काँग्रेसी नेताओं के काले कारनामें दर्ज हैं, ऐसा इनका कहना है।।
स्वामी की बात यदि मानी जाए तो इनके पास ऐसे सबूत एवं तथ्य हैं कि सोनिया , राहुल , चिदंबरम सरीखे नेताओं पर " #देशद्रोह " का आरोप साबित कर इन्हें जेल की सलाखों में डाला जा सकता है।
देशद्रोह का आरोप ?
...........जी हाँ बिल्कुल!!
और यदि आप भी इसके पीछे की सच्चाई सुनेंगे तो आपका दिमाग भी चक्कर खा जाएगा!
बात 2009 की है ,
देश की सुरक्षा एजेंसियों को पता लगा कि भारत- नेपाल के सीमावर्ती जिलों में भारी मात्रा में नकली नोटों को चलाया जा रहा है , यही नहीं इन्हीं नोटों के जरिए बैंकों में जमा-निकासी का काम भी निर्बाध रूप से चल रहा है।
फिर क्या था..?
..मार दिया गया छापा उन जिलों के 70 बैंकों पर!
सीबीआई के अधिकारी उस वक्त हैरत में पड़ गए जब उन बैंकों के मैनेजर्स ने साफ शब्दों में कहा कि ये रुपए तो उन्हें रिजर्व बैंक से मिले हैं।
उसके बाद सीबीआई ने जब रिजर्व बैंक के तहखानों में छापेमारी की तो असली की तरह दिखने वाले नकली नोटों का बड़ा जखीरा मिला...उनकी तो आँखें फटी रह गई थी!!
दरअसल ये नकली नोट ठीक वैसे ही थे जैसे नोट पाकिस्तानी आईएसआई एजेंसी तस्करी केे जरिए भारत में पहुँचाती थी।
भारतीय नोटों के ऊपर जो सुरक्षा मानक थे उससे बिल्कुल मिलते-जुलते नोटों को रिजर्व बैंक भी पकड़ नहीं पाया यह आश्चर्य की बात थी!!
अब प्रश्न यह उठता है कि इतनी बड़ी मात्रा में नकली नोट भारतीय रिजर्व बैंक के तहखानों में कब से आ रहे थे ?
कौन थे छापने वाले ??
इसके तह में जाने की जरूरत थी ...जाँच की तत्काल आवश्यकता थी।
तो 2010 में एक संसदीय समीति बनी जो सरकारी उपक्रमों संबंधी जाँच करती है जिसे COPU ( committee on public undertaking) कहते हैं।
अब इस कमेटी में कौन कौन थे ?
क्या जाँच हुई ?
किसे रिपोर्ट दी गई ?
नतीजा क्या निकला ?
कार्रवाई क्या हुई..?
किस पर गाज गिरी...??
...ये सारी बातें सोनिया-मनमोहन की सरकार एवं उनके मंत्रियों के अनेको काले कारनामों की अँधेर गलियों में कहीं खो सी गईं!!
या फिर यह भी संभव है कि जो बातें बताई जाने लायक समझी गई होगी सिर्फ वही बताई गई जिसके आधार पर कार्रवाई की गई थी।।
वैसे भी मनमोहन सिंह zero loss
(कोयला घोटाला याद करें) की रट लगाने वाले और नोटबंदी को राष्ट्रीय आपदा कहने वाले अर्थशास्त्री एवं प्रधानमंत्री हों...,
या
नोट बंदी को देश का सबसे बड़ा घोटाला बताने वाले वित्त मंत्री चिदंबरम हों...,,
या
ईस्ट इंडिया कंपनी की तर्ज पर भारत पर शासन करने वाली सोनिया गाँधी हों...,,
इनसे और ज्यादा की क्या उम्मीद की जा सकती थी???
अब चलते हैं जरा फ्लैश बैक में....
1996 - 97 में देवगौड़ा की सरकार में चिदंबरम वित्त मंत्री बने थे...,
इन्होंने प्रधानमंत्री देवगौड़ा के बिना जानकारी में लाए इंग्लैंड की एक बड़ी और नामचीन मुद्रण कंपनी को भारतीय करेंसी छापने का ठेका दे दिया...,,
वह कंपनी पाकिस्तान सहित विश्व के अनेक देशों की मुद्रा छापा करती थी।।
अब जैसा कि सभी जानते हैं पाकिस्तान की हुकूमत सेना और आईएसआई के हाथों में होती है...,
तो...येन केन प्रकारेण उस विदेशी मुद्रण कंपनी से या उसके कर्मचारियों से साठ-गाँठ करके भारतीय करेंसी में उपयोग होने वाले पेपर , इंक , सुरक्षा धागा , डिजाइन या अन्य चीजें आईएसआई को आसानी से हासिल हो गई थी।
अब पाकिस्तान में धड़ल्ले से भारतीय नोट छपते रहे और तस्करी के जरिए भारत में पहुँचते रहे!!
भारतीय तंत्र इसे पकड़ने में नाकाम रहा और एक दशक के अंदर असली की तरह दिखने वाले नकली नोटों से भारतीय बाजार पट गए!!
भारतीय अर्थशास्त्रीयों को अर्थशास्त्र का अर्थ समझाने में पाकिस्तान सफल हो गया था।।
कहते हैं कि "अति सर्वत्र वर्जयेत !"
.....तो 2009 में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इस खेल का भंडाफोड़ कर दिया!!
इस मामले की जाँच करने के लिए बनाई गई समिति COPU की रिपोर्ट के आधार पर उस विदेशी मुद्रण कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया।।
ध्यान रहे कि चिदंबरम साहब यूपीए के दोनों टर्म में भी देश के वित्त मंत्री और सोनिया गाँधी के करीबी रहे थे।
अपने बेटे को बहुत कम उम्र में ही दलाली के बिजनेस में स्थापित करवाकर हजारों करोड़ का मालिक बनवाने वाले पी चिदंबरम आजकल हिन्दी एवं अंग्रेजी के अखबारों में मोदी के तीन सालों की कमियाँ गिनाते नहीं थक रहे हैं।।
हालाँकि सुब्रमण्यम स्वामी ने इस नकली नोट के खेल में चिदंबरम और माँ-बेटे की भूमिका का जिक्र पहले भी किया था पर बात कुछ बनी नहीं थी।।
अब मोदी सरकार स्वामी की बातों पर गौर करते हुए चिदंबरम की पंद्रह सालों की कुंडली खँगालने का काम शुरू करवा दिया है।।
अब तो आने वाला समय ही बताएगा कि नकली नोटों के इस गोरखधंधे में केवल चिदंबरम शामिल था या माँ-बेटा भी...??
क्योंकि पार्टी की देशभक्ति और पाकिस्तान प्रेम जग जाहिर है ।
नोटबंदी का फैसला मोदी ने यूँ ही नहीं लिया था।
अब तो जरूरत है देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वाली काँग्रेसी कड़ी को तलाश करके इन traitors को देशद्रोह के ज़ुर्म में सलाखों के अंदर किया जाए ।।
संजय दुबे
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