Tuesday, 20 June 2017

औरतों के फर्जी मुकदमे रोकने के लिए, देश को मेजर विजय फलित शर्मा जैसे जजों की जरुरत ..........

आईये.... .....!!! भारत बदलें .... Let's Change India ....

रेवाड़ी के अतिरिक्त जिलाधीश मेजर विजय फलित शर्मा ने झूठे केस करवाने वाली महिलाओं के खिलाफ कार्यवाही के आदेश जारी किये .........

चण्डीगढ़, 20 मई - हरियाणा में दुष्कर्म के झूठे मामलों पर न्यायालय ने सख्ती दिखाते हुए  ऐसे शिकायतकर्ताओं पर ही कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। इस संबंध में जानकारी देते हुए रेवाडी के पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि झूठे आरोप लगाने वालों पर भी कडी कार्यवाही की जाएगी। इस संबंध में पुलिस अधीक्षक संगीता कालिया का कहना है कि झूठे आरोप लगाकर निर्दोष को पफंसाने वालों पर पुलिस के साथ ही अब कोर्ट भी पूरी तरह से सख्त है; हाल ही में आए निर्णय इस बात का उदाहरण है; आपसी रंजिश के चलते पुलिस में झूठा मुकदमा दर्ज कराने वालों को यह स्पष्ट संदेश है कि अब ऐसा नहीं चलेगा; भादसं की धारा 211 के तहत झूठा मुकदमा दर्ज कराने वालों के खिलाफ कडी कार्रवाई का प्रावधान है।

हाल ही में पांच मामलों में अदालत ने दुष्कर्म का झूठा मुकदमा दर्ज कराने वालों के खिलाफ कडा निर्णय लेेते हुए उनके खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई करने बारे कहा है। दुष्कर्म, छेडछाड व अन्य आरोपों को हथियार बनाकर दूसरे लोगों को झूठे आरोपों में फंसाने वालों के खिलाफ कोर्ट की सख्ती सामने आ रही है। हाल ही में ऐसे पांच मामले सामने आए हैं जिनमें अदालत ने आरोप झूठे पाए जाने पर शिकायतकर्ताओं के खिलाफ ही मामला दर्ज करने के साथ ही कडी कार्रवाई के आदेश जारी किए हैं।
केस-1
सदर थाना क्षेत्र मे पडने वाले एक गांव निवासी महिला ने अक्टूबर 2016 में गांव के ही एक 70 वर्षीय बुजुर्ग पर उसकी 6 साल की बेटी के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। महिला की शिकायत पर मामला दर्ज करके पुलिस ने अपनी जांच शुरू कर दी थी। पुलिस जांच व कोर्ट सुनवाई के दौरान सामने आया कि महिला के आरोप पूरी तरह से झूठे थे। आपसी पुरानी रंजिश के चलते महिला ने ये आरोप लगाए थे। न्यायाधीश फलित शर्मा की कोर्ट ने इस मामले में बच्ची को हथियार बनाकर झूठे आरोप लगाने वाली उसकी मां के खिलाफ ही आईपीसी की धारा 211 के तहत कार्रवाई के आदेश जारी किए है।
केस-2
इसी प्रकार रामपुरा थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति ने 23 जनवरी 2016 को अपने नाबालिग पुत्र के साथ अप्राकृतिक योनाचार व विडियो क्लिप बनाने का आरोप लगाते हुए करीब छह माह बाद दिनांक 29 जुलाई 2016 को मुकदमा दर्ज कराया था। उपरोक्त मामले मे अदालत मे गवाही के दौरान परिवादीगणों द्वारा अपने ब्यान से मुकर जाने पर अदालत द्वारा सभी आरोपियो को उक्त मामले मे बरी किया गया। ऐसा कर शिकायतकर्ता द्वारा अदालत व पुलिस दोनो का समय बरबाद किया है। जिस पर न्यायाधीश फलित शर्मा की अदालत ने पीडित को किसी प्रकार की कोई सरकारी सहायता ना देने के आदेश पारित किए है।
केस-3
इसी प्रकार रामपुरा थाना क्षेत्र मे पडने वाले एक गांव निवासी महिला ने 1 जनवरी 2015 को देहलावास व हजारी वास निवासी चार युवको पर अपहरण करन,े सामुहिक दुष्कर्म करने एवं अपने पति के खिलाफ तलाक का केस दायर करने का आरोप लगाते हुए दिनांक 09 फरवरी 2015 को रामपुरा थाना में अभियोग अकिंत कराया था। महिला की शिकायत पर मामला दर्ज करके पुलिस ने अपनी जांच शुरू कर दी थी। पुलिस जांच व कोर्ट सुनवाई के दौरान सामने आया कि महिला द्वारा युवको पर लगाए सभी आरोप पूरी तरह से झूठे थे। जिस पर न्यायाधीश फलित शर्मा की अदालत द्वारा शिकायतकर्ता महिला के विरूध भादस की धारा 211 के तहत कार्रवाई करने बारे कहा गया हैं।
केस-4
ऐसे ही माडल टाउन थाना क्षेेत्र के एक गांव निवासी महिला ने 23 अगस्त 2015 को अपनी नाबालिग लडकी घर से चले जाने पर अज्ञात पर नाबालिग को छुपा कर रखने का आरोप लगाते हुए 28 अगस्त को मुकदमा दर्ज कराया था। 30 अगस्त 2015 को पुलिस ने लडकी को बरामद कर नाबालिग का मैडिकल कराया और और अदालत मे 164 के तहत कलमबंध ब्यान दर्ज कराए। तथा अपनी मर्जी से हरिद्वार जाने बारे बताया और अपने माता पिता से जान का खतरा होने के कारण घर जाने से इंकार किया था। जिस पर अदालत ने नाबालिग की मां के खिलाफ ही भादस की धारा 211 के तहत कार्रवाई करने के आदेश जारी किए है।
केस-5
ऐसे ही एक अन्य मामले मे न्यायाधीश फलित शर्मा की अदालत ने शिकायतकर्ता महिला द्वारा झूठे अपहरण व सामुहिक दुष्कर्म करने का अभियोग दर्ज कराने पर शिकायतकर्ता महिला के खिलाफ भादस की धारा 211 के तहत कार्रवाई करने के आदेश जारी किए है। राजस्थान के जिला दौसा निवासी एक महिला ने दिनांक 9 जुलाई 2015 को बनीपुर चौक से अपहरण करने एवं सामुहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाते हुए दिनांक 29 जुलाई 2015 को बावल थाना मे दो लोगो के खिलाफ अभियोग अकिंत कराया था। पुलिस जांच व अदालत मे सुनवाई के दौरान युवको पर लगाए सभी आरोप झूठे पाए गए। जिस पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए दोनो युवको को बरी किया 

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