Sunday, 24 January 2016

न्यायपालिका कर रही कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट एक्ट का दुरूपयोग.............इसको रोकने की जरुरत ..................

जनता की आवाज़ को कुचलने के लिए,  न्यायपालिका कर रही कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट एक्ट का दुरूपयोग.............इसको रोकने की जरुरत ..................


कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट एक्ट बनाया तो इसलिए गया था कि -- कोर्ट के आदेशों कि पालना करवाकर,  पीड़ित को न्याय दिलवाया जा सके.        लेकिन न्यायपालिका इसका उपयोग कर रही  है ---  जनता की आवाज को कुचलने, .............. जजों के फर्जीवाड़े, ................... अन्याय और न्यायपालिका के  भ्र्ष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले लोगों को........................     डराने............... और प्रताड़ित करने के लिए................. 

ऐसे फर्जीवाड़े करने वाले जजो पर लगाम लगाने के लिए, जजों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की सख्त जरुरत  .....................

वैसे इस कानून में साफ लिखा है कि -- जायज सबूतों के साथ न्यायपालिका की आलोचना करना अपराध नहीं है .   Fair Criticism of Judiciary is not a Crime.       संविधान के अनुसार --  हर  व्यक्ति को अपनी अभिव्यक्ति की यानि कि अपनी बात कहने की आज़ादी है.    हम लोकतान्त्रिक व्यवस्था में रह रहे हैं,  कोई  तानाशाही व्यवस्था में नहीं जी रहे .  लेकिन,  न्यायपालिका आज भी देश के लोगों को तानाशाही, व्यवस्था की  तरह देखती है.  

किसी गरीब आदमी का मकान तोड़ दिया जाये या उसकी  जमीन पर कब्ज़ा करने वाले लोगों पर और इस काम में मदद करने वाले पुलिस और दूसरे अधिकारियों पर ,  (केस जीत जाने के बाद भी) उनके खिलाफ    इस कानून के तहत कोई कार्यवाही नहीं की  जा रही, क्योंकि ताकतवर पक्ष जजों को अवैध प्रतिफल दे देता है और गरीब और कमजोर नहीं दे सकता.     

लेकिन जब भी कोई पीड़ित अन्याय के खिलाफ आवाज बुल्लांद करता है या वो किसी जज के फर्जीवाड़े पकड़ लेता है, .................    तो ये जज...............    अपने आप को बचाने के लिए,................... न केवल उस पीड़ित व्यक्ति को केस के माध्यम से प्रताड़ित करते हैं.  बल्कि,  ऐसे पीड़ित लोगों के खिलाफ,  झूठे कंटेम्प्ट  की शिकायत,  हाई कोर्ट को भेजकर,  प्रताड़ित करने का काम कर रहे हैं.      हाई के जज भी जज के खिलाफ सुनने को तैयार नहीं ....................!!!      झूठी शिकायतों पर छोटे जजो के खिलाफ कार्यवाही  करने की बजाय,   पीड़ित को ही ये कहते हैं  कि  ----  आप माफीनामा लिखकर दे दो . पीड़ित लड़ाई लड़ने की बजाय माफीनामा लिखकर दे देता है.      इससे पीड़ित की सारी शिकायत सच्ची होते हुए भी झूठी.................... और जज की शिकायत झूठी होते हुए भी सच्ची हो गई.         ऊपर से गलत सन्देश गया,   वो अलग.  


इसमें रसूख वाले, धनबली, बड़े अभिनेता, राजनेता   और बाहुबली लोगों को विशेष छूट प्राप्त है.  

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