Saturday, 23 January 2016

सुब्रतो रॉय की गिरफ्तारी से सुप्रीम कोर्ट पर शक के कई सवाल............. , क्योकि



मुझे विश्वसनीय और गुप्त सूत्रों से पता चला है कि -- सहारा इंडिया के प्रमुख सुब्रत रॉय के खिलाफ कोई शिकायत या FIR ही नहीं थी . फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने मनमानी करते हुए, कानून और प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए,  गिरफ्तार करके,  तिहाड़ जेल में डाल दिया.  

यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि --  सुप्रीम कोर्ट किसी को  बिना किसी शिकायत या    FIR    के किसी व्यकति को सीधे जेल नहीं भेज सकता ............!!!       

जब सुप्रीम कोर्ट ही ऐसे बेतुके और गैरकानूनी काम करेगा तो फिर छोटे कोर्ट और जजों से क्या उम्मीद कि जाये . .........???   हमने इस गिरफ्तारी का सच जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट और प्रधानमंत्री कार्यालय को सुचना का अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगी है . इसमें कोई बड़ा पेच निकलेगा, ऐसी पूरी सम्भावना है.

 .   वैसे सहारा इंडिया या सुब्रत रॉय से,  मेरा कोई लेना देना नहीं है .   न मेरे परिवार के किसी सदस्य और न ही किसी रिश्तेदार को,   इस से कोई फायदा होने वाला है .   लेकिन,   इस बड़े फर्जीवाड़े का सच जानने का अधिकार,   देश के हर नागरिक को है .      इसलिए,   हमने  सच को जानने के लिए RTI  के माध्यम से सच निकालने  का   प्रयास किया है ....................

6 comments:

  1. जब सुप्रीम कोर्ट ही ऐसे बेतुके और गैरकानूनी काम करेगा तो फिर छोटे कोर्ट और जजों से क्या उम्मीद कि जाये . .........???

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  2. सुप्रीम कोर्ट किसी को बिना किसी शिकायत या FIR के किसी व्यकति को सीधे जेल नहीं भेज सकता ............!!!

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  3. अब तो 30 दिन की अवधी भी ख़त्म हो गयी है। तो इस RTI Application का क्या जवाब आया है। इससे भी सभी को अवगत कराया जाय।

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  4. अब तो 30 दिन की अवधी भी ख़त्म हो गयी है। तो इस RTI Application का क्या जवाब आया है। इससे भी सभी को अवगत कराया जाय।

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  5. अगर कानून पढ़ा होता तो पता होता आपको की सर्वोच्च न्यायालय स्वतः संज्ञान ले सकता है। और सहारा प्रमुख को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिसेस भेजे थे जिनका उसने जवाब तक नहीं दिया था। न ही कोर्ट में उपस्थित हुए। बिना पता किये अफवाह मत फैलाओ कुछ भी।

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  6. इसलिए मैं कहता हूँ कि... "देश में सत्ताधीशों द्वारा जब ऐसी मुक़म्मल व्यवस्था बनाई जाय, कि -विधिविरुद्ध आदेश और निर्णय देने वाले ऐसे सभी जज IPC. 219 के तहत 7वर्ष जेल भेजे जायें, तभी देश के नागरिकों को पूर्ण एवं त्वरित न्याय मिल सकेगा।"
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    वर्तमान व्यवस्था में...विधि-विरुद्ध आदेश या निर्णय देने वाले , भ्रष्ट और पूर्वाग्रही जजों पर कार्यवाही करने के लिए ऐसे जजों के जो आदेश या निर्णय अपर कोर्ट/पीठ से खारिज हुए हों उन्हें निकाल कर इनके विरुद्ध धारा 166, 219, IPC. और 13(1)डी, 13(2) एंटी करप्शन एक्ट 1988 के तहत FIR दर्ज करवाईए, उन्हें जेल भिजवाईये।
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    यदि कोई सक्षम पुलिस अधिकारी FIR दर्ज ना करे, तो उसके खिलाफ धारा 166, 217, 34 IPC. और 13(1)डी, 13(2) एंटी करप्शन एक्ट 1988 के तहत FIR दर्ज करवाइये।

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