Thursday, 14 January 2016

क्या हिन्दुस्तान में एक भी ऐसा वकील, जज या कानून का विद्वान नहीं था ...............???

आदरणीय देशवासियों,

 
अभी हाल ही में वकालत पेशे पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ न्यायधीश की टिपण्णी से मुझे सहमत होना पड़ रहा है.    जिस हिसाब से इस पेशे में गिरावट देखी जा रही है. लोगों में इनके प्रति सम्मान की बजाय,  नफरत बढ़ रही है.    ये गंभीर विचार करने का मामला है. 
 
 ये भी सच है कि इस पेशे में देश की क्रीम / टैलेंट नहीं जाती, उनका रुझान मेडिकल, IIT में ज्यादा होता है. और जो भी पेशा / Proffession अपना स्तर बनाये रखने के लिए,  ऊँचे मापदंड निर्धारित करता है,  उसमे प्रवेश करने वाले काबिल लोग होंगे तो वे काम भी अच्छा करेंगे.  जिस पेशे में जुगाड़ से, कॉलेज में फर्जी हाजिरी  लगाकर,   फर्जी डिग्री  से वकील बनेंगे.  ( अभी हाल ही में बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन ने भी देश में 40% के लगभग  वकीलों की डिग्री फर्जी होने का दावा किया था ) तो उनसे बड़े काम की उम्मीद भी कैसे की जाये ................???         
 
मुझे इस बात पर बड़ी हैरानी होती है कि--  हमे तथाकथित रूप से आजाद हुए 68 से भी ज्यादा साल बीत गये.  लेकिन हिन्दुस्तान में आज तक एक  भी ऐसा वकील या जज या कानून का विद्वान पैदा नहीं  हुआ जोकि --  गुलामी के वक्त अंग्रेजों के द्वारा हमें गुलाम बनांये रखने के लिए,  बनाये गये कानून की बजाय देश की जरुरत के हिसाब से नए कानून बना सकें ................???  
 
 

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