Sunday, 24 January 2016

न्यायपालिका कर रही कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट एक्ट का दुरूपयोग.............इसको रोकने की जरुरत ..................

जनता की आवाज़ को कुचलने के लिए,  न्यायपालिका कर रही कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट एक्ट का दुरूपयोग.............इसको रोकने की जरुरत ..................


कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट एक्ट बनाया तो इसलिए गया था कि -- कोर्ट के आदेशों कि पालना करवाकर,  पीड़ित को न्याय दिलवाया जा सके.        लेकिन न्यायपालिका इसका उपयोग कर रही  है ---  जनता की आवाज को कुचलने, .............. जजों के फर्जीवाड़े, ................... अन्याय और न्यायपालिका के  भ्र्ष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले लोगों को........................     डराने............... और प्रताड़ित करने के लिए................. 

ऐसे फर्जीवाड़े करने वाले जजो पर लगाम लगाने के लिए, जजों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की सख्त जरुरत  .....................

वैसे इस कानून में साफ लिखा है कि -- जायज सबूतों के साथ न्यायपालिका की आलोचना करना अपराध नहीं है .   Fair Criticism of Judiciary is not a Crime.       संविधान के अनुसार --  हर  व्यक्ति को अपनी अभिव्यक्ति की यानि कि अपनी बात कहने की आज़ादी है.    हम लोकतान्त्रिक व्यवस्था में रह रहे हैं,  कोई  तानाशाही व्यवस्था में नहीं जी रहे .  लेकिन,  न्यायपालिका आज भी देश के लोगों को तानाशाही, व्यवस्था की  तरह देखती है.  

किसी गरीब आदमी का मकान तोड़ दिया जाये या उसकी  जमीन पर कब्ज़ा करने वाले लोगों पर और इस काम में मदद करने वाले पुलिस और दूसरे अधिकारियों पर ,  (केस जीत जाने के बाद भी) उनके खिलाफ    इस कानून के तहत कोई कार्यवाही नहीं की  जा रही, क्योंकि ताकतवर पक्ष जजों को अवैध प्रतिफल दे देता है और गरीब और कमजोर नहीं दे सकता.     

लेकिन जब भी कोई पीड़ित अन्याय के खिलाफ आवाज बुल्लांद करता है या वो किसी जज के फर्जीवाड़े पकड़ लेता है, .................    तो ये जज...............    अपने आप को बचाने के लिए,................... न केवल उस पीड़ित व्यक्ति को केस के माध्यम से प्रताड़ित करते हैं.  बल्कि,  ऐसे पीड़ित लोगों के खिलाफ,  झूठे कंटेम्प्ट  की शिकायत,  हाई कोर्ट को भेजकर,  प्रताड़ित करने का काम कर रहे हैं.      हाई के जज भी जज के खिलाफ सुनने को तैयार नहीं ....................!!!      झूठी शिकायतों पर छोटे जजो के खिलाफ कार्यवाही  करने की बजाय,   पीड़ित को ही ये कहते हैं  कि  ----  आप माफीनामा लिखकर दे दो . पीड़ित लड़ाई लड़ने की बजाय माफीनामा लिखकर दे देता है.      इससे पीड़ित की सारी शिकायत सच्ची होते हुए भी झूठी.................... और जज की शिकायत झूठी होते हुए भी सच्ची हो गई.         ऊपर से गलत सन्देश गया,   वो अलग.  


इसमें रसूख वाले, धनबली, बड़े अभिनेता, राजनेता   और बाहुबली लोगों को विशेष छूट प्राप्त है.  

गुड़गांव के उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री जी को जजों की जबाबदेही कानून के लिये ज्ञापन सौपते हुए.......................







साथ में हैं गुड़गांव के जुझारू और निडर RTI कार्यकर्ता ओम प्रकाश कटारिया, रमेश यादव, बलबीर सिंह,JS Walia, Rakesh Katariya, Sagar Hindustani, Advocate Rajinder Pathak, और इस  देशव्यापी  अभियान की शुरुआत करने वाले रेवाड़ी के सामाजिक व् आर टी आई कार्यकर्ता मनोज विश्वकर्मा भी मौजूद थे

Saturday, 23 January 2016

सुब्रतो रॉय की गिरफ्तारी से सुप्रीम कोर्ट पर शक के कई सवाल............. , क्योकि



मुझे विश्वसनीय और गुप्त सूत्रों से पता चला है कि -- सहारा इंडिया के प्रमुख सुब्रत रॉय के खिलाफ कोई शिकायत या FIR ही नहीं थी . फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने मनमानी करते हुए, कानून और प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए,  गिरफ्तार करके,  तिहाड़ जेल में डाल दिया.  

यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि --  सुप्रीम कोर्ट किसी को  बिना किसी शिकायत या    FIR    के किसी व्यकति को सीधे जेल नहीं भेज सकता ............!!!       

जब सुप्रीम कोर्ट ही ऐसे बेतुके और गैरकानूनी काम करेगा तो फिर छोटे कोर्ट और जजों से क्या उम्मीद कि जाये . .........???   हमने इस गिरफ्तारी का सच जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट और प्रधानमंत्री कार्यालय को सुचना का अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगी है . इसमें कोई बड़ा पेच निकलेगा, ऐसी पूरी सम्भावना है.

 .   वैसे सहारा इंडिया या सुब्रत रॉय से,  मेरा कोई लेना देना नहीं है .   न मेरे परिवार के किसी सदस्य और न ही किसी रिश्तेदार को,   इस से कोई फायदा होने वाला है .   लेकिन,   इस बड़े फर्जीवाड़े का सच जानने का अधिकार,   देश के हर नागरिक को है .      इसलिए,   हमने  सच को जानने के लिए RTI  के माध्यम से सच निकालने  का   प्रयास किया है ....................

हिन्दुस्तान की कोर्ट बन चुकी हैं --- अवैध वसूली, ब्लैकमेल, प्रताड़ना, और शोषण के केंद्र .....

जजों की लापरवाही और न्यायपालिका के ढुलमुल रवैये के कारण,   हिन्दुस्तान की कोर्ट बन चुकी हैं --- अवैध वसूली, ब्लैकमेल, प्रताड़ना, और शोषण के केंद्र .....


आज हम देश की अदालतों का बुरा हाल देख रहे हैं । जिसके पास पैसा, रसूख है तो जमानत और न्याय तुरंत..... वरना, आप को अदालतों में केवल प्रताड़ना , शोषण के आलावा कुछ नहीं मिलता । काम धंधा ठप्प, पैसे और समय की बर्बादी, मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के आलावा कुछ भी नहीं .....!!! बिना किसी सबूतों और आधार के झूठे मुकदमे दर्ज करने को बढ़ावा देकर , और फिर कानून की प्रक्रिया के नाम पर ड्रामा करके , जमकर शोषण किया जा रहा है। जज को केस की सच्चाई पता चल जाने के बाद भी , झूठे मुकदमे डालकर कोर्ट को गुमराह काे गुमराह करने वाले ताकतवर और रसूख वाले लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करना, और दिखावे की लिए , कमजोर और रिश्वत देने में असमर्थ लोगों को जानबूझकर , प्रताड़ित करने के कारण न केवल न्यायपालिका विशवास खो चुकी है , बल्कि अब तो ऐसे हालात बन गये हैं कि कुछ जजों का ईलाज करके , न्यायपालिका को जिम्मेदार बनाना अत्यंत आवश्यक हो गया है ।

 ब्लैकमेल और अवैध वसूली करने के उद्देश्य से , एक व्यक्ति के खिलाफ एक सौ से भी ज्यादा झूठे मुकदमे दर्ज करवाकर, कुछ फ्रॉड वकील और जज , निर्दोष लोगों पर मानसिक दबाब बनाकर , अवैध वसूली करके , एक गैंग की तरह कामकर रहे हैं ...!!! क्या इन जजों को इतना भी नही दिखता.....??? या फिर जानबूझकर ड्रामा कर रहे हैं .....
 देश के लोगों को अब जजों की जबाबदेही कानून के लिए , आगे आना पड़ेगा, अभी तो लड़ने की हिम्मत बची हुई है । वरना एक वक्त ऐसा आएगा कि --- आप लोग लड़ने लायक ही नहीं बचोगे .....!!! क्योकि न्यायपालिका के भृष्ट लोग तुम्हे झूठे मुकदमो में उलझाकर इतना कमजोर कर देंगे कि --- तुम गाली देने लायक भी नहीं बचोगे ......

Kind attention....!!! Victims of Indian Judicial System. ... ........

Kind attention....!!! Victims of Indian Judicial System. ... ..................

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Tomorrow onwards, memorandum will be available in English also . We have decided, looking in to problem faced by people of Southern states of India . Those who are willing to get copy of Memorandum for Judicial Accountability Bill , to be sent to Prime Minister , are requested to send their email along with District name on 09253323118.....

Thursday, 14 January 2016

क्या हिन्दुस्तान में एक भी ऐसा वकील, जज या कानून का विद्वान नहीं था ...............???

आदरणीय देशवासियों,

 
अभी हाल ही में वकालत पेशे पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ न्यायधीश की टिपण्णी से मुझे सहमत होना पड़ रहा है.    जिस हिसाब से इस पेशे में गिरावट देखी जा रही है. लोगों में इनके प्रति सम्मान की बजाय,  नफरत बढ़ रही है.    ये गंभीर विचार करने का मामला है. 
 
 ये भी सच है कि इस पेशे में देश की क्रीम / टैलेंट नहीं जाती, उनका रुझान मेडिकल, IIT में ज्यादा होता है. और जो भी पेशा / Proffession अपना स्तर बनाये रखने के लिए,  ऊँचे मापदंड निर्धारित करता है,  उसमे प्रवेश करने वाले काबिल लोग होंगे तो वे काम भी अच्छा करेंगे.  जिस पेशे में जुगाड़ से, कॉलेज में फर्जी हाजिरी  लगाकर,   फर्जी डिग्री  से वकील बनेंगे.  ( अभी हाल ही में बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन ने भी देश में 40% के लगभग  वकीलों की डिग्री फर्जी होने का दावा किया था ) तो उनसे बड़े काम की उम्मीद भी कैसे की जाये ................???         
 
मुझे इस बात पर बड़ी हैरानी होती है कि--  हमे तथाकथित रूप से आजाद हुए 68 से भी ज्यादा साल बीत गये.  लेकिन हिन्दुस्तान में आज तक एक  भी ऐसा वकील या जज या कानून का विद्वान पैदा नहीं  हुआ जोकि --  गुलामी के वक्त अंग्रेजों के द्वारा हमें गुलाम बनांये रखने के लिए,  बनाये गये कानून की बजाय देश की जरुरत के हिसाब से नए कानून बना सकें ................???  
 
 

रोहतक, के वकीलों ने जजों की जबाबदेही कानून लाने के लिए सौंपा ज्ञापन.............





-जब कानून के दुरूपयोग पर सभी को सजा है, तो जजों को क्यों नहीं?

रोहतक: न्यायपालिका में बढ़ रही तानाशाही के चलते जजो की जबाबदेही कानून लाने के लिए वकीलों व प्रबुद्धजनों ने आज जिलाधीश के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
अधिवक्तागन ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में देश की न्यायपालिका में तानाशाही का रुख अखतियार किया है। कई न्यायाधीश पिडित लोगों की समस्या का समाधान करने की बजाए जनता को डराने के लिए कन्टेम्पट ऑफ कोर्ट एक्ट त...था गलत तरीके से जेल भेज कर लोगों को डराने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गलत कार्य करने तथा कानून का दुरूपयोग करने पर जब डाक्टर, इंजिनियर, ड्राईवर, पुलिस अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, वकील, सांसद, मंत्री व आम जनता को सजा हो सकती है तो जानबूझ कर कानून का दुरूपयोग करने वाले जजों को सजा क्यों नहीं हो सकती?
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि भारत की न्याय व्यवस्था अंग्रेजों की देन है, जिन्होंने गुलाम रखने के लिए इस प्रकार की न्याय व्यवस्था को बनाया था, किन्तु आज आजादी के इतने वर्षों बाद भी हम उसी व्यवस्था को ढो रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की कमियों के चलते लोगों को न्याय नहीं मिल पाने के कारण कमजोर लोगों का जमकर शोषण हो रहा है। उन्होंने बताया कि इस ज्ञापन के माध्यम से प्रधानमंत्री जी से मांग की गई है कि आज इस बात की आवश्यकता हो गई है कि देश की न्यायपालिका को जिम्मेदार बनाने के लिए, जजों की जवाबदेही कानून लाना बेहद जरूरी हो गया है। इसलिए 130 करोड़ लोगों की समस्या को देखते हुए जल्द से जल्द जजों की जवाबदेही सुनिश्चित करने वाला कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। इस कदम से देश में बहुत बड़ा बदलाव आएगा तथा भारत बेहतर लोकतांत्रिक देश बनेगा।
इस अवसर पर इस अभियान की शुरुआत करने वाले रेवाड़ी के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज विश्वकर्मा, अधिवक्ता दीपक भारद्वाज, अधिवक्ता नितिन बंसल जैन, सौरभ त्यागी एडवोकेट, शैलेश, कमल आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

Wednesday, 13 January 2016

Today we submitted Memorandum in Rohtak...............

Today we submitted Memorandum for Judicial Accountablity Bill to Prime Minister through D.C. Rohtak, along with Adv. Dr. Deepak Bhardwaj, Adv. Nitin Bansal Jain, Kamal Hindustani, Shailesh Bansal, Manojj Kr. Vishwakarma and 18 more Advocates of Rohtak

Friday, 8 January 2016

जजों ने अपने खिलाफ आने वाली शिकायतों को रोकने के लिए, एक और तरीका खोजा......................


आदरणीय देशवासियों,
अभी मुझे कहीं से हाई कोर्ट चंडीगढ़ का  एक पत्र मिला है,  जिसमे सभी निचली अदालतों के जजों के खिलाफ आने वाली शिकायतों, को कम करने और जजों को शिकायतों से बचाने के लिए ( ताकि उनके खिलाफ किसी भी कार्यवाही करने से बचा जा सके ),  नया नुस्खा निकाला गया है.  इस पत्र में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के पत्र का भी हवाला दिया गया है .  इस देश में वैसे तो लोकतान्त्रिक व्यवस्था है, लेकिन न्यायपालिका को आज भी तानाशाही वाले रुतबे मिले हुए हैं. जुडिशल प्रोटेक्शन एक्ट और कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट एक्ट के माध्यम से इनको जबाबदेही और पारदर्शिता से बचाया जाता रहा है. न्यायपालिका दूसरे स्तम्भ कर्यपालिका, विधानपालिका, मीडिया और देश की आम जनता से बड़ी जिम्मेदारी, जबाबदेही, जिम्मेदारी  की उम्मीद करती है . लेकिन जब जजों से वही उम्मीद जनता करे तो उनके खिलाफ झूठे कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट के मुकदमे दर्ज करके पहले ही आतंक फैलाकर,  लोगों में जेल भेजने का ड़र फैलाकर, पहले ही हदें पार कर रही है .  पहली बात तो ये कि-- ड़र के मरे पुलिस और जजों के खिलाफ कोई शिकायत करता ही नहीं. .........??   कोई विरला शिकायत करने कि हिम्मत करे तो उनके खिलाफ झठे केस दर्ज करके उनको प्रताड़ित करना ............और करवाना ........ और अब उपर से जजों के खिलाफ आने वाली शिकायतों को रोकने के लिए एफिडेविट लगाने की कंडीशन थोपना........... एक सोची समझी चालाकी है.  क्योकि एक साधारण आदमी जजो के खिलाफ साबित कर नहीं सकेगा और फिर ये लोग उसको 7  साल के लिए जेल भेज देंगे .          

Wednesday, 6 January 2016

We submitted Memorandum from Narnaul....on 05/01/16, जजों की जबाबदेही कानून लाने के लिए सौंपा ज्ञापन.....................

जजों की जबाबदेही कानून लाने के लिए सौंपा ज्ञापन.....................

-जब कानून के दुरूपयोग पर सभी को सजा है, तो जजों को क्यों नहीं?

नारनौल: न्यायपालिका में बढ़ रही तानाशाही के चलते ...जजो की जबाबदेही कानून लाने के लिए अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ की अगुवाई में वकीलों व प्रबुद्धजनों ने आज जिलाधीश के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। जिलाधीश की अनुपस्थिति में ज्ञापन तहसीलदार के माध्यम से सौंपा गया।
अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में देश की न्यायपालिका में तानाशाही का रुख अखतियार किया है। कई न्यायाधीश पिडित लोगों की समस्या का समाधान करने की बजाए जनता को डराने के लिए कन्टेम्पट ऑफ कोर्ट एक्ट तथा गलत तरीके से जेल भेज कर लोगों को डराने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गलत कार्य करने तथा कानून का दुरूपयोग करने पर जब डाक्टर, इंजिनियर, ड्राईवर, पुलिस अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, वकील, सांसद, मंत्री व आम जनता को सजा हो सकती है तो जानबूझ कर कानून का दुरूपयोग करने वाले जजों को सजा क्यों नहीं हो सकती?
मनीष वशिष्ठ ने कहा कि भारत की न्याय व्यवस्था अंग्रेजों की देन है, जिन्होंने गुलाम रखने के लिए इस प्रकार की न्याय व्यवस्था को बनाया था, किन्तु आज आजादी के इतने वर्षों बाद भी हम उसी व्यवस्था को ढो रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की कमियों के चलते लोगों को न्याय नहीं मिल पाने के कारण कमजोर लोगों का जमकर शोषण हो रहा है। उन्होंने बताया कि इस ज्ञापन के माध्यम से प्रधानमंत्री जी से मांग की गई है कि आज इस बात की आवश्यकता हो गई है कि देश की न्यायपालिका को जिम्मेदार बनाने के लिए, जजों की जवाबदेही कानून लाना बेहद जरूरी हो गया है। इसलिए 130 करोड़ लोगों की समस्या को देखते हुए जल्द से जल्द जजों की जवाबदेही सुनिश्चित करने वाला कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। इस कदम से देश में बहुत बड़ा बदलाव आएगा तथा भारत बेहतर लोकतांत्रिक देश बनेगा।
इस अवसर पर इस अभियान की शुरुआत करने वाले रेवाड़ी के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज विश्वकर्मा, अधिवक्ता सुरेन्द्र ढिल्लो, अधिवक्ता राव कृष्ण महता, राजेश सैनी एडवोकेट, नरेन्द्र यादव एडवोकेट, उमाकांत छक्कड, सीताराम बौहरा एडवोकेट आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।


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Monday, 4 January 2016

Today we Submitted Memorandun for Judiciary Accountablity Bill........... in Rewari............




Memorandum for Judicial Accountablity Bill submitted to Deupty Commissioner, Rewari...Today.....Manojj Kr. Vishwakarma, Advocate N S Tanwar, V P Yadav, Director, Sunglow School, Rewari , Hoshiar Singh, Vinay Kumar, Surinder Vashisth, Kailesh Kumar

Friday, 1 January 2016

Special Article on--- Contempt of Court act............& it's Misuse by Judiciary


न्यायपालिका कर रही Contempt Of Court Act का दुरूपयोग,  इसलिए इसमें बदलाव  करने की जरुरत ...................


आदरणीय देशवासियों,

 जब से बोम्बे हाई कोर्ट ने लेखिका अरुणा राय को अदालत की अवमानना का नोटिस दिया गया है, तब से देश में कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट एक्ट के बारे में काफी चर्चा हो रही है.  हर कोई, ये तो कह रहा है कि – सभी को देश की कानून और न्याय व्यवस्था का सम्मान करना चाहिए. लेकिन,  कुछ पहलुओं पर जानबूझकर पर्दा डाला जा रहा है.   आइये.... !!! जाने, हिंदुस्तान की न्यायपालिका के  कुछ कडवे सच..................  

 

n  हिन्दुस्तान  एक लोकतान्त्रिक देश है,  हर नागरिक  को अपनी बात रखने की आज़ादी है और ये संविधान द्वारा दिया गया,  एक मौलिक अधिकार भी है.  कोर्ट में भी कोई वकील या पीड़ित  अपनी बात रखने का अधिकार रखता है, अन्यथा तो कोई अपने केस की पैरवी ही नहीं कर पायेगा ..........??? 

n  किसी भी लोकतान्त्रिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जिम्मेदारी की बहुत बड़ी भूमिका होती है.

 

तो फिर समस्या क्या है ........???  

दरअसल न्यायपालिका को पहले लोग सम्मान की नजर से देखते थे और लोग  जजों को भगवान् की तरह देखते थे और देश में अदालतों को  न्याय के मंदिर कह कर प्रचारित किया गया है. 

नेताओं का भी पहले लोग बहुत सम्मान करते थे.  क्योकि नैतिक मूल्य ऊँचे थे और उनमे  एक शर्म  भी थी, गलत काम करने का डर था..  कि – लोग क्या सोचेंगे ...........??? क्योकि कल उनके पास वोट मांगने भी जाना है. लेकिन इनमे से नेहरु, इंदिरा गाँधी जैसे चतुर और शातिर लोग भी थे. जो अपने फायदे के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे. इतिहास ऐसे अनेकों उदाहरणों से भरा हुआ है.

पहले जज केवल वे ही लोग बनते थे जिनका परिवार बहुत संपन्न /  पढ़ा लिखा हो या फिर जिनकी पहुँच ऊँची हो.   सरकार अपनी पसंद के लोगों को ही जज बनाती थी,  ताकि अपने हिसाब और फायदे से राज चलाया जा सके. 

एक सामान्य आदमी कोर्ट, कानून से डरता है.  उसे कानून की बारीकियां और जानकारी नहीं होती .........!!!  क्योकि देश के तथाकथित निर्माताओं ने जानबूझकर,  हमारी शिक्षा व्यवस्था ही ऐसी बनाई,  जिसने शोषण का रास्ता  खुला रखा.  हमें ऐसी बातें सिखाई ही नहीं गई, जिनका असल जिंदगी में वास्ता पड़ता है. जिसको ज्ञान होगा, उसका शोषण नहीं किया जा सकेगा.....???  इसलिए, हिन्दुस्तान की  आम जनता को ज्ञान से वंचित रखा गया.    

वकीलों का भी पहले बहुत सम्मान हुआ करता था. कोर्ट और जजों की छवि जनता में इस प्रकार बनाई गई,  ताकि जनता डरे.

“ ताकत जब भी ज्यादा, निरंकुश  और असीमित हो,  तो  कही न कहीं,  तानाशाही की तरफ अग्रसर होने  लगती है.”  

वक्त के साथ-- साथ राजनीती में,  नैतिक मूल्यों में गिरावट आई. अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए लोकलाज और शर्म को छोड़कर, अपराधीकरण, गुंडागर्दी, धनबल,  और असीमित घोटाले, घपले और भ्रष्ट आचरण के कारण, नेताओं का सम्मान कम होता चला गया और  जनता नफरत की नजर से देखने लगी.  

नेताओ/ विधायिका की कमजोरी का फायदा उठाते हुए, न्यायपालिका ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए, जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर कब्ज़ा कर  लिया,  और सरकार को इस अधिकार क्षेत्र में अतिकर्मण से रोकने के लिए, न्यायपालिका की स्वतंत्रता का ड्रामा शुरू कर  दिया.  जब कभी भी भ्रष्ट जजों के खिलाफ कार्यवाही की बात आई तो न्यायपालिका ने (अपनी ताकत और रुतबे को बरकरार रखने के लिए), ऐसे जजों के खिलाफ कार्यवाही न करके, न्यायपालिका को और भी निरकुंश और तानाशाही की और प्रेरित किया. 

जब पश्चिम बंगाल के जज सेन के खिलाफ महाभियोग चलने की बात आई तो कांग्रेस के कुछ दलालों की सेटिंग के माध्यम से, उसको विफल करके,  समाज  ऐसा सन्देश दिया कि – एक बार जज बन जाओ, फिर कुछ भी नहीं बिगड़ने वाला.......!!!  नेता को तो वोट मांगने के लिए जनता के दरबार में, 5 साल बाद,   फिर जाना पड़ेगा.  लेकिन एक बार जज बन गए,  तो समझो,  हमेशा के लिए सरकारी दामाद और तानाशाही की खुली छूट .....

 

वैसे देश में जजों की तानाशाही, अत्याचार और  गैर कानूनी काम के तो हजारों उदहारण हैं.   जजों के खिलाफ, आज़ादी से लेकर  आजतक केवल 36 मुक़दमे ही दर्ज हो सके हैं, और इस हिम्मत करने वाले लोगों को किस हद तक प्रताड़ित किया गया होगा......??? ये बहुत कम लोग जानते हैं , क्योकि ये बातें मीडिया में नहीं छपती.   उनमे न्यायपालिका ने जजों को सजा से बचाने का भरपूर प्रयास किया  और अन्याय के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने वाले पीड़ित लोगों को प्रताड़ित करने के लिए, और मीडिया को ऐसी खबरें प्रसारित करने से रोकने के लिए कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट एक्ट का जमकर  दुरूपयोग किया.  न्यायपालिका संगठित थी और ताकत का इस्तेमाल करते हुए लोगों की आवाज़ को कुचलने के लिए, जेल भेजने का डर  दिखाकर, विधानपालिका की कमजोरी का फायदा उठाते हुए,  जमकर शोषण और अवैध वसूली करने लग चुकी है.

आज देश के सब लोग जानते हैं कि—देश की अदालतों में कितना बुरा हाल है, जज जमकर फर्जीवाड़ा करते हुए, अवैध वसूली करके, गलत फैसले हक में देते हैं.  जो अवैध वसूली न दे पाए वो, या तो जेल में होता है या फिर उसे न्याय मिलता ही नहीं  है.  हाँ,  अगर आप सलमान खान, जय ललिता, सोनिया गंदगी, राहुल गाँधी की तरह  प्रभावशाली हैं तो, कोई दिक्कत ही नहीं........!!! सब कुछ मैनेज हो जायेगा.

 सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख सुबर्तो राय को, बिना किसी शिकायत या FIR की ही जेल में डाल दिया, जोकि सरासर कानून के खिलाफ है.   और ऐसे न जाने कितने झूठे मुकदमे देश भर की अदालतों में,  प्रताड़ित करने नियत से चलाये जा रहे हैं.....???    जज को,  सब कुछ मालूम है, फिर भी केस में फर्जीवाडा  करने वाले लोगों के खिलाफ कुछ करने की बजाय, केस को लम्बा खीचने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं.

" हिंदुस्तान की न्यायपालिका खुद वो जिम्मेदारी और पारदर्शिता नहीं निभाना चाहती जोकि वो दुसरे जनसेवक और संस्थाओं से चाहती है. किसी भी देश की लोकतान्त्रिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जिम्मेदारी की बहुत बड़ी भूमिका होती है."..................

इसी सोच के चलते सुप्रीम कोर्ट ने,  सुचना का अधिकार की मूल भावना  और सोच को दरकिनार करते हुए, RTI Act को कमजोर करने का काम किया, ताकि न्यायपालिका  के फर्जीवाड़े, सामने न आ सकें और भ्रष्टाचारी बच सकें.  जजों के खिलाफ शिकायतों पर कार्यवाही को छुपाना और लोगों को डराने के लिए, उनके खिलाफ झूठे केस दर्ज करने के लिए सर्कुलर तक जारी किये जा रहे हैं,  ताकि जजों के फर्जीवाड़े को कार्यवाही बचाया जा सके..............

कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट एक्ट में ये साफ़ लिखा है कि – न्यायसंगत और जायज सबूतों के आधार पर किसी की आलोचना करना, अपराध नहीं है.  लेकिन कोई अन्याय के खिलाफ बोले, या मीडिया टीवी चैनल पर प्रसारित कर दे या कोई अखबार छाप दे तो उनके खिलाफ भारी जुर्माना लगाना ( टाइम्स नाउ चैनल में एक खबर में किसी जज की फोटो गलती से लग गई थी तो उसके खिलाफ 100 करोड़ का जुर्माना लगाया और बार – बार माफीनामा प्रसारित करवाया ) और कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट के नोटिस भेज कर  झूठे मुक़दमे चलाकर, लोगों को प्रताड़ित करना, तानाशाही नहीं तो क्या है ................???   क्या किसी पीड़ित को कभी इतने बड़ी राशी का क्लेम दिया गया ...........???  क्यों नहीं ...........???   

बोम्बे हाई कोर्ट के इस नोटिस की सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय कर्तजू ने भी निंदा करते हुए इसे आधारहीन और गलत बताया है.

देश भर में ऐसे अनेको झूठे मुक़दमे,  जजों ने अपने आप को बचाने, जनता की आवाज़ को कुचलने के उद्देश्य से, अदालतों में दर्ज करवा रखे हैं.  मैंने नारनौल के दौरे पर आये चंडीगढ़ हाई कोर्ट के एडमिनिस्ट्रेटिव जज महिंदर सिंह सुल्लर से, लीगल ऐड से वकील दिलवाने के बारे में कहा था, जोकि उन्होंने गैरजिम्मेदार तरीके से मन कर दिया. मैंने उस जज के फर्जीवाड़े की शिकायत कर  दी तो झूठे आरोप लगवा कर गैर कानूनी तरीके से 14 दिनों के लिए जेल  भिजवाया और झूठे आरोप लगाकर कंटेम्प्ट का मुकदमा चलाकर प्रताड़ित करने की कोशिश की. जबकि उस हाई कोर्ट के जज की नौकरी की नियुक्ति ही गैरकानूनी थी.  जिस जज ने इतना बड़ा फर्जीवाड़ा कर  रखा हो,  वो क्या जिम्मेदारी से काम करेगा ...............??? कभी नहीं .........???  
                                    

जज अवैध वसूली, गैर कानूनी तरीके अपनाते हुए, अवैध प्रतिफल लेकर,  जानबूझकर गलत फैसले लिखकर,  निर्दोष लोगों को प्रताड़ित कर  रहे हैं.   जब पीड़ित शिकायत करता है, तो उसको प्रताड़ित करने के लिए झूठे आरोप ( He tried to scandalize the Court, which lowered down the authority & dignity of Court ) लगाकर जेल भेजना और कांतेम्प्त के झूठे मुकदमे दर्ज करने की शिफारिश करके प्रताड़ित करते हैं.  मेरे  पास ऐसे अनेकों जजों के फर्जीवाड़े के सबूत हैं, जो स्पष्ट रूप से, निचली कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के जजों के फर्जीवाड़े साबित करता है.  कोई भी व्यक्ति ये सबूत  देख सकता है.       

किसी भी लोकतान्त्रिक व्यवस्था में,  जनता की आवाज को कुचलने की कोई भी प्रथा जैसे कि Contempt Of Court Act का कोई स्थान नहीं होना चाहिए.       ये प्रावधान अंग्रेजों ने देश की जनता को गुलाम रखने के लिए बनाये थे. जिनका प्रयोग,  भ्रष्ट जज अपने कारनामों को बचाने, जनता को डराने और प्रताड़ित करने के लिए कर रहे हैं.  हर किसी पर कोर्ट की अवमानना के झूठे आरोप लगाकर प्रताड़ित कर रहे हैं.  लोकतंत्रिक व्यवस्था में  जजों को आलोचना का भी स्वागत करना चाहिए.  ये देश कोई तानाशाही व्यवस्था में नहीं चल रहा है,  अब वक्त बदल चूका है और मनमानी नहीं चल सकती .......!!!   लोकतंत्र  में जजों को  भी जिम्मेदारी से काम करने पड़ेंगे.  और ईमानदार जजों को इन बातों से डरने  की जरुरत ही नहीं है.  इसलिए,  अब  Contempt Of Court Act के इस प्रावधान को खत्म  करने की जरुरत है और इसके साथ—साथ जजों को जिम्मेदार बनाने के लिए,  जजों की जबाबदेही सुनिश्चित करने वाला  कानून भी बनाना जरूरी हो गया है.

                                                                                       भवदीय
                                           
                                                                       Manojj Kr. Vishwakarma... न्याय--- पुरुष
                                                                      Social Activist, RTI Activist & Scientist
                                                                    A Responsible Citizen of Nation.......
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