आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
नारनौल कोर्ट में हो रही सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और कानून मंत्रालय के दिशानिर्देशों की अवहेलना ............. क्या सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट चंडीगढ़ के जज , नारनौल के जजों के फर्जीवाड़ों को रोकने के लिए , कुछ करेंगे .................???
दरअसल हमने हमारे मुकदमे में ( FIR no 392, dated--25.12.2009 u/s 498-a Police Station City, Narnaul. ) मेरी माता जी के ख़राब स्वास्थ्य के चलते उनकी हाजिरी माफ़ी के लिए एप्लीकेशन लगाई थी. कानून मंत्रालय और सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश है कि-- बुजुर्ग, मानसिक रोगी, सीनियर सिटीजन, को कोर्ट में व्यक्तिगत पेशी से छूट मिलती है , और इनके मुकदमो को प्राथमिकता से निपटारा किया जायेगा. नारनौल के भृष्ट सेशन जज अरुण कुमार सिंघल, JMIC ऍम जेड खान, और दूसरे जज राजेश गुप्ता, रामावतार पारीक, अपर्णा भारद्धाज, ने हमें प्रताड़ित करने कि नियत से, 23 / जनवरी 2013 की एप्लीकेशन पर , आज तक निर्णय नहीं दिया है. गैर कानूनी और फर्जी तरीके अपनाकर , गैर जमानती वारंट, जारी किये जा रहे हैं.
नारनौल के इन भृष्ट जजों के शायद, माँ बाप नहीं हैं .........................???
क्या ये काम बिना किसी स्वार्थ और लालच या अवैध प्रतिफल के हो सकता है ...........???
हाई कोर्ट चंडीगढ़ की जज अनीता चौधरी, नारनौल के भृष्ट जजों का बचाव क्यों कर रही है .............???
इसीलिए, सभी जानकारी होने के बावजूद भी, इस एप्लीकेशन पर कोई फैसला नहीं दिया, ऐसा करने की क्या मजबूरी थी ..............???
केस न समझ पाना ................ या फिर जानबूझकर फर्जीवाड़ा ...............
CJI तीर्थ सिंह ठाकुर साहब, जजों के फर्जीवाड़े की शिकायत भी है, सबूत भी हैं, अब कुछ करके दिखाओ............... वर्ना हम और देश कि जनता , यही समझेंगे कि -- आप अपने लोगों को फिट करने के लिए, केजरीवाल कि तरह, नाटक कर रहे हैं. कुछ करना धरना नहीं है. भृष्ट लोगों को बचाने वाला भी, भृष्ट ही माना जाता है. अगर आप वास्तव में ईमानदार और जिम्मेदार हैं, तो कुछ करके दिखाओ.............
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