आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
क्या आपने कभी ऐसा देखा या सुना है कि -- आप कोर्ट जज से बात कर रहे हों, और वो जज आप के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दे. ..................??????????
नारनौल कोर्ट में जज,............. इस तरह फर्जीवाड़े से जारी करते हैं गैर जमानती वारंट ........................
5 साल का बच्चा भी, फर्जी तरीके से गैर जमानती वारंट करने वाली नारनौल की जज अपर्णा भारद्धाज से ज्यादा समझदार ........
अब आप ही सबूत देख और समझ लें ...............
अभी 15.09.2016 को नारनौल कोर्ट में JMIC अपर्णा भारद्धाज की कोर्ट में मेरी पेशी थी. उस सुबह रात को चंडीगढ़ से हम आये थे. रेवाड़ी कोर्ट में भी पेशी थी , सुबह साइबर कैफ़े जाकर हमने Email से रेवाड़ी कोर्ट की जज को सुचना भेजी. फिर नारनौल के लिए निकल लिए. वहां कोर्ट पहुंचकर, मैंने इस जज साहिबा को बताया कि -- हम सुबह चंडीगढ़ से आ रहे हैं और आज ही रेवाड़ी कोर्ट में भी मेरी तारीख थी. उसकी ईमेल करके हम यहाँ पर आये हैं. और बताया कि - लगभग 30 मिनट में हम एक एप्लीकेशन तैयार करके ला रहे हैं. तो वो बोली -- ठीक है.
थोड़ी देर बाद हम उस जज के पास गए तो वो बोली कि -- अभी तोड़ी देर, बाहर इंतजार कर लो, अभी बुलवाते हैं. हम बाहर आ गए . फिर उस कोर्ट से एक सहायक बुलाने आया. और हम कोर्ट में जज से मिले. और ये सारी सच्चाई कोर्ट रूम के बाहर CCTV कैमरा में रिकॉर्ड हो चुकी थी.
इस जज से हमारी पहली मुलाकात थी. क्योकि पुराने JMIC रामावतार पारीक का कोसली ट्रांसफर हो गया था. मेरी माता जी के हाई कोर्ट के केस कि कॉपी Enclosure सहित दे दी. तो ये जज साहिबा बोली कि -- मैं ये एप्लीकेशन नहीं ले सकती. हमने कारण पूछा तो बोली कि - मैंने तो इनके गैर जमानती वारंट, कर दिए हैं और आप के सिग्नेचर नहीं चल सकते ........!!! आप के भी गैर जमानती वारंट मैंने कर दिए हैं हमने कहा कि हम अभी आधा घंटे पहले आप से मिलकर बताकर गए थे . फिर मेरे खिलाफ NBW कैसे किये जा सकते हैं. हमने कारण पूछा तो जज बोली कि -- किसी वकील को बुला लो. और हम बाहर आ गए.
फिर मैंने अपने पिछले अनुभव को याद किया , जब पहले भी मेरे साथ फर्जी तरीके से गैर जमानती वारंट, जारी करके 4 बार जेल में डाला जा चूका है. क्योकि नारनौल के जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल का फर्जीवाड़ा पकड़कर, हमने उसके खिलाफ केस डाल रखे हैं.. इसीलिए, नारनौल के जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल अपने पद के प्रभाव का इस्तेमाल करके, अपने जूनियर जजों से मेरे मुकदमों में बिना किसी सबूत के फर्जी तरीके से, जेल में डालने के लिए, गैर जमानती वारंट करवाकर प्रताड़ित कर रहा है. इस जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल, ने मुझे जान से मारने कि धमकी भी दे रखी है. और मुझे सबक सिखाने के लिए , मेरी माता जी के खिलाफ और मेरे खिलाफ फर्जीवाड़े करके गैर जमानती वारंट करवाये . और मेरे पीछे सारे जज, पुलिस, जेल , पुलिस , कोर्ट के कर्मचारी को लगा रखा है और फिर भी कोई सबूत नहीं पकड़ सका तो झूठी शिकायत करवाकर, मेरे खिलाफ हाई कोर्ट में झूठे कंटेम्प्ट के केस भी डलवाये, जोकि हम जीत चुके हैं.
ज्यादा जानकारी के लिए दिनांक -- 15.09.2016 की ईमेल को पढ़ सकते हैं.
इस आर्डर को 13 दिनों तक वेबसाइट पर डाला ही नहीं गया, और जब आर्डर की कॉपी मिली तो उसमे झूठे आरोप लगाए गए कि --- मनोज से जब लेट होने का कारण पूछा गया तो वो इसका जबाब नहीं दे सका . जबकि इस साधारण से सवाल का जबाब देने के लिए किसी विशेष दिमागी दक्षता कि जरुरत नहीं हैं.
दूसरा झूठा आरोप ये लगाया कि -- मनोज कोर्ट रूम में ज्यादा भीड़ का फायदा उठाकर, पुलिस से हाथ छुड़वाकर भाग गया. जबकि कोर्ट रूम बहुत बड़ा है, उसमे 100 लोग खड़े हो सकते हैं, उस समय कोर्ट में केवल 4 / 5 लोग ही थे. पुलिस वाला न तो मेरे पास आया और न ही कोई ऐसी बात हुई.......... , और हाथ छुड़वाने कि तो कोई घटना ही नहीं घटी.
न हम भागे ................ CCTV कैमरा कि रिकॉर्डिंग को Preserve करने के लिए मैंने उसी दिन ईमेल कर दी थी. जबकि जज का आर्डर 13 दिनों बाद लिखा गया.
और इन जजों ने फर्जीवाड़े करते हुए, घटना के सबूत नष्ट करते हुए, CCTV कैमरा कि रिकॉर्डिंग को डिलीट भी कर दिया. ऐसा करने कि क्या मजबूरी थी. .................???
Copy of Order Dated-- 15/09/2016 -----
This order was earlier uploaded, now removed. Very shortly, i will post copy of those 2 orders.
Copy of Email dated -15.09.2016 ------
Copy of email dated--09/10/2016 --- To Preserve the Hard Disk of JMIC Aprna Bhardwaj .....
क्या आपने कभी ऐसा देखा या सुना है कि -- आप कोर्ट जज से बात कर रहे हों, और वो जज आप के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दे. ..................??????????
नारनौल कोर्ट में जज,............. इस तरह फर्जीवाड़े से जारी करते हैं गैर जमानती वारंट ........................
5 साल का बच्चा भी, फर्जी तरीके से गैर जमानती वारंट करने वाली नारनौल की जज अपर्णा भारद्धाज से ज्यादा समझदार ........
अब आप ही सबूत देख और समझ लें ...............
अभी 15.09.2016 को नारनौल कोर्ट में JMIC अपर्णा भारद्धाज की कोर्ट में मेरी पेशी थी. उस सुबह रात को चंडीगढ़ से हम आये थे. रेवाड़ी कोर्ट में भी पेशी थी , सुबह साइबर कैफ़े जाकर हमने Email से रेवाड़ी कोर्ट की जज को सुचना भेजी. फिर नारनौल के लिए निकल लिए. वहां कोर्ट पहुंचकर, मैंने इस जज साहिबा को बताया कि -- हम सुबह चंडीगढ़ से आ रहे हैं और आज ही रेवाड़ी कोर्ट में भी मेरी तारीख थी. उसकी ईमेल करके हम यहाँ पर आये हैं. और बताया कि - लगभग 30 मिनट में हम एक एप्लीकेशन तैयार करके ला रहे हैं. तो वो बोली -- ठीक है.
थोड़ी देर बाद हम उस जज के पास गए तो वो बोली कि -- अभी तोड़ी देर, बाहर इंतजार कर लो, अभी बुलवाते हैं. हम बाहर आ गए . फिर उस कोर्ट से एक सहायक बुलाने आया. और हम कोर्ट में जज से मिले. और ये सारी सच्चाई कोर्ट रूम के बाहर CCTV कैमरा में रिकॉर्ड हो चुकी थी.
इस जज से हमारी पहली मुलाकात थी. क्योकि पुराने JMIC रामावतार पारीक का कोसली ट्रांसफर हो गया था. मेरी माता जी के हाई कोर्ट के केस कि कॉपी Enclosure सहित दे दी. तो ये जज साहिबा बोली कि -- मैं ये एप्लीकेशन नहीं ले सकती. हमने कारण पूछा तो बोली कि - मैंने तो इनके गैर जमानती वारंट, कर दिए हैं और आप के सिग्नेचर नहीं चल सकते ........!!! आप के भी गैर जमानती वारंट मैंने कर दिए हैं हमने कहा कि हम अभी आधा घंटे पहले आप से मिलकर बताकर गए थे . फिर मेरे खिलाफ NBW कैसे किये जा सकते हैं. हमने कारण पूछा तो जज बोली कि -- किसी वकील को बुला लो. और हम बाहर आ गए.
फिर मैंने अपने पिछले अनुभव को याद किया , जब पहले भी मेरे साथ फर्जी तरीके से गैर जमानती वारंट, जारी करके 4 बार जेल में डाला जा चूका है. क्योकि नारनौल के जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल का फर्जीवाड़ा पकड़कर, हमने उसके खिलाफ केस डाल रखे हैं.. इसीलिए, नारनौल के जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल अपने पद के प्रभाव का इस्तेमाल करके, अपने जूनियर जजों से मेरे मुकदमों में बिना किसी सबूत के फर्जी तरीके से, जेल में डालने के लिए, गैर जमानती वारंट करवाकर प्रताड़ित कर रहा है. इस जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल, ने मुझे जान से मारने कि धमकी भी दे रखी है. और मुझे सबक सिखाने के लिए , मेरी माता जी के खिलाफ और मेरे खिलाफ फर्जीवाड़े करके गैर जमानती वारंट करवाये . और मेरे पीछे सारे जज, पुलिस, जेल , पुलिस , कोर्ट के कर्मचारी को लगा रखा है और फिर भी कोई सबूत नहीं पकड़ सका तो झूठी शिकायत करवाकर, मेरे खिलाफ हाई कोर्ट में झूठे कंटेम्प्ट के केस भी डलवाये, जोकि हम जीत चुके हैं.
ज्यादा जानकारी के लिए दिनांक -- 15.09.2016 की ईमेल को पढ़ सकते हैं.
इस आर्डर को 13 दिनों तक वेबसाइट पर डाला ही नहीं गया, और जब आर्डर की कॉपी मिली तो उसमे झूठे आरोप लगाए गए कि --- मनोज से जब लेट होने का कारण पूछा गया तो वो इसका जबाब नहीं दे सका . जबकि इस साधारण से सवाल का जबाब देने के लिए किसी विशेष दिमागी दक्षता कि जरुरत नहीं हैं.
दूसरा झूठा आरोप ये लगाया कि -- मनोज कोर्ट रूम में ज्यादा भीड़ का फायदा उठाकर, पुलिस से हाथ छुड़वाकर भाग गया. जबकि कोर्ट रूम बहुत बड़ा है, उसमे 100 लोग खड़े हो सकते हैं, उस समय कोर्ट में केवल 4 / 5 लोग ही थे. पुलिस वाला न तो मेरे पास आया और न ही कोई ऐसी बात हुई.......... , और हाथ छुड़वाने कि तो कोई घटना ही नहीं घटी.
न हम भागे ................ CCTV कैमरा कि रिकॉर्डिंग को Preserve करने के लिए मैंने उसी दिन ईमेल कर दी थी. जबकि जज का आर्डर 13 दिनों बाद लिखा गया.
और इन जजों ने फर्जीवाड़े करते हुए, घटना के सबूत नष्ट करते हुए, CCTV कैमरा कि रिकॉर्डिंग को डिलीट भी कर दिया. ऐसा करने कि क्या मजबूरी थी. .................???
Copy of Order Dated-- 15/09/2016 -----
This order was earlier uploaded, now removed. Very shortly, i will post copy of those 2 orders.
Copy of Email dated -15.09.2016 ------
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