Wednesday, 4 April 2018

SC /ST एक्ट में दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट जितना चिंतित है , उतनी चिंता महिलाओं के द्वारा कानून दुरुपयोग पर गंभीर क्यों नहीं .......???

आईये.... .....!!! भारत बदलें .... Let's Change India ....

अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के दलित क्रूरता ( SC / ST Act ) से संबंधित फैसले के खिलाफ सदियों से अन्याय , अत्याचार और छुआछूत के शिकार दलित समुदाय का विरोध कई मायनों में महत्वपूर्ण है । कुछ सम्पन्न और ताकतवर जातियों के लोग इसका विरोध कर रहे हैं , लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के पीछे का सच हम आपके सामने ला रहे हैं .....
इस फैसले के पीछे सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह तर्क दिया जा रहा है कि -- झूठे केसों के चलते कोर्ट का समय बर्बाद होता है ।
-- सुप्रीम कोर्ट को 498a, घरेलु हिंसा, गुजारा भत्ता , छेड़ा छाड़ि , बलात्कार के झूठे मुकदमों ( जोकि कोर्टों में झूठे मुकदमों का सबसे बड़ा % है ) के कारण , कोर्ट का कीमती समय की बर्बादी क्यों नहीं दिख रही .......???
क्योंकि इन मुकदमों के चलने से जजों की कमाई होती है ।
-- जो जज इन झूठे मुकदमों को चलाने में रूचि रखते हैं, उनके खिलाफ आजतक सुप्रीम कोर्ट ने कितने जजों के खिलाफ कार्यवाही की .........???
और नहीं की तो क्यों नहीं की , क्या मजबूरी थी .....???
और सुप्रीम कोर्ट को ये समय की बर्बादी और झूठे मुक़दमे केवल SC/ ST Act में ही क्यों दिखी ......??? और दूसरे मुकदमों में क्यों नहीं .....???
-- सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस करनन को जेल भेजने की फुर्ती दिखाई, उतनी फुर्ती प्रेस कांफ्रेंस करने वाले 4 जजों के खिलाफ कॉन्टेम्पट की कार्यवाही करने में क्यों नहीं .......???
क्योंकि न्यायपालिका में जाती विशेष का ही दबदबा है, केवल 200 परिवार के लोग ही सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के जज बनते हैं ........
यही कारण है कि SC /ST एक्ट में तो सुप्रीम कोर्ट को दुरुपयोग दिखा, लेकिन दूसरे कानूनों के दुरुपयोग ( जोकि देश और समाज को अंदर से खोखला कर रहे हैं ) पर सुप्रीम कोर्ट चुप है .......

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