Wednesday, 4 April 2018

हमारा देश ...... और न्याय ......

आईये.... .....!!! भारत बदलें .... Let's Change India ....


अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के दलित क्रूरता ( SC / ST Act ) से संबंधित फैसले के खिलाफ सदियों से अन्याय , अत्याचार और छुआछूत के शिकार दलित समुदाय का विरोध कई मायनों में महत्वपूर्ण है । कुछ सम्पन्न और ताकतवर जातियों के लोग इसका विरोध कर रहे हैं , लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के पीछे का सच हम आपके सामने ला रहे हैं .....
--- इस देश में अगर कोई दलित या कोई और गरीब आदमी जब पुलिस के पास शिकायत जाता है, तो पुलिस मुकदमा दर्ज करते समय अपना फायदा नुकसान, राजनीतिक प्रभाव, अफसरशाही का दबाब , जातिगत प्रभाव आदि को नाप तोल कर ही कार्यवाही करती है।
जरूरतमंद का तो काम होता ही नहीं, SC/ST एक्ट में मुकदमा दर्ज करवाने की तो बात ही छोड़ दो .....
--- चाहे वो दहेज़ का झूठा मुकदमा दर्ज करने की बात हो, पति परिवार निर्दोष होते हुए भी गिड़गिड़ाता रह जाता है, लेकिन अपने लालच के चलते , तुरंत झूठा मुकदमा दर्ज हो जाता है ......
--- अब रही बात इन्वेस्टिगेटिवन की, वो तो पुलिस को हर मुकदमें में करनी होती है , लेकिन जांच में नाम पर थाने में ही लीपा पोती करके , निर्दोष लोगों को गिरफ्तार करने पुलिस केवल इसलिये, जाती है कि -- पुलिस को अवैध वसूली का जुगाड़ दीखता है ।
--- जब पुलिस का स्वार्थ सिद्ध हो, ...
तो वो सब कुछ कर देगी , ( मतलब किसी के खिलाफ केवल 1 घंटे में ही FIR से लेकर, मुकदमा दर्ज करने तक , जांच भी पूरी और गिरफ़्तारी भी ) वरना बहाने बनाते रहेंगे ......
-- और इस पूरी प्रक्रिया में केवल गरीब, दबा कुचला और कमजोर तबका फंसता है, पैसे और रसूख वाला पैसे के दम पर बच निकलता है ।
--- जो लोग लाखों करोड़ की चोरी करते हैं, उनको मिलती है बैल और छोटी चोरी करने वाले को मिलती है जेल ......
--- हम जेल के अंदर की स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ हैं । ज्यादातर चोरी और दूसरे मामलों में दलित वर्ग के लोगों को ही फँसाया जाता है, नेता भी इस वर्ग के बच्चों को अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए गुंडागर्दी के लिए, प्रयोग करते हैं ।
--- अब बारी आती है न्यायपालिका की --- जज भी दलित वर्ग को हीन भावना से देखते हैं , बड़े चोर, भृष्ट , प्रभावशाली लोगों को तो बचाते हैं और कमजोर वर्ग को खा जाने को दौड़ते हैं । न्यायपालिका में दलित और पिछड़ा समुदाय का % बहुत कम होना भी एक कारण है । जोकि उसी पृष्ठभूमि के जमीनी हालात को बेहतर समझ सकता है ।
जिसनें उस दर्द को देखा ही नहीं , वो पीड़ित की व्यथा क्या समझेगा ......???
यही कारण है दलित समुदाय के गुस्से / आक्रोश का ......

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