आईये.... .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
आजकल देश में दलित समुदाय और आरक्षण के खिलाफ अलग -- 2 तरह से जहर फैलाया जा रहा है, ये जहर फ़ैलाने वाले लोग दलित समुदाय
की जमीनी हकीकत, दर्द से वाकिफ नहीं हैं l आईये .....!!! हम आपको समाज की कडवी सच्चाई से अवगत करवाते
हैं..............
SC/ST एक्ट के दुरूपयोग पर सुप्रीम कोर्ट के जजों ने जो फैसला दिया वो जमीनी
हकीकत से दूर था l दरअसल गावों में दलित
समुदाय के हालत इतने ख़राब हैं कि – आज भी अगर वो किसी थाने में पुलिस के पास SC/ST
एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करवाने के लिए जाता हैं, तो पुलिस उसकी सुनती ही नहीं
l और अगर कोई मुकदमा दर्ज होता है तो वो केवल दो ही कारण से होता है l
n पहला ये कि – SC / ST कमीशन
के दखल से ये फिर
n दूसरा ये कि – किसी
प्रभावशाली व्यक्ति का कोई स्वार्थ शामिल हो l
अगर मुकदमा दर्ज हो भी गया तो उस परिवार को
कितने भयंकर मानसिक दबाब और प्रताड़ना से
गुजरना पड़ता है l कदम 2 पर दुश्मन जो कि पैसे और बहुबल के दम पर कभी गवाहों को डराकर
या किसी भी तरीके से उनको कोर्ट में सच कहने से रोका जाता है l दरअसल कुछ जातियों के लोग इतने ताकतवर और साधन
संपन्न हो चुके हैं ( क्योंकि हर प्रभावशाली पद पर उसका जाति का व्यक्ति बैठा है )
कि – वे रसूख, पैसे और बहुबल के दम पर किसी का मर्डर कर दें, किसी का बलात्कार कर
दें, तो उनका कुछ भी नहीं बिगड़ने वाला l कोर्ट और जज तो कोई दिक्कत ही नहीं
............... क्योंकि वे तो हमेशा व्बिकने को तैयार ही रहते हैं l अगर मुकदमा दर्ज हो भी जाये तो सरकार उनके खिलाफ
मुकदमे वापिस भी ले लेती है l हरियाणा में जाटों ने गुंडागर्दी की, गंग रेप किये, लोगों के घर, स्कूल जला दिए, घर जला दिए ,
हरियाणा का वो नुकसान कर दिया कि – कोई भी यहाँ पर आकर निवेश नहीं करना चाहता
..............!!!
UP के मुख्यमंत्री ने खुद के खिलाफ मुकदमे ख़त्म
करवा लिए, अब चहेतों के खिलाफ मुकदमे ख़त्म करने की तैयारी चल रही है l
क्या कभी किसी दलित / कमजोर वर्ग के लोगों के
खिलाफ दर्ज झूठे मुकदमे वापिस लिए गये ...............???
कभी भी नहीं ...... ये इस देश की कडवी सच्चाई
है, ताकतवर और संपन्न जातियों के लोग इतने ताकतवर हो चुके हैं कि – बिना आरक्षण के भी इनके
लोग कैसे 70 % मलाईदार नौकरियों पर कैसे
भर्ती हो गये l
इसके लिए इन्होने कुछ तरीके इजाद किये जैसे कि –
हरियाणा में HCS की भर्ती में 2/3 पोस्ट निकाली, उसमे केवल अपने लोग भर्ती किये (
क्योंकि 4 से कम पद हों तो आरक्षण देने से बचा जा सकता है l ऐसे ही जुगाड़ देश के
लगभग हर राज्य में किये गये )
दूसरा तरीका न्यायपालिका में बैठे जाती विशेष की
लोबी ने किया कि – किसी कोर्स में दाखिला लेते वक्त जो आर्खित वर्ग का व्यक्ति
जनरल कोटे में दाखिला ले लेता था, उसको अब आरक्षित कोटे तक ही सिमित करके, उनको आगे बढ़ने से रोक दिया l
तकथित उच्च जातियों की जनसँख्या तो केवल 15 % , लेकिन प्रभावशाली पदों पर
कब्ज़ा 90 % अपने लोग, उसने अपने फायदे के लिए कुछ भी करवा लो l ये लोग दूध की मलाई
तो खुद खाते हैं, उसके बाद जो पानी बचता है जिसे सपरेटा भी बोलते हैं, उसमे
अरक्षित और कमजोर वर्ग को खुश भी कर देते हैं और उपर से एहसान भी जता देते हैं l अपने फायदे के लिए दूसरों को गुमराह/ भ्रमित
करने के लिए चालाकी भरे ड्रामे करते रहते हैं l
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