Saturday, 21 April 2018

इस देश के पुरुष भी इतने गद्दार हो गये हैं कि – झूठे बलात्कार के मुकदमों के खिलाफ सजा की मांग करना तो दूर, उपर से इन फ्रॉड औरतों के समर्थन में जाकर......

आईये.... .....!!! भारत बदलें .... Let's Change India ....




इस देश के पुरुषों को हार्दिक शुभकामनाएं ........................


अब तुम्हें मारने के लिए मोदी सरकार ने एक और हथियार पैदा कर दिया l झूठा बलात्कार का मुकदमा करने पर भी औरत का कुछ नहीं बिगड़ेगा क्योंकि उस औरत को झूठा मुकदमा करवाने पर सजा है ही नहीं , लेकिन आप को जेल, अग्रिम जमानत नहीं और फांसी की सजा भी ............ सजा को पढ़ लो .........

POCSO एक्‍ट में बडे बदलाव--
-- 12 साल की बच्चियों से रेप पर फांसी की सजा
-- 16 साल से छोटी लड़की से गैंगरेप पर उम्रकैद की सजा
-- 16 साल से छोटी लड़की से रेप पर कम से कम 20 साल तक की सजा
-- सभी रेप केस में 6 महीने के भीतर फैसला सुनाना होगा
-- नए संशोधन के तहत रेप केस की जांच 2 महीने में पूरी करनी होगी
-- रेप के किसी भी अपराध में अग्रिम जमानत प्रतिबंधित
-- महिला से रेप पर सजा 7 से बढ़कर 10 साल होगी।
बलात्कार इंडस्ट्री में शामिल तथाकथित एक्टिविस्ट, NGO, वकील, दलाल, नेता, महिला समाज सेवी, महिला कल्याण संगठन, पुरुषों के खिलाफ सख्त से सख्त सजा की मांग तो करते हैं, लेकिन कभी भी झूठे बलात्कार के केस पर सजा की मांग क्यों नहीं करते ...................???
क्योंकि झूठे मुकदमों पर सजा होते ही इन सबकी दुकान बंद हो जाएगी ................ एक झूठी शिकायत पर ही कम से कम दस लाख की औसत अवैध वसूली होती है और झूठे मुकदमे में तो नुकसान करोड़ों में जाता है l
और इस देश के पुरुष भी इतने गद्दार हो गये हैं कि – झूठे बलात्कार के मुकदमों के खिलाफ सजा की मांग करना तो दूर है l उपर से इन फ्रॉड औरतों के समर्थन में जाकर ( केवल ऐसी औरतों के शरीर को स्पर्श करने का मौका पाने के लिए ), मुफ्त में न केवल अपने ही निर्दोष पुरुषों को झूठे मुकदमों में फंसाने, बल्कि उनको मरने के लिए अवैध वसूली की इंडस्ट्री को बढ़ावा देकर बहुत बड़ा अपराध कर रहे है l

इस देश के पुरुषों को हार्दिक शुभकामनाएं ........................

आईये.... .....!!! भारत बदलें .... Let's Change India ....



अब तुम्हें मारने के लिए मोदी सरकार ने एक और हथियार पैदा कर दिया l झूठा बलात्कार का मुकदमा करने पर भी औरत का कुछ नहीं बिगड़ेगा क्योंकि उस औरत को झूठा मुकदमा करवाने पर सजा है ही नहीं , लेकिन आप को जेल, अग्रिम जमानत नहीं ............ सजा को पढ़ लो .........

POCSO एक्‍ट में बडे बदलाव--
-- 12 साल की बच्चियों से रेप पर फांसी की सजा
-- 16 साल से छोटी लड़की से गैंगरेप पर उम्रकैद की सजा
-- 16 साल से छोटी लड़की से रेप पर कम से कम 20 साल तक की सजा
-- सभी रेप केस में 6 महीने के भीतर फैसला सुनाना होगा
-- नए संशोधन के तहत रेप केस की जांच 2 महीने में पूरी करनी होगी
-- रेप के किसी भी अपराध में अग्रिम जमानत प्रतिबंधित
-- महिला से रेप पर सजा 7 से बढ़कर 10 साल होगी।
बलात्कार इंडस्ट्री में शामिल तथाकथित एक्टिविस्ट, NGO, वकील, दलाल, नेता, महिला समाज सेवी, महिला कल्याण संगठन, पुरुषों के खिलाफ सख्त से सख्त सजा की मांग तो करते हैं, लेकिन कभी भी झूठे बलात्कार के केस पर सजा की मांग क्यों नहीं करते ...................???
क्योंकि झूठे मुकदमों पर सजा होते ही इन सबकी दुकान बंद हो जाएगी ................ एक झूठी शिकायत पर ही कम से कम दस लाख की औसत अवैध वसूली होती है और झूठे मुकदमे में तो नुकसान करोड़ों में जाता है l
और इस देश के पुरुष भी इतने गद्दार हो गये हैं कि – झूठे बलात्कार के मुकदमों के खिलाफ सजा की मांग करना तो दूर है l उपर से इन फ्रॉड औरतों के समर्थन में जाकर ( केवल ऐसी औरतों के शरीर को स्पर्श करने का मौका पाने के लिए ), मुफ्त में न केवल अपने ही निर्दोष पुरुषों को झूठे मुकदमों में फंसाने, बल्कि उनको मरने के लिए अवैध वसूली की इंडस्ट्री को बढ़ावा देकर बहुत बड़ा अपराध कर रहे है l

बलात्कार इंडस्ट्री के लोग, कभी भी झूठे बलात्कार के केस पर सजा की मांग क्यों नहीं करते ...................???

आईये.... .....!!! भारत बदलें .... Let's Change India ....

बलात्कार इंडस्ट्री में शामिल तथाकथित एक्टिविस्ट, NGO, वकील, दलाल, नेता, महिला समाज सेवी, महिला कल्याण संगठन, पुरुषों के खिलाफ सख्त से सख्त सजा की मांग तो करते हैं, लेकिन कभी भी झूठे बलात्कार के केस पर सजा की मांग क्यों नहीं करते ...................???
क्योंकि झूठे मुकदमों पर सजा होते ही इन सबकी दुकान बंद हो जाएगी ................ एक झूठी शिकायत पर ही कम से कम दस लाख की औसत अवैध वसूली होती है और झूठे मुकदमे में तो नुकसान करोड़ों में जाता है l

ये लोग कभी भी झूठे बलात्कार के केस पर सजा की मांग क्यों नहीं करते ...................???

आईये.... .....!!! भारत बदलें .... Let's Change India ....

बलात्कार इंडस्ट्री में शामिल तथाकथित एक्टिविस्ट, NGO, वकील, दलाल, नेता, महिला समाज सेवी, महिला कल्याण संगठन, पुरुषों के खिलाफ सख्त से सख्त सजा की मांग तो करते हैं, लेकिन कभी भी झूठे बलात्कार के केस पर सजा की मांग क्यों नहीं करते ...................???
क्योंकि झूठे मुकदमों पर सजा होते ही इन सबकी दुकान बंद हो जाएगी ................ एक झूठी शिकायत पर ही कम से कम दस लाख की औसत अवैध वसूली होती है और झूठे मुकदमे में तो नुकसान करोड़ों में जाता है l

Monday, 16 April 2018

दलित और न्याय.......................

आईये.... .....!!! भारत बदलें .... Let's Change India ....



आजकल देश में दलित समुदाय और आरक्षण के खिलाफ अलग -- 2 तरह से जहर फैलाया  जा रहा है, ये जहर फ़ैलाने वाले लोग दलित समुदाय की जमीनी हकीकत, दर्द से वाकिफ नहीं हैं l आईये .....!!! हम आपको  समाज की कडवी सच्चाई से अवगत करवाते हैं..............

SC/ST एक्ट के दुरूपयोग पर सुप्रीम कोर्ट के जजों ने जो फैसला दिया वो जमीनी हकीकत से दूर था l  दरअसल गावों में दलित समुदाय के हालत इतने ख़राब हैं कि – आज भी अगर वो किसी थाने में पुलिस के पास SC/ST एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करवाने के लिए जाता हैं, तो पुलिस उसकी सुनती ही नहीं l और अगर कोई मुकदमा दर्ज होता है तो वो केवल दो ही कारण से होता है l
n पहला ये कि – SC / ST कमीशन के दखल से ये फिर
n दूसरा ये कि – किसी प्रभावशाली व्यक्ति का कोई स्वार्थ शामिल हो l

अगर मुकदमा दर्ज हो भी गया तो उस परिवार को कितने भयंकर मानसिक दबाब और प्रताड़ना  से गुजरना पड़ता है l कदम 2 पर दुश्मन जो कि पैसे और बहुबल के दम पर कभी गवाहों को डराकर या किसी भी तरीके से उनको कोर्ट में सच कहने से रोका जाता है l  दरअसल कुछ जातियों के लोग इतने ताकतवर और साधन संपन्न हो चुके हैं ( क्योंकि हर प्रभावशाली पद पर उसका जाति का व्यक्ति बैठा है ) कि – वे रसूख, पैसे और बहुबल के दम पर किसी का मर्डर कर दें, किसी का बलात्कार कर दें, तो उनका कुछ भी नहीं बिगड़ने वाला l कोर्ट और जज तो कोई दिक्कत ही नहीं ............... क्योंकि वे तो हमेशा व्बिकने को तैयार ही रहते हैं l  अगर मुकदमा दर्ज हो भी जाये तो सरकार उनके खिलाफ मुकदमे वापिस भी ले लेती है l हरियाणा में जाटों ने गुंडागर्दी की, गंग रेप  किये, लोगों के घर, स्कूल जला दिए, घर जला दिए , हरियाणा का वो नुकसान कर दिया कि – कोई भी यहाँ पर आकर निवेश नहीं करना चाहता ..............!!!

UP के मुख्यमंत्री ने खुद के खिलाफ मुकदमे ख़त्म करवा लिए, अब चहेतों के खिलाफ मुकदमे ख़त्म करने की तैयारी चल रही है l
क्या कभी किसी दलित / कमजोर वर्ग के लोगों के खिलाफ दर्ज झूठे मुकदमे वापिस लिए गये ...............???

कभी भी नहीं ...... ये इस देश की कडवी सच्चाई है, ताकतवर और संपन्न जातियों के लोग इतने  ताकतवर हो चुके हैं कि – बिना आरक्षण के भी इनके लोग कैसे  70 % मलाईदार नौकरियों पर कैसे भर्ती  हो गये l

इसके लिए इन्होने कुछ तरीके इजाद किये जैसे कि – हरियाणा में HCS की भर्ती में 2/3 पोस्ट निकाली, उसमे केवल अपने लोग भर्ती किये ( क्योंकि 4 से कम पद हों तो आरक्षण देने से बचा जा सकता है l ऐसे ही जुगाड़ देश के लगभग हर राज्य में किये गये )

दूसरा तरीका न्यायपालिका में बैठे जाती विशेष की लोबी ने किया कि – किसी कोर्स में दाखिला लेते वक्त जो आर्खित वर्ग का व्यक्ति जनरल कोटे में दाखिला ले लेता था, उसको अब आरक्षित कोटे तक ही सिमित करके,  उनको आगे बढ़ने से रोक दिया  l

तकथित उच्च जातियों की जनसँख्या तो केवल 15 % , लेकिन प्रभावशाली पदों पर कब्ज़ा 90 % अपने लोग, उसने अपने फायदे के लिए कुछ भी करवा लो l ये लोग दूध की मलाई तो खुद खाते हैं, उसके बाद जो पानी बचता है जिसे सपरेटा भी बोलते हैं, उसमे अरक्षित और कमजोर वर्ग को खुश भी कर देते हैं और उपर से एहसान भी जता देते हैं l  अपने फायदे के लिए दूसरों को गुमराह/ भ्रमित करने के लिए चालाकी भरे ड्रामे करते रहते हैं l

दलित मुद्दे पर गड़बड़ी सुप्रीम कोर्ट ने की, लेकिन दोष मढ़ा गया मोदी सरकार पर .......

आईये.... .....!!! भारत बदलें .... Let's Change India ....



कुछ दिनों से देश में दलित और बलात्कार के मुद्दे पर जमकर नाटक हो रहे हैं , जिसमे सच्चाई को गायब ही करते हुए , जनता को भर्मित करने का काम किया जा रहा है ....... आईये .... जाने कुछ कड़वे सच .....!!!
पहला मुद्दा दलित समाज के गुस्से का --
दरअसल दलित समाज सदियों से सम्मान से वंचित रहा है । भेदभाव, अन्याय, छुआछूत तथा ताकतवर व सम्पन्न जातियों के लोगों द्वारा अत्याचार का शिकार रहा है , जिसे स्वार्थी लोगों ने हमेशा न्याय से वंचित रखा है । कांग्रेस ने दिखावे के लिए सम्मान तो दिया, लेकिन इस समाज को हमेशा के लिये दबा कुचला ही रखा । जब भी थोड़ी नाराजगी लगी तो कभी थोड़े पैसे देकर , तो कभी छोटा मोटा पद देकर इस समाज को अपने फायदे के लिये प्रयोग किया । कभी भी इस समाज को इतना काबिल नहीं बनने दिया गया कि ये लोग मानसिक और आर्थिक रूप से ताकतवर बन सकें । इनको कभी शराब पिलाकर, तो कभी बी पी एल कार्ड, तो कभी बी पी एल प्लाट, तो कभी छात्रवृत्ति , तो कभी आरक्षण, तो कभी SC / ST एक्ट के नाम पर , तो कभी किसी से दुश्मनी निकालने के लिए उसको किसी दलित से झूठा SC/ ST एक्ट का मुकदमा लगवा देना जैसे अनेकों चालाकी भरे, झूठे ताकत का एहसास करवाने वाले तरीकों से हमेशा वोट लेकर , सत्ता के लिए केवल और केवल इस्तेमाल किया है । जब भी कोई इस जाल में नहीं फंसा तो उसको मारपीट और बाहुबल से डराया गया । दलित समाज के लोग आरक्षण के सहारे कुछ प्रभावशाली पदों तक पहुंचे , सम्पन्नता भी आई, लेकिन ताकतवर और संपन्न जाती के लोगों ने कभी भी उनको सम्मान नहीं दिया । जातिसूचक शब्दों से संबोधित करते हुए दलित व्यक्ति को अपमानित करना तो जैसे इन लोगों का जन्मसिद्ध अधिकार ही हो गया । इसी अपमान के चलते ये समाज अपने आपको समाज से अलग महसूस करने लगा और अपने खिलाफ अत्याचार के लिये एकजुट होता चला गया ।
अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने SC / ST एक्ट से संबंधित केस में जो फैसला दिया ( जोकि जमीनी हकीकत से परे था ), उसके खिलाफ दलित समाज का गुस्सा , निकाला गया केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ । ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि बीजेपी को ब्राह्मण बनियों की पार्टी माना जाता है ।
दलित समाज को हमेशा से तिस्कृत समझने के कारण वो लगाव नहीं बन सका, कांग्रेस से इस बात को चालाकी से भुनाया और ये मुद्दा मोदी के खिलाफ घुमा दिया । यही कारण है कि गड़बड़ी सुप्रीम कोर्ट ने की, दोष मढ़ा गया मोदी सरकार के खिलाफ .........

Wednesday, 4 April 2018

हमारा देश ...... और न्याय ......

आईये.... .....!!! भारत बदलें .... Let's Change India ....


अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के दलित क्रूरता ( SC / ST Act ) से संबंधित फैसले के खिलाफ सदियों से अन्याय , अत्याचार और छुआछूत के शिकार दलित समुदाय का विरोध कई मायनों में महत्वपूर्ण है । कुछ सम्पन्न और ताकतवर जातियों के लोग इसका विरोध कर रहे हैं , लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के पीछे का सच हम आपके सामने ला रहे हैं .....
--- इस देश में अगर कोई दलित या कोई और गरीब आदमी जब पुलिस के पास शिकायत जाता है, तो पुलिस मुकदमा दर्ज करते समय अपना फायदा नुकसान, राजनीतिक प्रभाव, अफसरशाही का दबाब , जातिगत प्रभाव आदि को नाप तोल कर ही कार्यवाही करती है।
जरूरतमंद का तो काम होता ही नहीं, SC/ST एक्ट में मुकदमा दर्ज करवाने की तो बात ही छोड़ दो .....
--- चाहे वो दहेज़ का झूठा मुकदमा दर्ज करने की बात हो, पति परिवार निर्दोष होते हुए भी गिड़गिड़ाता रह जाता है, लेकिन अपने लालच के चलते , तुरंत झूठा मुकदमा दर्ज हो जाता है ......
--- अब रही बात इन्वेस्टिगेटिवन की, वो तो पुलिस को हर मुकदमें में करनी होती है , लेकिन जांच में नाम पर थाने में ही लीपा पोती करके , निर्दोष लोगों को गिरफ्तार करने पुलिस केवल इसलिये, जाती है कि -- पुलिस को अवैध वसूली का जुगाड़ दीखता है ।
--- जब पुलिस का स्वार्थ सिद्ध हो, ...
तो वो सब कुछ कर देगी , ( मतलब किसी के खिलाफ केवल 1 घंटे में ही FIR से लेकर, मुकदमा दर्ज करने तक , जांच भी पूरी और गिरफ़्तारी भी ) वरना बहाने बनाते रहेंगे ......
-- और इस पूरी प्रक्रिया में केवल गरीब, दबा कुचला और कमजोर तबका फंसता है, पैसे और रसूख वाला पैसे के दम पर बच निकलता है ।
--- जो लोग लाखों करोड़ की चोरी करते हैं, उनको मिलती है बैल और छोटी चोरी करने वाले को मिलती है जेल ......
--- हम जेल के अंदर की स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ हैं । ज्यादातर चोरी और दूसरे मामलों में दलित वर्ग के लोगों को ही फँसाया जाता है, नेता भी इस वर्ग के बच्चों को अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए गुंडागर्दी के लिए, प्रयोग करते हैं ।
--- अब बारी आती है न्यायपालिका की --- जज भी दलित वर्ग को हीन भावना से देखते हैं , बड़े चोर, भृष्ट , प्रभावशाली लोगों को तो बचाते हैं और कमजोर वर्ग को खा जाने को दौड़ते हैं । न्यायपालिका में दलित और पिछड़ा समुदाय का % बहुत कम होना भी एक कारण है । जोकि उसी पृष्ठभूमि के जमीनी हालात को बेहतर समझ सकता है ।
जिसनें उस दर्द को देखा ही नहीं , वो पीड़ित की व्यथा क्या समझेगा ......???
यही कारण है दलित समुदाय के गुस्से / आक्रोश का ......

SC /ST एक्ट में दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट जितना चिंतित है , उतनी चिंता महिलाओं के द्वारा कानून दुरुपयोग पर गंभीर क्यों नहीं .......???

आईये.... .....!!! भारत बदलें .... Let's Change India ....

अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के दलित क्रूरता ( SC / ST Act ) से संबंधित फैसले के खिलाफ सदियों से अन्याय , अत्याचार और छुआछूत के शिकार दलित समुदाय का विरोध कई मायनों में महत्वपूर्ण है । कुछ सम्पन्न और ताकतवर जातियों के लोग इसका विरोध कर रहे हैं , लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के पीछे का सच हम आपके सामने ला रहे हैं .....
इस फैसले के पीछे सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह तर्क दिया जा रहा है कि -- झूठे केसों के चलते कोर्ट का समय बर्बाद होता है ।
-- सुप्रीम कोर्ट को 498a, घरेलु हिंसा, गुजारा भत्ता , छेड़ा छाड़ि , बलात्कार के झूठे मुकदमों ( जोकि कोर्टों में झूठे मुकदमों का सबसे बड़ा % है ) के कारण , कोर्ट का कीमती समय की बर्बादी क्यों नहीं दिख रही .......???
क्योंकि इन मुकदमों के चलने से जजों की कमाई होती है ।
-- जो जज इन झूठे मुकदमों को चलाने में रूचि रखते हैं, उनके खिलाफ आजतक सुप्रीम कोर्ट ने कितने जजों के खिलाफ कार्यवाही की .........???
और नहीं की तो क्यों नहीं की , क्या मजबूरी थी .....???
और सुप्रीम कोर्ट को ये समय की बर्बादी और झूठे मुक़दमे केवल SC/ ST Act में ही क्यों दिखी ......??? और दूसरे मुकदमों में क्यों नहीं .....???
-- सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस करनन को जेल भेजने की फुर्ती दिखाई, उतनी फुर्ती प्रेस कांफ्रेंस करने वाले 4 जजों के खिलाफ कॉन्टेम्पट की कार्यवाही करने में क्यों नहीं .......???
क्योंकि न्यायपालिका में जाती विशेष का ही दबदबा है, केवल 200 परिवार के लोग ही सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के जज बनते हैं ........
यही कारण है कि SC /ST एक्ट में तो सुप्रीम कोर्ट को दुरुपयोग दिखा, लेकिन दूसरे कानूनों के दुरुपयोग ( जोकि देश और समाज को अंदर से खोखला कर रहे हैं ) पर सुप्रीम कोर्ट चुप है .......