He is Mr. Tahar Singh of 68 years Advocate in High Court Chandigarh, was suffering from Joint Pain. Now he is Free from Pain Free of cost....
We invite all Activists, Religious Gurus, Experts, Intellectuals, RTI Activists, Responsible Citizens to come forward to change India. Anyone working to change anything, any issue for betterment of Society and Nation, is valuable asset to Nation. We request you to come forward to make India a better place to live............... M--09253323118 Email-- letschangeindiablog@gmail.com
Thursday, 29 December 2016
High Court Chandigarh Advocate Mr. Tahar Singh now Free from Joint Pain.......
He is Mr. Tahar Singh of 68 years Advocate in High Court Chandigarh, was suffering from Joint Pain. Now he is Free from Pain Free of cost....
Friday, 9 December 2016
आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
Representations for Speaking Orders to various authorities of State, local, DGP Haryana, Director General Prison Haryana. Haryana Human Rights Commission, Haryana DGHS, Haryana Human Rights Commission, High Court, Governor, Supreme Court, Secretary Justice, Law Minister, Prime minister, Rashtrpati Bhawan,
etc.
Representations for Speaking Orders to various authorities of State, local, DGP Haryana, Director General Prison Haryana. Haryana Human Rights Commission, Haryana DGHS, Haryana Human Rights Commission, High Court, Governor, Supreme Court, Secretary Justice, Law Minister, Prime minister, Rashtrpati Bhawan,
etc.
Friday, 2 December 2016
हिंदुस्तान के लोगों को जब तक न्याय नहीं मिल सकता, जब तक ....
आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
हिंदुस्तान के लोगों को जब तक न्याय नहीं मिल सकता, जब तक न्यायपालिका में ...............
नारनौल के सेशन जज अरुण कुमार सिंघल , ADJ रजनीश बंसल, JMIC ऍम जेड खान, JMIC संदीप चौहान, JMIC रामअवतार पारीक, JMIC अपर्णा भरद्वाज, JMIC सुयाशा जावा , महिंदर सिंह सुल्लर रिटायर्ड जज हाई कोर्ट चंडीगढ़, जैसे अपराधिक मानसिकता वाले, षड्यंत्र रचने वाले जज और हाई कोर्ट चंडीगढ़ में फर्जी डिग्री के आधार पर नियुक्ति पाने वाले जज, दया चौधरी और अनीता चौधरी जैसी षड्यंत्र में शामिल होकर न्याय की हत्या करने वाले जज मौजूद रहेंगे,...............
तब तक इस देश के निर्दोष लोगों का ऐसे ही शोषण होता रहेगा ।.
हिंदुस्तान के लोगों को जब तक न्याय नहीं मिल सकता, जब तक न्यायपालिका में ...............
नारनौल के सेशन जज अरुण कुमार सिंघल , ADJ रजनीश बंसल, JMIC ऍम जेड खान, JMIC संदीप चौहान, JMIC रामअवतार पारीक, JMIC अपर्णा भरद्वाज, JMIC सुयाशा जावा , महिंदर सिंह सुल्लर रिटायर्ड जज हाई कोर्ट चंडीगढ़, जैसे अपराधिक मानसिकता वाले, षड्यंत्र रचने वाले जज और हाई कोर्ट चंडीगढ़ में फर्जी डिग्री के आधार पर नियुक्ति पाने वाले जज, दया चौधरी और अनीता चौधरी जैसी षड्यंत्र में शामिल होकर न्याय की हत्या करने वाले जज मौजूद रहेंगे,...............
तब तक इस देश के निर्दोष लोगों का ऐसे ही शोषण होता रहेगा ।.
मेरी और मेरी माता जी की हत्या के लिये , नारनौल के सेशन जज अरुण कुमार सिंघल के साथ , हाई कोर्ट के जज भी षड्यंत्र में शामिल हुए.........इसीलिए, जानबूझकर.......
आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
नारनौल का जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल , मेरी और मेरी माता जी की हत्या करवाने के षड्यंत्र में पूरी ताकत ( यानिकि तन, मन , धन, कानूनी, गैर कानूनी हथकंडे के साथ ) से जुटा......
हमारी हत्या करवाने के लिए नारनौल के जजों, पुलिस, जेल अधिकारीयों पर दबाब बनाने के साथ 2 हाई कोर्ट के जजों को भी सेट किया ।
मुझे गुप्त सूत्रों से पता चला है कि --
हाई कोर्ट चंडीगढ़ के जिन जजों के पास मेरे केस थे ( दया चौधरी और अनीता चौधरी ) को किसी भी तरह मेरे मुकदमों में , मुझे न्याय न देने का सौदा तय हुआ है।
हाई कोर्ट चंडीगढ़ की जज दया चौधरी की तो नियुक्ति ही गैर कानूनी है और इसके बारे में मुझे काफी कुछ पता चला है , जो हम अभी यहाँ पर नहीं लिख सकते, ......समझदार लोग समझ ही गए होंगे .......
वरना ऐसा कैसे हो सकता है कि --- इतने स्पष्ट सबूतों के फ़ाइल पर होने, और सारा सच समझ में आ जाने के बावजूद भी ये जज, निचे के जजों को बचाने के लिए , न तो मेरी ट्रान्सफर पेटिशन पर स्टे दिया, न मेरी माता जी के गलत तरीके से जारी किये गए गैर जमानती वारंट को जानबूझकर कैंसल नहीं किया । और न ही मेरी माता जी की परमानेंट exemption की पेटिशन को लेकर कोई निर्णय दिया, जब कि सुप्रीम कोर्ट का ये कहना है कि -- बुजुर्ग, बीमार, विकलांग लोगोँ के मामलों को प्राथमिकता से साथ निपटाया जायेगा, जबकि हमारी एप्लीकेशन को 4 साल से लटका कर रखा है, decide क्यों नहीं .....??? औए हाई कोर्ट की जज अनीता चौधरी भी इस एप्लीकेशन पर आदेश क्यों नहीं दे रही ....??? मतलब स्पष्ट है ,----- भेंट पहुँच गई । वैसे भी हाई कोर्ट के जज कौन से ईमानदार हैं ...... ??? अगर भृष्ट जज को बचा रहे हैं तो इनका कोई तो स्वार्थ तो होगा ही .......???
और हर साल हाई कोर्ट का जज एडमिनिस्ट्रेटिव जज जब अपने जिले में जाता है तो वो 30 लाख से 60 लाख तक रिश्वत लेकर आता है। इसके आलावा जजों के खिलाफ आई शिकायतों पर कार्यवाही नहीं करने की रिश्वत अलग से ....... मिलती है।
नारनौल का जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल , मेरी और मेरी माता जी की हत्या करवाने के षड्यंत्र में पूरी ताकत ( यानिकि तन, मन , धन, कानूनी, गैर कानूनी हथकंडे के साथ ) से जुटा......
हमारी हत्या करवाने के लिए नारनौल के जजों, पुलिस, जेल अधिकारीयों पर दबाब बनाने के साथ 2 हाई कोर्ट के जजों को भी सेट किया ।
मुझे गुप्त सूत्रों से पता चला है कि --
हाई कोर्ट चंडीगढ़ के जिन जजों के पास मेरे केस थे ( दया चौधरी और अनीता चौधरी ) को किसी भी तरह मेरे मुकदमों में , मुझे न्याय न देने का सौदा तय हुआ है।
हाई कोर्ट चंडीगढ़ की जज दया चौधरी की तो नियुक्ति ही गैर कानूनी है और इसके बारे में मुझे काफी कुछ पता चला है , जो हम अभी यहाँ पर नहीं लिख सकते, ......समझदार लोग समझ ही गए होंगे .......
वरना ऐसा कैसे हो सकता है कि --- इतने स्पष्ट सबूतों के फ़ाइल पर होने, और सारा सच समझ में आ जाने के बावजूद भी ये जज, निचे के जजों को बचाने के लिए , न तो मेरी ट्रान्सफर पेटिशन पर स्टे दिया, न मेरी माता जी के गलत तरीके से जारी किये गए गैर जमानती वारंट को जानबूझकर कैंसल नहीं किया । और न ही मेरी माता जी की परमानेंट exemption की पेटिशन को लेकर कोई निर्णय दिया, जब कि सुप्रीम कोर्ट का ये कहना है कि -- बुजुर्ग, बीमार, विकलांग लोगोँ के मामलों को प्राथमिकता से साथ निपटाया जायेगा, जबकि हमारी एप्लीकेशन को 4 साल से लटका कर रखा है, decide क्यों नहीं .....??? औए हाई कोर्ट की जज अनीता चौधरी भी इस एप्लीकेशन पर आदेश क्यों नहीं दे रही ....??? मतलब स्पष्ट है ,----- भेंट पहुँच गई । वैसे भी हाई कोर्ट के जज कौन से ईमानदार हैं ...... ??? अगर भृष्ट जज को बचा रहे हैं तो इनका कोई तो स्वार्थ तो होगा ही .......???
और हर साल हाई कोर्ट का जज एडमिनिस्ट्रेटिव जज जब अपने जिले में जाता है तो वो 30 लाख से 60 लाख तक रिश्वत लेकर आता है। इसके आलावा जजों के खिलाफ आई शिकायतों पर कार्यवाही नहीं करने की रिश्वत अलग से ....... मिलती है।
Wednesday, 30 November 2016
अब आप ही बतायें कि -- हम सही कह रहे हैं ........या गलत ........
आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India .........
हिंदुस्तान की न्यायपालिका ठीक जम्मू और कश्मीर के लोगों की तरह गैर जिम्मेदार बेशर्म और गद्दार है,........ जिस प्रकार जम्मू और कश्मीर के लोगों को पैसा तो हिंदुस्तान से चाहिए, लेकिन वफ़ादारी पाकिस्तान की करनी है और हिंदुस्तान मुर्दाबाद बोलना है , यानिकि जिसका खाओ , उसी को खोखला करो .......... ठीक उसी तरह जजों को पैसा तो पब्लिक फण्ड से चाहिए, लेकिन जिस पब्लिक के खून पसीने से इक्कट्ठा किये गए पैसे से इनको वेतन और दूसरी सुविधाएं मिलती है, उसी पब्लिक का खून चूस 2 कर प्रताड़ित कर रहे हैं । अब आप ही बताएं ...... कि -- हम सही कह रहे हैं कि .......गलत .....
हिंदुस्तान की न्यायपालिका ठीक जम्मू और कश्मीर के लोगों की तरह गैर जिम्मेदार बेशर्म और गद्दार है,........ जिस प्रकार जम्मू और कश्मीर के लोगों को पैसा तो हिंदुस्तान से चाहिए, लेकिन वफ़ादारी पाकिस्तान की करनी है और हिंदुस्तान मुर्दाबाद बोलना है , यानिकि जिसका खाओ , उसी को खोखला करो .......... ठीक उसी तरह जजों को पैसा तो पब्लिक फण्ड से चाहिए, लेकिन जिस पब्लिक के खून पसीने से इक्कट्ठा किये गए पैसे से इनको वेतन और दूसरी सुविधाएं मिलती है, उसी पब्लिक का खून चूस 2 कर प्रताड़ित कर रहे हैं । अब आप ही बताएं ...... कि -- हम सही कह रहे हैं कि .......गलत .....
Monday, 28 November 2016
Sunday, 27 November 2016
Complaint of Frauds of ADJ Rajneesh Bansal in my case .... क्या ये काम बिना रिश्वत के हो सकता है. ..........???
आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
Certified Copy of Declaration saying that -- No such Medical Evidence, Present in case file of Original case file and that of Rajneesh Bansal's order file .
आइये .....!!! भारत बदलें .... Let's Change India ....
नारनौल के अतिरिक्त सेशन जज रजनीश बंसल का फर्जीवाड़ा ...............
क्योकि हम भ्र्ष्टाचार के खलाफ काम कर रहे हैं, तो चोर और भृष्ट लोगों को तकलीफ तो होनी ही थी. रेवाड़ी के सरकारी हॉस्टिपल में एक कैंटीन है, जोकि एक विकलांग फौजी के नाम से आवंटित है और उसका किराया केवल एक रुपया महीने है. लेकिन उस पर कब्ज़ा, रेवाड़ी के एक पत्रकार रवि यादव ने अवैध तरीके से कर रखा था.
ऐसे ही सिविल हॉस्पिटल के तत्कालीन भृष्ट सिविल सर्जन डॉक्टर हरी राम यादव के सबूत भी मेरे पास थे .
रेवाड़ी की एक भृष्ट और बेहद चालक और ड्रामेबाज औरत जोकि प्रोटेक्शन अफसर टी नीलम शर्मा वो निर्दोष लोगों को जेल भेजने का डर दिखाकर, घर बसने के नाम पर जमकर अवैध वसूली करती थी .
एक और व्यक्ति थे सतीश मस्तान जिसने रेडक्रॉस रेवाड़ी को लगभग 18 लाख का चुना लगाया .
हमने इनकी शिकायत कर रखी थी. मैंने इन सब लोगों के सबूत पकड़ लिए, और समझौता नहीं किया, ........ तो इन्होंने, मुझे प्रतड़ित करने और दबाब बनाने की नियत से मेरे केस में भृष्ट तरीके से, मेरे ससुर किशोरी लाल से मिलकर, पचास हज़ार उसको दिए और बाकि एक लाख रजनीश बंसल जज को दिया ताकि केस में मेरी माता जी का नाम जोड़ा जा सके .
इस भृष्ट जज रजनीश बंसल ने , अपने आर्डर के पेज नंबर 6 , पर आर्डर में लिखा कि -- गिरनी देवी के खिलाफ मेडिकल सबूत उपलब्ध है, इसलिए इनका नाम केस में जोड़कर ट्रायल, शुरू किया जाये .
जबकि सबूत साफ़ बोल रहे हैं कि -- केस फाइल में कहीं भी मेडिकल एविडेंस है ही नहीं. ........... अगर थे तो कहाँ गए ..................??? भृष्ट जज रजनीश बंसल ने ऐसा झूठा दावा किया है.
क्या ये काम बिना रिश्वत के हो सकता है. ......................???
नारनौल के अतिरिक्त सेशन जज रजनीश बंसल का फर्जीवाड़ा ...............
क्योकि हम भ्र्ष्टाचार के खलाफ काम कर रहे हैं, तो चोर और भृष्ट लोगों को तकलीफ तो होनी ही थी. रेवाड़ी के सरकारी हॉस्टिपल में एक कैंटीन है, जोकि एक विकलांग फौजी के नाम से आवंटित है और उसका किराया केवल एक रुपया महीने है. लेकिन उस पर कब्ज़ा, रेवाड़ी के एक पत्रकार रवि यादव ने अवैध तरीके से कर रखा था.
ऐसे ही सिविल हॉस्पिटल के तत्कालीन भृष्ट सिविल सर्जन डॉक्टर हरी राम यादव के सबूत भी मेरे पास थे .
रेवाड़ी की एक भृष्ट और बेहद चालक और ड्रामेबाज औरत जोकि प्रोटेक्शन अफसर टी नीलम शर्मा वो निर्दोष लोगों को जेल भेजने का डर दिखाकर, घर बसने के नाम पर जमकर अवैध वसूली करती थी .
एक और व्यक्ति थे सतीश मस्तान जिसने रेडक्रॉस रेवाड़ी को लगभग 18 लाख का चुना लगाया .
हमने इनकी शिकायत कर रखी थी. मैंने इन सब लोगों के सबूत पकड़ लिए, और समझौता नहीं किया, ........ तो इन्होंने, मुझे प्रतड़ित करने और दबाब बनाने की नियत से मेरे केस में भृष्ट तरीके से, मेरे ससुर किशोरी लाल से मिलकर, पचास हज़ार उसको दिए और बाकि एक लाख रजनीश बंसल जज को दिया ताकि केस में मेरी माता जी का नाम जोड़ा जा सके .
इस भृष्ट जज रजनीश बंसल ने , अपने आर्डर के पेज नंबर 6 , पर आर्डर में लिखा कि -- गिरनी देवी के खिलाफ मेडिकल सबूत उपलब्ध है, इसलिए इनका नाम केस में जोड़कर ट्रायल, शुरू किया जाये .
जबकि सबूत साफ़ बोल रहे हैं कि -- केस फाइल में कहीं भी मेडिकल एविडेंस है ही नहीं. ........... अगर थे तो कहाँ गए ..................??? भृष्ट जज रजनीश बंसल ने ऐसा झूठा दावा किया है.
क्या ये काम बिना रिश्वत के हो सकता है. ......................???
Saturday, 26 November 2016
क्या आपने कभी ऐसा देखा या सुना है कि -- आप कोर्ट जज से बात कर रहे हों, और वो जज आप के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दे......नारनौल कोर्ट में JMIC अपर्णा भारद्धाज ऐसा कर रही है..............
Copy of Order Dated-- 15/09/2016 -----
This order was earlier uploaded, after 12 days. now removed.
आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India .........5 साल का बच्चा भी, फर्जी तरीके से गैर जमानती वारंट करने वाली नारनौल की जज अपर्णा भारद्धाज से ज्यादा समझदार ....................
आइये .....!!! भारत बदलें .... Let's Change India ....
क्या आपने कभी ऐसा देखा या सुना है कि -- आप कोर्ट जज से बात कर रहे हों, और वो जज आप के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दे. ..................??????????
नारनौल कोर्ट में जज,............. इस तरह फर्जीवाड़े से जारी करते हैं गैर जमानती वारंट ........................
5 साल का बच्चा भी, फर्जी तरीके से गैर जमानती वारंट करने वाली नारनौल की जज अपर्णा भारद्धाज से ज्यादा समझदार ........
अब आप ही सबूत देख और समझ लें ...............
अभी 15.09.2016 को नारनौल कोर्ट में JMIC अपर्णा भारद्धाज की कोर्ट में मेरी पेशी थी. उस सुबह रात को चंडीगढ़ से हम आये थे. रेवाड़ी कोर्ट में भी पेशी थी , सुबह साइबर कैफ़े जाकर हमने Email से रेवाड़ी कोर्ट की जज को सुचना भेजी. फिर नारनौल के लिए निकल लिए. वहां कोर्ट पहुंचकर, मैंने इस जज साहिबा को बताया कि -- हम सुबह चंडीगढ़ से आ रहे हैं और आज ही रेवाड़ी कोर्ट में भी मेरी तारीख थी. उसकी ईमेल करके हम यहाँ पर आये हैं. और बताया कि - लगभग 30 मिनट में हम एक एप्लीकेशन तैयार करके ला रहे हैं. तो वो बोली -- ठीक है.
थोड़ी देर बाद हम उस जज के पास गए तो वो बोली कि -- अभी तोड़ी देर, बाहर इंतजार कर लो, अभी बुलवाते हैं. हम बाहर आ गए . फिर उस कोर्ट से एक सहायक बुलाने आया. और हम कोर्ट में जज से मिले. और ये सारी सच्चाई कोर्ट रूम के बाहर CCTV कैमरा में रिकॉर्ड हो चुकी थी.
इस जज से हमारी पहली मुलाकात थी. क्योकि पुराने JMIC रामावतार पारीक का कोसली ट्रांसफर हो गया था. मेरी माता जी के हाई कोर्ट के केस कि कॉपी Enclosure सहित दे दी. तो ये जज साहिबा बोली कि -- मैं ये एप्लीकेशन नहीं ले सकती. हमने कारण पूछा तो बोली कि - मैंने तो इनके गैर जमानती वारंट, कर दिए हैं और आप के सिग्नेचर नहीं चल सकते ........!!! आप के भी गैर जमानती वारंट मैंने कर दिए हैं हमने कहा कि हम अभी आधा घंटे पहले आप से मिलकर बताकर गए थे . फिर मेरे खिलाफ NBW कैसे किये जा सकते हैं. हमने कारण पूछा तो जज बोली कि -- किसी वकील को बुला लो. और हम बाहर आ गए.
फिर मैंने अपने पिछले अनुभव को याद किया , जब पहले भी मेरे साथ फर्जी तरीके से गैर जमानती वारंट, जारी करके 4 बार जेल में डाला जा चूका है. क्योकि नारनौल के जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल का फर्जीवाड़ा पकड़कर, हमने उसके खिलाफ केस डाल रखे हैं.. इसीलिए, नारनौल के जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल अपने पद के प्रभाव का इस्तेमाल करके, अपने जूनियर जजों से मेरे मुकदमों में बिना किसी सबूत के फर्जी तरीके से, जेल में डालने के लिए, गैर जमानती वारंट करवाकर प्रताड़ित कर रहा है. इस जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल, ने मुझे जान से मारने कि धमकी भी दे रखी है. और मुझे सबक सिखाने के लिए , मेरी माता जी के खिलाफ और मेरे खिलाफ फर्जीवाड़े करके गैर जमानती वारंट करवाये . और मेरे पीछे सारे जज, पुलिस, जेल , पुलिस , कोर्ट के कर्मचारी को लगा रखा है और फिर भी कोई सबूत नहीं पकड़ सका तो झूठी शिकायत करवाकर, मेरे खिलाफ हाई कोर्ट में झूठे कंटेम्प्ट के केस भी डलवाये, जोकि हम जीत चुके हैं.
ज्यादा जानकारी के लिए दिनांक -- 15.09.2016 की ईमेल को पढ़ सकते हैं.
इस आर्डर को 13 दिनों तक वेबसाइट पर डाला ही नहीं गया, और जब आर्डर की कॉपी मिली तो उसमे झूठे आरोप लगाए गए कि --- मनोज से जब लेट होने का कारण पूछा गया तो वो इसका जबाब नहीं दे सका . जबकि इस साधारण से सवाल का जबाब देने के लिए किसी विशेष दिमागी दक्षता कि जरुरत नहीं हैं.
दूसरा झूठा आरोप ये लगाया कि -- मनोज कोर्ट रूम में ज्यादा भीड़ का फायदा उठाकर, पुलिस से हाथ छुड़वाकर भाग गया. जबकि कोर्ट रूम बहुत बड़ा है, उसमे 100 लोग खड़े हो सकते हैं, उस समय कोर्ट में केवल 4 / 5 लोग ही थे. पुलिस वाला न तो मेरे पास आया और न ही कोई ऐसी बात हुई.......... , और हाथ छुड़वाने कि तो कोई घटना ही नहीं घटी.
न हम भागे ................ CCTV कैमरा कि रिकॉर्डिंग को Preserve करने के लिए मैंने उसी दिन ईमेल कर दी थी. जबकि जज का आर्डर 13 दिनों बाद लिखा गया.
और इन जजों ने फर्जीवाड़े करते हुए, घटना के सबूत नष्ट करते हुए, CCTV कैमरा कि रिकॉर्डिंग को डिलीट भी कर दिया. ऐसा करने कि क्या मजबूरी थी. .................???
Copy of Email dated -15.09.2016 ------
Copy of email dated--09/10/2016 --- To Preserve the Hard Disk of JMIC Aprna Bhardwaj .....
क्या आपने कभी ऐसा देखा या सुना है कि -- आप कोर्ट जज से बात कर रहे हों, और वो जज आप के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दे. ..................??????????
नारनौल कोर्ट में जज,............. इस तरह फर्जीवाड़े से जारी करते हैं गैर जमानती वारंट ........................
5 साल का बच्चा भी, फर्जी तरीके से गैर जमानती वारंट करने वाली नारनौल की जज अपर्णा भारद्धाज से ज्यादा समझदार ........
अब आप ही सबूत देख और समझ लें ...............
अभी 15.09.2016 को नारनौल कोर्ट में JMIC अपर्णा भारद्धाज की कोर्ट में मेरी पेशी थी. उस सुबह रात को चंडीगढ़ से हम आये थे. रेवाड़ी कोर्ट में भी पेशी थी , सुबह साइबर कैफ़े जाकर हमने Email से रेवाड़ी कोर्ट की जज को सुचना भेजी. फिर नारनौल के लिए निकल लिए. वहां कोर्ट पहुंचकर, मैंने इस जज साहिबा को बताया कि -- हम सुबह चंडीगढ़ से आ रहे हैं और आज ही रेवाड़ी कोर्ट में भी मेरी तारीख थी. उसकी ईमेल करके हम यहाँ पर आये हैं. और बताया कि - लगभग 30 मिनट में हम एक एप्लीकेशन तैयार करके ला रहे हैं. तो वो बोली -- ठीक है.
थोड़ी देर बाद हम उस जज के पास गए तो वो बोली कि -- अभी तोड़ी देर, बाहर इंतजार कर लो, अभी बुलवाते हैं. हम बाहर आ गए . फिर उस कोर्ट से एक सहायक बुलाने आया. और हम कोर्ट में जज से मिले. और ये सारी सच्चाई कोर्ट रूम के बाहर CCTV कैमरा में रिकॉर्ड हो चुकी थी.
इस जज से हमारी पहली मुलाकात थी. क्योकि पुराने JMIC रामावतार पारीक का कोसली ट्रांसफर हो गया था. मेरी माता जी के हाई कोर्ट के केस कि कॉपी Enclosure सहित दे दी. तो ये जज साहिबा बोली कि -- मैं ये एप्लीकेशन नहीं ले सकती. हमने कारण पूछा तो बोली कि - मैंने तो इनके गैर जमानती वारंट, कर दिए हैं और आप के सिग्नेचर नहीं चल सकते ........!!! आप के भी गैर जमानती वारंट मैंने कर दिए हैं हमने कहा कि हम अभी आधा घंटे पहले आप से मिलकर बताकर गए थे . फिर मेरे खिलाफ NBW कैसे किये जा सकते हैं. हमने कारण पूछा तो जज बोली कि -- किसी वकील को बुला लो. और हम बाहर आ गए.
फिर मैंने अपने पिछले अनुभव को याद किया , जब पहले भी मेरे साथ फर्जी तरीके से गैर जमानती वारंट, जारी करके 4 बार जेल में डाला जा चूका है. क्योकि नारनौल के जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल का फर्जीवाड़ा पकड़कर, हमने उसके खिलाफ केस डाल रखे हैं.. इसीलिए, नारनौल के जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल अपने पद के प्रभाव का इस्तेमाल करके, अपने जूनियर जजों से मेरे मुकदमों में बिना किसी सबूत के फर्जी तरीके से, जेल में डालने के लिए, गैर जमानती वारंट करवाकर प्रताड़ित कर रहा है. इस जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल, ने मुझे जान से मारने कि धमकी भी दे रखी है. और मुझे सबक सिखाने के लिए , मेरी माता जी के खिलाफ और मेरे खिलाफ फर्जीवाड़े करके गैर जमानती वारंट करवाये . और मेरे पीछे सारे जज, पुलिस, जेल , पुलिस , कोर्ट के कर्मचारी को लगा रखा है और फिर भी कोई सबूत नहीं पकड़ सका तो झूठी शिकायत करवाकर, मेरे खिलाफ हाई कोर्ट में झूठे कंटेम्प्ट के केस भी डलवाये, जोकि हम जीत चुके हैं.
ज्यादा जानकारी के लिए दिनांक -- 15.09.2016 की ईमेल को पढ़ सकते हैं.
इस आर्डर को 13 दिनों तक वेबसाइट पर डाला ही नहीं गया, और जब आर्डर की कॉपी मिली तो उसमे झूठे आरोप लगाए गए कि --- मनोज से जब लेट होने का कारण पूछा गया तो वो इसका जबाब नहीं दे सका . जबकि इस साधारण से सवाल का जबाब देने के लिए किसी विशेष दिमागी दक्षता कि जरुरत नहीं हैं.
दूसरा झूठा आरोप ये लगाया कि -- मनोज कोर्ट रूम में ज्यादा भीड़ का फायदा उठाकर, पुलिस से हाथ छुड़वाकर भाग गया. जबकि कोर्ट रूम बहुत बड़ा है, उसमे 100 लोग खड़े हो सकते हैं, उस समय कोर्ट में केवल 4 / 5 लोग ही थे. पुलिस वाला न तो मेरे पास आया और न ही कोई ऐसी बात हुई.......... , और हाथ छुड़वाने कि तो कोई घटना ही नहीं घटी.
न हम भागे ................ CCTV कैमरा कि रिकॉर्डिंग को Preserve करने के लिए मैंने उसी दिन ईमेल कर दी थी. जबकि जज का आर्डर 13 दिनों बाद लिखा गया.
और इन जजों ने फर्जीवाड़े करते हुए, घटना के सबूत नष्ट करते हुए, CCTV कैमरा कि रिकॉर्डिंग को डिलीट भी कर दिया. ऐसा करने कि क्या मजबूरी थी. .................???
Copy of Email dated -15.09.2016 ------
Sent Mail : Read Mail [ Back to Sent Mail ] |
Printable Format | Show full Headers |
|
Copy of email dated--09/10/2016 --- To Preserve the Hard Disk of JMIC Aprna Bhardwaj .....
Sent Mail : Read Mail [ Back to Sent Mail ] |
Printable Format | Show full Headers |
|
5 साल का बच्चा भी, फर्जी तरीके से गैर जमानती वारंट करने वाली नारनौल की जज अपर्णा भारद्धाज से ज्यादा समझदार ....................
आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
क्या आपने कभी ऐसा देखा या सुना है कि -- आप कोर्ट जज से बात कर रहे हों, और वो जज आप के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दे. ..................??????????
नारनौल कोर्ट में जज,............. इस तरह फर्जीवाड़े से जारी करते हैं गैर जमानती वारंट ........................
5 साल का बच्चा भी, फर्जी तरीके से गैर जमानती वारंट करने वाली नारनौल की जज अपर्णा भारद्धाज से ज्यादा समझदार ........
अब आप ही सबूत देख और समझ लें ...............
अभी 15.09.2016 को नारनौल कोर्ट में JMIC अपर्णा भारद्धाज की कोर्ट में मेरी पेशी थी. उस सुबह रात को चंडीगढ़ से हम आये थे. रेवाड़ी कोर्ट में भी पेशी थी , सुबह साइबर कैफ़े जाकर हमने Email से रेवाड़ी कोर्ट की जज को सुचना भेजी. फिर नारनौल के लिए निकल लिए. वहां कोर्ट पहुंचकर, मैंने इस जज साहिबा को बताया कि -- हम सुबह चंडीगढ़ से आ रहे हैं और आज ही रेवाड़ी कोर्ट में भी मेरी तारीख थी. उसकी ईमेल करके हम यहाँ पर आये हैं. और बताया कि - लगभग 30 मिनट में हम एक एप्लीकेशन तैयार करके ला रहे हैं. तो वो बोली -- ठीक है.
थोड़ी देर बाद हम उस जज के पास गए तो वो बोली कि -- अभी तोड़ी देर, बाहर इंतजार कर लो, अभी बुलवाते हैं. हम बाहर आ गए . फिर उस कोर्ट से एक सहायक बुलाने आया. और हम कोर्ट में जज से मिले. और ये सारी सच्चाई कोर्ट रूम के बाहर CCTV कैमरा में रिकॉर्ड हो चुकी थी.
इस जज से हमारी पहली मुलाकात थी. क्योकि पुराने JMIC रामावतार पारीक का कोसली ट्रांसफर हो गया था. मेरी माता जी के हाई कोर्ट के केस कि कॉपी Enclosure सहित दे दी. तो ये जज साहिबा बोली कि -- मैं ये एप्लीकेशन नहीं ले सकती. हमने कारण पूछा तो बोली कि - मैंने तो इनके गैर जमानती वारंट, कर दिए हैं और आप के सिग्नेचर नहीं चल सकते ........!!! आप के भी गैर जमानती वारंट मैंने कर दिए हैं हमने कहा कि हम अभी आधा घंटे पहले आप से मिलकर बताकर गए थे . फिर मेरे खिलाफ NBW कैसे किये जा सकते हैं. हमने कारण पूछा तो जज बोली कि -- किसी वकील को बुला लो. और हम बाहर आ गए.
फिर मैंने अपने पिछले अनुभव को याद किया , जब पहले भी मेरे साथ फर्जी तरीके से गैर जमानती वारंट, जारी करके 4 बार जेल में डाला जा चूका है. क्योकि नारनौल के जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल का फर्जीवाड़ा पकड़कर, हमने उसके खिलाफ केस डाल रखे हैं.. इसीलिए, नारनौल के जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल अपने पद के प्रभाव का इस्तेमाल करके, अपने जूनियर जजों से मेरे मुकदमों में बिना किसी सबूत के फर्जी तरीके से, जेल में डालने के लिए, गैर जमानती वारंट करवाकर प्रताड़ित कर रहा है. इस जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल, ने मुझे जान से मारने कि धमकी भी दे रखी है. और मुझे सबक सिखाने के लिए , मेरी माता जी के खिलाफ और मेरे खिलाफ फर्जीवाड़े करके गैर जमानती वारंट करवाये . और मेरे पीछे सारे जज, पुलिस, जेल , पुलिस , कोर्ट के कर्मचारी को लगा रखा है और फिर भी कोई सबूत नहीं पकड़ सका तो झूठी शिकायत करवाकर, मेरे खिलाफ हाई कोर्ट में झूठे कंटेम्प्ट के केस भी डलवाये, जोकि हम जीत चुके हैं.
ज्यादा जानकारी के लिए दिनांक -- 15.09.2016 की ईमेल को पढ़ सकते हैं.
इस आर्डर को 13 दिनों तक वेबसाइट पर डाला ही नहीं गया, और जब आर्डर की कॉपी मिली तो उसमे झूठे आरोप लगाए गए कि --- मनोज से जब लेट होने का कारण पूछा गया तो वो इसका जबाब नहीं दे सका . जबकि इस साधारण से सवाल का जबाब देने के लिए किसी विशेष दिमागी दक्षता कि जरुरत नहीं हैं.
दूसरा झूठा आरोप ये लगाया कि -- मनोज कोर्ट रूम में ज्यादा भीड़ का फायदा उठाकर, पुलिस से हाथ छुड़वाकर भाग गया. जबकि कोर्ट रूम बहुत बड़ा है, उसमे 100 लोग खड़े हो सकते हैं, उस समय कोर्ट में केवल 4 / 5 लोग ही थे. पुलिस वाला न तो मेरे पास आया और न ही कोई ऐसी बात हुई.......... , और हाथ छुड़वाने कि तो कोई घटना ही नहीं घटी.
न हम भागे ................ CCTV कैमरा कि रिकॉर्डिंग को Preserve करने के लिए मैंने उसी दिन ईमेल कर दी थी. जबकि जज का आर्डर 13 दिनों बाद लिखा गया.
और इन जजों ने फर्जीवाड़े करते हुए, घटना के सबूत नष्ट करते हुए, CCTV कैमरा कि रिकॉर्डिंग को डिलीट भी कर दिया. ऐसा करने कि क्या मजबूरी थी. .................???
Copy of Order Dated-- 15/09/2016 -----
This order was earlier uploaded, now removed. Very shortly, i will post copy of those 2 orders.
Copy of Email dated -15.09.2016 ------
Copy of email dated--09/10/2016 --- To Preserve the Hard Disk of JMIC Aprna Bhardwaj .....
क्या आपने कभी ऐसा देखा या सुना है कि -- आप कोर्ट जज से बात कर रहे हों, और वो जज आप के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दे. ..................??????????
नारनौल कोर्ट में जज,............. इस तरह फर्जीवाड़े से जारी करते हैं गैर जमानती वारंट ........................
5 साल का बच्चा भी, फर्जी तरीके से गैर जमानती वारंट करने वाली नारनौल की जज अपर्णा भारद्धाज से ज्यादा समझदार ........
अब आप ही सबूत देख और समझ लें ...............
अभी 15.09.2016 को नारनौल कोर्ट में JMIC अपर्णा भारद्धाज की कोर्ट में मेरी पेशी थी. उस सुबह रात को चंडीगढ़ से हम आये थे. रेवाड़ी कोर्ट में भी पेशी थी , सुबह साइबर कैफ़े जाकर हमने Email से रेवाड़ी कोर्ट की जज को सुचना भेजी. फिर नारनौल के लिए निकल लिए. वहां कोर्ट पहुंचकर, मैंने इस जज साहिबा को बताया कि -- हम सुबह चंडीगढ़ से आ रहे हैं और आज ही रेवाड़ी कोर्ट में भी मेरी तारीख थी. उसकी ईमेल करके हम यहाँ पर आये हैं. और बताया कि - लगभग 30 मिनट में हम एक एप्लीकेशन तैयार करके ला रहे हैं. तो वो बोली -- ठीक है.
थोड़ी देर बाद हम उस जज के पास गए तो वो बोली कि -- अभी तोड़ी देर, बाहर इंतजार कर लो, अभी बुलवाते हैं. हम बाहर आ गए . फिर उस कोर्ट से एक सहायक बुलाने आया. और हम कोर्ट में जज से मिले. और ये सारी सच्चाई कोर्ट रूम के बाहर CCTV कैमरा में रिकॉर्ड हो चुकी थी.
इस जज से हमारी पहली मुलाकात थी. क्योकि पुराने JMIC रामावतार पारीक का कोसली ट्रांसफर हो गया था. मेरी माता जी के हाई कोर्ट के केस कि कॉपी Enclosure सहित दे दी. तो ये जज साहिबा बोली कि -- मैं ये एप्लीकेशन नहीं ले सकती. हमने कारण पूछा तो बोली कि - मैंने तो इनके गैर जमानती वारंट, कर दिए हैं और आप के सिग्नेचर नहीं चल सकते ........!!! आप के भी गैर जमानती वारंट मैंने कर दिए हैं हमने कहा कि हम अभी आधा घंटे पहले आप से मिलकर बताकर गए थे . फिर मेरे खिलाफ NBW कैसे किये जा सकते हैं. हमने कारण पूछा तो जज बोली कि -- किसी वकील को बुला लो. और हम बाहर आ गए.
फिर मैंने अपने पिछले अनुभव को याद किया , जब पहले भी मेरे साथ फर्जी तरीके से गैर जमानती वारंट, जारी करके 4 बार जेल में डाला जा चूका है. क्योकि नारनौल के जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल का फर्जीवाड़ा पकड़कर, हमने उसके खिलाफ केस डाल रखे हैं.. इसीलिए, नारनौल के जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल अपने पद के प्रभाव का इस्तेमाल करके, अपने जूनियर जजों से मेरे मुकदमों में बिना किसी सबूत के फर्जी तरीके से, जेल में डालने के लिए, गैर जमानती वारंट करवाकर प्रताड़ित कर रहा है. इस जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल, ने मुझे जान से मारने कि धमकी भी दे रखी है. और मुझे सबक सिखाने के लिए , मेरी माता जी के खिलाफ और मेरे खिलाफ फर्जीवाड़े करके गैर जमानती वारंट करवाये . और मेरे पीछे सारे जज, पुलिस, जेल , पुलिस , कोर्ट के कर्मचारी को लगा रखा है और फिर भी कोई सबूत नहीं पकड़ सका तो झूठी शिकायत करवाकर, मेरे खिलाफ हाई कोर्ट में झूठे कंटेम्प्ट के केस भी डलवाये, जोकि हम जीत चुके हैं.
ज्यादा जानकारी के लिए दिनांक -- 15.09.2016 की ईमेल को पढ़ सकते हैं.
इस आर्डर को 13 दिनों तक वेबसाइट पर डाला ही नहीं गया, और जब आर्डर की कॉपी मिली तो उसमे झूठे आरोप लगाए गए कि --- मनोज से जब लेट होने का कारण पूछा गया तो वो इसका जबाब नहीं दे सका . जबकि इस साधारण से सवाल का जबाब देने के लिए किसी विशेष दिमागी दक्षता कि जरुरत नहीं हैं.
दूसरा झूठा आरोप ये लगाया कि -- मनोज कोर्ट रूम में ज्यादा भीड़ का फायदा उठाकर, पुलिस से हाथ छुड़वाकर भाग गया. जबकि कोर्ट रूम बहुत बड़ा है, उसमे 100 लोग खड़े हो सकते हैं, उस समय कोर्ट में केवल 4 / 5 लोग ही थे. पुलिस वाला न तो मेरे पास आया और न ही कोई ऐसी बात हुई.......... , और हाथ छुड़वाने कि तो कोई घटना ही नहीं घटी.
न हम भागे ................ CCTV कैमरा कि रिकॉर्डिंग को Preserve करने के लिए मैंने उसी दिन ईमेल कर दी थी. जबकि जज का आर्डर 13 दिनों बाद लिखा गया.
और इन जजों ने फर्जीवाड़े करते हुए, घटना के सबूत नष्ट करते हुए, CCTV कैमरा कि रिकॉर्डिंग को डिलीट भी कर दिया. ऐसा करने कि क्या मजबूरी थी. .................???
Copy of Order Dated-- 15/09/2016 -----
This order was earlier uploaded, now removed. Very shortly, i will post copy of those 2 orders.
Copy of Email dated -15.09.2016 ------
Sent Mail : Read Mail [ Back to Sent Mail ] |
Printable Format | Show full Headers |
|
Copy of email dated--09/10/2016 --- To Preserve the Hard Disk of JMIC Aprna Bhardwaj .....
Sent Mail : Read Mail [ Back to Sent Mail ] |
Printable Format | Show full Headers |
|
Subscribe to:
Posts (Atom)