आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
नारनौल का जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल , मेरी और मेरी माता जी की हत्या करवाने के षड्यंत्र में पूरी ताकत ( यानिकि तन, मन , धन, कानूनी, गैर कानूनी हथकंडे के साथ ) से जुटा......
हमारी हत्या करवाने के लिए नारनौल के जजों, पुलिस, जेल अधिकारीयों पर दबाब बनाने के साथ 2 हाई कोर्ट के जजों को भी सेट किया ।
मुझे गुप्त सूत्रों से पता चला है कि --
हाई कोर्ट चंडीगढ़ के जिन जजों के पास मेरे केस थे ( दया चौधरी और अनीता चौधरी ) को किसी भी तरह मेरे मुकदमों में , मुझे न्याय न देने का सौदा तय हुआ है।
हाई कोर्ट चंडीगढ़ की जज दया चौधरी की तो नियुक्ति ही गैर कानूनी है और इसके बारे में मुझे काफी कुछ पता चला है , जो हम अभी यहाँ पर नहीं लिख सकते, ......समझदार लोग समझ ही गए होंगे .......
वरना ऐसा कैसे हो सकता है कि --- इतने स्पष्ट सबूतों के फ़ाइल पर होने, और सारा सच समझ में आ जाने के बावजूद भी ये जज, निचे के जजों को बचाने के लिए , न तो मेरी ट्रान्सफर पेटिशन पर स्टे दिया, न मेरी माता जी के गलत तरीके से जारी किये गए गैर जमानती वारंट को जानबूझकर कैंसल नहीं किया । और न ही मेरी माता जी की परमानेंट exemption की पेटिशन को लेकर कोई निर्णय दिया, जब कि सुप्रीम कोर्ट का ये कहना है कि -- बुजुर्ग, बीमार, विकलांग लोगोँ के मामलों को प्राथमिकता से साथ निपटाया जायेगा, जबकि हमारी एप्लीकेशन को 4 साल से लटका कर रखा है, decide क्यों नहीं .....??? औए हाई कोर्ट की जज अनीता चौधरी भी इस एप्लीकेशन पर आदेश क्यों नहीं दे रही ....??? मतलब स्पष्ट है ,----- भेंट पहुँच गई । वैसे भी हाई कोर्ट के जज कौन से ईमानदार हैं ...... ??? अगर भृष्ट जज को बचा रहे हैं तो इनका कोई तो स्वार्थ तो होगा ही .......???
और हर साल हाई कोर्ट का जज एडमिनिस्ट्रेटिव जज जब अपने जिले में जाता है तो वो 30 लाख से 60 लाख तक रिश्वत लेकर आता है। इसके आलावा जजों के खिलाफ आई शिकायतों पर कार्यवाही नहीं करने की रिश्वत अलग से ....... मिलती है।
नारनौल का जिला सेशन जज अरुण कुमार सिंघल , मेरी और मेरी माता जी की हत्या करवाने के षड्यंत्र में पूरी ताकत ( यानिकि तन, मन , धन, कानूनी, गैर कानूनी हथकंडे के साथ ) से जुटा......
हमारी हत्या करवाने के लिए नारनौल के जजों, पुलिस, जेल अधिकारीयों पर दबाब बनाने के साथ 2 हाई कोर्ट के जजों को भी सेट किया ।
मुझे गुप्त सूत्रों से पता चला है कि --
हाई कोर्ट चंडीगढ़ के जिन जजों के पास मेरे केस थे ( दया चौधरी और अनीता चौधरी ) को किसी भी तरह मेरे मुकदमों में , मुझे न्याय न देने का सौदा तय हुआ है।
हाई कोर्ट चंडीगढ़ की जज दया चौधरी की तो नियुक्ति ही गैर कानूनी है और इसके बारे में मुझे काफी कुछ पता चला है , जो हम अभी यहाँ पर नहीं लिख सकते, ......समझदार लोग समझ ही गए होंगे .......
वरना ऐसा कैसे हो सकता है कि --- इतने स्पष्ट सबूतों के फ़ाइल पर होने, और सारा सच समझ में आ जाने के बावजूद भी ये जज, निचे के जजों को बचाने के लिए , न तो मेरी ट्रान्सफर पेटिशन पर स्टे दिया, न मेरी माता जी के गलत तरीके से जारी किये गए गैर जमानती वारंट को जानबूझकर कैंसल नहीं किया । और न ही मेरी माता जी की परमानेंट exemption की पेटिशन को लेकर कोई निर्णय दिया, जब कि सुप्रीम कोर्ट का ये कहना है कि -- बुजुर्ग, बीमार, विकलांग लोगोँ के मामलों को प्राथमिकता से साथ निपटाया जायेगा, जबकि हमारी एप्लीकेशन को 4 साल से लटका कर रखा है, decide क्यों नहीं .....??? औए हाई कोर्ट की जज अनीता चौधरी भी इस एप्लीकेशन पर आदेश क्यों नहीं दे रही ....??? मतलब स्पष्ट है ,----- भेंट पहुँच गई । वैसे भी हाई कोर्ट के जज कौन से ईमानदार हैं ...... ??? अगर भृष्ट जज को बचा रहे हैं तो इनका कोई तो स्वार्थ तो होगा ही .......???
और हर साल हाई कोर्ट का जज एडमिनिस्ट्रेटिव जज जब अपने जिले में जाता है तो वो 30 लाख से 60 लाख तक रिश्वत लेकर आता है। इसके आलावा जजों के खिलाफ आई शिकायतों पर कार्यवाही नहीं करने की रिश्वत अलग से ....... मिलती है।
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