आईये.... .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
झूठे दहेज़, घरेलु हिंसा, भीख भत्ता के मुकदमों के निर्दोष परिवारों का शोषण करने में न्यायपालिका भी कम जिम्मेदार नहीं .....................
इस देश में निर्दोष लोगों का शोषण करने के लिए न्यायपलिका, बड़ी 2 बातें करती है l कभी पुलिस को........ तो कभी कानूनों को......... कभी संसद को....... तो कभी औरतों को...... जिम्मेदार बताते हुए जरूरतमंद औरतों के लिए बनाये गये कानून दुरूपयोग की बातें करती है, लेकिन कभी समस्या की जड़ को ठीक करने का प्रयास कभी भी नहीं किया गया l निचली अदालतों से लेकर, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का रवैया देखे तो इन मुकदमों में निर्दोष लोगों के शोषण में न्यायपालिका की भूमिका भी कम खतरनाक नहीं है l आप फर्जीवाड़े करने वाली औरतों के गुजारा भत्ता के मामलों को ही देख लें, आखिर न्यायपालिका की क्या मजबूरी है कि -- औरतों के फर्जीवाड़े करने के बदले में उनको भीख भत्ता देने के लिए पति को मजबूर किया जाता है ...............???
आज तक देश में लाखों परिवार इन झूठे मुकदमों की चपेट में आ चुके हैं, कोर्ट के सामने फर्जीवाड़े के सबूत भी पेश कर दिए जाते हैं , लेकिन उसके बावजूद भी जज जानबूझकर औरतों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं करते ........???
वहीँ दूसरी तरफ अगर पति से जाने अनजाने में कोई छोटी से गलती हो जाये तो ये लोग उसका खून चूसने को तैयार बैठे रहते हैं l बिना सबूत के ही लोगों को सजा कर दी जाती है, फिर अपील में पैसे लेकर उनको बरी कर दिया जाता है l इस खेल में आर्थिक संपन्न लोग तो निकल जाते हैं, लेकिन गरीब आदमी फंस जाता है l देश के करोड़ों युवाओं को केवल इसलिए उलझाकर रखा जाता है कि – मजबूर होकर वो अवैध वसूली देने को तैयार हो जाये .......
जिस देश का युवा ही कमजोर होगा, वो देश कैसे ताकतवर हो सकता है ......
झूठे दहेज़, घरेलु हिंसा, भीख भत्ता के मुकदमों के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है -- औरतों को हर महीने मिलने वाला भीख भत्ता........... अगर आपने भीख भत्ते को काबू में कर लिया तो झूठे मुकदमे करवाने वाले वकील, आपकी पत्नी और उसके लालची भाई, माँ बाप सबक सिखाने में 1000 % कामयाब हो जायेंगे
गुजारा भत्ता (125) के पीड़ित लोग ध्यान दें....................
अक्सर कोर्ट में जज गुजारा भत्ता के केस में, उन हालातों में भी जेल भेज देते हैं , जब उनकी नौकरी चली गई / कर्जा हो गया / खुद के केस व दूसरे खर्च को झेलने में असमर्थ होने पर भी जज, सच जानते हुए भी आँखें बंद करते हुए,................ दूसरे पक्ष के वकील और औरतों द्वारा ड्रामा करने पर, निर्दोष लोगों को जेल भेज देते हैं ।
ज्यादा बोलेंगे तो जज कहेगा कि – सुप्रीम कोर्ट/ हाई कोर्ट की अथॉरिटी लाओ ।
इस प्रथा को हम रोक सकते हैं .........???
कैसे रोकें ............???
दरअसल गुजारा भत्ता मांगने के तीन तरीके हैं । जब भी जज किसी ऐसे व्यक्ति को जेल भेजता है तो उस जेल को भेजे जाने वाले वारंट को ध्यान से पढ़ें । उसमे साफ़ -2 लिखा होता है कि– इस व्यक्ति के पास काफी पैसा है जिससे गुजारा भत्ता दे सकता है, लेकिन ये जानबूझकर नहीं दे रहा । इसलिए इसे 14 दिन की सधाराण जेल भेजा जाता है ।
क्या आप जानते हैं कि जेल वारंट में ऐसा क्यों लिखा होता है ........???
क्योंकि इन कानूनों में स्पष्ट लिखा है कि -- उसके पास इतना पैसा होना चाहिए कि --- वो गुजारा भत्ता दे सके , और जज को भी जेल भेजने से पहले ये देखना होता है कि -- उस पति के पास देने के लिए कुछ है भी या नहीं..............???
कोई पढता ही नहीं.....................और वकील क्यों पढेंगे ............???
उनकी तो कमाई/ कमीशन गुजारा भत्ता के पैसे से ही निकलनी है ..............???
इसलिए अपने गुजारा भत्ता के केस में, वकील की बजाय, आप अपना जबाब खुद लिखकर, कोर्ट में सादे पेज पर लिखकर, दस रूपये की कोर्ट फीस की टिकट लगाकर, जज को दें और फिर भी, अगर जज जेल भेज दे, तो फिर जेल से आने के बाद, जज से ये सवाल लिखित में पूँछ लें कि – उन्होंने ये किस आधार पर लिखा ...........??? कि –
मेरे सामने ये साबित हो गया है कि -- इनके पास काफी पैसा है, जिससे वो गुजारा भत्ता दे सकता है .........
और फिर देखो तमाशा .................... 99.99 % जज तो इस बात का जबाब ही नहीं दे सकेंगे, क्योंकि फैसले तो हवा में लिखे जाते हैं । आप उस जज के खिलाफ केस परमिशन मांग कर, उनके खिलाफ मुकदमा डाल दो ।
पूरे हिंदुस्तान में 100 लोग भी केस डाल देंगे, तो फिर देखना, ये जज कैसे सुधरते हैं................???
और आपका केस काबू में आ जायेगा । जब जज को टेंशन होगी, तो फिर झूठा केस डालने वालों को, तो जज अपने आप काबू में कर देंगे .........