We invite all Activists, Religious Gurus, Experts, Intellectuals, RTI Activists, Responsible Citizens to come forward to change India. Anyone working to change anything, any issue for betterment of Society and Nation, is valuable asset to Nation. We request you to come forward to make India a better place to live............... M--09253323118 Email-- letschangeindiablog@gmail.com
Friday, 14 April 2017
मुझे विश्वास है कि -- मेरे महिलाओं से संबंधित सवालों पर जज कुछ सोचेगी जरूर .........
आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
नारनौल कोर्ट की JMIC अपर्णा भारद्वाज की उम्र छोटी ही है और अभी अविवाहित है, हमनें बहस के दौरान महिला सशक्तिकरण के दो सवाल उठाये कि -- इस देश की वो महिला जोकि दिनभर मजदूरी करके परिवार चलाने में मदद करती है , उसको डिलीवरी पर 7 दिन की छुट्टी नहीं मिलती, उसकी मदद के लिए कोई जज, कानून, महिला आयोग, पुलिस, वकील आगे क्यों नहीं आता ......???
देश की करोड़ों महिलाओं को तीन समय का खाना नहीं मिलता, उनकी मदद के लिए कोर्ट, कानून, जज, वकील महिला आयोग क्यों नहीं आते .......?? ?
, राष्ट्रीय महिला आयोग, महिला सशक्तिकरण के ड्रामे की RTI के सारे सबूत हमनें लिखित बहस में लगा रखे हैं ।
लीगल ऐड की भी हमने पोल खोली, कि किस प्रकार 170 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या करने वाले आतंकी कसाब को 15: 50 लाख रूपये खर्च से वकील मिला, लेकिन देश के काम आ सकने वाले साइंटिस्ट को लीगल ऐड से वकील नहीं .......???
किस प्रकार नारनौल कोर्ट के भृष्ट JMIC MZ खान ने मेरे केस में मुझे अपने सबूत रखने का मौका ही छीन कर न्याय की हत्या की ...........???
नारनौल कोर्ट की JMIC अपर्णा भारद्वाज की उम्र छोटी ही है और अभी अविवाहित है, हमनें बहस के दौरान महिला सशक्तिकरण के दो सवाल उठाये कि -- इस देश की वो महिला जोकि दिनभर मजदूरी करके परिवार चलाने में मदद करती है , उसको डिलीवरी पर 7 दिन की छुट्टी नहीं मिलती, उसकी मदद के लिए कोई जज, कानून, महिला आयोग, पुलिस, वकील आगे क्यों नहीं आता ......???
देश की करोड़ों महिलाओं को तीन समय का खाना नहीं मिलता, उनकी मदद के लिए कोर्ट, कानून, जज, वकील महिला आयोग क्यों नहीं आते .......?? ?
, राष्ट्रीय महिला आयोग, महिला सशक्तिकरण के ड्रामे की RTI के सारे सबूत हमनें लिखित बहस में लगा रखे हैं ।
लीगल ऐड की भी हमने पोल खोली, कि किस प्रकार 170 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या करने वाले आतंकी कसाब को 15: 50 लाख रूपये खर्च से वकील मिला, लेकिन देश के काम आ सकने वाले साइंटिस्ट को लीगल ऐड से वकील नहीं .......???
किस प्रकार नारनौल कोर्ट के भृष्ट JMIC MZ खान ने मेरे केस में मुझे अपने सबूत रखने का मौका ही छीन कर न्याय की हत्या की ...........???
पिछले 8 सालों में हमनें वकील, पुलिस, महिला सेल, महिला सशक्तिकरण की हकीकत, महिला समर्थक दलाल, जेल, गैर जमानती वारंट, कोर्ट, जजों के बहुत फर्जीवाड़े देखे हैं, सब के सब औरतों के माध्यम से निर्दोष लोगों को फंसाकर , अवैध वसूली की हजारों करोड़ की इंडस्ट्री बन चुकी है । पुस्तक के माध्यम से हम सच दुनिया के सामने लाएंगे और बहुत सी जानकारी जिसे जानकर लोगों को सोचने और कुछ करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा .......
आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
पिछले 8 सालों में हमनें वकील, पुलिस, महिला सेल, महिला सशक्तिकरण की हकीकत, महिला समर्थक दलाल, जेल, गैर जमानती वारंट, कोर्ट, जजों के बहुत फर्जीवाड़े देखे हैं, सब के सब औरतों के माध्यम से निर्दोष लोगों को फंसाकर , अवैध वसूली की हजारों करोड़ की इंडस्ट्री बन चुकी है ।
पुस्तक के माध्यम से हम सच दुनिया के सामने लाएंगे और बहुत सी जानकारी जिसे जानकर लोगों को सोचने और कुछ करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा .......
पिछले 8 सालों में हमनें वकील, पुलिस, महिला सेल, महिला सशक्तिकरण की हकीकत, महिला समर्थक दलाल, जेल, गैर जमानती वारंट, कोर्ट, जजों के बहुत फर्जीवाड़े देखे हैं, सब के सब औरतों के माध्यम से निर्दोष लोगों को फंसाकर , अवैध वसूली की हजारों करोड़ की इंडस्ट्री बन चुकी है ।
पुस्तक के माध्यम से हम सच दुनिया के सामने लाएंगे और बहुत सी जानकारी जिसे जानकर लोगों को सोचने और कुछ करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा .......
Justice CS Karnan की हिम्मत को देश के पीड़ित लोगों का सलाम .......
आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
Justice C.S.Karnan की हिम्मत को , देश के पीड़ित लोगों का सलाम .............
Justice CS Karnan ने अन्याय, भेदभाव, तानाशाही और अत्याचार के खिलाफ जो हिम्मत दिखाई है, ......इतिहास उनको प्रेरणा स्त्रोत के रूप में याद रखेगा ......
कई लोग दलित , कमजोर , पिछड़े लोगों से चिढ़ या नफरत रखते हैं, और मौका मिलते ही अपनी ताकत का दुरूपयोग करने से भी नहीं चूकते । हमनें दलितों का दर्द बहुत नजदीकी से देखा है-- आज भी हमारा समाज भेदभाव की सोच से उबर नहीं पाया है और अपनी भड़ास निकालने के लिए कमजोर को गाली या जातिसूचक शब्दों से ही सम्बोधित करता है ।
अभी कुछ समय से कलकत्ता हाई कोर्ट के जज C. S. Karnan का सारा घटनाक्रम सारा देश और दुनिया देख रही है , आखिर न्यायपालिका में ये सब हुआ ही क्यों ......???
ये सब इसलिए हो रहा है कि -- अब न्यायपालिका अंदर से खोखली हो चुकी है, जज जमकर फर्जीवाड़े और भरष्टाचार कर रहे हैं , न्यायपालिका अपनी ताकत का इस्तेमाल , अपने स्वार्थों की पूर्ति और नियम , कानून, संविधान, व् अपनी शपथ की अनदेखी कर अपने जजों को किसी भी कीमत पर बचाने , की सोच के चलते हुआ है।
जब भी नियम , कानून, का उलंघन होता है, और बाहरी दिखावे में ईमानदारी का नाटक , तो कुदरत अपने आप किसी अवतार के माध्यम से , सच सबके सामने ला देती है।
दलित होने के नाते , कर्नन साहब ने उस पीड़ा को बचपन से लेकर आजतक , कहीं न कहीं झेला है, और जब अति होने लगी तो उनकी आत्मा अन्याय और भेदभाव के खिलाफ कुछ करने की हिम्मत जुटा गई और उसी का परिणाम था कि खुद हाई कोर्ट का जज होते हुए भी जजों के भरष्टाचार के खिलाफ प्रधानमंत्री जी को लिखा ।
न्यायपालिका को ऐसे में करना तो ये चाहिये था कि -- उन जजों के खिलाफ जांच करवाकर , एतिहासिक कदम उठाती, ताकि देश के लोगों का विश्वास न्यायपालिका में कायम रहे । लेकिन, बेशर्मी करते हुए, शिकायतकर्ता जज के खिलाफ ही कॉन्टेम्पट का मुकदमा शुरू कर दिया ।
जब भी अन्याय और अत्याचार की अति होती है तो कुदरत किसी न किसी रूप में करनन, पैदा कर ही देती है।
और कोई होता तो उसको तो ये लोग मार ही देते, लेकिन , इस बार हाई कोर्ट का सिटींग जज था, उसने भी अपनी ताकत का इस्तेमाल करके, सुप्रीम कोर्ट के जजों को ऐसी हालात पर ला दिया, .........जहाँ पर दुनिया जजों का तमाशा देख रही है ।
हम देश के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते, Justice CS Karnan की हिम्मत को सलाम करते हैं ........... और ईश्वर से दुआ करते हैं कि -- उनको और ताकतवर बनाएं, ताकि वो इस संघर्ष में इतिहास रच सकें जो भावी पीढ़ियों को प्रेरित करे ...
...
हमें विश्वास है कि -- इस सारे घटनाक्रम का नतीजा जो भी आएगा वो देश के पीड़ित लोगों के हित में ही होगा .......
Justice C.S.Karnan की हिम्मत को , देश के पीड़ित लोगों का सलाम .............
Justice CS Karnan ने अन्याय, भेदभाव, तानाशाही और अत्याचार के खिलाफ जो हिम्मत दिखाई है, ......इतिहास उनको प्रेरणा स्त्रोत के रूप में याद रखेगा ......
कई लोग दलित , कमजोर , पिछड़े लोगों से चिढ़ या नफरत रखते हैं, और मौका मिलते ही अपनी ताकत का दुरूपयोग करने से भी नहीं चूकते । हमनें दलितों का दर्द बहुत नजदीकी से देखा है-- आज भी हमारा समाज भेदभाव की सोच से उबर नहीं पाया है और अपनी भड़ास निकालने के लिए कमजोर को गाली या जातिसूचक शब्दों से ही सम्बोधित करता है ।
अभी कुछ समय से कलकत्ता हाई कोर्ट के जज C. S. Karnan का सारा घटनाक्रम सारा देश और दुनिया देख रही है , आखिर न्यायपालिका में ये सब हुआ ही क्यों ......???
ये सब इसलिए हो रहा है कि -- अब न्यायपालिका अंदर से खोखली हो चुकी है, जज जमकर फर्जीवाड़े और भरष्टाचार कर रहे हैं , न्यायपालिका अपनी ताकत का इस्तेमाल , अपने स्वार्थों की पूर्ति और नियम , कानून, संविधान, व् अपनी शपथ की अनदेखी कर अपने जजों को किसी भी कीमत पर बचाने , की सोच के चलते हुआ है।
जब भी नियम , कानून, का उलंघन होता है, और बाहरी दिखावे में ईमानदारी का नाटक , तो कुदरत अपने आप किसी अवतार के माध्यम से , सच सबके सामने ला देती है।
दलित होने के नाते , कर्नन साहब ने उस पीड़ा को बचपन से लेकर आजतक , कहीं न कहीं झेला है, और जब अति होने लगी तो उनकी आत्मा अन्याय और भेदभाव के खिलाफ कुछ करने की हिम्मत जुटा गई और उसी का परिणाम था कि खुद हाई कोर्ट का जज होते हुए भी जजों के भरष्टाचार के खिलाफ प्रधानमंत्री जी को लिखा ।
न्यायपालिका को ऐसे में करना तो ये चाहिये था कि -- उन जजों के खिलाफ जांच करवाकर , एतिहासिक कदम उठाती, ताकि देश के लोगों का विश्वास न्यायपालिका में कायम रहे । लेकिन, बेशर्मी करते हुए, शिकायतकर्ता जज के खिलाफ ही कॉन्टेम्पट का मुकदमा शुरू कर दिया ।
जब भी अन्याय और अत्याचार की अति होती है तो कुदरत किसी न किसी रूप में करनन, पैदा कर ही देती है।
और कोई होता तो उसको तो ये लोग मार ही देते, लेकिन , इस बार हाई कोर्ट का सिटींग जज था, उसने भी अपनी ताकत का इस्तेमाल करके, सुप्रीम कोर्ट के जजों को ऐसी हालात पर ला दिया, .........जहाँ पर दुनिया जजों का तमाशा देख रही है ।
हम देश के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते, Justice CS Karnan की हिम्मत को सलाम करते हैं ........... और ईश्वर से दुआ करते हैं कि -- उनको और ताकतवर बनाएं, ताकि वो इस संघर्ष में इतिहास रच सकें जो भावी पीढ़ियों को प्रेरित करे ...
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हमें विश्वास है कि -- इस सारे घटनाक्रम का नतीजा जो भी आएगा वो देश के पीड़ित लोगों के हित में ही होगा .......
Saturday, 8 April 2017
Friday, 7 April 2017
गुजारा भत्ता के केस में 1610 पेज के Written Arguments जज को दिए .......
आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
पिछले लगभग एक महीने से अत्यधिक व्यस्त चल रहे थे । मेरे मुक़दमे ख़त्म होने की आखिरी स्टेज पर चल रहे हैं, इसलिए, उनके डाक्यूमेंट्स तैयार करने में लगे थे । लगभग 7000 पेज के डाक्यूमेंट्स तैयार किये और नारनौल के जजों को पढ़ने को दे दिए हैं ।
919 pages submitted earlier, now submitted 920 to 1610 , Total 1610 page of Written Arguments in case of 125 Cr. PC
पिछले लगभग एक महीने से अत्यधिक व्यस्त चल रहे थे । मेरे मुक़दमे ख़त्म होने की आखिरी स्टेज पर चल रहे हैं, इसलिए, उनके डाक्यूमेंट्स तैयार करने में लगे थे । लगभग 7000 पेज के डाक्यूमेंट्स तैयार किये और नारनौल के जजों को पढ़ने को दे दिए हैं ।
919 pages submitted earlier, now submitted 920 to 1610 , Total 1610 page of Written Arguments in case of 125 Cr. PC
Thursday, 6 April 2017
नारनौल ही क्यों हम अगर पूरे देश की भी बात करें तो शायद ही कोई गुजारा भत्ता का ऐसा मुकदमा होगा जिसमे निचली अदालत में ही इतने सारे सबूत जज के सामने रखे गए हों .....
आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
हमारा 125 Cr.P.C का केस देश के उन गिने चुने मुकदमों में से है जिसमे पत्नी को गुजारा भत्ता मिला ही नहीं........ D.V act और HMA में भी नहीं ......
Final Written Arguments submitted before the Court.......
पिछले लगभग एक महीने से अत्यधिक व्यस्त चल रहे थे । मेरे मुक़दमे ख़त्म होने की आखिरी स्टेज पर चल रहे हैं, इसलिए, उनके डाक्यूमेंट्स तैयार करने में लगे थे । लगभग 7000 पेज के डाक्यूमेंट्स तैयार किये और नारनौल के जजों को पढ़ने को दे दिए हैं ।
919 के बाद 691 और Final Written Arguments of 36 pages Total 1646 pages of written arguments submitted in Maintainance case .
हमें कई पुराने वकील ये कह रहे थे कि नारनौल कोर्ट के इतिहास में किसी ने इतने ज्यादा पेज के लिखित बहस नहीं दी है। नारनौल ही क्यों हम अगर पूरे देश की भी बात करें तो शायद ही गुजारा भत्ता का कोई ऐसा मुकदमा होगा जिसमे निचली अदालत में ही इतने सारे सबूत जज के सामने रखे गए हों , अब ये डाक्यूमेंट्स जजों को पढ़ने पड़ेंगे , आखिर 7 साल के फर्जीवाड़े जो हैं ........
हमारा 125 Cr.P.C का केस देश के उन गिने चुने मुकदमों में से है जिसमे पत्नी को गुजारा भत्ता मिला ही नहीं........ D.V act और HMA में भी नहीं ......
Final Written Arguments submitted before the Court.......
पिछले लगभग एक महीने से अत्यधिक व्यस्त चल रहे थे । मेरे मुक़दमे ख़त्म होने की आखिरी स्टेज पर चल रहे हैं, इसलिए, उनके डाक्यूमेंट्स तैयार करने में लगे थे । लगभग 7000 पेज के डाक्यूमेंट्स तैयार किये और नारनौल के जजों को पढ़ने को दे दिए हैं ।
919 के बाद 691 और Final Written Arguments of 36 pages Total 1646 pages of written arguments submitted in Maintainance case .
हमें कई पुराने वकील ये कह रहे थे कि नारनौल कोर्ट के इतिहास में किसी ने इतने ज्यादा पेज के लिखित बहस नहीं दी है। नारनौल ही क्यों हम अगर पूरे देश की भी बात करें तो शायद ही गुजारा भत्ता का कोई ऐसा मुकदमा होगा जिसमे निचली अदालत में ही इतने सारे सबूत जज के सामने रखे गए हों , अब ये डाक्यूमेंट्स जजों को पढ़ने पड़ेंगे , आखिर 7 साल के फर्जीवाड़े जो हैं ........
1331 के बाद 294 और Final Written Arguments of 259 pages Total 1884 pages of written arguments submitted in 498a case .....
आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
पिछले लगभग एक महीने से अत्यधिक व्यस्त चल रहे थे । मेरे मुक़दमे ख़त्म होने की आखिरी स्टेज पर चल रहे हैं, इसलिए, उनके डाक्यूमेंट्स तैयार करने में लगे थे । लगभग 7000 पेज के डाक्यूमेंट्स तैयार किये और नारनौल के जजों को पढ़ने को दे दिए हैं ।
1331 के बाद 294 और Final Written Arguments of 259 pages Total 1884 pages of written arguments submitted in 498a case .
हमें कई पुराने वकील ये कह रहे थे कि नारनौल कोर्ट के इतिहास में किसी ने इतने ज्यादा पेज के लिखित बहस नहीं दी है। नारनौल ही क्यों हम अगर पूरे देश की भी बात करें तो शायद ही 498 का कोई ऐसा मुकदमा होगा जिसमे निचली अदालत में ही इतने सारे सबूत जज के सामने रखे गए हों , अब ये डाक्यूमेंट्स जजों को पढ़ने पड़ेंगे , आखिर 7 साल के फर्जीवाड़े जो हैं ........
पिछले लगभग एक महीने से अत्यधिक व्यस्त चल रहे थे । मेरे मुक़दमे ख़त्म होने की आखिरी स्टेज पर चल रहे हैं, इसलिए, उनके डाक्यूमेंट्स तैयार करने में लगे थे । लगभग 7000 पेज के डाक्यूमेंट्स तैयार किये और नारनौल के जजों को पढ़ने को दे दिए हैं ।
1331 के बाद 294 और Final Written Arguments of 259 pages Total 1884 pages of written arguments submitted in 498a case .
हमें कई पुराने वकील ये कह रहे थे कि नारनौल कोर्ट के इतिहास में किसी ने इतने ज्यादा पेज के लिखित बहस नहीं दी है। नारनौल ही क्यों हम अगर पूरे देश की भी बात करें तो शायद ही 498 का कोई ऐसा मुकदमा होगा जिसमे निचली अदालत में ही इतने सारे सबूत जज के सामने रखे गए हों , अब ये डाक्यूमेंट्स जजों को पढ़ने पड़ेंगे , आखिर 7 साल के फर्जीवाड़े जो हैं ........
नारनौल ही क्यों हम अगर पूरे देश की भी बात करें तो शायद ही 498 का कोई ऐसा मुकदमा होगा जिसमे निचली अदालत में ही इतने सारे सबूत जज के सामने रखे गए हों.......
आइये .....!!! भारत बदलें ....
Let's Change India ....
पिछले लगभग एक महीने से अत्यधिक व्यस्त चल रहे थे । मेरे मुक़दमे ख़त्म होने की आखिरी स्टेज पर चल रहे हैं, इसलिए, उनके डाक्यूमेंट्स तैयार करने में लगे थे । लगभग 7000 पेज के डाक्यूमेंट्स तैयार किये और नारनौल के जजों को पढ़ने को दे दिए हैं ।
1331 के बाद 294 और Final Written Arguments of 259 pages Total 1884 pages of written arguments submitted in 498a case .
हमें कई पुराने वकील ये कह रहे थे कि नारनौल कोर्ट के इतिहास में किसी ने इतने ज्यादा पेज के लिखित बहस नहीं दी है। नारनौल ही क्यों हम अगर पूरे देश की भी बात करें तो शायद ही 498 का कोई ऐसा मुकदमा होगा जिसमे निचली अदालत में ही इतने सारे सबूत जज के सामने रखे गए हों , अब ये डाक्यूमेंट्स जजों को पढ़ने पड़ेंगे , आखिर 7 साल के फर्जीवाड़े जो हैं ........
पिछले लगभग एक महीने से अत्यधिक व्यस्त चल रहे थे । मेरे मुक़दमे ख़त्म होने की आखिरी स्टेज पर चल रहे हैं, इसलिए, उनके डाक्यूमेंट्स तैयार करने में लगे थे । लगभग 7000 पेज के डाक्यूमेंट्स तैयार किये और नारनौल के जजों को पढ़ने को दे दिए हैं ।
1331 के बाद 294 और Final Written Arguments of 259 pages Total 1884 pages of written arguments submitted in 498a case .
हमें कई पुराने वकील ये कह रहे थे कि नारनौल कोर्ट के इतिहास में किसी ने इतने ज्यादा पेज के लिखित बहस नहीं दी है। नारनौल ही क्यों हम अगर पूरे देश की भी बात करें तो शायद ही 498 का कोई ऐसा मुकदमा होगा जिसमे निचली अदालत में ही इतने सारे सबूत जज के सामने रखे गए हों , अब ये डाक्यूमेंट्स जजों को पढ़ने पड़ेंगे , आखिर 7 साल के फर्जीवाड़े जो हैं ........
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